Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Confusion ??? Master ??? 4 years, 8 months ago
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Posted by Confusion ??? Master ??? 4 years, 8 months ago
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Laxmi Narayan 4 years, 8 months ago
Posted by Confusion ??? Master ??? 4 years, 3 months ago
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Sia ? 4 years, 3 months ago
औपचारिक पत्र उन्हें लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई निजी संबंध ना हो। व्यवसाय से संबंधी, प्रधानाचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की भाषा सहज और शिष्टापूर्ण होती है। इन पत्रों में केवल काम या अपनी समस्या के बारे में ही बात कही जाती है।
Posted by Annu Dhanda 4 years, 8 months ago
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Rajan Singh 4 years, 8 months ago
Posted by Sourbh Chaudhary 4 years, 8 months ago
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Mr. X Sharma 4 years, 8 months ago
Posted by Khushi Anurag 4 years, 8 months ago
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Posted by Dilraj Kâlêsh 4 years, 8 months ago
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Yashika B. 4 years, 8 months ago
Posted by A A 4 years, 8 months ago
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Yashika B. 4 years, 8 months ago
Yashika B. 4 years, 8 months ago
Yashika B. 4 years, 8 months ago
Yashika B. 4 years, 8 months ago
Posted by Vishal Chaudhary 10 B 4 years, 8 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
(क) दूब पर पड़ने वाले पाँव किन बच्चों के हो सकते हैं?
<div style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; margin-left: 25px; user-select: initial !important;">(i) जो अभी बहुत छोटे हैं(ii) जो समृद्ध परिवार से हैं
(iii) जो शिक्षित परिवार से हैं
(iv) जो गरीब परिवार से हैं</div>
(ख) 'वे अपना भविष्य बीन रहे हैं' का तात्पर्य है :
(ii) वे कूड़े में रहते हैं
(iii) असंख्य बच्चे सुख नहीं पाते
(iv) गलियों में बच्चे अपना भविष्य बनाते हैं</div>
(ग) एक मेज़ है/ सिर्फ़ छह बच्चों के लिए/ और उनके सामने/ उतने ही अंडे और उतने ही सेब हैं/ एक कटोरदान है सौ बच्चों के बीच/ और हज़ारों बच्चे एक हाथ में रखी आधी रोटी को/ दूसरे से तोड़ रहे हैं
(ii) सामाजिक असमानता
(iii) आर्थिक असमानता
(iv) शैक्षिक असमानता</div>
(घ) कवि किस बात से निराश हो गया है?
(ii) असीम सत्ता को लोग पहचानते नहीं
(iii) न्याय पाने के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है
(iv) बच्चों की पोशाकों में भी बहुत अंतर है</div>
(ङ) कवि हमें किस वास्तविकता से परिचित करवाता है :
(ii) बातें सिर्फ़ कागज़ी हैं, चापलूसी और जोड-तोड़ का धंधा फल-फूल रहा है
(iii) यदि सत्य होता तो सच में न्यायाधीश अपना काम करते
(iv) बहुत से बच्चे होटलों में काम करने को मजबूर हैं</div>
<div class="solutions" id="boardpapersol267933" style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; user-select: initial !important;"> <div class="solutionHeading newSolHead" style="color: rgb(0, 151, 105); text-transform: uppercase; font-size: 1.2rem; margin-top: 10px; margin-bottom: 5px; user-select: initial !important;">SOLUTION:</div> (क) (ii) जो समृद्ध परिवार से हैं
(ख) (i) कूड़ा बीन कर गरीब बच्चे अपना जीवन चलाते हैं
(ग) (iii) आर्थिक समानता
(घ) (i) नैतिक मूल्य कहीं खो गए हैं
(ङ) (i) समाज में असमानताएँ हैं और ईश्वर को चिंता नहीं है।</div>
Posted by Innocent Bandiii 4 years, 8 months ago
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Yashika B. 4 years, 8 months ago
Posted by Ashwani Dubey 4 years, 8 months ago
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Mr. X Sharma 4 years, 8 months ago
Posted by Prachi Saini 4 years, 8 months ago
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Yashika B. 4 years, 8 months ago
Posted by Gaurav Singh 4 years, 8 months ago
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Ankit Kumar 4 years, 8 months ago
Posted by Sunny Kumar Rajak 4 years, 8 months ago
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Posted by Khusboo Gupta 4 years, 8 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
प्रसंग- प्रस्तुत पद भक्त सूरदास के द्वारा रचित ‘सूरसागर’ के भ्रमरगीत से लिया गया है जिसे हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित किया गया है। श्रीकृष्ण के द्वारा भेजे गए उद्धव ने गोपियों को ब्रज में संदेश सुनाया था जिसे सुनकर वह हताश हो गई थीं। वे तो श्रीकृष्ण को ही अपना एकमात्र सहारा मानती थीं पर उन्हीं के द्वारा भेजा हुआ हृदय-विदारक संदेश सुन कर वे पीड़ा और निराशा से भर उठी थीं। उन्होंने कातर स्वर में उद्धव से कहा था ।
व्याख्या- हे उद्धव! हमारे मन में छिपी बात तो मन में ही रह गई है अर्थात् वे तो सोचती थीं कि जब श्रीकृष्ण वापिस आएंगे तब वे उन्हें विरह-वियोग में झेले सारे कष्टों की बातें सुनाएंगी पर अब तो उन्होंने निराकार ब्रह्म को प्राप्त करने का संदेश भेज दिया है। अब उन के द्वारा त्याग दिए जाने पर हम अपनी असहनीय विरह-पीड़ा की कहानी किसे जा कर सुनाएं? अब तो हम से यह और अधिक कही भी नहीं जाती। अब तक हम उन के वापिस लौटने की अवधि के सहारे अपने तन और मन से इस विरह-पीड़ा को सहती आ रही थीं। अब तो इन योग के संदेशों को सुन कर हम विरहिनियां वियोग में जलने लगी हैं। विरह के सागर में डूबती हुई हम गोपियों को जहाँ से सहायता मिलने की आशा थी और जहाँ हम अपनी रक्षा के लिए पुकार लगाना चाहती थीं अब उसी स्थान से योग संदेश रूपी जल की ऐसी प्रबल धारा बही है कि यह हमारे प्राण लेकर ही रुकेगी अर्थात् श्रीकृष्ण ने हमें भुला कर योग साधना करने का संदेश भेज कर हमारे प्राण ले लेने का कार्य किया है। हे उद्धव! तुम्हीं बताओ कि अब हम धैर्य धारण कैसे करें? जिन श्रीकृष्ण के लिए हम ने अपनी अन्य सभी मर्यादाओं को त्याग दिया था अब उन्हीं श्रीकृष्ण के द्वारा हमें त्याग देने से हमारी संपूर्ण मर्यादा नष्ट हो गई है।
Posted by Om Rathore 4 years, 8 months ago
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Yashika B. 4 years, 8 months ago
Posted by S Thakaral 4 years, 8 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
) कॉलेज का अनुशासन बिगाड़ने के आरोप में थर्ड इयर की कक्षाएँ बंद कर दी गई और लेखिका और उनकी सहयोगियों का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया। लेकिन छात्राओं के हुड़दंग मचाने पर उन पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया। यही खुशी स्वतंत्रता मिलने की खुशी में समा गई। व्याख्यात्मक हल: कॉलेज वालों ने शीला अग्रवाल और मन्नू भंडारी की गतिविधियों को देखकर उन्हें कॉलेज से निकाल दिया। इस प्रकार कॉलेज का अनुशासन बिगाड़ने के आरोप में थर्ड इयर की कक्षाएँ बंद कर दी गई और लेखिका और उनकी सहयोगियों का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया, लेकिन कॉलेज से बाहर रहते हुए भी लेखिका और छात्राओं ने इतना हुड़दंग मचाया कि कॉलेज वालों को हार मानकर अगस्त में थर्ड ईयर की कक्षाएँ फिर चालू करनी पड़ीं। यही खुशी स्वतंत्रता मिलने की खुशी में समा गई
Posted by Divyanshi Dhakad 4 years, 8 months ago
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Purvasha Sehrawat 4 years, 8 months ago
Posted by Ankita Kumari 4 years, 8 months ago
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Posted by Sunny Kumar Rajak 4 years, 8 months ago
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Kajal Prajapati 4 years, 8 months ago
Posted by Ptgff Hffhh 4 years, 8 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
(1) औपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Formal Message Writing)
संदेश
दिनांक : ……. समय : ……
संबोधन ………
विषय (जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं )………………………………………..
………………………………………………………………………………………………
…………………………………..
अपना नाम
(2) अनौपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Informal Message Writing)
संदेश
दिनांक : ……. समय : ……
विषय (जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं , वो लिखें )
…………………………………………………………….
…………………………………………………………….
और अपना नाम
संदेश लेखन उदाहरण
अनौपचारिक संदेश व औपचारिक संदेश लेखन के कुछ उदाहरण (Example of Formal and Informal Message Writing)
उदाहरण
गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर देशवासियों के लिए एक संदेश लिखें।
Posted by Krazy Girl 4 years, 8 months ago
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Good Day 4 years, 8 months ago
Posted by Nihkil Sangwan 4 years, 8 months ago
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Posted by Sonukishore Kamat 4 years, 8 months ago
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Posted by Sishank Dahiya 4 years, 8 months ago
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Yashika B. 4 years, 8 months ago
Posted by Sishank Dahiya 4 years, 8 months ago
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Posted by Sumit Singh 4 years, 8 months ago
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Heena Jamini 4 years, 8 months ago
Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
Answer:
नवाब साहब ने औपचारिकता पूरी करने के लिए लेखक से खीरे खाने के लिए पूछा था। चूँकि नवाब साहब सिर्फ बाहरी रुप से ही मिलनसार होने का दिखावा कर रहे थे। इसलिए लेखक ने भी औपचारिकता दिखाते हुए खीरे खाने के लिए मना कर दिया।
Posted by Himesh Patidar 4 years, 8 months ago
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Heena Jamini 4 years, 8 months ago
Posted by Himesh Patidar 4 years, 8 months ago
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Sia ? 4 years, 3 months ago
3
0Thank You