No products in the cart.

Ask questions which are clear, concise and easy to understand.

Ask Question
  • 1 answers

Sia ? 4 years, 3 months ago

3

  • 1 answers

Laxmi Narayan 4 years, 8 months ago

अनौपचारिक पत्रों का प्रारूप – 1. पता- सबसे ऊपर बाईं ओर प्रेषक (पत्र भेजने वाले) का नाम व पता लिखा जाता है। 2. दिनांक- जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है, उस दिन की तारीख। 3. विषय- (सिर्फ औपचारिक पत्रों में, अनौपचारिक पत्रों में विषय का प्रयोग नहीं किया जाता है |) 4. संबोधन- प्रापक (जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है) के साथ संबंध के अनुसार संबोधन का प्रयोग किया जाता है। (जैसे कि बड़ों के लिए पूजनीय, पूज्य,  आदरणीय आदि के शब्दों का प्रयोग किया जाता है और छोटों के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही आदि का प्रयोग किया जाता है।) 5. अभिवादन- जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार, जैसे कि सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्ते, नमस्कार, मधुर प्यार आदि | 6. मुख्य विषय- मुख्य विषय को मुख्यतः तीन अनुच्छेदों में विभाजित करना चाहिए। पहले अनुछेद की शुरुआत कुछ इस प्रकार होनी चाहिए- "हम/मैं यहाँ कुशल हूँ, आशा करता हूँ कि आप भी वहाँ कुशल होंगे।" दूसरे अनुच्छेद में जिस कारण पत्र लिखा गया है उस बात का उल्लेख किया जाता है। तीसरे अनुछेद में समाप्ति से पहले, कुछ वाक्य अपने परिवार व सबंधियों के कुशलता के लिए लिखने चाहिए। जैसे कि- "मेरी तरफ से बड़ों को प्रणाम, छोटों को आशीर्वाद व प्यार आदि"। 7. समाप्ति- अंत में प्रेषक का सम्बन्ध जैसे- आपका पुत्र, आपकी पुत्री, आपकी की भतीजी आदि"। अनौपचारिक-पत्र की प्रशस्ति (आरम्भ में लिखे जाने वाले आदरपूर्वक शब्द), अभिवादन व समाप्ति में किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए- (1) अपने से बड़े आदरणीय संबंधियों के लिए- प्रशस्ति – आदरणीय, पूजनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि। अभिवादन – सादर प्रणाम, सादर चरणस्पर्श, सादर नमस्कार आदि। समाप्ति – आपका बेटा, पोता, नाती, बेटी, पोती, नातिन, भतीजा आदि। (2) अपने से छोटों या बराबर वालों के लिए- प्रशस्ति – प्रिय, चिरंजीव, प्यारे, प्रिय मित्र आदि। अभिवादन – मधुर स्मृतियाँ, सदा खुश रहो, सुखी रहो, आशीर्वाद आदि। समाप्ति – तुम्हारा, तुम्हारा मित्र, तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभचिंतक आदि। अनौपचारिक-पत्र का प्रारूप- (प्रेषक-लिखने वाले का पता) ……………… दिनांक ………………. संबोधन ………………. अभिवादन ………………. पहला अनुच्छेद ………………. (कुशल-मंगल समाचार) दूसरा अनुच्छेद ……….. (विषय-वस्तु-जिस बारे में पत्र लिखना है) तीसरा अनुच्छेद ……………. (समाप्ति) प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध प्रेषक का नाम …………….
  • 1 answers

Sia ? 4 years, 3 months ago

औपचारिक पत्र उन्हें लिखा जाता है जिनसे हमारा कोई निजी संबंध ना हो। व्यवसाय से संबंधी, प्रधानाचार्य को लिखे प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, सरकारी विभागों को लिखे गए पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि औपचारिक-पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्रों की भाषा सहज और शिष्टापूर्ण होती है। इन पत्रों में केवल काम या अपनी समस्या के बारे में ही बात कही जाती है।

  • 1 answers

Rajan Singh 4 years, 8 months ago

Sarvanaam ve sabd hote hai jo ki sanghya ki jagah par prayog me aate hai toh jo jo sabd sanghya ki jagah par prayog kiye gaye hai vahi sarvannam hai
  • 5 answers

Mr. X Sharma 4 years, 8 months ago

Haaldar sahab prati din kastube se hokar netaji subhash chandra bose ki murti dekhne jaaya karte the .

Ujjawal Mittal 4 years, 8 months ago

Netaji ki murti ke paas. Jo bina chasme vaali thi

Rajan Singh 4 years, 8 months ago

Netaji ke bina chasme vaali murti ke paas

Secret ??? 4 years, 8 months ago

No, its neta ji (SCB)

Anjali Kapoor 4 years, 8 months ago

Subash Chandra Boss
  • 1 answers

Yashika B. 4 years, 8 months ago

गणित में उनका मुख्य योगदान मुख्य रूप से विश्लेषण, खेल सिद्धांत और अनंत श्रृंखला में है। उन्होंने गेम थ्योरी की प्रगति के लिए प्रेरणा देने वाले नए और उपन्यास विचारों को प्रकाश में लाकर विभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए गहराई से विश्लेषण किया। ऐसी उनकी गणितीय प्रतिभा थी कि उन्होंने अपने स्वयं के प्रमेयों की खोज की। इस श्रृंखला ने आज उपयोग किए जाने वाले कुछ एल्गोरिदम का आधार बनाया है। ऐसा ही एक उल्लेखनीय उदाहरण है जब उन्होंने अपने रूममेट की द्विभाजित समस्या को एक ऐसे उपन्यास के साथ हल कर दिया जिसका उत्तर निरंतर अंश के माध्यम से समस्याओं के पूरे वर्ग को हल करता है। इसके अलावा उन्होंने कुछ पूर्व की अज्ञात पहचान भी बनाईं जैसे कि हाइपरबोलिंडेंट सेक्रेटरी के लिए गुणांक को जोड़ना और पहचान प्रदान करना। रामानुजन को अपनी माता से काफी लगाव था। अपनी माँ से रामानुजन ने प्राचीन परम्पराओ और पुराणों के बारे में सीखा था। उन्होंने बहोत से धार्मिक भजनों को गाना भी सीख लिया था ताकि वे आसानी से मंदिर में कभी-कभी गा सके। ब्राह्मण होने की वजह से ये सब उनके परीवार का ही एक भाग था। कंगयां प्राइमरी स्कूल में, रामानुजन एक होनहार छात्र थे। बस 10 साल की आयु से पहले, नवंबर 1897 में, उन्होंने इंग्लिश, तमिल, भूगोल और गणित की प्राइमरी परीक्षा उत्तीर्ण की और पुरे जिले में उनका पहला स्थान आया। उसी साल, रामानुजन शहर की उच्च माध्यमिक स्कूल में गये जहा पहली बार उन्होंने गणित का अभ्यास कीया। Srinivasa Ramanujan Childhood: 11 वर्ष की आयु से ही श्रीनिवास रामानुजन / Srinivasa Ramanujan अपने ही घर पर किराये से रह रहे दो विद्यार्थियो से गणित का अभ्यास करना शुरू कीया था। बाद में उन्होंने एस.एल. लोनी द्वारा लिखित एडवांस ट्रिग्नोमेट्री का अभ्यास कीया। 13 साल की अल्पायु में ही वे उस किताब के मास्टर बन चुके थे और उन्होंने खुद कई सारे थ्योरम की खोज की। 14 वर्ष की आयु में उन्हें अपने योगदान के लिये मेरिट सर्टिफिकेट भी दिया गया और साथ ही अपनी स्कूल शिक्षा पुरी करने के लिए कई सारे अकादमिक पुरस्कार भी दिए गए और सांभर तंत्र की स्कूल में उन्हें 1200 विद्यार्थी और 35 शिक्षको के साथ प्रवेश दिया गया। गणित की परीक्षा उन्होंने दिए गए समय से आधे समय में ही पूरी कर ली थी। और उनके उत्तरो से ऐसा लग रहा था जैसे ज्योमेट्री और अनंत सीरीज से उनका घरेलु सम्बन्ध हो। रामानुजन ने 1902 में घनाकार समीकरणों को आसानी से हल करने के उपाय भी बताये और बाद में क्वार्टीक (Quartic) को हल करने की अपनी विधि बनाने में लग गए। उसी साल उन्होंने जाना की क्विन्टिक (Quintic) को रेडिकल्स (Radicals) की सहायता से हल नही किया जा सकता।
  • 4 answers

Yashika B. 4 years, 8 months ago

4. हरि हैं राजनीति पढ़ि आए। समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए। इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए। बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए। ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए। अब अपनै मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए। ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए। राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए। -->गोपियाँ कहती हैं कि कृष्ण तो किसी राजनीतिज्ञ की तरह हो गये हैं। स्वयं न आकर ऊधव को भेज दिया है ताकि वहाँ बैठे-बैठे ही गोपियों का सारा हाल जान जाएँ। एक तो वे पहले से ही चतुर थे और अब तो लगता है कि गुरु ग्रंथ पढ़ लिया है। कृष्ण ने बहुत अधिक बुद्धि लगाकर गोपियों के लिए प्रेम का संदेश भेजा है। इससे गोपियों का मन और भी फिर गया है और वह डोलने लगा है। गोपियों को लगता है कि अब उन्हें कृष्ण से अपना मन फेर लेना चाहिए, क्योंकि कृष्ण अब उनसे मिलना ही नहीं चाहते हैं। गोपियाँ कहती हैं, कि कृष्ण उनपर अन्याय कर रहे हैं। जबकि कृष्ण को तो राजधर्म पता होना चाहिए जो ये कहता है कि प्रजा को कभी भी सताना नहीं चाहिए।

Yashika B. 4 years, 8 months ago

3. हमारैं हरि हारिल की लकरी। मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी। जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री। सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी। सु तौ ब्याधि हमकौ लै आए, देखी सुनी न करी। यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी। --> गोपियाँ कहती हैं कि उनके लिए कृष्ण तो हारिल चिड़िया की लकड़ी के समान हो गये हैं। जैसे हारिल चिड़िया किसी लकड़ी को सदैव पकड़े ही रहता है उसी तरह उन्होंने नंद के नंदन को अपने हृदय से लगाकर पकड़ा हुआ है। वे जागते और सोते हुए, सपने में भी दिन-रात केवल कान्हा कान्हा करती रहती हैं। जब भी वे कोई अन्य बात सुनती हैं तो वह बात उन्हें किसी कड़वी ककड़ी की तरह लगती है। कृष्ण तो उनकी सुध लेने कभी नहीं आए बल्कि उन्हें प्रेम का रोग लगा के चले गये। वे कहती हैं कि उद्धव अपने उपदेश उन्हें दें जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में हमेशा से अचल है।

Yashika B. 4 years, 8 months ago

2. मन की मन ही माँझ रही। कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही। अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही। अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही। चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही। ‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही। --> इस छंद में गोपियाँ अपने मन की व्यथा का वर्णन ऊधव से कर रहीं हैं। वे कहती हैं कि वे अपने मन का दर्द व्यक्त करना चाहती हैं लेकिन किसी के सामने कह नहीं पातीं, बल्कि उसे मन में ही दबाने की कोशिश करती हैं। पहले तो कृष्ण के आने के इंतजार में उन्होंने अपना दर्द सहा था लेकिन अब कृष्ण के स्थान पर जब ऊधव आए हैं तो वे तो अपने मन की व्यथा में किसी योगिनी की तरह जल रहीं हैं। वे तो जहाँ और जब चाहती हैं, कृष्ण के वियोग में उनकी आँखों से प्रबल अश्रुधारा बहने लगती है। गोपियाँ कहती हैं कि जब कृष्ण ने प्रेम की मर्यादा का पालन ही नहीं किया तो फिर गोपियों क्यों धीरज धरें।

Yashika B. 4 years, 8 months ago

1. ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी। अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी। पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी। ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि, बूँद न ताकौं लागी। प्रीति नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी। ‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी। --> इन छंदों में गोपियाँ ऊधव से अपनी व्यथा कह रही हैं। वे ऊधव पर कटाक्ष कर रही हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऊधव तो कृष्ण के निकट रहते हुए भी उनके प्रेम में नहीं बँधे हैं। गोपियाँ कहती हैं कि ऊधव बड़े ही भाग्यशाली हैं क्योंकि उन्हें कृष्ण से जरा भी मोह नहीं है। ऊधव के मन में किसी भी प्रकार का बंधन या अनुराग नहीं है बल्कि वे तो कृष्ण के प्रेम रस से जैसे अछूते हैं। वे उस कमल के पत्ते की तरह हैं जो जल के भीतर रहकर भी गीला नहीं होता है। जैसे तेल से चुपड़े हुए गागर पर पानी की एक भी बूँद नहीं ठहरती है, ऊधव पर कृष्ण के प्रेम का कोई असर नहीं हुआ है। ऊधव तो प्रेम की नदी के पास होकर भी उसमें डुबकी नहीं लगाते हैं और उनका मन पराग को देखकर भी मोहित नहीं होता है। गोपियाँ कहती हैं कि वे तो अबला और भोली हैं। वे तो कृष्ण के प्रेम में इस तरह से लिपट गईं हैं जैसे गुड़ में चींटियाँ लिपट जाती हैं।
  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 8 months ago

(क) दूब पर पड़ने वाले पाँव किन बच्चों के हो सकते हैं?

<div style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; margin-left: 25px; user-select: initial !important;">(i) जो अभी बहुत छोटे हैं
(ii) जो समृद्ध परिवार से हैं
(iii) जो शिक्षित परिवार से हैं
(iv) जो गरीब परिवार से हैं</div>


(ख) 'वे अपना भविष्य बीन रहे हैं' का तात्पर्य है :

<div style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; margin-left: 25px; user-select: initial !important;">(i) कूड़ा बीन कर गरीब बच्चे जीवन चलाते हैं
(ii) वे कूड़े में रहते हैं
(iii) असंख्य बच्चे सुख नहीं पाते
(iv) गलियों में बच्चे अपना भविष्य बनाते हैं</div>


(ग) एक मेज़ है/ सिर्फ़ छह बच्चों के लिए/ और उनके सामने/ उतने ही अंडे और उतने ही सेब हैं/ एक कटोरदान है सौ बच्चों के बीच/ और हज़ारों बच्चे एक हाथ में रखी आधी रोटी को/ दूसरे से तोड़ रहे हैं

<div style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; margin-left: 25px; user-select: initial !important;">उपर्युक्त पंक्तियों में कवि किस असमानता की बात कर रहा है?</div> <div style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; margin-left: 25px; user-select: initial !important;">(i) धार्मिक असमानता
(ii) सामाजिक असमानता
(iii) आर्थिक असमानता
(iv) शैक्षिक असमानता</div>


(घ) कवि किस बात से निराश हो गया है?

<div style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; margin-left: 25px; user-select: initial !important;">(i) नैतिक मूल्य कहीं खो गए हैं
(ii) असीम सत्ता को लोग पहचानते नहीं
(iii) न्याय पाने के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है
(iv) बच्चों की पोशाकों में भी बहुत अंतर है</div>


(ङ) कवि हमें किस वास्तविकता से परिचित करवाता है :

<div style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; margin-left: 25px; user-select: initial !important;">(i) समाज में असमानताएँ हैं और ईश्वर को चिंता नहीं है
(ii) बातें सिर्फ़ कागज़ी हैं, चापलूसी और जोड-तोड़ का धंधा फल-फूल रहा है
(iii) यदि सत्य होता तो सच में न्यायाधीश अपना काम करते
(iv) बहुत से बच्चे होटलों में काम करने को मजबूर हैं</div>

 

<div class="solutions" id="boardpapersol267933" style="color: rgb(33, 33, 33); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: 16px; user-select: initial !important;"> <div class="solutionHeading newSolHead" style="color: rgb(0, 151, 105); text-transform: uppercase; font-size: 1.2rem; margin-top: 10px; margin-bottom: 5px; user-select: initial !important;">SOLUTION:</div> (क) (ii) जो समृद्ध परिवार से हैं 
(ख) (i) कूड़ा बीन कर गरीब बच्चे अपना जीवन चलाते हैं
(ग) (iii) आर्थिक समानता
(घ) (i) नैतिक मूल्य कहीं खो गए हैं
(ङ) (i) समाज में असमानताएँ हैं और ईश्वर को चिंता नहीं है।</div>
  • 2 answers

Sunny Kumar Rajak 4 years, 8 months ago

ऐसा भी and होता है। Ka ?

Yashika B. 4 years, 8 months ago

बालगोबिन भगत की संगीत साधना का उत्कर्ष उस दिन देखा गया जिस दिन उनके पुत्र की मृत्यु हुई और ऐसे हृदयविदारक अवसर पर भी बालगोबिन का गायन बंद नहीं हुआ।
  • 1 answers

Mr. X Sharma 4 years, 8 months ago

12/04/2020 प्रातः 8 बजे प्रिय __________ , तुमने अपने जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं । आशा करती हूं / करता हूं कि तुम्हारा जीवन खुशियों से भर जाए । तुम जग में खूब नाम कमा ओ । अपने हर काम में सफलता पाओ । तुम्हारा पूरा साल खुशियों से भरा हो । तुम्हारी बहन / तुम्हारा भाई ______
  • 1 answers

Yashika B. 4 years, 8 months ago

इन पंक्तियों में लक्ष्मण अभिमान में चूर परशुराम स्वभाव पर व्यंग्य किया है। लक्ष्मण मुस्कुराते हुए कहते हैं कि आप मुझे बार-बार इस फरसे को दिखाकर डरा रहे हैं। ऐसा लगता है मानो आप फूँक मारकर पहाड़ उड़ाना चाहते हों।
  • 1 answers

Ayansh Kharya 4 years, 8 months ago

Padai
  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 8 months ago

प्रसंग- प्रस्तुत पद भक्त सूरदास के द्वारा रचित ‘सूरसागर’ के भ्रमरगीत से लिया गया है जिसे हमारी पाठ्‌य-पुस्तक में संकलित किया गया है। श्रीकृष्ण के द्वारा भेजे गए उद्धव ने गोपियों को ब्रज में संदेश सुनाया था जिसे सुनकर वह हताश हो गई थीं। वे तो श्रीकृष्ण को ही अपना एकमात्र सहारा मानती थीं पर उन्हीं के द्वारा भेजा हुआ हृदय-विदारक संदेश सुन कर वे पीड़ा और निराशा से भर उठी थीं। उन्होंने कातर स्वर में उद्धव से कहा था ।

व्याख्या- हे उद्धव! हमारे मन में छिपी बात तो मन में ही रह गई है अर्थात् वे तो सोचती थीं कि जब श्रीकृष्ण वापिस आएंगे तब वे उन्हें विरह-वियोग में झेले सारे कष्टों की बातें सुनाएंगी पर अब तो उन्होंने निराकार ब्रह्म को प्राप्त करने का संदेश भेज दिया है। अब उन के द्वारा त्याग दिए जाने पर हम अपनी असहनीय विरह-पीड़ा की कहानी किसे जा कर सुनाएं? अब तो हम से यह और अधिक कही भी नहीं जाती। अब तक हम उन के वापिस लौटने की अवधि के सहारे अपने तन और मन से इस विरह-पीड़ा को सहती आ रही थीं। अब तो इन योग के संदेशों को सुन कर हम विरहिनियां वियोग में जलने लगी हैं। विरह के सागर में डूबती हुई हम गोपियों को जहाँ से सहायता मिलने की आशा थी और जहाँ हम अपनी रक्षा के लिए पुकार लगाना चाहती थीं अब उसी स्थान से योग संदेश रूपी जल की ऐसी प्रबल धारा बही है कि यह हमारे प्राण लेकर ही रुकेगी अर्थात् श्रीकृष्ण ने हमें भुला कर योग साधना करने का संदेश भेज कर हमारे प्राण ले लेने का कार्य किया है। हे उद्धव! तुम्हीं बताओ कि अब हम धैर्य धारण कैसे करें? जिन श्रीकृष्ण के लिए हम ने अपनी अन्य सभी मर्यादाओं को त्याग दिया था अब उन्हीं श्रीकृष्ण के द्वारा हमें त्याग देने से हमारी संपूर्ण मर्यादा नष्ट हो गई है।

  • 1 answers

Yashika B. 4 years, 8 months ago

Please don't forget to draw a box otherwise you will not get marks and draw a car also to make your vigyan more attractive.
  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 8 months ago

) कॉलेज का अनुशासन बिगाड़ने के आरोप में थर्ड इयर की कक्षाएँ बंद कर दी गई और लेखिका और उनकी सहयोगियों का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया। लेकिन छात्राओं के हुड़दंग मचाने पर उन पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया। यही खुशी स्वतंत्रता मिलने की खुशी में समा गई। व्याख्यात्मक हल: कॉलेज वालों ने शीला अग्रवाल और मन्नू भंडारी की गतिविधियों को देखकर उन्हें कॉलेज से निकाल दिया। इस प्रकार कॉलेज का अनुशासन बिगाड़ने के आरोप में थर्ड इयर की कक्षाएँ बंद कर दी गई और लेखिका और उनकी सहयोगियों का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया, लेकिन कॉलेज से बाहर रहते हुए भी लेखिका और छात्राओं ने इतना हुड़दंग मचाया कि कॉलेज वालों को हार मानकर अगस्त में थर्ड ईयर की कक्षाएँ फिर चालू करनी पड़ीं। यही खुशी स्वतंत्रता मिलने की खुशी में समा गई

  • 3 answers

Sumesh ☺️☺️☺️ 4 years, 8 months ago

Black board

Purvasha Sehrawat 4 years, 8 months ago

Shri krishn phle se adhik budhiman ho gye h v unhone rajneeti padh li h or vh aneeti krne lge h

Ritika Kumari 4 years, 8 months ago

Unhone rajneti pad li h
  • 4 answers

Sunny Kumar Rajak 4 years, 8 months ago

Hindi main meri patati hai yr

Sumesh ☺️☺️☺️ 4 years, 8 months ago

Black board

Sumesh ☺️☺️☺️ 4 years, 8 months ago

Black ki vedio dekho this will help you

Kajal Prajapati 4 years, 8 months ago

Read the book and do practice nothing other than it
  • 1 answers

Gaurav Seth 4 years, 8 months ago

(1) औपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Formal Message Writing)

                            संदेश

दिनांक : …….                          समय : ……

संबोधन ………

विषय (जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं )………………………………………..

………………………………………………………………………………………………

…………………………………..

अपना नाम 

(2)   अनौपचारिक संदेश लेखन का प्रारूप (Format For Informal Message Writing)

                           संदेश

दिनांक : …….                          समय : ……

विषय (जिस विषय हेतु सन्देश दे रहे हैं , वो लिखें )

…………………………………………………………….

…………………………………………………………….

और अपना  नाम 

संदेश लेखन उदाहरण 

अनौपचारिक संदेश व औपचारिक संदेश लेखन के कुछ उदाहरण (Example of Formal and Informal Message Writing)

उदाहरण

गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर देशवासियों के लिए एक संदेश लिखें। 

  • 2 answers

Good Day 4 years, 8 months ago

पदों का व्याकरणिक परिचय ही पद परिचय कहलाता है । जैसे : राम = एकवचन , पुल्लिंग , कर्ता कारक इत्यादि।

Ashish Dhingra 4 years, 8 months ago

Gannd
  • 3 answers

Good Day 4 years, 8 months ago

मुझसे राधा को प्यार किया जाता है ।

Saumya Srivastava 4 years, 8 months ago

Sir vachya Kiya hote hai

Toni Bleyar 4 years, 8 months ago

मेरे द्वारा राधा को बहुत प्यार किया जाता है।
  • 2 answers

Bhawna Sharma 4 years, 8 months ago

ha yhe right h?

Yashika B. 4 years, 8 months ago

1 श्रृंगार. रति 2 हास्य हास 3. करुण शोक 4 रौद्र. क्रोध 5 वीर उत्साह 6 भयानक भय 7. वीभत्स. जुगुप्सा 8 अद्भुत. विस्मय 9. शांत. निर्वेद 10. वात्सल्य. वत्सलता 11 भक्ति रस अनुराग
  • 0 answers
  • 2 answers

Heena Jamini 4 years, 8 months ago

नवाब साहब के द्वारा लेखक से कीड़े खाने के लिए पूछने पर भी लेखक ने मना कर दिया क्योंकि नवाब साहब मन से लेखक के प्रति खुश नहीं थे विवेक के बहार जाने से उनके एकांत में विघ्न हो गया था इसीलिए वे अंतर्मन से खुश नहीं थे और इसी औपचारिकता को दर्शाने के लिए लेखक ने भी खिरे खाने के लिए मना करते

Gaurav Seth 4 years, 8 months ago

Answer:

नवाब साहब ने औपचारिकता पूरी करने के लिए लेखक से खीरे खाने के लिए पूछा था। चूँकि नवाब साहब सिर्फ बाहरी रुप से ही मिलनसार होने का दिखावा कर रहे थे। इसलिए लेखक ने भी औपचारिकता दिखाते हुए खीरे खाने के लिए मना कर दिया।

  • 1 answers

Heena Jamini 4 years, 8 months ago

गोपियां उधव के साथ वार्तालाप करते हुए कहती हैं कि यह दो तुम तो बड़े भाग्यशाली हो तुम प्रीति नदी अर्थात श्री कृष्ण के पास रहते हुए भी उनके प्रेम से प्रभावित नहीं हो हम तो भोले भाले गोपीका ए हैं हम तो उनकी प्रीति नदी में डूबे हुए हैं हमें योग संदेश कड़वी ककड़ी के समान प्रतीत होता है हमने तो श्रीकृष्ण को हार की लकड़ी की तरह जकड़े रखा है हम उन्हें किसी भी परिस्थिति में नहीं छोड़ सकती

myCBSEguide App

myCBSEguide

Trusted by 1 Crore+ Students

Test Generator

Test Generator

Create papers online. It's FREE.

CUET Mock Tests

CUET Mock Tests

75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app

Download myCBSEguide App