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Ask QuestionPosted by Ravi Chauhan 4 years, 10 months ago
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Posted by Ravi Chauhan 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
गोपुरम या गोपुर (जिसे विमानम भी कहते हैं) एक स्मारकीय अट्टालिका होती है, प्रायः शिल्प से सज्जित, एवं अधिकतर दक्षिण भारत के मन्दिरों के द्वार पर स्थित होता है। यह हिन्दु मन्दिरों के स्थापत्य का प्रमुख अंग है| यह ऊपर किरीट कलश से शोभायमान होता है। यह मन्दिरों की चारदीवारी में बने द्वार का काम देते हैं।
गोपुरमों का इतिहार आरम्भिक पल्लव वंश के निर्माणों एवं बारहवीं शताब्दी के पांड्य शासकओं द्वारा बनवाए गए प्रधान अंगों में जाता है। इनसे मन्दिर के अंदरूनी भाग ढंक जाते हैं, क्योंकि ये प्रायः मुख्य मन्दिर से काफ़ी बडे़ होते हैं |
Posted by Ravi Chauhan 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
अकबर का साम्राज्य 15 सूबो या राज्यो में विभाजित था. सूबे का गर्वनर अर्थात सूबेदार राज्य का प्रशासनिक मुखिया होता था. वह सूबे की पुलिस,सेना,न्यायपालिका व कार्यपालिका का भी मुखिया होता था। सूबे की सभी वित्तीय लेन-देन कार्य दीवान सभांलता था. राज्य में सेना के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी बख्शी नामक अधिकारी की होती थी. सदर न्यायिक परोपकारिता विभाग का मुखिया होता था जबकि राज्य के स्तर पर न्याय विभाग का मुख्य अधिकारी काज़ी होता था. कोतवाल की जिम्मेदारी राज्य मे उसके नियंत्रण व निरीक्षण के अंर्तगत आने वाले थाना क्षैत्र मे शांति व्यावस्था बनाये रखने की होती थी. मीर बहर नामक अधिकारी आयात शुल्क और कर विभाग का प्रमुख होता था. राज्य की खुफिया सेवा का प्रमुख वाकिया नवीस कहलाता था.
शाही सूबे सरकार नामक ईकाइयो मे बंटे हुए थे तथा सरकारो को परगना नामक उप खंडो मे बांटा गया था। फौजदार एक सरकार का मुखिया होता था और अपने नियंत्रण वाले क्षैत्र मे शांति व्यावस्था बनाये रखने की ज़िम्मेदारी फौजदार की होती थी. परगना या उप-जिला का प्रमुख शिकदर नामक अधिकारी होता था। एक परगना मे कई गांव होते थे. एक गांव के प्रशासन के लिए मुकद्दम ,पटवारी और चौकीदार आदि अधिकारी होते थे जो ग्राम पंचायत की सहायता से अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी अंजाम देते थे.
राजस्व व्यावस्था मे कई नये प्रयोग भी इस दौर मे किये गये. जिसमे बटाई या गल्लाबख्शी व्यावस्था प्रमुख है। बटाई या गल्लाबख्शी तीन वर्गो मे विभाजित थीं – भौली बटाई ,खेत बटाई और लंग बटाई. भौली बटाई के अंर्तगत फसल को काट कर इकठ्ठा कर लिया जाता था फिर उसे सभी हिस्सेदारों की उपस्थिति मे बांट दिया जाता था. खेत बटाई व्यावस्था के अंर्तगत रोपाई के बाद ज़मीन को कई हिस्सो मे बांट दिया जाता था. और लंग बटाई मे फसल को बहुत से ढेरो मे बांट दिया जाता था. बटाई व्यावस्था के अंर्तगत किसान नकद या वस्तुओ मे भुगतान कर सकते थे लेकिन नकदी फसलो के मामले मे केवल नकद रकम ही वसूल की जाती थी.
Posted by Chanchal Dubey 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
जेम्स प्रिंसेप
भारतीय में सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से कुछ
1830 के दशक में एपिग्राफी हुई। यह कब था
जेम्स प्रिंसेप, पूर्व की टकसाल में एक अधिकारी
इंडिया कंपनी, ब्राह्मी और खरोष्ठी का विनिवेश करती है।
सबसे पहले के शिलालेखों में दो लिपियों और
सिक्के।
Some of the most momentous developments in Indian
epigraphy took place in the 1830s. This was when
James Prinsep, an officer in the mint of the East
India Company, deciphered Brahmi and Kharosthi,
two scripts used in the earliest inscriptions and
coins.
Posted by Siya Gautam 4 years, 10 months ago
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Raghav Sharma 4 years, 8 months ago
Posted by Pooja Kumari 4 years, 10 months ago
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Posted by Rehnuma Ali 4 years, 10 months ago
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Posted by Anchal Pandey 4 years, 10 months ago
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Posted by Yogend Kumar 4 years, 10 months ago
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Posted by Harsh Sharma 4 years, 10 months ago
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Posted by Shumayla Rayeen ? 4 years, 10 months ago
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Posted by Shumayla Rayeen ? 4 years, 10 months ago
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Posted by Shumayla Rayeen ? 4 years, 10 months ago
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Posted by Nishu Jakhar 4 years, 10 months ago
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Posted by Nishu Jakhar 4 years, 10 months ago
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Posted by Nishu Jakhar 4 years, 10 months ago
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Posted by Nishu Jakhar 4 years, 10 months ago
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Posted by Barkha 3489 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
जहांगीर को न्याय की जंजीर के लिए भी याद किया जाता है. ये जंजीर शाहजहां ने सोने की बनवाई थी. जो आगरे के किले शाहबुर्ज और यमुना तट पर स्थित पत्थर के खंबे में लगवाई हुई थी.
Posted by Abhi Maurya 4 years, 10 months ago
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Shivani Chaurasiya 4 years, 10 months ago
Posted by Mansi Badoni 4 years, 10 months ago
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Anchal Pandey 4 years, 10 months ago
Posted by Ruchi Kumari 4 years, 10 months ago
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Posted by Mansi Badoni 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
12 वीं शताब्दी में कर्नाटक में बासवन्ना नामक ब्राह्मण के नेतृत्व में एक नया आंदोलन चला.
बासवन्ना एक चालुक्य राजा के दरबार मंत्री थे.
यह प्रारम्भ में जैन मत को मानने वाले थे.
इनके अनुयाई वीरशैव या लिंगायत कहलाते है.
वीरशैव – शिव के वीर.
लिंगायत – लिंग धारण करने वाले.
लिंगायत शिव की आराधना लिंग के रूप में करते है.
इस समुदाय के पुरुष वाम स्कंध पर चांदी के एक पिटारे में लघु लिंग धारण करते हैं.
जिन्हें श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता.
Posted by Kavya Singh 4 years, 10 months ago
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Deepak Kumar Meena 4 years, 9 months ago
Posted by Ekta Chaurasia 4 years, 10 months ago
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Ekta Chaurasia 4 years, 10 months ago
Posted by Aman Srivastav 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
- जैसा कि कंपनी को राजस्व में गिरावट के बारे में चिंता है, इसने 1793 में बंगाल के स्थायी निपटान की शुरुआत की। यह लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा पेश किया गया था।
- इस बस्ती के अनुसार, रजस और तालुकदार भूमि के जमींदारों के रूप में पहचाने जाते थे।
- कंपनी को भुगतान की जाने वाली राशि स्थायी रूप से तय की गई थी। कंपनी ने सोचा था कि यह उनके लिए राजस्व का एक स्थिर और नियमित प्रवाह सुनिश्चित करेगा और ज़मींदार को भूमि के सुधार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
- As the Company worried about declining revenues, it introduced the Permanent Settlement of Bengal in 1793. It was introduced by Lord Cornwallis.
- According to this settlement, the rajas and taluqdars were recognised as the zamindars of the land. They had to collect rent from the peasants and pay the revenues to the Company.
- The amount to be paid to the Company was fixed permanently. The Company thought that this would ensure a steady and regular flow of revenues to them and would encourage the zamindar to invest in the improvement of the land.
Posted by Prince Purushottam 4 years, 10 months ago
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Posted by Pooja Yadav 4 years, 10 months ago
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Posted by Pooja Yadav 4 years, 10 months ago
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Posted by Sapana Maurya 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
हड़प्पा सभ्यता का नामकरण : हड़प्पा नामक स्थान जहाँ यह संस्कृति पहली बार खोजी गई थी उसी के नाम पर किया गया है। इसका काल निर्धरण लगभग 2600 और 1900 ईसा पूर्व के बीच किया गया है।
हड़प्पा संस्कृति काल : 2600 से 1900 ईसा पूर्व
हड़प्पा संस्कृति के भाग/चरण :
(i) आरंभिक हड़प्पा संस्कृति
(ii) विकसित हड़प्पा संस्कृति
(iii) परवर्ती हड़प्पा संस्कृति
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
महानवमी डिब्बा, एक चौक संरचना है तथा हम्पी का एक अन्य लोकप्रिय आकर्षण है, जिसे राजा कृष्णदेवराय ने उदयगिरि पर हुई अपनी जीत (वर्तमान में उड़ीसा में है) के बाद बनवाया था। यह प्राचीन स्थल हम्पी के शाही महलों में से सबसे ऊंची संरचना है और अपनी ऊंचाई के कारण इसे आसपास के स्थानों से बड़ी आसानी से देखा जा सकता है।
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