Biography of surdas

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Yogita Ingle 6 years ago
सूरदास के जन्म और मृत्यु दोनों को लेकर हिंदी साहित्य में द्वन्द हैं. इसीलिए इनके जन्म के बारे में प्रमाणिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता हैं. ज्यादातर इतिहासकारों के अनुसार सूरदास का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता,किरोली नामक गाँव में हुआ था. सूरदास जन्मांध थे यानी जन्म के समय से ही अंधे. लेकिन उनकी रचनाओं में जिस तरह से वर्णन मिलता हैं. उससे उनके जन्मांध होने पर भी मतभेद हैं.
गऊघाट पर ही उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई. बाद में वह इनके शिष्य बन गए. श्री वल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर कृष्ण भक्ति की ओर अग्रसर कर दिया. सूरदास और उनके गुरु वल्लभाचार्य के बारे में एक रोचक तथ्य यह भी हैं कि सूरदास और उनकी आयु में मात्र 10 दिन का अंतर था.
वल्लभाचार्य से शिक्षा लेने के बाद सूरदास पूरी तरह कृष्ण भक्ति में लीन हो गए. सूरदास ने अपनी भक्ति को ब्रजभाषा में लिखा. सूरदास ने अपनी जितनी भी रचनाएँ की वह सभी ब्रजभाषा में की. इसी कारण सूरदास को ब्रजभाषा का महान कवि बताया गया हैं. ब्रजभाषा हिंदी साहित्य की ही एक बोली हैं जो कि भक्तिकाल में ब्रज श्रेत्र में बोली जाती थी. इसी भाषा में सूरदास के अलावा रहीम, रसखान, केशव, घनानंद, बिहारी, इत्यादि का योगदान हिंदी साहित्य में हैं.
हिंदी साहित्य में सूरदास द्वारा रचित मुख्य रूप से 5 ग्रंथों का प्रमाण मिलता हैं.
सूरसागर(Sursagar)
सूरसारावली(Sursaravali)
साहित्य-लहरी (Sahitya-Lahri)
नल-दमयन्ती(Nal-Damyanti)
ब्याहलो(Byahlo)
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