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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago

वाच्य- वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय।’
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।

दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के भेद-हिंदी में वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं –

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Good Day 4 years, 8 months ago

वाच्य के तीन भेद होते हैं : १ कतृवाच्य जैस : मैं पढ़ता हूँ । २ कर्मवाच्य जैस : मेरे द्वारा किताब पढ़ी जाती है। ३ भाववाच्य जैसे : मुझसे पढ़ा नहीं जाता ।
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Riya Rana 4 years, 9 months ago

Vakya ke 3 bhed h Saral Sanyukt Mishra
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Pooja Jangid 4 years, 9 months ago

Gopiyo ne kadvi kakadi shrikrishan dwara beje yog sandesh ko khaa tha qnki wo sandesh unhe kadvi kakadi k saman lag raha tha.isliye wo chahti thi thi ke ye sandesh unhe hi wapis dedo
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago

रस – साहित्य का नाम आते ही रस का नाम स्वतः आ जाता है। इसके बिना साहित्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारतीय साहित्य शास्त्रियों ने साहित्य के लिए रस की अनिवार्यता समझा और इसे साहित्य के लिए आवश्यक बताया। वास्तव में रस Ras काव्य की आत्मा है।

रस के अंग-रस के चार अंग माने गए हैं –

  1. स्थायीभाव: कविता या नाटक का आनंद लेने से सहृदय के हृदय में भावों का संचार होता है। ये भाव मनुष्य के हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान होते हैं। सुषुप्तावस्था में रहने वाले ये भाव साहित्य के आनंद के द्वारा जग जाते हैं और रस में बदल जाते हैं
  2. विभाव: विभाव का शाब्दिक अर्थ है-भावों को विशेष रूप से जगाने वाला अर्थात् वे कारण, विषय और वस्तुएँ, जो सहृदय के हृदय में सुप्त पड़े भावों को जगा देती हैं और उद्दीप्त करती हैं, उन्हें विभाव कहते हैं।
  3. अनुभाव: अनुभाव दो शब्दों ‘अनु’ और भाव के मेल से बना है। ‘अनु’ अर्थात् पीछे या बाद में अर्थात् आश्रय के मन में पनपे भाव और उसकी वाह्य चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।
    जैसे-चुटकुला सुनकर हँस पड़ना, तालियाँ बजाना आदि चेष्टाएँ अनुभाव हैं।
  4. संचारीभाव: आश्रय के चित्त में स्थायी भाव के साथ आते-जाते रहने वाले जो अन्य भाव आते रहते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं। इनका दूसरा नाम अस्थिर मनोविकार भी है।
    चुटकुला सुनने से मन में उत्पन्न खुशी तथा दुर्योधन के मन में उठने वाली दुश्चिंता, शोक, मोह आदि संचारी भाव हैं।
    संचारी भावों की संख्या 33 मानी जाती है।
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Riya Rana 4 years, 9 months ago

Vakya mein aaye pado ka vistrit vyakarnik prichay Dena hi pad Parichay kehlata hai
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Lakshya Indian 4 years, 9 months ago

Ok

Akanksha Shukla 4 years, 9 months ago

balgobin grihast the fir bhi oo sadhu the .iska karan iski pramukh visheshtaye h jaise oo kabir ko Sahab mante the aur unke adesho ka palan krte the aur oo kabhi jhuth nhi bolte the jiske karan oo grihast hote hue bhi sadhu the .( I am write in English because in my iPhone Hindi keyboard are not available)
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Riya Rana 4 years, 9 months ago

Jab unke Putra ki mrityu Hui to ve Geet ga rahe the. Unke Geet mein bhi tallinta thi.
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Bipin Bihari 4 years, 9 months ago

To
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Bipin Bihari 4 years, 9 months ago

जिस काव्य को पढ़ने में जो आनंद की अनुभूति होती हैं वह रस कहलाता है|

Nitesh Yadav 4 years, 9 months ago

Oki

Ambika Ambika 4 years, 9 months ago

रस का मतलब है आनंद । रस 9 प्रकार के होते हैं। i) स्थायी भाव ii) वीभाव • आलंबन बीभाव • उद्दीपन विभाव iii) अनुभाव • सात्विक • कायिक • मानसिक • आहार्य iv) संचारी अथवा व्यभिचारी भाव। सथायी भाव :- मन के अंदर छिपी हुई भावनाएं । विभाव : भाव उत्पन्न करने का साधन ।

Utsav Srivastava 4 years, 9 months ago

Ras ke 9 mukhya bhed hote hai

Utsav Srivastava 4 years, 9 months ago

Ras kavya ki atma hai
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Nitesh Yadav 4 years, 9 months ago

कबीर का अनुभव क्षेत्र विस्तृत था। कबीर जगह-जगह भ्रमण कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते थे। अत: उनके द्वारा रचित साखियों में अवधी, राजस्थानी, भोजपुरी और पंजाबी भाषाओं के शब्दों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पडता है। इसी कारण उनकी भाषा को ‘पचमेल खिचडी’ कहा जाता है। कबीर की भाषा को सधुक्कडी भी कहा जाता है। वे जैसा बोलते थे वैसा ही लिखा गया है। भाषा में लयबद्धता, उपदेशात्मकता, प्रवाह, सहजता, सरलता शैली है। लोकभाषा का भी प्रयोग हुआ है; जैसे – खायै, नेग, मुवा, जाल्या, आँगणि आदि

Yogita Ingle 4 years, 9 months ago

कबीर का अनुभव क्षेत्र विस्तृत था। कबीर जगह-जगह भ्रमण कर प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करते थे। अत: उनके द्वारा रचित साखियों में अवधी, राजस्थानी, भोजपुरी और पंजाबी भाषाओं के शब्दों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पडता है। इसी कारण उनकी भाषा को ‘पचमेल खिचडी’ कहा जाता है। कबीर की भाषा को सधुक्कडी भी कहा जाता है। वे जैसा बोलते थे वैसा ही लिखा गया है। भाषा में लयबद्धता, उपदेशात्मकता, प्रवाह, सहजता, सरलता शैली है। लोकभाषा का भी प्रयोग हुआ है; जैसे – खायै, नेग, मुवा, जाल्या, आँगणि आदि।

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Aziz Fatima 4 years, 9 months ago

akarmak kriya, ekvachan, pulling, vartman Kal, krit vachya
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago

रस के अंग-रस के चार अंग माने गए हैं –

  1. स्थायीभाव: कविता या नाटक का आनंद लेने से सहृदय के हृदय में भावों का संचार होता है। ये भाव मनुष्य के हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान होते हैं। सुषुप्तावस्था में रहने वाले ये भाव साहित्य के आनंद के द्वारा जग जाते हैं और रस में बदल जाते हैं
  2. विभाव: विभाव का शाब्दिक अर्थ है-भावों को विशेष रूप से जगाने वाला अर्थात् वे कारण, विषय और वस्तुएँ, जो सहृदय के हृदय में सुप्त पड़े भावों को जगा देती हैं और उद्दीप्त करती हैं, उन्हें विभाव कहते हैं।
  3. अनुभाव: अनुभाव दो शब्दों ‘अनु’ और भाव के मेल से बना है। ‘अनु’ अर्थात् पीछे या बाद में अर्थात् आश्रय के मन में पनपे भाव और उसकी वाह्य चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।
    जैसे-चुटकुला सुनकर हँस पड़ना, तालियाँ बजाना आदि चेष्टाएँ अनुभाव हैं।
  4. संचारीभाव: आश्रय के चित्त में स्थायी भाव के साथ आते-जाते रहने वाले जो अन्य भाव आते रहते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं। इनका दूसरा नाम अस्थिर मनोविकार भी है।
    चुटकुला सुनने से मन में उत्पन्न खुशी तथा दुर्योधन के मन में उठने वाली दुश्चिंता, शोक, मोह आदि संचारी भाव हैं।
    संचारी भावों की संख्या 33 मानी जाती है।
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Aziz Fatima 4 years, 9 months ago

1. गोपियां अपने कथन में व्यंग का अधिक प्रयोग करती है 2. जिनके सामने उद्धव टिक नहीं पाते 3. गोपियाँ उद्धरण देने मै बहुत कुशल है 4. गोपियाँ उद्धव को कई बार खरी खोटी सुनाती है जिसके उद्धव की बोलती बंद हो जाती है 5. गोपियाँ तर्कशील है तथा उनके तर्क अकाट्य है
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Aziz Fatima 4 years, 9 months ago

गोपियाँ योग संदेश को उन लोगो के लिए उपयुक्त मानती है जिनके मन चकरी के समान चंचल है अर्थात जिनके मन मे कृष्णा के लिए प्रेम नहीं है
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Devansh Yadav 4 years, 9 months ago

Kisi kavyansh ko padhkar hmare man me jo bhaav paida ho use ras kahte hain
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A B 4 years, 9 months ago

Lekin kyun kaha hai

Yogita Ingle 4 years, 9 months ago

लेखिका ने यूमथांग के रास्ते पर दुर्लभ प्राकृतिक सौंदर्य देखा। ये दृश्य उसकी आँखों और आत्मा को सुख देने वाले थे। धरती पर कहीं गहरी हरियाली फैली थी तो कहीं हल्का पीलापन दिख रहा था। कहीं-कहीं नंगे पत्थर ऐसे दिख रहे थे जैसे प्लास्टर उखड़ी पथरीली दीवार हो। देखते ही देखते आँखों के सामने से सब कुछ ऐसे गायब हो गया, जैसे किसी ने जादू की छडी फिरा दी हो, क्योंकि बादलों ने सब कुछ ढक लिया था। प्रकृति के इसी दृश्य को लेखिका ने छाया और माया का खेल कहा है।

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Bipin Bihari 4 years, 9 months ago

Read ncert thats enough

Devansh Yadav 4 years, 9 months ago

Just with pyqs no need to buy any reference,

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