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  • 3 answers

Muskan Shekhawat 4 years, 11 months ago

Desh bhakti ?

Diksha . 4 years, 11 months ago

देशभक्ति को

Roshan Kumar 4 years, 11 months ago

देशभक्ति का
  • 2 answers

Abhay Singh A 4 years, 11 months ago

lekhak ne bheed se bachkar ekant mein nayi kahani ke sambandh mein sochana aur khidki se prakrutik drishya dekhne ka Anand lene ke liye 2nd class ka ticket liya

Yogita Ingle 4 years, 11 months ago

लेखक ने भीड़ से बचकर एकांत में नई कहानी के संबंध में सोचने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देखने का आनंद लेने के लिये सेकंड क्लास का टिकट लिया।

  • 1 answers

Diksha . 4 years, 11 months ago

गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर इसलिए कहा गया है क्योंकि गंतोक के लोग बेहद कर्मठ और श्रमजीवी होते हैं। गंतोक सिक्किम की राजधानी है और यह एक पर्वतीय प्रदेश है। पर्वतीय प्रदेशों में रहने वाले लोगों का जीवन बड़ा कठिन होता है। उसके बावजूद भी इन कठिन और विपरीत परिस्थितियों में इस क्षेत्र के लोग अत्याधिक श्रम करते हैं और अपने शहर को सुंदर बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते। पहाड़ी क्षेत्रों में पर्वतों को काटकर रास्ता बनाना पड़ता है पत्थरों को तोड़ना पड़ता है। यहां के सभी निवासी बेहद श्रमजीवी होते हैं, महिलाएं ऐसी परिस्थितियों में काम करती है कि कई महिलाओं की पीठ पर बंधी टोकरी में उनके बच्चे होते हैं और वे अपने काम में मगन होती है।
  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

Q u e s t i o n : भारत के सामने जो मुख्य समस्या है वह बढ़ती जनसंख्या है। (सरल वाक्य में बदलिए)

A n s w e r :

 भारत के सामने मुख्य समस्या बढ़ती जनसंख्या है।

  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

हरिहर काका वैसे तो अनपढ़ थे परन्तु उन्हें दुनियादारी की अच्छी समझ थी और इसी कारण वे अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करते। उन्हें यह बात भलीभांति समझ आती थी सभी उनकी जायदाद के लिए उनसे संबंध बनाए हुए है।

उम्र में बहुत अधिक फासला होने पर भी लेखक और उनकी मित्रता गहरी मित्रता थी। हरिहर काका अंतर्मुखी भी थे। अपने साथ हुई दुर्घटनाओं ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था इसलिए वे चुप रहते थे।

हरिहर काका साहसी भी थे महंतों और अपने भाईओं के धमकाने पर भी वे अपनी जमीन किसी के नाम नहीं करते। इस प्रकार से हरिकर काका अनपढ़ परन्तु अनुभवी, अंतर्मुखी और साहसी व्यक्ति थे।

  • 1 answers

: (ᵔᴥᵔ) ???? (ᵔᴥᵔ) 4 years, 11 months ago

Harihar kaka lekhak k pdhos me rehte he.unki do shadiyan ho chuki thi,lekin koi bacha nai tha..veh chaar bhai the.veh lekhak ko bohut pyaare krte or dularte the jb lekhak shota tha.veh lekhak ko ekk pita se bhi zyada pyaar krte the or apne kandhe pr bithakr ghumaya krte the.harihar kaka anpdh the lekin unko duniya ka bohut gyaan tha kyuki veh duniya se vichrte rehte the..
  • 1 answers

Teresa Singh ✌🏻 4 years, 11 months ago

खीरों के संबंध में नवाब के व्यवहार को उनकी सनक माना जा सकता है, क्योंकि नवाब को अपने अभिजात्य वर्ग के होने का अभिमान होता है, उनमें अक्सर झूठी शान दिखाने की भी आदत होती है। चाहे कुछ भी हो जाये पर उनमें नवाबी वाला पाखंड नही जाता। एक ऐसा ही किस्सा है... एक बार एक नवाब साहब अपने बिस्तर पर बैठे हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। तभी उन्हे खबर मिली कि दुश्मनों ने आक्रमण कर दिया है। जिसको जिधर मौका मिला भाग लिया। अब नवाब साहब ठहरे नवाब। वो खुद से अपना जूता भी नही पहनते थे, उनका नौकर आकर पहनाता था। वो अपने नौकर को आवाज लगाते रह गये, पर कोई न आया। आता भी कैसे सब लोग तो डरकर भाग चुके थे। अब नवाब साहब ने खुद ही जूता पहन कर दुश्मन से बच के निकल जाने का कष्ट नही किया क्योंकि स्वयं से जूता पहनना उनकी शान के खिलाफ था। वो हिले नही और दुश्मन उनके सर पर आ गया। उनको पकड़ लिया गया। अपनी नवाबी सनक के चलते नवाब साहब दुश्मन की गिरफ्त में आ गये। थोड़ी अपनी नवाबी वाली नफासत कम करते तो बचकर निकल भाग सकते थे।......?
  • 1 answers

Pragati Verma 4 years, 11 months ago

उसने अपनी पतोहु से कहा की या तो तू जा वरना मैं ही ये घर छोड़कर चला जाऊंगा।
  • 5 answers

Diksha . 4 years, 11 months ago

स्वयं प्रकाश

Ãnkita Kumari Yadav 4 years, 11 months ago

Swaym prakash is the poet of this story.

Dilraj Kâlêsh 4 years, 11 months ago

स्वयं प्रकाश

Nehu Suhag 4 years, 11 months ago

स्वयं प्रकाश इस पाठ के लेखक हैं।

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

 

नेताजी का चश्मा पाठ के लेखक स्वयं प्रकाश जी थे जो समकालीन कहानी में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले कहानीकार थे।

एक कंपनी में कार्यरत एक साहब अक्सर अपनी कंपनी के काम से बाहर जाते थे | हालदार साहब एक कस्बे से होकर गुजरते थे | वह क़स्बा बहुत ही छोटा था| कहने भर के लिए बाज़ार और पक्के मकान थे| लड़कों और लड़कियों का अलग अलग स्कूल था | मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति थी | मूर्ति कामचलाऊ थी पर कोशिश सराहनीय थी | संगमरमर की मूर्ति थी पर उसपर चश्मा असली था | चौकोर और चौड़ा सा काला रंग का चश्मा | फिर एक बार गुजरते हुए देखा तो पतले तार का गोल चश्मा था | जब भी हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते तो मुख्य चौराहे पर रूककर पान जरुर खाते और नेताजी की मूर्ति पर बदलते चश्मे को देखते | एक बार पानवाले से पूछा की ऐसा क्यों होता है तो पानवाले ने बताया की ऐसा कैप्टेन चश्मे वाला करता है | जब भी कोई ग्राहक आटा और उसे वही चश्मा चाहिए तो वो मूर्ति से निकलकर बेच देता और उसकी जगह दूसरा फ्रेम लगा देता | पानवाले ने बताया की जुगाड़ पर कस्बे के मास्टर साहब से बनवाया वह मूर्ति, मास्टर साहब चश्मा बनाना भूल गए थे | और पूछने पर पता चला की चश्मे वाले का कोई दूकान नहीं था बल्कि वो बस एक मरियल सा बूढा था जो बांस पर चश्मे की फेरी लगाता था | जिस मजाक से पानवाले ने उसके बारे में बताया हालदार साहब को अच्छा न लगा और उन्होंने फैसला किया दो साल तक साहब वहां से गुजरते रहे और नेताजी के बदलते चश्मे को देखते रहे | कभी काला कभी लाल, कभी गोल कभी चौकोर, कभी धूप वाला कभी कांच वाला | एक बार हालदार साहब ने देखा की नेताजी की मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं है |  पान वाले ने उदास होकर नम आँखों से बताया की कैप्टन मर गया | वो पहले ही समझ चुके थे की वह चश्मे वाला एक फ़ौजी था और नेताजी को उनके चश्मे के बगैर देख कर आहत हो जाता होगा | अपने जी चश्मों में से एक चश्मा उन्हें पहना देता और जब भी कोई ग्राहक उसकी मांग करते तो उन्हें वह नेताजी से माफ़ी मांग कर ले जाता और उसकी जगह दूसरा सबसे बढ़िया चश्मा उन्हें पहना जाता होगा | और  उन्हें याद आया की पानवाले से हस्ते हुए उसे लंगड़ा पागल बताया था | उसके मरने की बात उनके दिल पर चोट कर गयी और उन्होंने फिर कभी वहां से गुजरते वक़्त न रुकने का फैसला किया | पर हर बार नज़र नेताजी की मूर्ति पर जरुर पड़ जाती थी | एक बार वो यह देख कर दंग रह गये की नेताजी की मूर्ति पर चश्मा चढ़ा है | जाकर ध्यान से देखा तो बच्चो द्वारा बनाया एक चश्मा उनकी आँखों पर चढ़ा था | इस कहानी से यह बताने की कोशिश की गयी है की हम देश के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों की कोई इज्जत नहीं करते| उनके भावनाओं की खिल्ली उड़ा देते और न ही हमारे स्वतंत्रता के लिए जान लगाने वाले महान लोगों की इज्ज़त करते हैं | पर बच्चों ने कैप्टन की भावनाओं को समझा और नेताजी की आँखों को सुना न होने दिया |

  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 11 months ago

  1. लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा होगा क्योंकि उन्हें ज्यादा दूर नहीं जाना था| वह भीड़ से हटकर नई कहानी के बारे में सोचते हुए यात्रा करना चाहते थे | इसके अतिरिक्त उन्होंने सोचा कि वह प्राकृतिक दृश्यों का भी आनंद उठा लेंगे |
  • 2 answers

☆•..¤( Prateek )¤..•☆ 4 years, 11 months ago

Yahan per photo Nahin bhej Sakte varna I have the Vigyapan

Daniya Khan 4 years, 11 months ago

Yaha pe photo nhi send kr skte warna I have that vigyapan
  • 1 answers

Vansh Bataan 4 years, 11 months ago

अडंबर्रों में विश्वास रखने वाले एवं दिखावा करने वाले।
  • 4 answers

Jitendra Gehlot 4 years, 10 months ago

Netajii ji ki murti sangmarmar se bani thi aur murti ko master motilal ji ne banai thi

Ankita Bora 4 years, 11 months ago

संगमरमर से बनी थी

☆•..¤( Prateek )¤..•☆ 4 years, 11 months ago

By the stone

Vansh Bataan 4 years, 11 months ago

मास्टर मोतीलाल।
  • 1 answers

Anuj Kumar 4 years, 11 months ago

कर्तृ वाच्य --: वह चल नहीं सकता। कर्म वाच्य--: उसके द्वारा चला नहीं जाता।
  • 3 answers

Satnam Singh 4 years, 11 months ago

ਕਬੀਰ ਕੇ ਅਨੁਸਾਰ ਈਸ਼ਵਰ ਕਿਸਕੇ

Satnam Singh 4 years, 11 months ago

ਕਬੀਰ ਕੇ ਅਨੁਸਾਰ
Sparsh ?

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