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Ask QuestionPosted by Jyoti G☺ 3 years, 11 months ago
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Posted by Arti Vishwakarma 3 years, 11 months ago
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Adit Ya 3 years, 10 months ago
Adit Ya 3 years, 10 months ago
Adit Ya 3 years, 10 months ago
Adit Ya 3 years, 10 months ago
Yogita Ingle 3 years, 10 months ago
These were the refugee children who were selling basket to earn their livelihood.They were very poor and therefore hungry. They were descended on the authorl ikelocusts to selling their basket.
Posted by Hari Shankar Yadav Yadav 3 years, 11 months ago
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Posted by Sukendra Singh 3 years, 11 months ago
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Posted by Laxman Kumar 4 years ago
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Posted by Giriraj Panwar Sondhiya 4 years ago
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Yogita Ingle 4 years ago
- मानव को स्वतंत्र कारक बताया गया है।
- प्रत्येक स्थान पर संभावनाएँ हैं और मानव इन संभावनाओं का स्वामी है।
- सांस्कृतिक और तकनीकी ज्ञान प्रकृति का उपयोग करने में सक्षम है।
- नार्वे के ट्रांडहीम में रहने वाली कैरी का उदाहरण ।
Posted by Umra Khatoon 4 years ago
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Posted by Abhishek Singh 2 months, 2 weeks ago
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Math Angles 11 months, 2 weeks ago
Mohd Saami 4 years ago
Posted by Ravi Sahani 4 years ago
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Posted by Pravin Kumar 4 years ago
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Posted by Manish Raj 4 years ago
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Posted by Shubham Gupta 4 years ago
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Vaibhavi Srivastava 3 years, 10 months ago
Posted by Sayed Ibrahim Ali 3 years, 10 months ago
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Posted by Sayed Ibrahim Ali 4 years ago
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Posted by Aditi Gangwar Gangwar 4 years ago
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Posted by Adarsh Srivastava 4 years, 1 month ago
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Posted by Harsh Srivastava 4 years, 1 month ago
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Posted by Krishal Sahani 4 years, 1 month ago
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Posted by Raj Thakur 4 years, 1 month ago
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Posted by Saurabh Yadav 4 years, 1 month ago
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Posted by Sarika Verma Sarika Verma 4 years, 1 month ago
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Sarika Verma Sarika Verma 4 years, 1 month ago
Posted by Shikha Singh 4 years, 1 month ago
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Posted by Raj Thakur 3 years, 7 months ago
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Posted by Raj Thakur 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
व्हीटस्टोन सेतु (wheatstone’s bridge) : किसी अज्ञात <a href="https://sbistudy.com/electrical-resistance-in-hindi/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444; font-family:Ubuntu, Helvetica, Arial, sans-serif; font-style:normal; font-variant-ligatures:normal; font-variant-caps:normal; font-weight:400; letter-spacing:normal; orphans:2; text-align:left; text-transform:none; white-space:normal; widows:2; word-spacing:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; background-color:#ffffff">प्रतिरोध</a> का मान ज्ञात करने के लिए इंग्लैंड के वैज्ञानिक सी. एफ. व्हीटस्टोन ने चार प्रतिरोध , एक <a href="https://sbistudy.com/cell-emf-terminal-voltage/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444; font-family:Ubuntu, Helvetica, Arial, sans-serif; font-style:normal; font-variant-ligatures:normal; font-variant-caps:normal; font-weight:400; letter-spacing:normal; orphans:2; text-align:left; text-transform:none; white-space:normal; widows:2; word-spacing:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; background-color:#ffffff">सेल</a> तथा एक धारामापी का उपयोग कर एक युक्ति (परिपथ) बनाई इसे व्हीटस्टोन सेतु कहते है।
<div class="code-block code-block-3" style="border:0px; margin:8px 0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px"> </div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">इस विशेष परिपथ (युक्ति) का उपयोग करके किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">व्हीटस्टोन सेतु की रचना (structure of Wheatstone bridge) : इसकी संरचना चित्र में दिखाई गयी है।</div> <div class="separator" style="border:0px; margin:0px; padding:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; text-align:center"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-MfANTFrE_0w/Wm82I8QPYfI/AAAAAAAABsc/T_gpwztDVyAIYhnQG1UqBr3XV-KIXXgBgCLcBGAs/s1600/wheatstone-bridge.jpg" style="user-select:initial !important; margin:0px 1em; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444"></a></div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">चित्रानुसार इसमें चार प्रतिरोध होते है P , Q , R , S</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">यहाँ प्रतिरोध P तथा Q श्रेणीक्रम में है और इसी प्रकार R व S आपस में श्रेणी क्रम में है। फिर दोनों श्रेणीक्रम संयोजनों को आपस में समान्तर में जोड़ा गया है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">पॉइंट b तथा d के मध्य एक धारामापी जुड़ा हुआ है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">बिंदु a तथा c के मध्य E विद्युत वाहक बल की बैटरी जुडी हुई है।</div>
व्हीट स्टोन सेतु का सिद्धान्त (principle of wheatstone bridge)
<div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">परिपथ में E विधुत वाहक बल की बैटरी लगी हुई है माना परिपथ में मुख्य धारा I निकलती है जब यह धारा बिंदु a पर पहुँचती है तो इसे दो मार्ग मिलते है इसलिए यह I1 & I2 में विभक्त हो जाती है फिर I1 को b बिंदु पर तथा I2 को d बिंदु पर दोबारा दो मार्ग प्राप्त होते है यहाँ I1 & I2 के विभाजन के लिए तीन स्थितियाँ बनती है1. जब b बिंदु पर विभव (Vb) का मान d बिंदु पर उत्पन्न विभव (Vd) से ज़्यादा है अर्थात Vb > Vd इस स्थिति में चूँकि b बिंदु पर विभव का मान ज़्यादा है और d बिंदु पर <a href="https://sbistudy.com/electrostatic-potential-and-potential-difference/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444">विभव</a> कम है अतः b से d की तरफ धारा का प्रवाह होगा लेकिन धारा निम्न विभव से उच्च विभव की तरफ नहीं होता अतः d से b की तरफ धारा प्रवाहित नहीं हो सकती।
अतः जब Vb > Vd है इस स्थिति में I1 धारा दो तरफ बंट जाती है इसका एक हिस्सा धारा मापी में चला जाता है और दूसरा हिस्सा Q प्रतिरोध में दूसरी तरफ d बिंदु पर विभव कम है अतः यह I2 धारा धारामापी की तरफ नहीं जाती है और सम्पूर्ण धारा S प्रतिरोध में चली जाती है।
2. दूसरी स्थिति पहली स्थिति की विपरीत होगी अर्थात d बिंदु पर विभव ज़्यादा हो सकता है और b बिंदु पर कम अर्थात Vb < Vd इस स्थिति में चूँकि d बिंदु पर विभव अधिक है अतः धारा d से b की तरफ बह सकती है लेकिन b से d की तरफ नहीं बह सकती।
अतः इस स्थिति में I2 धारा दो तरफ बंट जाती है इसका एक हिस्सा धारा मापी में चला जाता है और दूसरा हिस्सा S प्रतिरोध में चला जाता है तथा दूसरी तरफ b बिंदु पर विभव कम है अतः यह I1 धारा धारामापी की तरफ नहीं जाती है और सम्पूर्ण धारा Q प्रतिरोध में चली जाती है।
3. तीसरी स्थिति में बिंदु b तथा d पर विभव का मान समान है अर्थात Vb = Vd इस स्थिति में चूँकि दोनों सिरों पर विभव समान है अतः धारा मापी की तरफ कोई धारा नहीं जाती है अर्थात b-d में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है क्योंकि धारा प्रवाहित होने के लिए विभान्तर की आवश्यकता होती है और चूँकि यहाँ दोनों बिंदु पर समान आवेश है।
अतः इस स्थिति में I1 धारा पूर्ण Q प्रतिरोध पर तथा I2 धारा पूर्ण S प्रतिरोध पर पूर्ण रूप से पहुंच जाती है तथा धारामापी में शून्य धारा होने से कोई विक्षेप नहीं होता है इसे सेतु की संतुलन की स्थिति कहते है।
सेतु की संतुलन की अवस्था में इस
Vb = Vd
<div class="code-block code-block-5" style="border:0px; margin:8px 0px; padding:0px"> </div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px">Va – Vb = Va – Vd</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px">I1P = I2R</div>
I1/I2 = R/P
दूसरी तरफ
Vb = Vd
I1/I2 = S/Q
I1/I2 की समीकरणों की तुलना करने हम पाते है
R/P = S/Q
इस समीकरण का उपयोग किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिए की जाती है जैसे मान लीजिये व्हीट सेतु ब्रिज में S प्रतिरोध अज्ञात है तो
S = QR/P
इसमें P , Q , R का मान रखते ही अज्ञात S प्राप्त हो जाता है।
इस प्रकार व्हीटसेतु ब्रिज की सहायता से अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जाता है।
Posted by Raj Thakur 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
ओम का नियम -
V = IR
ओम के नियम का मूल अर्थ यही है इसी से आप नियम की परिभाषा बना सकते हैं
यहां
V = विभान्तर (Voltage), Volts में
I = धारा, करंट एम्पियर में
R = प्रतिरोध ओह्म में (Resistance)
परिभाषा - "समान ताप व स्थिति में किसी बन्द डीसी परिपथ में प्रतिरोध के सिरों पर लगने वाला वोल्टेज उस प्रतिरोध में प्रवाहित होने वाली धारा के मान के समानुपाती होता है ।"
अर्थात्
V∝ I
सरल भाषा -
किसी बंद डीसी परिपथ में वोल्टेज का मान उस परिपथ में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा और प्रतिरोध के मान के गुणनफल के बराबर होता है ।
यहां बंद डीसी परिपथ (Close DC Circuit) यानी की ऐसा डीसी सर्किट जिसमें स्विच ऑन हो और परिपथ चालू हो ।
इसमें
वोल्टेज (V) = धारा (I) × प्रतिरोध (R)
इसी फार्मूले का उपयोग करके आप वोल्टेज, धारा और प्रतिरोध के मान निकाल सकते हैं ।
जैसे
V = IR
R = V/I
I = V/R
Posted by Raj Thakur 4 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 4 years, 1 month ago
Kirchhoff has given two rules based on conservation of electric charge and of energy, these are known as Kirchhoff’s laws
Kirchhoff’s First Law or Junction Rule The algebraic sum of electric currents at any junction of electric circuit is equal to zero i.e. the sum of current entering into a junction is equal to the sum of current leaving the junction i.e.
Junction law supports law of conservation of charge because this is a point in a circuit which cannot act as a source or sink of charge(s).
Kirchhoff’s Second Law or Voltage Rule In any closed mesh of electrical circuit, the algebraic sum of emf’s of cell and the product of currents and resistance is always equal to zero i.e.
Kirchhoff’s second law supports the law of conservation of energy. Because the net change in the energy of a charge, after the charge complete a closed path must be zero
Posted by Bablu Pal 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
गैस + विलायक ↔ विलयन + ऊष्मा
गैस का द्रव में घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। ताप बढ़ाने पर साम्य बायीं ओर विस्थापित होता है और विलयन से गैस मुक्त होती है।
Posted by Alok Gupta 4 years, 1 month ago
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Adit Ya 3 years, 10 months ago
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