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सविनय अवज्ञा आंदोलन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
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Manvi Rai 5 years, 9 months ago

कांग्रेस कार्यसमिति ने महात्मा गांधी को प्राधिकृत किया कि वे स्वयं सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने के लिए समय स्थान तथा विषय के निर्धारण करें।गांधी जी द्वारा दांडी में समुद्र तट पर नमक कानून का उल्लंघन करने को आंदोलन का एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया क्योंकि सरकार ने इस अति आवश्यक वस्तु की बिक्री को नियंत्रित कर रखा था और उस पर करारोपण किया था जिसका गरीबों पर अत्याधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था। महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह शुरू किया। उन्होंने अपने साबरमती आश्रम अहमदाबाद से 80 चुने हुए साथियों के साथ सत्याग्रह के लिए कूच किया। 24 दिनों की लंबी यात्रा के उपरांत उन्होंने 5 अप्रैल 1930 को दांडी में सांकेतिक रूप से नमक कानून को भंग किया। नमक कानून को तोड़ने से औपचारिक रूप से सविनय अवज्ञा आंदोलन का शुभारंभ हुआ। सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए निर्दिष्ट लिखित कार्यक्रम थे:- १. नमक कानून तथा अन्य कानूनों का उल्लंघन। २. भू-राजस्व लगान या अन्य करों का भुगतान ना करना। ३.कानूनी अदालतों विधान मंडल चुनाव सरकारी समारोह सरकारी विद्यालयों और महाविद्यालयों का बहिष्कार। ४. विदेशी वस्तुओं और कपड़ों का बहिष्कार तथा विदेशी कपड़ों को। ५. शराब तथा अन्य मादक पदार्थों को बेचने वाली दुकानों पर धरना देना। ६. व्यापक हड़ताल और प्रदर्शनों का संयोजन करना। ७. सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र देना तथा नागरिक सैनिक तथा पुलिस सेवा में शामिल ना हो। जनता ने उपयुक्त कार्यक्रमों का बड़े उत्साह से अनुपालन किया ।संयुक्त प्रांत और गुजरात में कर ना देने का अभियान शुरू किया गया।रूढ़िवादी और कुलीन परिवार की हजारों महिलाएं अपने घरों की चारदीवारी लाकर बाहर निकल आई और सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए गिरफ्तार होने और जेल के लिए स्वयं को प्रस्तुत करने। उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत में सामान्यता सीमांत गांधी के नाम से प्रसिद्ध खान अब्दुल गफ्फार खान ने अपनी खुदाई खिदमतगार संगठन के ध्वज और अपने स्वयंसेवकों के साथ इस आंदोलन में अत्यंत सक्रिय रूप से भाग लिया। यह स्वयंसेवक लाल कुर्ती पहने होते थे।अपनी पोशाक के कारण ही वे लाल कुर्ती के रूप में विख्यात हुए।1 साल से कम समय में ही इस आंदोलन के चलते 60000 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई।उत्तर पूरब में मणिपुरी के जनजातियों के लोग भी इस आंदोलन में सम्मिलित हुए तथा युवा नागा महिला रानी मैडीनुलियु ने अपने नागा साथियों के साथ इस आंदोलन को पूरा समर्थन दिया। ब्रिटिश सरकार द्वारा इस आंदोलन को यथावत उत्पीड़न कारिक तरीकों से दमन करने का प्रयास किया।जून 1930 में कांग्रेस और उससे संबंधित संगठनों को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया तथा महात्मा गांधी व अन्य सभी कांग्रेसी नेता गिरफ्तार कर लिए गए।प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया तथा समाचार पत्र पुलिस के दर्जनों गोलीकांड ओं से संबंधित समाचार प्रकाशित नहीं कर सकते थे। इस घटनाओं में बहुत से लोग मारे गए।करो का भुगतान न करने के कारण हजारों लोगों को निजी संपत्तियां तथा जमीने जप्त कर ली गई ।इंविता पूर्ण कार्य और सरकारी दमन के बीच जब आंदोलन अपनी पराकाष्ठा पर था उसी समय वायसराय ने कांग्रेसी नेताओं को रिहा करने की पहल करके महात्मा गांधी को बातचीत के लिए आमंत्रित किया।इसके परिणाम स्वरूप गांधी इरविन समझौता हुआ और सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
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