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Ask QuestionPosted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
औपनिवेशिक शासनकाल में कृषि की गतिहीनता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे :
(1) औपनिवेशिक शासन द्वारा लागू की गई भू - व्यवस्था।
(2) प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर।
(3) सिंचाई सुविधाओं का अभाव।
(4) उर्वरकों का नगण्य प्रयोग।
(5) आर्थिक एवं सामाजिक पिछड़ापन।
औपनिवेशिक शासन काल के दौरान आज के समस्त पूर्वी भारत में जो उस समय बंगाल प्रेसिडेंसी कहा जाता था, में लागू की गई जमींदारी व्यवस्था में कृषि के समस्त लाभ जमींदार हड़प जाते थे। किसानों के पास कुछ नहीं बच पाता था। जमींदार किसानों का शोषण करते थे तथा उनसे लगान वसूलते थे।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Monu Chaudhary 4 years, 9 months ago
Yogita Ingle 5 years ago
प्राथमिक और द्वितीयक समंकों में एक अंतर बताइए। उत्तर : प्राथमिक समंकों के संकलन में धन, समय, श्रम व बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है जबकि द्वितीय समंकों को सिर्फ उद्धृत किया जाता है।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Divya Bharti 4 years, 11 months ago
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान वह विधि है जिसमें अनुसंधानकर्ता स्वयं क्षेत्र में जाकर सूचना देने वालों से प्रत्यक्ष तथा सीधा संपर्क स्थापित करता है और आंकड़े एकत्रित करता है। इस विधि की सफलता के लिए आवश्यक है कि अनुसंधानकर्ता को मेहनती, व्यवहार-कुशल, निष्पक्ष और धैर्यवान होना चाहिए। उसे सूचना देने वाले की भाषा रहन-सहन, रीति-रिवाज, संस्कृति आदि का भी ज्ञान होना चाहिए। उदाहरण के लिए गांव की साक्षरता की दर ज्ञात करने के लिए यदि अनुसंधानकर्ता गांव के प्रत्येक परिवार से मिलकर सूचना एकत्रित करता है तो यह प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान कहलाता है।
उपयुक्तता (Suitability)
यह विधि ऐसे अनुसंधानों के लिए उपयुक्त है-
1-जिनका क्षेत्र सीमित है।
2-आंकड़ों की मौलिकता अधिक जरूरी है।
3-जहां आंकड़ों को गुप्त रखना हो।
4-जहां आंकड़ों की शुद्धता अधिक महत्वपूर्ण है।
5-सूचना देने वालों से सीधा संपर्क करना आवश्यक हो।
प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि के गुण
1-इस विधि द्वारा संकलित आंकड़े मौलिक होते हैं।
2-इस विधि से प्राप्त आंकड़ों में शुद्धता होती है क्योंकि अनुसंधानकर्ता स्वयं आंकड़ों को एकत्रित करता है।
3-इस विधि द्वारा प्राप्त जानकारी पर पूर्ण रुप से विश्वास किया जा सकता है।
4-इस विधि द्वारा मुख्य सूचना के अतिरिक्त और भी कई उपयोगी सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं।
5-इस विधि द्वारा आंकड़ों में एकरूपता पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है क्योंकि आंकड़े एक ही व्यक्ति द्वारा संकलित किए जाते हैं।
6- यह विधि लोचशील होती हैं। क्योंकि अनुसंधानकर्ता आवश्यकतानुसार प्रश्नों को कम या ज्यादा कर सकता है।
प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि के दोष
1-यह विधि अनुसंधान के बड़े क्षेत्र के लिए अनुपयुक्त है।
2-इस विधि में अनुसंधानकर्ता के व्यक्तिगत पक्षपात के कारण परिणामों के दोषपूर्ण होने का डर बना रहता है।
3-इस विधि में धन अधिक खर्च होता है तथा श्रम भी अधिक करना पड़ता है।
4-इस विधि में अनुसंधान सीमित क्षेत्र में ही किया जाता किया जाना संभव होता है। इसलिए प्राप्त परिणाम क्षेत्र की सारी विशेषताओं को प्रकट करने में असमर्थ होता है। इस कारण गलत निष्कर्ष निकल सकते हैं।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
‘बेरोजगार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो कि बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम तो करना चाहता है लेकिन उसे काम नही मिल पा रहा है.’
बेरोजगारी की परिभाषा हर देश में अलग अलग होती है. जैसे अमेरिका में यदि किसी व्यक्ति को उसकी क्वालिफिकेशन के हिसाब से नौकरी नही मिलती है तो उसे बेरोजगार माना जाता है.
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
कृषि विपणन प्रक्रिया की निम्नलिखित बाधाएँ हैं
- तोल में हेरा-फेरी।
- खातों में गड़बड़ी।
- बाजार में प्रचलित भावों का पता न होना।
- अच्छी भण्डारण सुविधाओं का अभाव।
- किसानों में जागरूकता का अभाव।
- किसानों की आय का निम्न स्तर।।
- साख विस्तार का अभाव।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक नियोजन को इस प्रकार परिभाषित किया है-
- श्रीमती बारबरा बूटन के अनुसार-“आयोजन का अर्थ है एक सार्वजनिक सत्ता द्वारा विचारपूर्वक तथा जानबूझ कर आर्थिक प्राथमिकता के बीच चुनाव करना।”
- डाल्टन के अनुसार-“आर्थिक नियाजेन अपने विस्तृत अर्थ में विशाल साधनों के सरंक्षक व्यक्तियों के द्वारा निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आथिर्क क्रियाओं का इच्छित निर्देशन है।”
- रॉबिन्स के अनुसार-“योजना बनाने का अर्थ है उद्देश्य बनाकर कार्य करना, चुनाव या निर्माण करना और निर्णय सभी आथिर्क क्रियाओं का निचोड है।”
- गुन्नार मिर्डल के अनुसार-“आर्थिक नियोजन राष्ट्रीय सरकार की व्यूह-रचना का एक कार्यक्रम है, जिसमें बाजार की शक्तियों के साथ-साथ सरकारी हस्तक्षपे द्वारा सामाजिक क्रिया को ऊपर ले जाने के प्रयास किये जाते है।“
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
प्रकृति में ऊर्जा कई अलग अलग रूपों में मौजूद है। इन के उदाहरण हैं: प्रकाश ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा, गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, रसायनिक ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा। प्रत्येक ऊर्जा को एक अन्य रूप में परिवर्तित या बदला जा सकता है।
Posted by Archita Sharma 5 years ago
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Posted by Kumari Roshni 5 years ago
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R. D. 5 years ago
R. D. 5 years ago
Posted by Akash Gupta 5 years ago
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Yogita Ingle 4 years, 6 months ago
सांख्यिकीय विधियों की सहायता से समंक संकलित किये जाते हैं तथा उन्हें उचित रूप से प्रस्तुत करके उन्हें तुलनात्मक एवं समझने योग्य बनाया जाता है। इससे उचित निष्कर्ष निकालने में भी सहायता मिलती है। सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत निम्न कार्य आते हैं
- समंकों का संकलन करना :
इसके अन्तर्गत यह निश्चित किया जाता है कि अनुसन्धान के लिए समंक कहाँ से, कितने एवं किस ढंग से एकत्रित किये जायें। - समंकों का वर्गीकरण करना :
समंकों को व्यवस्थित कर प्रस्तुत किया जाता है। वर्गीकृत समंकों या आँकड़ों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है। - सारणीयन :
समंकों को व्यवस्थित कर प्रस्तुत किया जाता है। वर्गीकृत समंकों यो आँकड़ों को पंक्ति तथा कॉलम में लिखा जाता है। - प्रस्तुतीकरण :
व्यवस्थित समंकों की सरल, सुव्यवस्थित एवं तुलना योग्य बनाने के लिये उन्हें बिन्दु तथा चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ताकि मस्तिष्क पर उनकी छाप पड़े। - विश्लेषण :
समंकों का विश्लेषण सांख्यिकीय विधियों; जैसे-केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप, अपकिरण, सह-सम्बन्ध आदि के माध्यम से किया जाता है। - निर्वचन :
इनके अन्तर्गत जाँच के विषय के सम्बन्ध में निर्वचन किया जाता है; जैसे-दो तथ्यों के बीच सह-सम्बन्ध है या नहीं। - पूर्वानुमान :
भूत एवं वर्तमान के विश्लेषण के आधार पर भविष्य के बारे में पूर्वानुमान लगाये जाते हैं तथा पूर्व घोषणाएँ की जाती हैं।
Posted by Prakash Jha 5 years ago
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Monu Chaudhary 4 years, 9 months ago
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जिसमें साध्यों तथा सीमित और अनेक उपयोग वाले साधनों से सम्बन्धित मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
- अर्थशास्त्र केवल वास्तविक विज्ञान नहीं है, कला भी है :
अर्थशास्त्र को वास्तविक विज्ञान मान लेने पर यह केवल सिद्धान्त निर्माण करने वाला शास्त्र मात्र रह जाएगा। आलोचकों का मानना है कि अर्थशास्त्र का कर्तव्य केवल उपकरणों का ही निर्माण करना नहीं है अपितु उसे उपकरणों के प्रयोग की विधि पर भी प्रकाश डालना चाहिए।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
यदि कला के रूप में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया जाता है तो इससे आर्थिक सिद्धान्तों की जाँच करने में भी सहायता मिलेगी तथा सिद्धान्त के सही या गलत होने का पता भी लगाया जा सकता है।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान है। इसमें केवल मानवीय क्रियाओं को ही अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र में पशु-पक्षियों एवं अन्य जीव-जन्तुओं का अध्ययन नहीं किया जाता है।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
एडम स्मिथ को फादर ऑफ इकोनॉमिक्स कहां जाता है. यह 18वीं सदी के महान फिलॉस्फर थे. ऐसा नहीं है कि इन से पहले कोई इकोनॉमिक्स को जानता नहीं था या इन्होंने इकोनॉमिक्स शब्द की खोज की. आर्थिक क्रियाएं पहले भी होती थी अर्थात लेनदेन, कर, व्यापार आदि. बस फर्क इतना है कि उन्होंने आर्थिक क्रियाओं की व्याख्या की और उसके कारणों का पता लगाया. इन्होंने 1776 में एक बुक लिखी जिसका नाम है "एन इंक्वायरी इन टू द नेचर एंड कॉसेस ऑफ द वेल्थ ऑफ नेशन" इस बुक में इन्होंने ऐसे नियम प्रस्तुत किए जिनकी वजह से इन्हें फादर ऑफ इकोनॉमिक्स कहा जाता है. पहला था प्राकृतिक नियम, इनके हिसाब से लोग सेल्फ इंटरेस्टेड होते हैं और अपने फायदे के लिए काम करते हैं. हर इंसान के अंदर उसका निजी स्वार्थ होता है. एक बेकरी वाला इसलिए ब्रेड नहीं बेच रहा कि वह लोगों को खाना खिलाना चाहता है बल्कि उसमें उसका निजी स्वार्थ छुपा है. वह पैसे कमाना चाहता है इसीलिए ब्रेड बेच रहा है और जिसे भूख होगी वह उससे ब्रेड खरीदेगा. इसी को एडम स्मिथ ने मार्केट ( बाजार) भी कहा. बाजार लेनदेन की वह जगह होती है जहां क्रेता और विक्रेता एक दूसरे से मिलते हैं. जब सभी लोग अपने स्वार्थ के लिए पूंजी को को जमा करते हैं तो इससे देश की पूंजी का भी निर्माण होता है. दूसरा है, अदृश्य हाथ" द डॉक्ट्रिन ऑफ़ फ्री ट्रेड" स्मिथ के अनुसार बाजार को फ्री छोड़ देना चाहिए बाजार खुद डिसाइड कर लेगी की किस चीज का उत्पादन होना चाहिए और कितना होना चाहिए. किसी चीज का उत्पादन करने के लिए कितनी लागत लगेगी कितने मजदूर लगेंगे और कितने जमीन की आवश्यकता होगी.
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Monu Chaudhary 4 years, 9 months ago
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध और सम्पूर्ण अध्ययन है जो कारण और परिणाम के सम्बन्ध की व्याख्या करता है। आर्थिक सिद्धान्तों एवं नियमों के निर्माण के लिए अर्थशास्त्र वैज्ञानिक नीति का प्रयोग करता है। सामान्य नियमों का निर्माण करके अर्थशास्त्र एक सही एवं उचित मात्रा में आर्थिक घटनाओं की व्याख्या करने की शक्ति भी रखता है। अत: यह एक विज्ञान भी है।
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Yogita Ingle 5 years ago
सांख्यिकी का जनक गोटीफ्राइड एक्नेवाल है।“सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रह किये गए आँकड़ों के संग्रहण, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, तुलना तथा निर्वचन करने की रीतियों से सम्बन्धित है।”
Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Posted by Prashant Vishwakrma 5 years ago
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Monu Chaudhary 4 years, 9 months ago
Posted by Ritika Morya 5 years ago
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Posted by R. D. 5 years ago
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Meghna Thapar 5 years ago
Adam Smith was an 18th-century Scottish economist, philosopher, and author, and is considered the father of modern economics. However, Samuelson became the first American to win the Nobel Prize in Economics (1970) for his work to transform the fundamental nature of the discipline.
“There was an arduous journey ahead but it was time to let the whole world know loud and clear that India was wide awake. The rest is history. Looking back, Narasimha Rao can truly be called the father of economic reforms in India,” the former prime minister said.
Posted by Anjali Trivedi 5 years ago
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Posted by Khushboo Kumari 5 years, 1 month ago
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Yogita Ingle 5 years ago
उन परिस्थितियों में भारत सरकार ने विदेशों से हाइब्रिड प्रजाति के बीज मंगाए। अपनी उच्च उत्पादकता के कारण इन बीजों को उच्च उत्पादकता किस्में (High Yielding Varieties- HYV) कहा जाता था। ... प्रारंभ में HYVs का प्रयोग गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा और मक्का में ही किया गया तथा गैर खाद्यान्न फसलों को इसमें शामिल नहीं किया गया।
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