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Ask QuestionPosted by Vanshika Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Vivek Ray 5 years, 1 month ago
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Posted by Meenakshi Saxena 5 years, 1 month ago
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Posted by Taniya 5 years, 1 month ago
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Abhay Singh A 5 years, 1 month ago
Yogita Ingle 5 years, 1 month ago
लेखक ने भीड़ से बचकर एकांत में नई कहानी के संबंध में सोचने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देखने का आनंद लेने के लिये सेकंड क्लास का टिकट लिया।
Posted by Dilraj Kâlêsh 5 years, 1 month ago
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Posted by Dilraj Kâlêsh 5 years, 1 month ago
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Diksha . 5 years, 1 month ago
Posted by S Tiwari 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
Q u e s t i o n : भारत के सामने जो मुख्य समस्या है वह बढ़ती जनसंख्या है। (सरल वाक्य में बदलिए)
A n s w e r :
भारत के सामने मुख्य समस्या बढ़ती जनसंख्या है।
Posted by Chutia Raj 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
हरिहर काका वैसे तो अनपढ़ थे परन्तु उन्हें दुनियादारी की अच्छी समझ थी और इसी कारण वे अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करते। उन्हें यह बात भलीभांति समझ आती थी सभी उनकी जायदाद के लिए उनसे संबंध बनाए हुए है।
उम्र में बहुत अधिक फासला होने पर भी लेखक और उनकी मित्रता गहरी मित्रता थी। हरिहर काका अंतर्मुखी भी थे। अपने साथ हुई दुर्घटनाओं ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था इसलिए वे चुप रहते थे।
हरिहर काका साहसी भी थे महंतों और अपने भाईओं के धमकाने पर भी वे अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करते। इस प्रकार से हरिकर काका अनपढ़ परन्तु अनुभवी, अंतर्मुखी और साहसी व्यक्ति थे।
Posted by Tanishq Singh 5 years, 1 month ago
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: (ᵔᴥᵔ) ???? (ᵔᴥᵔ) 5 years, 1 month ago
Posted by Virat Aryan 5 years, 1 month ago
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Teresa Singh ✌🏻 5 years, 1 month ago
Posted by Diya Bhati 5 years, 1 month ago
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Posted by Chitransh Verma 5 years, 1 month ago
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Posted by Wail Afsar 5 years, 1 month ago
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Pragati Verma 5 years, 1 month ago
Posted by Ambika Ambika 5 years, 1 month ago
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Posted by ☆•..¤( Prateek )¤..•☆ 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
नेताजी का चश्मा पाठ के लेखक स्वयं प्रकाश जी थे जो समकालीन कहानी में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले कहानीकार थे।
एक कंपनी में कार्यरत एक साहब अक्सर अपनी कंपनी के काम से बाहर जाते थे | हालदार साहब एक कस्बे से होकर गुजरते थे | वह क़स्बा बहुत ही छोटा था| कहने भर के लिए बाज़ार और पक्के मकान थे| लड़कों और लड़कियों का अलग अलग स्कूल था | मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति थी | मूर्ति कामचलाऊ थी पर कोशिश सराहनीय थी | संगमरमर की मूर्ति थी पर उसपर चश्मा असली था | चौकोर और चौड़ा सा काला रंग का चश्मा | फिर एक बार गुजरते हुए देखा तो पतले तार का गोल चश्मा था | जब भी हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते तो मुख्य चौराहे पर रूककर पान जरुर खाते और नेताजी की मूर्ति पर बदलते चश्मे को देखते | एक बार पानवाले से पूछा की ऐसा क्यों होता है तो पानवाले ने बताया की ऐसा कैप्टेन चश्मे वाला करता है | जब भी कोई ग्राहक आटा और उसे वही चश्मा चाहिए तो वो मूर्ति से निकलकर बेच देता और उसकी जगह दूसरा फ्रेम लगा देता | पानवाले ने बताया की जुगाड़ पर कस्बे के मास्टर साहब से बनवाया वह मूर्ति, मास्टर साहब चश्मा बनाना भूल गए थे | और पूछने पर पता चला की चश्मे वाले का कोई दूकान नहीं था बल्कि वो बस एक मरियल सा बूढा था जो बांस पर चश्मे की फेरी लगाता था | जिस मजाक से पानवाले ने उसके बारे में बताया हालदार साहब को अच्छा न लगा और उन्होंने फैसला किया दो साल तक साहब वहां से गुजरते रहे और नेताजी के बदलते चश्मे को देखते रहे | कभी काला कभी लाल, कभी गोल कभी चौकोर, कभी धूप वाला कभी कांच वाला | एक बार हालदार साहब ने देखा की नेताजी की मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं है | पान वाले ने उदास होकर नम आँखों से बताया की कैप्टन मर गया | वो पहले ही समझ चुके थे की वह चश्मे वाला एक फ़ौजी था और नेताजी को उनके चश्मे के बगैर देख कर आहत हो जाता होगा | अपने जी चश्मों में से एक चश्मा उन्हें पहना देता और जब भी कोई ग्राहक उसकी मांग करते तो उन्हें वह नेताजी से माफ़ी मांग कर ले जाता और उसकी जगह दूसरा सबसे बढ़िया चश्मा उन्हें पहना जाता होगा | और उन्हें याद आया की पानवाले से हस्ते हुए उसे लंगड़ा पागल बताया था | उसके मरने की बात उनके दिल पर चोट कर गयी और उन्होंने फिर कभी वहां से गुजरते वक़्त न रुकने का फैसला किया | पर हर बार नज़र नेताजी की मूर्ति पर जरुर पड़ जाती थी | एक बार वो यह देख कर दंग रह गये की नेताजी की मूर्ति पर चश्मा चढ़ा है | जाकर ध्यान से देखा तो बच्चो द्वारा बनाया एक चश्मा उनकी आँखों पर चढ़ा था | इस कहानी से यह बताने की कोशिश की गयी है की हम देश के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों की कोई इज्जत नहीं करते| उनके भावनाओं की खिल्ली उड़ा देते और न ही हमारे स्वतंत्रता के लिए जान लगाने वाले महान लोगों की इज्ज़त करते हैं | पर बच्चों ने कैप्टन की भावनाओं को समझा और नेताजी की आँखों को सुना न होने दिया |
Posted by ☆•..¤( Prateek )¤..•☆ 5 years, 1 month ago
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago
- लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा होगा क्योंकि उन्हें ज्यादा दूर नहीं जाना था| वह भीड़ से हटकर नई कहानी के बारे में सोचते हुए यात्रा करना चाहते थे | इसके अतिरिक्त उन्होंने सोचा कि वह प्राकृतिक दृश्यों का भी आनंद उठा लेंगे |
Posted by Ambika Ambika 5 years, 1 month ago
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☆•..¤( Prateek )¤..•☆ 5 years, 1 month ago
Daniya Khan 5 years, 1 month ago
Posted by Ambika Ambika 5 years, 1 month ago
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Posted by Sneha Singh 5 years, 1 month ago
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Posted by Bhavana Ng 5 years, 1 month ago
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Posted by Vicky Ke Status 5 years, 1 month ago
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Jitendra Gehlot 5 years ago
Posted by Bhumika Jain 5 years, 1 month ago
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Posted by Riya Panwar 5 years, 1 month ago
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Anuj Kumar 5 years, 1 month ago
Posted by Prachi Soni 5 years, 1 month ago
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Posted by Sgs Koushal 5 years, 1 month ago
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