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Adit Ya 3 years, 10 months ago

MMMMMMMMMMMMMMM'AAAAAAAAAAAADDDDDDDAAAAAAAAAAAAAAARRRRRRXXXXXXXXXXHHHHHHHHH(DDDDDDDDDDDDD BBBBBBBHHHHHHHHHOOOO(SSSSSSSSSSSSdddddddddddddiiiiiiiiiKKKKKKKKKKKKKKKIIIII

Adit Ya 3 years, 10 months ago

BBBBBBBBBBHHHHHHHEEEEEEEEENNNNNNN KKKKKKKEEEEEEEEEEEEEEE AAAAAAAAAANDDDDDDDDDDDDD

Adit Ya 3 years, 10 months ago

TTTTTTTTTEEEEEEEEEEEEEEEEEEERRRRRRRIIIIIII MMMMMMMMMAAAAAAAAAAAAAA KKKKKKKKAAAAAAAAAAAA BHOOOOOOOOOSSSSSSDDDDDDDAAAAAAAAAAAAAAAAA

Adit Ya 3 years, 10 months ago

These were the refugee children who were selling basket to earn their livelihood . They were very poor and therefore hungry . They were descended on the authorl iketocusts to selling their basket

Yogita Ingle 3 years, 10 months ago

These were the refugee children who were selling basket to earn their livelihood.They were very poor and therefore hungry. They were descended on the authorl ikelocusts to selling their basket.

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Gayatri Vishwakarma 3 years, 9 months ago

Abe hindi me bta nn

Sunil Kumar 3 years, 11 months ago

Hii
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evj
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Monu Monu 3 years, 4 months ago

Mool tatva

Laxman Kumar 4 years ago

exercise 3.3 quation
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Yogita Ingle 4 years ago

  1.  मानव को स्वतंत्र कारक बताया गया है।
  2. प्रत्येक स्थान पर संभावनाएँ हैं और मानव इन संभावनाओं का स्वामी है।
  3. सांस्कृतिक और तकनीकी ज्ञान प्रकृति का उपयोग करने में सक्षम है।
  4. नार्वे के ट्रांडहीम में रहने वाली कैरी का उदाहरण ।
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Anmol Pathak 3 years, 10 months ago

Hmare youtube Chennal success iq par aao
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Math Angles 11 months, 2 weeks ago

इलेक्ट्रॉन के नाभिक के चारो ओर वृत्ताकार मार्ग में घूमने के लिए आवश्यक अभिकेंद्रिय बल, तथा नाभिक के मध्य लगने वाले स्थिर विद्युत आकर्षण बल से प्राप्त होता है।

Mohd Saami 4 years ago

Kyunki nabhik par dhanavesh hota hai or e- par riravesh hota hai isliye Arthat, Isme vidhut chumbkiye bal kariye karta hai
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12
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Ravi Sahani 4 years ago

7.1 questions 1

Ravi Sahani 4 years ago

Samakalan

Ravi Sahani 4 years ago

Rashtra ka Swaroop
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Manish Raj 4 years ago

X square ka avkalan Kitna hoga
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Vaibhavi Srivastava 3 years, 10 months ago

हेबर विधि द्वारा अमोनिया के औद्योगिक निर्माण का नामांकित चित्र सहित वर्णन कीजिए। इसके दो प्रमुख गुण एवं दो उपयोग लिखिए। इस विधि में ला-शातेलिए नियम का क्या महत्त्व है हेबर विधि का सिद्धान्त–यदि शुद्ध नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के 1 : 3 अनुपात के मिश्रण को गर्म किया जाए तो अमोनिया बनती है। यह एक ऊष्माक्षेपी उत्क्रमणीय अभिक्रिया है और क्रिया के पश्चात् आयतन में कमी होती है, इसलिए ला-शातेलिए के नियमानुसार कम ताप और अधिक दाब पर अमोनिया अधिक उत्पन्न होगी। कम ताप पर अभिक्रिया का वेग बढ़ाने के लिए एक उत्प्रेरक प्रयोग किया जाता है। इस अभिक्रिया का उत्प्रेरक की उपस्थिति में अनुकूलतम ताप 450°-500°C तथा उच्च दाब 200 वायुमण्डल है; क्योंकि अभिक्रिया उत्क्रमणीय है, इसलिए अमोनिया को बराबर क्रिया क्षेत्र से हटाने के बाद, अमोनिया गैस अधिक बनेगी। इस अभिक्रिया में लोहे का बारीक चूर्ण (उत्प्रेरक) तथा मॉलिब्डेनम (उत्प्रेरक वर्धक) की सूक्ष्म मात्रा प्रयुक्त होती है। इसमें गैसीय मिश्रण शुद्ध होना चाहिए जिससे उत्प्रेरक विषाक्त न हो। विधि- शुद्ध N2 तथा H2 को 1 : 3 अनुपात में मिलाकर 200 वायुमण्डल दाब पर तप्त लोहे के बारीक चूर्ण (उत्प्रेरक) को, जिसमें मॉलिब्डेनम (उत्प्रेरक वर्धक) मिला होता है, 500°C ताप पर गर्म करते हैं। इस विधि में 10 – 15% अमोनिया बनती है, जिसे संघनित्र में प्रवाहित करके द्रवित कर लेते हैं। शेष गैसों को फिर से उत्प्रेरक कक्ष में प्रवाहित करते हैं जिससे N2 व H2 के संयोजन द्वारा NH3 का लगातार उत्पादन होता रहता है। रासायनिक गुण  1. क्षारीय गुण – यह क्षारीय गैस है तथा लाल लिटमस को नीला कर देती है। यह अम्लों से क्रिया करके लवण बनाती है। 2. धातु ऑक्साइडों का अपचयन – यह धातु ऑक्साइडों को अपचयित कर देती है। उपयोग  1. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।  2. बर्फ बनाने तथा कोल्ड स्टोरेज में प्रशीतक के रूप में; क्योंकि इसके वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 327 कैलोरी/ग्राम (उच्च) होती है
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Krmchnd Kumar 3 years, 5 months ago

Sakh Niti Se Kya aashay Hai

Krmchnd Kumar 3 years, 8 months ago

Sakh Niti se kya hal hai
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Anuj Soni 3 years, 11 months ago

Konsa question
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Ravi Sahani 4 years ago

Hello

Ashish Kumar 4 years ago

2x / 1 + x² = sin2A

Ashish Kumar 4 years ago

Hello
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Akash Kumar 4 years, 1 month ago

Direntiativ
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Himanshu Chaudhary 3 years, 11 months ago

Using this f=9celsius/5+32
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Sarika Verma Sarika Verma 4 years, 1 month ago

Question answer

Sarika Verma Sarika Verma 4 years, 1 month ago

Chapter 1 rashtriy ka sv roop only question answer only hindi
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Sanskar Jain 4 years, 1 month ago

He has eaten food

Vimal Morya 4 years, 1 month ago

He has eaten food

Payal Parul Tiwari 4 years, 1 month ago

He has eaten food

Tushar Garg 4 years, 1 month ago

He has eaten the food

Shikha Singh 4 years, 1 month ago

Ans me
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Aakash Kumar 3 years, 10 months ago

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Yogesh Prasad 4 years ago

paper
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Toward Education Kumar 4 years, 1 month ago

Thanks

Gaurav Seth 4 years, 1 month ago

व्हीटस्टोन सेतु (wheatstone’s bridge) : किसी अज्ञात <a href="https://sbistudy.com/electrical-resistance-in-hindi/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444; font-family:Ubuntu, Helvetica, Arial, sans-serif; font-style:normal; font-variant-ligatures:normal; font-variant-caps:normal; font-weight:400; letter-spacing:normal; orphans:2; text-align:left; text-transform:none; white-space:normal; widows:2; word-spacing:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; background-color:#ffffff">प्रतिरोध</a> का मान ज्ञात करने के लिए इंग्लैंड के वैज्ञानिक सी. एफ. व्हीटस्टोन ने चार प्रतिरोध , एक <a href="https://sbistudy.com/cell-emf-terminal-voltage/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444; font-family:Ubuntu, Helvetica, Arial, sans-serif; font-style:normal; font-variant-ligatures:normal; font-variant-caps:normal; font-weight:400; letter-spacing:normal; orphans:2; text-align:left; text-transform:none; white-space:normal; widows:2; word-spacing:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; background-color:#ffffff">सेल</a> तथा एक धारामापी का उपयोग कर एक युक्ति (परिपथ) बनाई इसे व्हीटस्टोन सेतु कहते है।

 

<div class="code-block code-block-3" style="border:0px; margin:8px 0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px"> </div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">इस विशेष परिपथ (युक्ति) का उपयोग करके किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">व्हीटस्टोन सेतु की रचना (structure of Wheatstone bridge)  : इसकी संरचना चित्र में दिखाई गयी है।</div> <div class="separator" style="border:0px; margin:0px; padding:0px; -webkit-text-stroke-width:0px; text-align:center"><a href="https://1.bp.blogspot.com/-MfANTFrE_0w/Wm82I8QPYfI/AAAAAAAABsc/T_gpwztDVyAIYhnQG1UqBr3XV-KIXXgBgCLcBGAs/s1600/wheatstone-bridge.jpg" style="user-select:initial !important; margin:0px 1em; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444"></a></div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">चित्रानुसार इसमें चार प्रतिरोध होते है P , Q , R , S</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">यहाँ प्रतिरोध P तथा Q श्रेणीक्रम में है और इसी प्रकार R व S आपस में श्रेणी क्रम में है।  फिर दोनों श्रेणीक्रम संयोजनों को आपस में समान्तर में जोड़ा गया है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">पॉइंट b तथा d के मध्य एक धारामापी जुड़ा हुआ है।</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">बिंदु a तथा c के मध्य E विद्युत वाहक बल की बैटरी जुडी हुई है।</div>

 व्हीट स्टोन सेतु का सिद्धान्त (principle of wheatstone bridge)

<div style="border:0px; margin:0px; padding:0px; text-align:left; -webkit-text-stroke-width:0px">परिपथ में E विधुत वाहक बल की बैटरी लगी हुई है माना परिपथ में मुख्य धारा I निकलती है जब यह धारा बिंदु a पर पहुँचती है तो इसे दो मार्ग मिलते है इसलिए यह I1 & I2 में विभक्त हो जाती है फिर I1 को b बिंदु पर  तथा Iको d बिंदु पर दोबारा दो मार्ग प्राप्त होते है यहाँ I1 & Iके विभाजन के लिए तीन स्थितियाँ बनती है
1. जब b बिंदु पर विभव (Vb) का मान d बिंदु पर उत्पन्न विभव (Vd) से ज़्यादा है अर्थात Vb > Vइस स्थिति में चूँकि b बिंदु पर विभव का मान ज़्यादा है और d बिंदु पर <a href="https://sbistudy.com/electrostatic-potential-and-potential-difference/" style="user-select:initial !important; margin:0px; padding:0px; border:0px; font-size:14px; vertical-align:baseline; outline:none; color:#444444">विभव</a> कम है अतः b से d की तरफ धारा का प्रवाह होगा लेकिन धारा निम्न विभव से उच्च विभव की तरफ नहीं होता अतः d से b की तरफ धारा प्रवाहित नहीं हो सकती।
अतः जब Vb > Vहै इस स्थिति में Iधारा दो तरफ बंट जाती है इसका एक हिस्सा धारा मापी में चला जाता है और दूसरा हिस्सा Q प्रतिरोध में दूसरी तरफ d बिंदु पर विभव कम है अतः यह I2 धारा धारामापी की तरफ नहीं जाती है और सम्पूर्ण धारा S प्रतिरोध में चली जाती है।
2. दूसरी स्थिति पहली स्थिति की विपरीत होगी अर्थात d बिंदु पर विभव ज़्यादा हो सकता है और b बिंदु पर कम अर्थात Vb < Vइस स्थिति में चूँकि d बिंदु पर विभव अधिक है अतः धारा d से b की तरफ बह सकती है लेकिन b से d की तरफ नहीं बह सकती।
अतः इस स्थिति में  Iधारा दो तरफ बंट जाती है इसका एक हिस्सा धारा मापी में चला जाता है और दूसरा हिस्सा S प्रतिरोध में चला जाता है तथा दूसरी तरफ b बिंदु पर विभव कम है अतः यह I1 धारा धारामापी की तरफ नहीं जाती है और सम्पूर्ण धारा Q प्रतिरोध में चली जाती है।
3. तीसरी स्थिति में बिंदु b तथा d पर विभव का मान समान है अर्थात Vb =  Vइस स्थिति में चूँकि दोनों सिरों पर विभव समान है अतः धारा मापी की तरफ कोई धारा नहीं जाती है अर्थात b-d में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है क्योंकि धारा प्रवाहित होने के लिए विभान्तर की आवश्यकता होती है और चूँकि यहाँ दोनों बिंदु पर समान आवेश है।
अतः इस स्थिति में I1 धारा पूर्ण Q प्रतिरोध पर तथा Iधारा पूर्ण S प्रतिरोध पर पूर्ण रूप से पहुंच जाती है तथा धारामापी में शून्य धारा होने से कोई विक्षेप नहीं होता है इसे सेतु की संतुलन की स्थिति कहते है।
सेतु की संतुलन की अवस्था में  इस
Vb =  Vd

 

<div class="code-block code-block-5" style="border:0px; margin:8px 0px; padding:0px"> </div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px">Va – Vb = Va – Vd</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px">I1P = I2R</div>

I1/I2 = R/P
दूसरी तरफ
Vb =  Vd

<div class="code-block code-block-4" style="border:0px; margin:8px 0px; padding:0px"> </div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px">Vb – Vc = Vd – Vc</div> <div style="border:0px; margin:0px; padding:0px">I1Q = I2S</div>

I1/I2 = S/Q
I1/I2 की समीकरणों की तुलना करने हम पाते है 
R/P  S/Q
इस समीकरण का उपयोग किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिए की जाती है जैसे मान लीजिये व्हीट सेतु ब्रिज में S प्रतिरोध अज्ञात है तो
S = QR/P
इसमें P , Q , R का मान रखते ही अज्ञात S प्राप्त हो जाता है। 
इस प्रकार व्हीटसेतु ब्रिज की सहायता से अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जाता है। 

</div>
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago

ओम का नियम -

 

V = IR

 

ओम के नियम का मूल अर्थ यही है इसी से आप नियम की परिभाषा बना सकते हैं

 

यहां 

V = विभान्तर (Voltage), Volts में
I = धारा, करंट एम्पियर में
R = प्रतिरोध ओह्म में (Resistance)

 

परिभाषा - "समान ताप व स्थिति में किसी बन्द डीसी परिपथ में प्रतिरोध के सिरों पर लगने वाला वोल्टेज उस प्रतिरोध में प्रवाहित होने वाली धारा के मान के समानुपाती होता है ।"

 

अर्थात् 

V∝ I

 

सरल भाषा -
किसी बंद डीसी परिपथ में वोल्टेज का मान उस परिपथ में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा और प्रतिरोध के मान के गुणनफल के बराबर होता है ।

यहां बंद डीसी परिपथ (Close DC Circuit) यानी की ऐसा डीसी सर्किट जिसमें स्विच ऑन हो और परिपथ चालू हो ।


इसमें 
वोल्टेज (V) = धारा (I) × प्रतिरोध (R)

 

इसी फार्मूले का उपयोग करके आप वोल्टेज, धारा और प्रतिरोध के मान निकाल सकते हैं ।

 

जैसे 
V = IR
R = V/I
I = V/R

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Yogita Ingle 4 years, 1 month ago

Kirchhoff has given two rules based on conservation of electric charge and of energy, these are known as Kirchhoff’s laws

Kirchhoff’s First Law or Junction Rule The algebraic sum of electric currents at any junction of electric circuit is equal to zero i.e. the sum of current entering into a junction is equal to the sum of current leaving the junction i.e.

Junction law supports law of conservation of charge because this is a point in a circuit which cannot act as a source or sink of charge(s).
Kirchhoff’s Second Law or Voltage Rule In any closed mesh of electrical circuit, the algebraic sum of emf’s of cell and the product of currents and resistance is always equal to zero i.e.

Kirchhoff’s second law supports the law of conservation of energy. Because the net change in the energy of a charge, after the charge complete a closed path must be zero

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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago

गैस + विलायक ↔ विलयन + ऊष्मा 

गैस का द्रव में घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। ताप बढ़ाने पर साम्य बायीं ओर विस्थापित होता है और विलयन से गैस मुक्त होती है।

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Adit Ya 3 years, 10 months ago

TTTTTTTTTTTTeeeeeeeeeeeerriiiiiiii mmmmmmmmmmmmmaaaaaaaaaaaaaaaaa kkkkkkkkkkiiiiiiiiiiii ccccccccchuuuuutttttt
Nashe me rehte ho kya, App me hi niche dekho mil jayega.

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