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Irshad Ali 4 years, 10 months ago

Ratri, nisha and rayn।

Yogita Ingle 4 years, 10 months ago

निशा- रात्रि, रैन, रात, निशि, विभावरी

  • 1 answers

Irshad Ali 4 years, 10 months ago

Pehle letter ka topic to btao
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😀 😀 4 years, 10 months ago

@Shiv Ansh kindly refer to hindikunj.com
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Irshad Ali 4 years, 10 months ago

Sri Krishna के प्रेम में वो अनुरूक्त थी क्यूकी वो उनको अपना भगवान मान ली थी

Priyanka Kumari 4 years, 10 months ago

Shri Krishna ke Prem me kyoki bo inch Anna sbkuchh man chuki thi

Abhishek Jha 4 years, 10 months ago

श्री कृष्ण के प्रेम में, क्योंकि वो उन्हे अपना भगवान मान चुकी थीं
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Prince Rathi 4 years, 10 months ago

Mira Shri Krishna ka alava koi dusra nahi ja

Abhishek Jha 4 years, 10 months ago

क्योंकि उसका मानना था कि कोई दूसरा नहीं होता किसी का
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Mohd Samhan 4 years, 10 months ago

गोरे ??
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Om Prakash Mandal 4 years, 11 months ago

Good answer

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

भाव-सौंदर्य – इस पद में मीरा की भक्ति अपनी चरम सीमा पर है। मीरा ने अपने आँसुओं के जल से सींचकर- सींचकर कृष्ण रूपी प्रेम की बेल बोई है और अब उस प्रेमरूपी बेल में फल आने शुरू हो गए हैं अर्थात् मीरा को अब आनंदाभूति होने लगी है।
शिल्प-सौंदर्य – भाषा मधुर, संगीतमय और राजस्थान मिश्रित भाषा है। ‘सींची-सींची’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। प्रेम-बेलि बोयी, आणंद-फल, अंसुवन जल में सांगरूपक अलंकार का बड़ी ही कुशलता से प्रयोग किया गया है।

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Aditi Tomar 4 years, 11 months ago

Answer- मीरा श्रीकृष्ण को अपना पति कहती है। और वे उनके प्रेम मैं डूबी रहती है

Yogita Ingle 4 years, 11 months ago

 मीरा श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मानती हैं।

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Har Har Mahadev 🙏 4 years, 10 months ago

Ye toh class 9 the ka chapter hai.

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के
आगे-आगे नाचती गाती बयार चली
दरवाजे खिड़कियाँ खुलने लगीं गली गली
पाहुन ज्यो आये हों गाँव में शहर के
मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के

जब प्रचंड गर्मी के बाद काले बादल आसमान पर छाने लगते हैं तो हर कोई बड़ी खुशी से उसका स्वागत करता है। इस कविता में मेघ के स्वागत की तुलना दामाद के स्वागत से की गई है। हमारे यहाँ हर जगह दामाद की बड़ी मान मर्यादा होती है। खासकर गांवों में तो जैसे पूरा गांव ही दामाद के स्वागत में जुट जाता है। मेघ किसी जमाई की तरह सज संवर कर आया है। उसके स्वागत में आगे-आगे नाचती गाती हुई हवा चल रही है, ठीक उसी तरह जैसे गांव की सालियाँ किसी जमाई के आने के समय करती हैं। लोग दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर उसकी एक झलक देखने को बेताब हैं।

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Aditi Tomar 4 years, 11 months ago

भक्ति और श्रृंगार रस है
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Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

आदशो आदर्शोन्मुख यथार्थवाद स्वयं उन्हीं की गढ़ी हुई संज्ञा है। यह कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में उनके रचनात्मक प्रयासों पर लागू होती है जो कटु यथार्थ का चित्रण करते हुए भी समस्याओं और अंतर्विरोधों को अंतत: एक आदर्शवादी और मनोवांछित समाधान तक पहुँचा देती है। सेवासदन, प्रेमाश्रम आदि उपन्यास और पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, नमक का दरोगा आदि कहानियाँ ऐसी ही हैं। बाद की रचनाओं में वे कटु यथार्थ को भी प्रस्तुत करने में किसी तरह का समझौता नहीं करते। गोदान उपन्यास और पूस की रातकफ़न आदि कहानियाँ इसके उदाहरण हैं। साहित्य के बारे में प्रेमचंद का कहना है-

‘‘ साहित्य वह जादू की लकड़ी है जो पशुओं में ईंट-पत्थरों में पेड़-पौधों में भी विश्व की आत्मा का दर्शन करा देती है। ”

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