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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

पुरातत्व का साधारण रूप से यह अर्थ है कि जिस युक्ति से धरती में दबे इतिहास के पन्नो को उजागर किया जाता है उसे पुरातत्व कहा जाता है , पुरातत्व सुस्पष्ट भौतिक अवशेषों के अध्य्ययन का विषय है यह निरंतर भौतिक पर्यावरण और प्राकृतिक पर्यावरण में होने वाले बदलावों का अध्ययन करता है यह पृत्वी के नीचे दबी वस्तुओं का अध्ययन कर किसी संस्कृति या सभ्यता के विषय में तथ्य उजागर करता है। पृथ्वी पर अनेकानेक परिवर्तन होते रहते हैं और धीरे धीरे ये परिवर्तन मानव के अतीत बन जाते है और पृत्वी की सतह में दबकर ये आधुनिक समाज से दूर हो जाते हैं इन अतीतों की पड़ताल करना ही पुरातत्व का कार्य है।

पुरातत्व मुख्य रूप से खुदाई आदि से प्राप्त वस्तुओं की पड़ताल करता है। पुरातत्वविद उत्खनन से प्राप्त अवशेषों की जांच करते हैं और उनपर अपनी राय रखते हैं। किसी राजा के साम्राज्य , किसी युद्धस्थल , किसी टीले आदि स्थलों और जंगलों आदि से पुरातत्वविद उत्खनन कार्य से वहाँ प्राप्त औजारों , अभिलेखों हड्डियों , बर्तन , मूर्तियां , लिखित अभिलेख आदि से प्राचीन कालीन मानव के रहन सहन के विषय मे जानकारी प्राप्त करते हैं।

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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago

मौर्य साम्राज्य की स्थापना भारत में चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा 321 BC से 185 BCE के बीच कीया था

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Aanchal Singh 5 years, 1 month ago

Ashok ki dm ki mukhey visheshtaye nimn h :- 1.bdo ka adr krna 2.bramno or sanyasiyo k prti udarta rkhna 3.sevko or daso k sth udar vyvhar 4.dusro ke dhrmo or prmprao ka adr krna

Annu Jakhar 5 years, 1 month ago

Ashok ne apne abhilak k madame se dam ka parchar kiya hai, inme bado k parti aader, senasiyo aur Braham k parti udarta, sevko aur daso k sath udar vevar teth dusro k darm aur parampara ka ader samuel hai
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Aanchal Singh 5 years, 1 month ago

Dev putr ki upadhi kushn shask ne dharn ki thi

Annu Jakhar 5 years, 1 month ago

Kusan sasak
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Annu Jakhar 5 years, 1 month ago

Ek same darmik neta parbave me aye jo rudivadi Barham sache se bahar aye the . Ese neta ko nath, jogi, sidh kaha jata hai aur selpi smudge k the, jenme julahe bhi Samuel the.
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Annu Jakhar 5 years ago

I asked antrim sarkar kya hote hai? na ki antim sanskar

Aanchal Singh 5 years, 1 month ago

Jb kisi insan ki mrytu ho jati h or uski antim vidhayi k liye log puja rkhte h or us insan k privar vale shok me hote h or thodi der Mon bethte h tatha us insan ka atim sanskar krte h unhe jla kr

Jaswant Kumar 5 years, 1 month ago

Jab log mar jate hai to uska antim sanskar karte hai
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

मोहनजोदड़ो को हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा शहरी केंद्र माना जाता है। इस सभ्यता की नगर-योजना, गृह निर्माण, मुद्रा, मोहरों आदि की अधिकांश जानकारी मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है।

  1. नियोजित शहरी केंद्र: यह नगर दो भागों में विभाजित था, एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया और दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया। पुरातत्वविदों ने इन्हें क्रमश: दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया है।दुर्ग कि ऊँचाई का कारण यह था कि यहाँ कि संरचनाएँ कच्ची ईंटों के चबूतरों पर बनी थीं। दुर्ग को दीवार से घेरा हुआ गया था जिसका अर्थ है कि इस निचले शहर से अलग किया गया था। निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया गया था जो नीवं का कार्य करते थे। दुर्ग क्षेत्र के निर्माण तथा निचले क्षेत्र में चबूतरों के निर्माण के लिए विशाल संख्या में श्रमिकों को लगया गया होगा।
  2. प्लेटफार्म: इस नगर की यह विशेषता रही होगी कि पहले प्लेटफार्म या चबूतरों का निर्माण किया जाता होगा तथा बाद में इस तय सीमित क्षेत्र में निर्माण किया जाता होगा। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर उसके अनुसार कार्यान्वयन। इसकी पूर्व योजना का पता ईंटों से भी लगता है। यह ईंटें भट्टी में पक्की हुई, धुप में सुखी हुई, अथवा एक निश्चित अनुपात की होती थीं। इस प्रकार की ईंटें सभी हड्डपा बस्तियों में प्रयोग में लायी गयी थीं। 
  3. गृह स्थापत्य: (i) मोहनजोदड़ो का निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है। घरों की बनावट में समानता पाई गयी है। ज्यादातर घरों में आँगन होता था और इसके चारों तरफ कमरे बने होते थे। (ii) हर घर का ईंटों से बना अपना एक स्नानघर होता था जिसकी नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थी।
  4. दुर्ग:दुर्ग में कई भवन ऐसे थे जिनका उपयोग विशेष सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। निम्नलिखित दो संरचनाएं सबसे महत्वपूर्ण थीं: (i) मालगोदाम,(ii) विशाल स्नानागार। इसकी विशिष्ट संरचनाओं के साथ इनके मिलने से इस बात का स्पष्ट संकेत मिलता है कि इसका प्रयोग किसी प्रकार के विशेष आनुष्ठानिक स्नान के लिए किया जाता था।
  5. नालियों की व्यवस्था: मोहनजोदड़ो नगर में नालियों का निर्माण भी बहुत नियोजित तरीके से किया गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों का निर्माण किया गया था और फिर उनके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था। प्रत्येक घर के गंदे पानी की निकासी एक पाईप से होती थी जो सड़क गली की नाली से जुड़ा होता था। यदि घरों के गंदे पानी को गलियों से नालियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवशयक था।
  6. सड़कें और गालियाँ: जैसे ज्ञात होता है कि सड़कें और गालियाँ सीधी होती थीं और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। मोहनजोदड़ो में निचले नगर में मुख्य सड़क 10.5 चौड़ी थीं, इससे 'प्रथम सड़क' कहा गया है। बाकि सड़कें 3.6 से  4 मीटर तक चौड़ी थीं। गालियाँ एक गलियारें 1.2 मीटर या उससे अधिक चौड़े थे। घरों के निर्माण से पहले ही सड़कों व गलियों के लिए स्थान छोड़ दिया जाता था।
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Vikash Kumar 5 years, 1 month ago

Hge

Khushi Singhal 5 years, 1 month ago

Uttaradhikari means jaise koi ladka uski shadi ho gyi then uske bache ho gye or in bachon mein se ek ladka hai to vo uska uttaradhikari hoga kyunki vo aage Shashan karega
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Annu Jakhar 5 years, 1 month ago

1. Gopuram lambi duri se hi mandir ke hone ka skte dete the. 2.Gopuram aksar kederia dewalo ki menari ko bona partih karate the. 3. Gopuram sask ke takta ke yaad dilate the. 4. Uchi menaro ke nirman ke liye avsak sadhan, taknik, kosal jutane me saksam the.
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Jaswant Kumar 5 years, 1 month ago

Nice

Aditya Mishra 5 years, 1 month ago

वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

Preaching of Buddha:

  • This life is full of desires. Once a desire is fulfilled, we crave for more. This marks the beginning of an unending cycle of cravings and desires. According to Buddha; this is called thirst or ‘tanha’.
  • Life is a suffering because of endless cycle of cravings and desires.
  • This cycle can be removed by following moderation in everything we do.
  • One should be kind to others; including animals.
  • The results of our actions (karma); whether good or bad; affect us in this life and also in the afterlife.
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Jaswant Kumar 5 years, 1 month ago

Hadppa ki lipi ko ek rahsyami isliye Kaha Jata Hai Kyunki yah lippi chal khandi Namak Pathar Se Banai gai in moreover Saman Roop Se janvaron Ki tatha Ek Aisi Lipi ke chitrkut credit Hai Ji Ne abhi tak padha Nahin Ja sakta hai is lippi ke uper likhe Shabd ko abhi tak padha Nahin gaya hai

Priya Pandey 5 years, 1 month ago

>@ Yeh lipi adhyaetihasik thi qki ise pda nhi ja sakta tha . >@ Evm isme nishchit varnmala nhi thi. >@ isme 375 se 400 chinh the . >@ yeh dahine se bahine likhi jati thi.
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Jaswant Kumar 5 years, 1 month ago

History ka syllabus chapters 5,8,10,12,and 15 deleted ho gye hai is bar ye nhi ayege

Sachin Verma 5 years, 1 month ago

Chapter 14 is deleted in history

Vaishali Jadhav 5 years, 1 month ago

Deleted chapters name 5 yatriyon ke najariya
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Khushbu Dhaker 5 years, 1 month ago

Greatbath of mohenjodaro

Sachin Verma 5 years, 1 month ago

Waha pr grid padhti ka use kiya gya tha

Deepak Gour 5 years, 1 month ago

Charo taraf kilo se ghira
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Sachin Verma 5 years, 1 month ago

Wo bohot bda hota tha or logo dwara banaya gya tha uske agal bagal. Me gallery ki tarah bani thi or use me dono side se jine bhi the wah samajik binhtao ko bhi batlata hai
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Manglesh Gupta 5 years, 1 month ago

Hy vishakHa

Vishakha Marodia 5 years, 1 month ago

Yes yeah correct hai bt 6 marks ke liye hai..!!

Yogend Kumar 5 years, 1 month ago

Oh anamika ji

Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

मोहनजोदड़ो को हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा शहरी केंद्र माना जाता है। इस सभ्यता की नगर-योजना, गृह निर्माण, मुद्रा, मोहरों आदि की अधिकांश जानकारी मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है।

  1. नियोजित शहरी केंद्र: यह नगर दो भागों में विभाजित था, एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया और दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया। पुरातत्वविदों ने इन्हें क्रमश: दुर्ग और निचला शहर का नाम दिया है।दुर्ग कि ऊँचाई का कारण यह था कि यहाँ कि संरचनाएँ कच्ची ईंटों के चबूतरों पर बनी थीं। दुर्ग को दीवार से घेरा हुआ गया था जिसका अर्थ है कि इस निचले शहर से अलग किया गया था। निचला शहर भी दीवार से घेरा गया था। इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर बनाया गया था जो नीवं का कार्य करते थे। दुर्ग क्षेत्र के निर्माण तथा निचले क्षेत्र में चबूतरों के निर्माण के लिए विशाल संख्या में श्रमिकों को लगया गया होगा।
  2. प्लेटफार्म: इस नगर की यह विशेषता रही होगी कि पहले प्लेटफार्म या चबूतरों का निर्माण किया जाता होगा तथा बाद में इस तय सीमित क्षेत्र में निर्माण किया जाता होगा। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर उसके अनुसार कार्यान्वयन। इसकी पूर्व योजना का पता ईंटों से भी लगता है। यह ईंटें भट्टी में पक्की हुई, धुप में सुखी हुई, अथवा एक निश्चित अनुपात की होती थीं। इस प्रकार की ईंटें सभी हड्डपा बस्तियों में प्रयोग में लायी गयी थीं। 
  3. गृह स्थापत्य: (i) मोहनजोदड़ो का निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है। घरों की बनावट में समानता पाई गयी है। ज्यादातर घरों में आँगन होता था और इसके चारों तरफ कमरे बने होते थे। (ii) हर घर का ईंटों से बना अपना एक स्नानघर होता था जिसकी नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थी।
  4. दुर्ग:दुर्ग में कई भवन ऐसे थे जिनका उपयोग विशेष सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। निम्नलिखित दो संरचनाएं सबसे महत्वपूर्ण थीं: (i) मालगोदाम,(ii) विशाल स्नानागार। इसकी विशिष्ट संरचनाओं के साथ इनके मिलने से इस बात का स्पष्ट संकेत मिलता है कि इसका प्रयोग किसी प्रकार के विशेष आनुष्ठानिक स्नान के लिए किया जाता था।
  5. नालियों की व्यवस्था: मोहनजोदड़ो नगर में नालियों का निर्माण भी बहुत नियोजित तरीके से किया गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों का निर्माण किया गया था और फिर उनके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था। प्रत्येक घर के गंदे पानी की निकासी एक पाईप से होती थी जो सड़क गली की नाली से जुड़ा होता था। यदि घरों के गंदे पानी को गलियों से नालियों से जोड़ना था तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवशयक था।
  6. सड़कें और गालियाँ: जैसे ज्ञात होता है कि सड़कें और गालियाँ सीधी होती थीं और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। मोहनजोदड़ो में निचले नगर में मुख्य सड़क 10.5 चौड़ी थीं, इससे 'प्रथम सड़क' कहा गया है। बाकि सड़कें 3.6 से  4 मीटर तक चौड़ी थीं। गालियाँ एक गलियारें 1.2 मीटर या उससे अधिक चौड़े थे। घरों के निर्माण से पहले ही सड़कों व गलियों के लिए स्थान छोड़ दिया जाता था।
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