Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Karan Yadav 4 years ago
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Posted by Vyomesh Kumar Pandey 4 years ago
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Parveen Singh 4 years ago
Yogita Ingle 4 years ago
सहकारी कृषि – जब कृषकों का एक समूह अपनी कृषि से अधिक लाभ कमाने के लिए स्वेच्छा से एक सहकारी संस्था बनाकर कृषि कार्य सम्पन्न करे उसे ‘सहकारी कृषि’ कहते हैं। इसमें व्यक्तिगत कार्य अक्षुण्ण रहते हुए सहकारी रूप में कृषि की जाती है।
सामूहिक कृषि – सामूहिक कृषि का आधारभूत सिद्धान्त यह है कि इसमें उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सम्पूर्ण समाज एवं सामूहिक श्रम पर आधारित होता है। कृषि का यह प्रकार पूर्व सोवियत संघ में प्रारम्भ हुआ था जहाँ कृषि की स्थिति सुधारने एवं उत्पादन में वृद्धि व आत्म-निर्भरता प्राप्ति हेतु सामूहिक कृषि प्रारम्भ की गई। इस प्रकार की कृषि को सोवियत संघ में ‘कोलखहोज’ नाम दिया गया।
Posted by Mayank Singh 4 years ago
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Posted by Monika Mourya 4 years, 1 month ago
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Posted by Ekta Chaurasia 4 years, 1 month ago
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Monika Mourya 4 years, 1 month ago
Posted by Ekta Chaurasia 4 years, 1 month ago
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Posted by Mr. Kingshyam 4 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 4 years, 1 month ago
मानव भूगोल की प्रकृति अत्यधिक अंतर-विषयक है क्योंकि इसमें मानव और प्राकृतिक पर्यावरण के बीच अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। अत-इसका अनेक सामाजिक विज्ञानों से गहरा संबंध है; जैसे-सामाजिक विज्ञान, मानोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, इतिहास, राजनीतिविज्ञान व जनांकिकी आदि।
Posted by Sachin Patil 4 years, 1 month ago
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Muskan Maan 3 years, 11 months ago
Posted by Sachin Patil 4 years, 1 month ago
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Muskan Maan 3 years, 10 months ago
Posted by Sachin Patil 4 years, 1 month ago
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Sachin Patil 4 years, 1 month ago
Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों की समस्याएँ विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं
1. मलिन बस्तियों में वृद्धि – बड़े नगरों का आकार मुख्यत: ग्रामीण जनसंख्या का नगरों की ओर प्रवास है। ये लोग रोजगार की तलाश में नगरों की ओर प्रस्थान करते हैं। नगर में अनियमित, अनियोजित तथा अनियन्त्रित रूप से मलिन बस्तियाँ बनने लगती हैं। बड़े नगरों में यह समस्या विशेष रूप से उत्पन्न हो जाती है।
2. नगरीय विस्तार – जैसे ही नगरों की जनसंख्या बढ़ती है वे चारों ओर बाहर की ओर फैलते हैं और कृषि योग्य भूमि का हरण करते हैं। वृहद् नगरों के आस-पास उपनगर बन जाते हैं। इस तरह नगर और अधिक विस्तृत हो जाते हैं।
3. सुगम यातायात की समस्या – नगरों में अनियमित बस्तियों के फैलाव से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। इनमें से एक प्रमुख समस्या सुगम यातायात की समस्या भी है। नगरों में बढ़ती भीड़ को परिवहन की आवश्यकता होती है, जिससे यातायात प्रभावित हो जाता है।
4. प्रदूषण – नगरों के अनियमित तथा अनियोजित विकास से विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों का विकास होता है।
5. अन्य समस्याएँ – उपर्युक्त समस्याओं के अलावा नगरीय बस्तियों में कुछ अन्य समस्याएँ भी पायी जाती हैं; जैसे-सीवर प्रणाली, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, बेरोजगारी, सामाजिक प्रदूषण आदि।
Posted by Gurdeep Singh 4 years, 1 month ago
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Posted by Anjali Chauhan 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
मानव विकास, स्वास्थ्य भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।
मानव विकास के उपागम-
- आय उपागम - आय का स्तर किसी व्याक्ति द्वारा भोगी जा रही स्वतंत्रता के स्तर को परिलक्षित करता है। आय का स्तर ऊँचा होने पर, मानव विकास का स्तर भी ऊँचा होगा ।
- कल्याण उपागम - यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख - साधनों पर उच्चतर सरकारी व्यय का तर्क देता है। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है।
- आधारभूत-आवश्यकता उपागम - मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था पर जोर दिया गया है। इसमें छ: न्यूनतम आवश्यकताओ - स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की पहचान की गई थी ।
- क्षमता उपागम - संसाधनो तक पहुँच के क्षेत्रों में मानव क्षमताओं का निर्माण बढ़ते मानव विकास की कुंजी है।
Posted by Ln K 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
The Limits to Growth” is written by Meadows.
Textbook Extract:
The notion of sustainable development emerged in the wake of general rise in the awareness of environmental issues in the late 1960s in the Western World. It reflected the concern of people about undesirable effects of industrial development on environment. The publication of ‘The Population Bomb’ by Ehrlich in 1968 and ‘The Limits to Growth’ by Meadows and others in 1972 further raised the level of fear among environmentalists in particular and people in general. This sets the scenario for the emergence of new models of development under a broad phrase ‘sustainable development.’.
Posted by Ashish Pandey 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
A n s w e r is AS FOLLOWS:
ब्रिटिश-काल में अंग्रेजी शासकों ने कई छावनियाँ बनाई जिन्हे 'गैरिसन नगर' कहते हैं। अंबाला, जालंधर, महू, बबीना, उधमपुर इत्यादि इसके उदहारण हैं।
Posted by Anjali Chauhan 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
Uttar Pradesh
The larger states predicatbly have a higher number of districts, with Uttar Pradesh (75) leading the count, followed by Madhya Pradesh (52), while the smallest state, Goa (2), has the lowest number.
Posted by Narendra Singh Dhurwey 4 years, 1 month ago
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Muskan Maan 3 years, 11 months ago
Yogita Ingle 4 years, 1 month ago
मानव विकास के उपागम
आय उपागम - आय का स्तर किसी व्याक्ति द्वारा भोगी जा रही स्वतंत्रता के स्तर को परिलक्षित करता है। आय का स्तर ऊँचा होने पर, मानव विकास का स्तर भी ऊँचा होगा ।
कल्याण उपागम- यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख - साधनों पर उच्चतर सरकारी व्यय का तर्क देता है। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है।
आधारभूत-आवश्यकता उपागम - मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था पर जोर दिया गया है। इसमें छ: न्यूनतम आवश्यकताओ - स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की पहचान की गई थी ।
क्षमता उपागम - संसाधनो तक पहुँच के क्षेत्रों में मानव क्षमताओं का निर्माण बढ़ते मानव विकास की कुंजी है।
Posted by Aditya Singh 4 years, 1 month ago
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Muskan Maan 3 years, 11 months ago
Bhavika Vasava 4 years, 1 month ago
Posted by Aman Bhati 4 years, 1 month ago
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Muskan Maan 3 years, 11 months ago
Posted by Darpan Patel 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
The size of the territory and per capita income are not directly related to human development :- Often Smaller Countries have done better than larger ones in human development. Similarly, relatively poorer nations have been ranked higher than richer neighbours in terms of human development.
For example Sri Lanka, Trinidad and Tobago have a higher rank than India in the human development index despite having smaller economies. Similarly, within India, Kerala performs much better than Punjab and Gujarat in human development despite having lower per capita income.
क्षेत्र और प्रति व्यक्ति आय का आकार सीधे मानव विकास से संबंधित नहीं हैं: - अक्सर छोटे देशों ने मानव विकास में बड़े लोगों की तुलना में बेहतर काम किया है। इसी तरह, अपेक्षाकृत गरीब देशों को मानव विकास के मामले में अमीर पड़ोसियों से अधिक स्थान दिया गया है।
उदाहरण के लिए, श्रीलंका, त्रिनिदाद और टोबैगो के पास छोटी अर्थव्यवस्थाओं के बावजूद मानव विकास सूचकांक में भारत से उच्च रैंक है। इसी तरह, भारत के भीतर, केरल प्रति व्यक्ति आय कम होने के बावजूद मानव विकास में पंजाब और गुजरात से बेहतर प्रदर्शन करता है।
Posted by Virat Kumar756 4 years, 1 month ago
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Posted by ꧁༒Arjun Meena༒꧂ 4 years, 1 month ago
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Posted by Deepanshu Singh 4 years, 1 month ago
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Posted by Rahul Kumar 4 years, 1 month ago
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#Ashish Meena 4 years, 1 month ago
Manish Regmi 4 years, 1 month ago
Posted by 36 Shubham Rao 4 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 4 years, 1 month ago
कृषि आधारित उद्योग – ये वे उद्योग हैं जो कृषि उत्पादों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं तथा इन्हें विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा तैयार माल में बदलकर बिक्री हेतु ग्रामीण और नगरीय बाजारों में भेजते हैं। प्रमुख कृषि आधारित उद्योग हैं— भोजन प्रसंस्करण, शक्कर, अचार, फलों के रस, पेय पदार्थ (चाय, कॉफी, कोको), मसाले, तेल एवं वस्त्र एवं रबड़ उद्योग आदि।
Posted by Vinay Singh 4 years, 1 month ago
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Posted by Ind Hunter 4 years, 1 month ago
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Posted by Amrabhai Chauhan 4 years, 2 months ago
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Ind Hunter 4 years, 1 month ago
Posted by Manisha Meena 4 years, 2 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 2 months ago
मिश्रित खेती (Mixed Farming): इस प्रकार की खेती के अंतर्गत फसलों के उत्पादन के साथ साथ पशुपालन या डेरी उद्योग भी आता है| ऐसी खेती के अंतर्गत सहायक उद्यमों का कुल आय में कम से कम 10% योगदान होता है |
Posted by Teena Bheel 4 years, 2 months ago
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