No products in the cart.

Ask questions which are clear, concise and easy to understand.

Ask Question
  • 1 answers

Shweta Tandan 4 years, 11 months ago

आजकल बिक्री बढ़ाने के लिए कई तरीके अपनाए जा रहे हैं; जैसे - - सेल लगाना। - दामों में कटौती करना। - एक के साथ दूसरी चीज फ्री देना। - माल उधार देना। - किश्तों पर पैसे लेना। - लक्की ड्रा निकालना। - अखबारों में विज्ञापन देना। - टी.वी. पर विज्ञापन देना। हम इन सभी तरीकों में ‘दाम पर कटौती’ करने का तरीका अपनाना चाहेंगे। हमें उत्पाद की बिक्री पर जो मुनाफा मिलता है, उसका कुछ भाग ग्राहक को देना चाहेंगे। इससे न तो वह व्यर्थ की चीजें खरीदने को विवश होगा और न वह गुमराह ही होगा।?
  • 2 answers

Savitri Sinha 4 years, 11 months ago

Describe the farmers of India

Saurabh Kumar 4 years, 11 months ago

What
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए (6) मिट्टी तन है मिट्टी मन है, मिट्टी दाना-पानी है। मिट्टी ही तन बदने हमारा, सो सब ठीक कहानी है। पर जो उल्टा समझ इसे ही बने आप ही ज्ञानी है। मिट्टी करता है जीवन को और बड़ा अज्ञानी है। समझ सदा अपना तन मिट्टी, मिट्टी में जो रमाता है। मिट्टी करके सर बस अपना, मिट्टी में मिल जाता है। जगत है सच्चा, तनिक न कच्चा, समझो बच्चों इसका भेद | खाओ पीओ कर्म करो नित, कभी न लाओ मन में खेद। रचा उसी का है यह जग तो, निश्चय उसको प्यारा है। इसमें दोष लगाना अपने लिए दोष का द्वारा है। ध्यान लगाकर जो देखो, तुम सृष्टि की सुधराई को बात-बात में पाओगे तुम उस सृष्टा की चतुराई को चलोगे सच्चे दिल जो तुम निर्मल नियमों के अनुसार तो अवश्य प्यारे जानोगे, सारा जगत सच्चाई सार। (क) कवि ने मिट्टी की महिमा का बखान करते हुए क्या कहा है? (2) (ख) कैसे लोग अपने तन-मन को मिट्टी में मिला देते हैं और कैसे? (2) (ग) प्रस्तुत काव्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक लिखिए। (2)
  • 2 answers

Savitri Sinha 4 years, 11 months ago

Patang namak Kavita ka kendrayi bhav

Savitri Sinha 4 years, 11 months ago

Patang namak Kavita ka kendrayi bhav btao
  • 2 answers

Shraddha ✨✰✰ 4 years, 11 months ago

22 मार्च यानी विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस चक्र को गतिशील बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है, प्रकृति के ख़ज़ाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते। अतः प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गँवाएँ। कार्यक्रम में वाटर कम्युनिटी इंडिया और इंडिया वाटर पोर्टल हिंदी से जुड़े सिराज केसर जी का भी साक्षात्कार लिया गया है। जिसमें उनका कहना है कि पानी और पर्यावरण दो ऐसे मुद्दे हैं, जिसके बारे में हर आदमी को सोचना चाहिए। जल दिवस मनाने के पीछे यही मंशा है कि प्रकृति के इन संसाधनों का सही इस्तेमाल किया जा सके। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यदि हम पानी या पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नहीं है, तो हम जीवन के आने वाले भविष्य के प्रति भी संवेदनशील नहीं है।

Sheenu Patel 4 years, 11 months ago

Answer plz
  • 2 answers

Shraddha ✨✰✰ 4 years, 11 months ago

एडवोके सी पत्रकारिता– इसे पक्षधर पत्रकारिता भी कहते हैं। किसी खास मुद्दे या विचारधारा के पक्ष में जनमत बनाने के लिए लगातार अभियान चलाने वाली पत्रकारिता को एडवोकेसी पत्रकारिता कहते हैं|

Anne Paul 4 years, 11 months ago

Advokesy patrakarita -- kisi khas mudde ko uchal kar uske paksh mai janmat banane ka lagatar abhiyan chalana ko advokesy patrakarita khate hai.
नम्ननिखित गद्यांश को पढ़कर नीचेनदए गए प्रश्नोांके उत्तर दीनजये– निद्वयनोांकय यह कथन बहुत ठीक हैनक निनम्रतय केनबनय स्वतन्त्रतय कय कोउ अथथनही ।इस बयत को सब िोग मयनतेहैंनक आत्मसांस्कयर के निए थोड़ी-बहुत मयननसक स्वतांत्रतय परमयिश्यक है-चयहे उस स्वतांत्रतय मेंअनभमयन और नम्रतय दोनोांकय मेि हो और चयहेिह नम्रतय ही सेउत्पन्न हो। यह बयत तो नननित हैनक जो मनुष्य मययथदयपूिथक जीिन व्यतीत करनय चयहतय है,उसकेनिए िह गुण अननिययथ है, नजससेआत्मननभथरतय आती हैऔर नजससेअपनेपैरोांके बि िड़य होनय आतय है। युिय को यह सदय स्मरण रिनय चयनहए नक िह बहुत कम बयतेंजयनतय है, अपनेही आदशथसेिह बहुत नीचेहैऔर उसकी आकयांक्षयएां उसकी योग्यतय सेकही ांबढ़ी हुई है।उसेइस बयत कय ध्ययन रिनय चयनहए नक िह अपनेबड़ो कय सम्मयन करे,चोट और बरयबर ियिो सेकोमितय कय व्यिहयर करें,येबयतेंआत्ममययथदय के निए आिश्यक हैं।यह सयरय सांसयर , जो कु छ हम हैंऔर जो कु छ हमयरय है-हमयरय शरीर, हमयरी आत्मय ,हमयरेभोग ,हमयरेघर और बयहर की दशय , हमयरेबहुत सेअिगुन और थोड़ेगन-सब इसी बयत की आिश्यक्तय प्रकट करतेहैंनक हमेंअपनी आत्मय को नम्र रिनय चयनहए ।नम्रतय सेमेरय अनभप्रयय दब्बूपन सेनही है, नजसके कयरण मनुष्य दुसरो कय मुुँह तयकतय है, नजससेउसकय सांकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञय मांद हो जयती हैनजसके कयरण िह आगेबढ़नेके समय भी पीछेरहतय हैऔर अिसर पड़नेपर चट-पट नकसी बयत कय ननणथय नही कर सकतय।मनुष्य कय बेड़य उसके अपनेही हयथ मेहै,उसेिह चयहेनजधर िेजयये। सच्ची आत्मय िही है, जो प्रत्येक दशय में, प्रत्येक खथथनत के बीच अपनी रयह आप ननकयिती है। (क) ‘निनम्रतय केनबनय स्वतांत्रतय कय कोई अथथनही’ इस कथन कय आशय स्पष्ट कीनजए। 1 (ख) मययथदयपूिथक जीनेकेनिए नकन गुणोांकय होनय अननिययथहैऔर क्ोां? 2 (ग) दब्बूपन व्यखक्त केनिकयस मेंनकस प्रकयर बयधक होतय है?स्पष्ट कीनजए । 1 (घ) आत्ममययथदय केनिए कौन सी बयतेंआिश्यक हैं? इससेव्यखक्त को क्य ियभ होतय है? 2 (ङ) आत्मय को नम्र रिनेकी आिश्यकतय नकनको-नकनको होती है? 1 (च) ननदेशयनुसयर उत्तर दीनजए । 2 (i) नम्रतय , अननिययथकय नििोम निखिये। (ii) अनभमयन और सांकल्प मेंप्रयुक्त उपसगथऔर मूि शब्द निखिये। (छ) उपयुथक्त गद्यांश कय उपयुक्त शीर्थक दीनजये। 1
  • 0 answers
  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

कहानी कोई कहानी नहीं है बल्कि यह एक सोच है, जो आगे चलकर कहानी का रूप ले लेती है। कहानी हमारी सोच में है, हम जो भी सोचते हैं। अगर हम उसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ सांझा करे तो वह कहानी कहलाती है। जैसे मान लो, अपको सोते समय कोई स्वप्न आए, जो आपकी सोच के मुताबिक बहुत ही अलग हो। जिसे आप अपने परिवारजनों या मित्रों के साथ सांझा करे तो उनका ध्यान न भटक पाए, उनके मन में बेचैनी होने लगे कि अब कुछ तो अलग होगा, इसी को कहानी कहते हैं। हालांकि ये कोई कहानी नहीं बल्कि आपका स्वप्न है, आपकी सोच है। दोस्तों ये तो हो गयी कहानी।

अब बात करते हैं नाटक क्या है?नाटक भी देखा जाए तो कहानी के बिना अधूरा है। क्योंकि किसी भी नाटक को तैयार करने से पहले एक कहानी तैयार करना बहुत जरूरी होता है। जैसे कि मैंने ऊपर आपको बताया कि, अपनी सोच, स्वप्न किसी व्यक्ति के साथ सांझा करना कहानी कहलाता है। उसी कहानी को जब कुछ कलाकार मिलकर किसी रंगमंच पर अपने आव-भाव व गुणों के साथ श्रोताओं के सामने दर्शाऐं, तो उसे नाटक कहते हैं। हमेशा नाटक कहानी से जुड़ा रहता है।

नाटक और कहानी में अन्तर अगर देखा जाए तो नाटक और कहानी में कुछ ज्यादा अन्तर नहीं है, अक्सर आप बचपन में कहानियां सुनते होंगे, अगर उन्ही कहानियों को कुछ कलाकार मिलकर आपके सम्मुख प्रदर्शन करें तो वो नाटक का रूप ले लेती हैं।

  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है-तुलसी का यह काव्य-सत्य समकालीन युग में भी सत्य था और आज भी सत्य है। राम को तुलसी ने घनश्याम कहा है। तुलसी प्रभु की कृपा को पेट की आग शमन के लिए आवश्यक मानते हैं। उनकी दृष्टि में ईश्वर भक्ति एक मेघ के समान है। उनकी कृपा का जल हमें चाहिए।

तुलसी का यह काव्य-सत्य इस समय का युग सत्य तब बन सकता है जब भक्ति के साथ प्रयास भी करें। केवल भक्ति करने से फल की प्राप्ति होने वाली नहीं है। प्रभु की प्रार्थना में भक्ति और पुरुषार्थ दोनों का संगम होना आवश्यक है। केवल भक्ति के बल पर बैठा रहने वाला व्यक्ति निकम्मा हो जाता है। प्रयत्न की भी बड़ी महिमा है।

  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है-तुलसी का यह काव्य-सत्य समकालीन युग में भी सत्य था और आज भी सत्य है। राम को तुलसी ने घनश्याम कहा है। तुलसी प्रभु की कृपा को पेट की आग शमन के लिए आवश्यक मानते हैं। उनकी दृष्टि में ईश्वर भक्ति एक मेघ के समान है। उनकी कृपा का जल हमें चाहिए।

तुलसी का यह काव्य-सत्य इस समय का युग सत्य तब बन सकता है जब भक्ति के साथ प्रयास भी करें। केवल भक्ति करने से फल की प्राप्ति होने वाली नहीं है। प्रभु की प्रार्थना में भक्ति और पुरुषार्थ दोनों का संगम होना आवश्यक है। केवल भक्ति के बल पर बैठा रहने वाला व्यक्ति निकम्मा हो जाता है। प्रयत्न की भी बड़ी महिमा है।

  • 1 answers

Tamanna Charpota 4 years, 11 months ago

मन में किसी भी तरह की इच्छा जागृत न होना व किसी भी तरह की भावनाओं का मन में उत्पन्न न होना।
  • 1 answers

Riyaz Khan 4 years, 11 months ago

Konsa
  • 0 answers
  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

 बाजारुपन से तात्पर्य ऊपरी चमक-दमक से है। जब सामान बेचने वाले बेकार की चीजों को आकर्षक बनाकर बेचने लगते हैं, तब बाज़ार में बाजारुपन आ जाता है।

जो विक्रेता, ग्राहकों का शोषण नहीं करते और छल-कपट से ग्राहकों को लुभाने का प्रयास नहीं करते साथ ही जो ग्राहक अपनी आवश्यकताओं की चीजें खरीदते हैं वे बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। इस प्रकार विक्रेता और ग्राहक दोनों ही बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं।
मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में ही बाजार की सार्थकता है।

  • 0 answers
  • 1 answers

Ranjeet Sha 4 years, 11 months ago

h
  • 1 answers

Shraddha ✨ 4 years, 11 months ago

Takshila⬅ ya ➡takshala ?????❔❔❓❓❓❓▫▫▫▪▪▪▪▪▪▪▪▪
  • 1 answers

Shraddha ✨ 4 years, 11 months ago

Isi app me hindi core k baraj chapter k NCERT solutions k 3rd question ka answer dekh lijie. Apko aapk prashn ka uttar mil jaega
  • 1 answers

Shraddha ✨ 4 years, 11 months ago

जनसंचार के महत्वपूर्ण प्रश्नो के लिए आप पहले जाए → हिन्दी कोर → पत्रकारीय लेखन → महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर → लेखन कौशल | आपको वहाँ पर प्रश्न और उत्तर दोनों मिल जाएंगे | aasha karti hu ki aapko yah information helpful hogi .

myCBSEguide App

myCBSEguide

Trusted by 1 Crore+ Students

Test Generator

Test Generator

Create papers online. It's FREE.

CUET Mock Tests

CUET Mock Tests

75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app

Download myCBSEguide App