Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Tanya Bisht 2 years, 3 months ago
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Posted by Dheeraj Singh 2 years, 3 months ago
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Posted by Aakrati Kashyap 2 years, 3 months ago
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Posted by Aakrati Kashyap 2 years, 3 months ago
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Posted by Mohd Anas 2 years, 5 months ago
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Posted by Sahar Ul Islam 2 years, 5 months ago
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Posted by Akshat Sharma 2 years, 7 months ago
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Posted by Elevenbirth Sangma 2 years, 8 months ago
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Posted by Naman Patidar 2 years, 8 months ago
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Posted by Loveneet Kumar 2 years, 9 months ago
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Posted by Boss Xhl 2 years, 10 months ago
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Vishal Mamgain 2 years, 3 months ago
Posted by Boss Xhl 2 years, 10 months ago
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Nikhil Khanna 2 years, 1 month ago
Posted by Kajal Bharti 2 years, 10 months ago
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Posted by Harshal Suresh Sonawane Sonawane 2 years, 10 months ago
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Posted by Aarish Siddiqui 2 years, 11 months ago
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Bhupendra Farswan 1 year, 8 months ago
Posted by Indal Singh Bargali 3 years ago
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Posted by Sahil Rawat 3 years ago
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Posted by Vivek Negi 3 years, 1 month ago
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Posted by Chirag Bahuguna 3 years, 1 month ago
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Posted by Vansh Parmar 3 years, 1 month ago
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Posted by Sunit Bajpeyi 3 years ago
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Sia ? 3 years ago
Posted by Sadiya Malik 3 years ago
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Sia ? 3 years ago
The government is creating awareness to the people by all means to ensure that all the people treat each other right and equally .The people are made to know that no one is a lesser human being and that all of them are equal .The government is doing this through press media social media and other forms of media.
Matters pertaining to this have been incorporated in the curriculum to ensure that the children are taught such value sand learn to respect and appreciate the space of people in the society .
Posted by Jyoti >_< 2 years, 11 months ago
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Sia ? 2 years, 11 months ago
Posted by Jyoti >_< 2 years, 11 months ago
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Sia ? 2 years, 11 months ago
यदि हमारे आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो हम उसकी पूरी तरह मदद करने की कोशिश करेंगे। उनसे मिलकर उनके दुख का कारण पता करेंगे, उन्हें अहसास दिलाएँगे कि वे अकेले नहीं हैं। सबसे पहले तो यह विश्वास कराएँगे कि सभी व्यक्ति लालची नहीं होते हैं। इस तरह मौन रह कर दूसरों को मौका न दें बल्कि उल्लास से शेष जीवन बिताएँ। रिश्तेदारों से मिलकर उनके संबंध सुधारने का प्रयत्न करेंगे।
Posted by Jyoti >_< 2 years, 11 months ago
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Sia ? 2 years, 11 months ago
आज समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। ज़्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं, अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से मिलते हैं। अमीर रिश्तेदारों का सम्मान करते हैं, उनसे मिलने को आतुर रहते हैं जबकि गरीब रिश्तेदारों से कतराते हैं। केवल स्वार्थ सिद्धि की अहमियत रह गई है। आए दिन हम अखबारों में समाचार पढ़ते हैं कि ज़मीन जाय़दाद, पैसे जेवर के लिए लोग घिनौने से घिनौना कार्य कर जाते हैं (हत्या अपहरण आदि)। इसी प्रकार इस कहानी में भी पुलिस न पहुँचती तो परिवार वाले मंहत जी (काका की) हत्या ही कर देते। उन्हें यह अफसोस रहा कि वे काका को मार नहीं पाए।
Posted by Jyoti >_< 2 years, 11 months ago
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Sia ? 2 years, 11 months ago
हरिहर काका को जब अपने भाईयों और महंत की असलियत पता चली और उन्हें समझ में आ गया कि सब लोग उनकी ज़मीन जायदाद के पीछे पड़े हैं हैं तो उन्हें वे सभी लोग याद आ गए जिन्होंने परिवार वालों के मोह माया में आकर अपनी ज़मीन उनके नाम कर दी और मृत्यु तक तिल-तिल करके मरते रहे, दाने-दाने को मोहताज़ हो गए। इसलिए उन्होंने सोचा कि इस तरह रहने से तो एक बार मरना अच्छा है। जीते जी ज़मीन किसी को भी नहीं देंगे। ये लोग मुझे एक बार में ही मार दे। अत: लेखक ने कहा कि अज्ञान की स्थिति में मनुष्य मृत्यु से डरता है परन्तु ज्ञान होने पर मृत्यु वरण को तैयार रहता है।
Posted by Jyoti >_< 2 years, 11 months ago
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Sia ? 2 years, 11 months ago
हरिहर काका के मामले में गाँव के लोग दो पक्षों में बँट गए थे कुछ लोग मंहत की तरफ़ थे जो चाहते थे कि काका अपनी ज़मीन धर्म के नाम पर ठाकुरबारी को दे दें ताकि उन्हें सुख आराम मिले, मृत्यु के बाद मोक्ष, यश मिले। यह सोच उनके धार्मिक प्रवृत्ति और ठाकुरबारी से मिलनेवाले स्वादिष्ट प्रसाद के कारण थी लेकिन दूसरे पक्ष के लोग जो कि प्रगतिशील विचारों वाले थे उनका मानना था कि काका को वह जमीन ज़मीन परिवार वालो को दे देनी चाहिए। उनका कहना था इससे उनके परिवार का पेट भरेगा। मंदिर को ज़मीन देना अन्याय होगा। इस तरह दोनों पक्ष अपने-अपने हिसाब से सोच रहे थे परन्तु हरिहर काका के बारे में कोई नहीं सोच रहा था। इन बातों का एक और भी कारण यह था कि काका विधुर थे और उनके कोई संतान भी नहीं थी।
Posted by Jyoti >_< 2 years, 11 months ago
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Sia ? 2 years, 11 months ago
हरिहर काका के मामले में गाँव के लोग दो पक्षों में बँट गए थे कुछ लोग मंहत की तरफ़ थे जो चाहते थे कि काका अपनी ज़मीन धर्म के नाम पर ठाकुरबारी को दे दें ताकि उन्हें सुख आराम मिले, मृत्यु के बाद मोक्ष, यश मिले। यह सोच उनके धार्मिक प्रवृत्ति और ठाकुरबारी से मिलनेवाले स्वादिष्ट प्रसाद के कारण थी लेकिन दूसरे पक्ष के लोग जो कि प्रगतिशील विचारों वाले थे उनका मानना था कि काका को वह जमीन ज़मीन परिवार वालो को दे देनी चाहिए। उनका कहना था इससे उनके परिवार का पेट भरेगा। मंदिर को ज़मीन देना अन्याय होगा। इस तरह दोनों पक्ष अपने-अपने हिसाब से सोच रहे थे परन्तु हरिहर काका के बारे में कोई नहीं सोच रहा था। इन बातों का एक और भी कारण यह था कि काका विधुर थे और उनके कोई संतान भी नहीं थी।
Posted by Jyoti >_< 2 years, 11 months ago
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Sia ? 2 years, 11 months ago
हरिहर काका अनपढ़ थे फिर भी उन्हें दुनियादारी की बेहद समझ थी। उनके भाई लोग उनसे ज़बरदस्ती ज़मीन अपने नाम कराने के लिए डराते थे तो उन्हें गाँव में दिखावा करके ज़मीन हथियाने वालो की याद आती है।
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Aman Singh 1 year, 11 months ago
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