Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by A Aarthi 4 years, 11 months ago
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Posted by Rohit Roy 4 years, 11 months ago
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Posted by Dëëpak Pürï 4 years, 11 months ago
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Posted by Vaishali Mungra 4 years, 11 months ago
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Posted by Siddhesh Gaikar 4 years, 11 months ago
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Shraddha ✨✰✰ 4 years, 11 months ago
Posted by Siddhesh Gaikar 4 years, 11 months ago
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Posted by Suraj Yadav 4 years, 11 months ago
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Shraddha ✨✰✰ 4 years, 11 months ago
Anne Paul 4 years, 11 months ago
Posted by Sumit Kumar 4 years, 11 months ago
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Posted by Keshav Joshi 4 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 11 months ago
कहानी कोई कहानी नहीं है बल्कि यह एक सोच है, जो आगे चलकर कहानी का रूप ले लेती है। कहानी हमारी सोच में है, हम जो भी सोचते हैं। अगर हम उसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ सांझा करे तो वह कहानी कहलाती है। जैसे मान लो, अपको सोते समय कोई स्वप्न आए, जो आपकी सोच के मुताबिक बहुत ही अलग हो। जिसे आप अपने परिवारजनों या मित्रों के साथ सांझा करे तो उनका ध्यान न भटक पाए, उनके मन में बेचैनी होने लगे कि अब कुछ तो अलग होगा, इसी को कहानी कहते हैं। हालांकि ये कोई कहानी नहीं बल्कि आपका स्वप्न है, आपकी सोच है। दोस्तों ये तो हो गयी कहानी।
अब बात करते हैं नाटक क्या है?नाटक भी देखा जाए तो कहानी के बिना अधूरा है। क्योंकि किसी भी नाटक को तैयार करने से पहले एक कहानी तैयार करना बहुत जरूरी होता है। जैसे कि मैंने ऊपर आपको बताया कि, अपनी सोच, स्वप्न किसी व्यक्ति के साथ सांझा करना कहानी कहलाता है। उसी कहानी को जब कुछ कलाकार मिलकर किसी रंगमंच पर अपने आव-भाव व गुणों के साथ श्रोताओं के सामने दर्शाऐं, तो उसे नाटक कहते हैं। हमेशा नाटक कहानी से जुड़ा रहता है।
नाटक और कहानी में अन्तर अगर देखा जाए तो नाटक और कहानी में कुछ ज्यादा अन्तर नहीं है, अक्सर आप बचपन में कहानियां सुनते होंगे, अगर उन्ही कहानियों को कुछ कलाकार मिलकर आपके सम्मुख प्रदर्शन करें तो वो नाटक का रूप ले लेती हैं।
Posted by Keshav Joshi 4 years, 11 months ago
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Posted by Keshav Joshi 4 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 11 months ago
पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है-तुलसी का यह काव्य-सत्य समकालीन युग में भी सत्य था और आज भी सत्य है। राम को तुलसी ने घनश्याम कहा है। तुलसी प्रभु की कृपा को पेट की आग शमन के लिए आवश्यक मानते हैं। उनकी दृष्टि में ईश्वर भक्ति एक मेघ के समान है। उनकी कृपा का जल हमें चाहिए।
तुलसी का यह काव्य-सत्य इस समय का युग सत्य तब बन सकता है जब भक्ति के साथ प्रयास भी करें। केवल भक्ति करने से फल की प्राप्ति होने वाली नहीं है। प्रभु की प्रार्थना में भक्ति और पुरुषार्थ दोनों का संगम होना आवश्यक है। केवल भक्ति के बल पर बैठा रहने वाला व्यक्ति निकम्मा हो जाता है। प्रयत्न की भी बड़ी महिमा है।
Posted by Keshav Joshi 4 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 11 months ago
पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है-तुलसी का यह काव्य-सत्य समकालीन युग में भी सत्य था और आज भी सत्य है। राम को तुलसी ने घनश्याम कहा है। तुलसी प्रभु की कृपा को पेट की आग शमन के लिए आवश्यक मानते हैं। उनकी दृष्टि में ईश्वर भक्ति एक मेघ के समान है। उनकी कृपा का जल हमें चाहिए।
तुलसी का यह काव्य-सत्य इस समय का युग सत्य तब बन सकता है जब भक्ति के साथ प्रयास भी करें। केवल भक्ति करने से फल की प्राप्ति होने वाली नहीं है। प्रभु की प्रार्थना में भक्ति और पुरुषार्थ दोनों का संगम होना आवश्यक है। केवल भक्ति के बल पर बैठा रहने वाला व्यक्ति निकम्मा हो जाता है। प्रयत्न की भी बड़ी महिमा है।
Posted by Sanu Kumar 4 years, 11 months ago
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Tamanna Charpota 4 years, 11 months ago
Posted by Divyansha Ralhan 4 years, 11 months ago
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Posted by Abhishek S B 4 years, 11 months ago
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Posted by Sukanya Ruwasiya 4 years, 11 months ago
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Posted by Pandey Rupesh 4 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 11 months ago
बाजारुपन से तात्पर्य ऊपरी चमक-दमक से है। जब सामान बेचने वाले बेकार की चीजों को आकर्षक बनाकर बेचने लगते हैं, तब बाज़ार में बाजारुपन आ जाता है।
जो विक्रेता, ग्राहकों का शोषण नहीं करते और छल-कपट से ग्राहकों को लुभाने का प्रयास नहीं करते साथ ही जो ग्राहक अपनी आवश्यकताओं की चीजें खरीदते हैं वे बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। इस प्रकार विक्रेता और ग्राहक दोनों ही बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं।
मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में ही बाजार की सार्थकता है।
Posted by Rakhi Kumari 4 years, 11 months ago
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Posted by Sukhchain Samberwal 4 years, 11 months ago
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Posted by Princi Singh 4 years, 11 months ago
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Posted by Shweta Yadav 4 years, 11 months ago
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Posted by Rahul Patidar 4 years, 11 months ago
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Posted by Anju Kumari Jha 4 years, 11 months ago
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Posted by Narsingh Yadav Yadav 4 years, 11 months ago
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Shraddha ✨ 4 years, 11 months ago
Posted by Aayushi Kashyap 4 years, 11 months ago
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Shraddha ✨ 4 years, 11 months ago
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Shweta Tandan 4 years, 11 months ago
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