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Ask QuestionPosted by Roshni Parveen 5 years, 1 month ago
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Posted by Aslam Khan 5 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago
मौर्य साम्राज्य की स्थापना भारत में चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा 321 BC से 185 BCE के बीच कीया था
Posted by Krishan Kant 5 years, 1 month ago
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Posted by Neelam Meena 5 years, 1 month ago
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Posted by Preeti Mishra 5 years, 1 month ago
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Posted by Imamali Hashmi 5 years, 1 month ago
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Aanchal Singh 5 years, 1 month ago
Annu Jakhar 5 years, 1 month ago
Posted by Sakshi Rathore 5 years, 1 month ago
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Posted by Rinki Ahirwar 5 years, 1 month ago
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Posted by Likku Vishwakarma 5 years, 1 month ago
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Annu Jakhar 5 years, 1 month ago
Posted by Annu Jakhar 5 years, 1 month ago
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Aanchal Singh 5 years, 1 month ago
Posted by Sweety Kumari 5 years, 1 month ago
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Posted by Priyanka Kashyap 5 years, 1 month ago
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Posted by Priya Srivas 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
मोहनजोदड़ो को हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा शहरी केंद्र माना जाता है। इस सभ्यता की नगर-योजना, गृह निर्माण, मुद्रा, मोहरों आदि की अधिकांश जानकारी मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है।
- नियोजित शहरी केंद्र: यह नगर दो भागों में विभाजित था, एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया और दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया। पुरातत्वविदों ने इन्हें क्रमश: दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया है।दुर्ग कि ऊँचाई का कारण यह था कि यहाँ कि संरचनाएँ कच्ची ईंटों के चबूतरों पर बनी थीं। दुर्ग को दीवार से घेरा हुआ गया था जिसका अर्थ है कि इस निचले शहर से अलग किया गया था। निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया गया था जो नीवं का कार्य करते थे। दुर्ग क्षेत्र के निर्माण तथा निचले क्षेत्र में चबूतरों के निर्माण के लिए विशाल संख्या में श्रमिकों को लगया गया होगा।
- प्लेटफार्म: इस नगर की यह विशेषता रही होगी कि पहले प्लेटफार्म या चबूतरों का निर्माण किया जाता होगा तथा बाद में इस तय सीमित क्षेत्र में निर्माण किया जाता होगा। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर उसके अनुसार कार्यान्वयन। इसकी पूर्व योजना का पता ईंटों से भी लगता है। यह ईंटें भट्टी में पक्की हुई, धुप में सुखी हुई, अथवा एक निश्चित अनुपात की होती थीं। इस प्रकार की ईंटें सभी हड्डपा बस्तियों में प्रयोग में लायी गयी थीं।
- गृह स्थापत्य: (i) मोहनजोदड़ो का निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है। घरों की बनावट में समानता पाई गयी है। ज्यादातर घरों में आँगन होता था और इसके चारों तरफ कमरे बने होते थे। (ii) हर घर का ईंटों से बना अपना एक स्नानघर होता था जिसकी नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थी।
- दुर्ग:दुर्ग में कई भवन ऐसे थे जिनका उपयोग विशेष सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। निम्नलिखित दो संरचनाएं सबसे महत्वपूर्ण थीं: (i) मालगोदाम,(ii) विशाल स्नानागार। इसकी विशिष्ट संरचनाओं के साथ इनके मिलने से इस बात का स्पष्ट संकेत मिलता है कि इसका प्रयोग किसी प्रकार के विशेष आनुष्ठानिक स्नान के लिए किया जाता था।
- नालियों की व्यवस्था: मोहनजोदड़ो नगर में नालियों का निर्माण भी बहुत नियोजित तरीके से किया गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों का निर्माण किया गया था और फिर उनके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था। प्रत्येक घर के गंदे पानी की निकासी एक पाईप से होती थी जो सड़क गली की नाली से जुड़ा होता था। यदि घरों के गंदे पानी को गलियों से नालियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवशयक था।
- सड़कें और गालियाँ: जैसे ज्ञात होता है कि सड़कें और गालियाँ सीधी होती थीं और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। मोहनजोदड़ो में निचले नगर में मुख्य सड़क 10.5 चौड़ी थीं, इससे 'प्रथम सड़क' कहा गया है। बाकि सड़कें 3.6 से 4 मीटर तक चौड़ी थीं। गालियाँ एक गलियारें 1.2 मीटर या उससे अधिक चौड़े थे। घरों के निर्माण से पहले ही सड़कों व गलियों के लिए स्थान छोड़ दिया जाता था।
Posted by Jaswant Kumar 5 years, 1 month ago
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Khushi Singhal 5 years, 1 month ago
Posted by Vaishali Jadhav 5 years, 1 month ago
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Annu Jakhar 5 years, 1 month ago
Posted by Jaswant Kumar 5 years, 1 month ago
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Aditya Mishra 5 years, 1 month ago
Posted by Harshita Jangid 5 years, 1 month ago
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Posted by Deepak Patel 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
Preaching of Buddha:
- This life is full of desires. Once a desire is fulfilled, we crave for more. This marks the beginning of an unending cycle of cravings and desires. According to Buddha; this is called thirst or ‘tanha’.
- Life is a suffering because of endless cycle of cravings and desires.
- This cycle can be removed by following moderation in everything we do.
- One should be kind to others; including animals.
- The results of our actions (karma); whether good or bad; affect us in this life and also in the afterlife.
Posted by Ramesh Kumar Sankhla 5 years, 1 month ago
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Jaswant Kumar 5 years, 1 month ago
Priya Pandey 5 years, 1 month ago
Posted by Ajay Kumar 5 years, 1 month ago
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Jaswant Kumar 5 years, 1 month ago
Posted by Sapna Sapna Kumari 5 years, 1 month ago
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Posted by Mamta Singhal 4 years, 8 months ago
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Posted by Yogend Kumar 5 years, 1 month ago
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Sachin Verma 5 years, 1 month ago
Posted by Vishram Vishram 5 years, 1 month ago
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Posted by Anamika Dhurve 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
मोहनजोदड़ो को हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा शहरी केंद्र माना जाता है। इस सभ्यता की नगर-योजना, गृह निर्माण, मुद्रा, मोहरों आदि की अधिकांश जानकारी मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है।
- नियोजित शहरी केंद्र: यह नगर दो भागों में विभाजित था, एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया और दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया। पुरातत्वविदों ने इन्हें क्रमश: दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया है।दुर्ग कि ऊँचाई का कारण यह था कि यहाँ कि संरचनाएँ कच्ची ईंटों के चबूतरों पर बनी थीं। दुर्ग को दीवार से घेरा हुआ गया था जिसका अर्थ है कि इस निचले शहर से अलग किया गया था। निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया गया था जो नीवं का कार्य करते थे। दुर्ग क्षेत्र के निर्माण तथा निचले क्षेत्र में चबूतरों के निर्माण के लिए विशाल संख्या में श्रमिकों को लगया गया होगा।
- प्लेटफार्म: इस नगर की यह विशेषता रही होगी कि पहले प्लेटफार्म या चबूतरों का निर्माण किया जाता होगा तथा बाद में इस तय सीमित क्षेत्र में निर्माण किया जाता होगा। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर उसके अनुसार कार्यान्वयन। इसकी पूर्व योजना का पता ईंटों से भी लगता है। यह ईंटें भट्टी में पक्की हुई, धुप में सुखी हुई, अथवा एक निश्चित अनुपात की होती थीं। इस प्रकार की ईंटें सभी हड्डपा बस्तियों में प्रयोग में लायी गयी थीं।
- गृह स्थापत्य: (i) मोहनजोदड़ो का निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है। घरों की बनावट में समानता पाई गयी है। ज्यादातर घरों में आँगन होता था और इसके चारों तरफ कमरे बने होते थे। (ii) हर घर का ईंटों से बना अपना एक स्नानघर होता था जिसकी नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थी।
- दुर्ग:दुर्ग में कई भवन ऐसे थे जिनका उपयोग विशेष सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। निम्नलिखित दो संरचनाएं सबसे महत्वपूर्ण थीं: (i) मालगोदाम,(ii) विशाल स्नानागार। इसकी विशिष्ट संरचनाओं के साथ इनके मिलने से इस बात का स्पष्ट संकेत मिलता है कि इसका प्रयोग किसी प्रकार के विशेष आनुष्ठानिक स्नान के लिए किया जाता था।
- नालियों की व्यवस्था: मोहनजोदड़ो नगर में नालियों का निर्माण भी बहुत नियोजित तरीके से किया गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों का निर्माण किया गया था और फिर उनके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था। प्रत्येक घर के गंदे पानी की निकासी एक पाईप से होती थी जो सड़क गली की नाली से जुड़ा होता था। यदि घरों के गंदे पानी को गलियों से नालियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवशयक था।
- सड़कें और गालियाँ: जैसे ज्ञात होता है कि सड़कें और गालियाँ सीधी होती थीं और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। मोहनजोदड़ो में निचले नगर में मुख्य सड़क 10.5 चौड़ी थीं, इससे 'प्रथम सड़क' कहा गया है। बाकि सड़कें 3.6 से 4 मीटर तक चौड़ी थीं। गालियाँ एक गलियारें 1.2 मीटर या उससे अधिक चौड़े थे। घरों के निर्माण से पहले ही सड़कों व गलियों के लिए स्थान छोड़ दिया जाता था।
Posted by Yogend Kumar 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
पुरातत्व का साधारण रूप से यह अर्थ है कि जिस युक्ति से धरती में दबे इतिहास के पन्नो को उजागर किया जाता है उसे पुरातत्व कहा जाता है , पुरातत्व सुस्पष्ट भौतिक अवशेषों के अध्य्ययन का विषय है यह निरंतर भौतिक पर्यावरण और प्राकृतिक पर्यावरण में होने वाले बदलावों का अध्ययन करता है यह पृत्वी के नीचे दबी वस्तुओं का अध्ययन कर किसी संस्कृति या सभ्यता के विषय में तथ्य उजागर करता है। पृथ्वी पर अनेकानेक परिवर्तन होते रहते हैं और धीरे धीरे ये परिवर्तन मानव के अतीत बन जाते है और पृत्वी की सतह में दबकर ये आधुनिक समाज से दूर हो जाते हैं इन अतीतों की पड़ताल करना ही पुरातत्व का कार्य है।
पुरातत्व मुख्य रूप से खुदाई आदि से प्राप्त वस्तुओं की पड़ताल करता है। पुरातत्वविद उत्खनन से प्राप्त अवशेषों की जांच करते हैं और उनपर अपनी राय रखते हैं। किसी राजा के साम्राज्य , किसी युद्धस्थल , किसी टीले आदि स्थलों और जंगलों आदि से पुरातत्वविद उत्खनन कार्य से वहाँ प्राप्त औजारों , अभिलेखों हड्डियों , बर्तन , मूर्तियां , लिखित अभिलेख आदि से प्राचीन कालीन मानव के रहन सहन के विषय मे जानकारी प्राप्त करते हैं।
1Thank You