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सुरक्शा पिषद के कार्य

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सुरक्शा पिषद के कार्य
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Govind Singh 7 years, 10 months ago

सुरक्षा परिषद् का मुख्य कार्य अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा बनाये रखना है। इसके लिए वह उन मामलों व परिस्थितियों पर तुरंत विचार करती है जो शांति हेतु खतरा पैदा कर रही है। चार्टर की धारा 33 से 38 तक धाराएं अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों केांशांतिपूर्ण निपटारे के सबंध में 39 से 51 तक की धाराएं शांति को सकंट में डालने,भंग करने एवं आक्रमण को राकेने की कार्यवाही के बारे में विस्तार से वर्णन करतीहैं। संक्षेप में सुरक्षा परिषद् के कार्य इस प्रकार बतलाये जा सकते हें

  1. केवल सुरक्षा परिषद् ही शांति भंग करने वाले के विरूद्ध कठोर कार्यवाही कर सकती हैं। यदि सुरक्षा परिषद् इस निर्णय पर पहुॅचती हैं कि किसी परिस्थिति से विश्व शांति एवं सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया हैं, तो उसे कुटनीतिक, आर्थिक एवं सैनिक कार्यवाही करने का अधिकार हैं। सदस्य राष्ट्र चार्टर की इच्छानुसार उक्त निर्णय को मानने एवं लागू करने के लिये बाध्य हैं।
  2. सुरक्षा परिषद् के महासभा की अपेक्षा नये सदस्यों को सदस्यता प्रदान करने के क्षेत्र में निर्णयात्मक अधिकार प्राप्त हैं। सुरक्षा परिषद् सदस्यता प्रदान करने से संबंधित अपनी समिति की राय पर स्वयं उक्त देश की सदस्यता की पात्रता पर विचार करती हे जिसमें बहुत ही विशिष्ट परिस्थितियों में संतुष्ट होकर महासभा के पास अपनी सिफारिश भेज देती हैं।
  3. राष्ट्र संघ के महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर की जाती हैं।
  4. सुरक्षा परिषद् अतंर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों के निर्वाचन का कार्य भी करती हैं।
  5. संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में अतंर्राष्ट्रीय विवादों के समाधान के विषय में कर्इ धाराएँ हैं। जब कोर्इ विवाद सुरक्षा परिषद् के समक्ष निपटाने के लिये आता हैं तो परिषद् विवादित राज्यों को यह परामर्श देती हैं कि वे अपने विवादों को बिना शक्ति प्रयोग के शांतिपूर्ण ढंग से निपटा लें।
  6. संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् द्वारा कुछ पर्यवक्षयणात्मक कार्य भी सम्पन्न किये जाते हें। लेकिन सुरक्षा परिषद् के पर्यवेक्षणात्मक कार्य महासभा के समान व्यापक नही हैं। सुरक्षा परिषद् अप्रत्यक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र के इस प्रकार के कार्यो का सम्पादन करती है। चार्टर के अनुच्छेद 108 के अनुसार चार्टर में संशोधन के लिये यह जरूरी हैं कि महासभा के दो तिहार्इ सदस्य इसे स्वीकार करें तथा तत्पश्चात इन सदस्यों की सरकारें इसक अनुसमर्थन करें, किंतु यह आवश्यक हैं कि इन दो तिहार्इ सदस्यों में सरु क्षा परिषद् के पांचों स्थार्इ सदस्य भी शामिल हों।
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