Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Brajesh Kumar 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
CBSE Class 10 Sample Papers 2021 - The Central Board of Secondary Education (CBSE) has released new sample papers with the marking scheme for the upcoming Board Exam 2021. All these sample papers are prepared according to the reduced CBSE syllabus. With the release of the CBSE sample papers, preparations for the board exam will take a kick start as students can now actually prepare according to the pattern followed in the sample papers
Click on the given link:
<a href="http://cbseacademic.nic.in/SQP_CLASSX_2020-21.html" rel="noopener" target="_blank">Class X 2020-2021 SQP and MS - CBSE | Academics Unit</a>
Posted by Shivam Raghuwanshi 4 years, 9 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
The removing barriers or restrictions set by the government is called liberalisation.
Posted by Palak Saini 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 9 months ago
The Great Depression was the greatest and longest economic recession in modern world history. It began with the U.S. stock market crash of 1929 and did not end until 1946 after World War II. Economists and historians often cite the Great Depression as the most catastrophic economic event of the 20th century.
Posted by Raj Kumar 4 years, 9 months ago
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Avtar Singh Avtar Singh S 4 years, 9 months ago
Posted by Bhawana Sampla 4 years, 9 months ago
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Raj Kumar 4 years, 9 months ago
Posted by Manisha Parmar 4 years, 9 months ago
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Posted by Parveen Kumar 4 years, 9 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
(i) भारत के पास संसाधनों की उपलब्धता में भारी विविधता है। ऐसे कई क्षेत्र हैं जो कुछ विशेष प्रकार के संसाधनों से समृद्ध हैं, लेकिन कुछ अन्य संसाधनों की कमी है।
(ii) झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश राज्य खनिजों और कोयले के भंडार से समृद्ध हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे के विकास में कमी है।
(iii) पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य मिट्टी में समृद्ध हैं, लेकिन उनमें खनिजों की कमी है।
Posted by . . 4 years, 9 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
सामान्यतः उत्पादक एवं व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण निम्नलिखित प्रकार से करते हैं –
(1) मिलावट एवं अशुद्धता – मिलावट का आशय है वस्तु में कुछ सस्ती वस्तु का मिला देना। इससे कई बार उपभोक्ता के स्वास्थ्य को हानि होती है। चावल में सफेद कंकड़, मसालों में रंग, तुअर दाल में खेसरी दाल तथा अन्य महँगे खाद्य पदार्थ में हानिकारक वस्तुओं की मिलावट अधिक लाभ अर्जन के उद्देश्य से की जाती है।
(2) अधिक मूल्य – प्रायः दुकानदार निर्धारित फुटकर कीमत से अधिक मनमानी कीमत ले लेते हैं। अक्सर देखा गया है कि जब हम एक दुकान से महँगी वस्तु खरीद लेते हैं और वही वस्तु दूसरी किसी दुकान में कम कीमत में मिल जाती है। यदि हम अंकित मूल्य दिखाते हैं तो वह कोई कारण बता देता है; जैसे – स्थानीय कर आदि।
झूटी अथवा अधूरी जानकारी – उत्पादक एवं विक्रेता कई बार ग्राहकों को गलत या अधूरी जानकारी देते हैं। इससे ग्राहक गलत वस्तु खरीदकर फंस जाते हैं और उनका पैसा बेकार चला जाता है। वस्तु की कीमत, गुणवत्ता, अन्तिम तिथि, पर्यावरण पर प्रभाव, क्रय की शर्ते आदि के विषय में सम्पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती है। वस्तु को खरीदने के बाद उपभोक्ता परेशान होता रहता है।
(4) घटिया गुणवत्ता – जब कुछ वस्तुएँ बाजार में चल जाती हैं तो कुछ बेईमान उत्पादक जल्दी धन कमाने की लालसा में उनकी बिल्कुल नकल उतारकर बाजार में नकली माल चला देते हैं। ऐसे में दुकानदार भी ग्राहक को घटिया सामान दे देते हैं क्योंकि ऐसी वस्तुएँ बेचने में उन्हें अधिक लाभ रहता है। इस प्रकार उपभोक्ता ठगा जाता है और उसका शोषण होता है।
(5) माप-तौल में गड़बड़ी – माप-तोल में विक्रेता कई प्रकार से गड़बड़ियाँ करते हैं; जैसे-बाँट के तले को खोखला करना, उसका वजन वांछित से कम होना, बाँट के स्थान पर पत्थर का उपयोग करना, लीटर के पैमाने का तला नीचे से मोटा या ऊपर की ओर उठा हुआ होना, तराजू के पलड़े के नीचे चुम्बक लगा देना आदि। इस प्रकार उपभोक्ता जितना भुगतान करता है उसके बदले में उसे वस्तु उचित मात्रा में प्राप्त नहीं होती है।
(6) बिक्री के पश्चात् असन्तोषजनक सेवा – जब तक उपभोक्ता वस्तु खरीद नहीं लेता, उसे तरह-तरह के लालच एवं बाद में प्रदान की जाने वाली सेवाओं का आकर्षण दिया जाता है किन्तु बाद में सेवाएँ उचित समय में प्रदान नहीं की जाती हैं तथा उपभोक्ताओं की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। परिणामस्वरूप उपभोक्ता परेशान होता रहता है।
Posted by Avtar Singh Avtar Singh S 4 years, 9 months ago
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Posted by Shivam Singh 4 years, 9 months ago
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Posted by Gunjan Gheswal 4 years, 9 months ago
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Posted by Gagan Gamer 4 years, 9 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
The Treaty of Constantinople is the treaty that recognized Greece as an independent nation.
the treaty took place in the year 1832
Posted by Deepanshu Singh 4 years, 9 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
- Kolkata was the best place to set up a jute mill as the neighbouring places of Kolkata had the raw materials for the production of Jute.
- There was an adequate supply of labour, ample coal for power, and the city was ideally situated for shipping to world markets.
- Rishra was the first jute mill established in Kolkata in the year 1855.
- By the end of the year 1869 five mills were established with 950 operating looms.
- The trading of Jute is centred around the Indian Subcontinent.
Posted by Ankit . 4 years, 9 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 9 months ago
यूरोप के कुलीन वर्ग की विशेषतायें
- जीवन जीने की समान शैली
- भू-स्वामित्व
- कूटनीतिक भाषा
- आपस में वैवाहिक सम्बन्ध
Posted by Rohit Pal 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
(i) कुच्छ में कांडला आजादी के तुरंत बाद विकसित किया गया पहला बंदरगाह था।
(ii) इसे मुंबई बंदरगाह पर यातायात की मात्रा को कम करने के लिए विकसित किया गया था।
(iii) यह एक ज्वारीय बंदरगाह है।
(iv) यह अत्यधिक उत्पादक अनाज और औद्योगिक राज्यों के निर्यात और आयात को पूरा करता है।
Posted by 26 Xa Reena Charpot Jnv Gandhinagar 4 years, 10 months ago
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Posted by Udghosh Vimal 4 years, 10 months ago
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Avtar Singh Avtar Singh S 4 years, 9 months ago
Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
Biotic resources: - The resources which are provided from the biosphere are called biotic resources.
Examples: - Fish, Flora and fauna.
Abiotic resources: - All the things which are non-living are called abiotic resources.
Examples: Rocks and metals.
Posted by Jatin Mahour 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
सार्वजनिक सुविधाएं बड़े पैमाने पर समुदाय के लिए आवश्यक सुविधाएं हैं और सरकार द्वारा प्रदान की जाती हैं।
महत्त्व:
वे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि जैसी कई सेवाएँ हैं, जो सामूहिक रूप से प्रदान की जाने पर सस्ती और सस्ती हो गई हैं।
सार्वजनिक सुविधाओं के उदाहरण: रेल परिवहन और - सरकारी स्कूल
Posted by Suyash Jadhav 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
- वनीकरण
- चराई पर नियंत्रण के लिए चराई का उचित प्रबंधन।
- पौधों की आश्रय पट्टियों का रोपण।
- कांटेदार झाड़ियों को बढ़ाकर रेत के टीलों का स्थिरीकरण।
- खनन गतिविधियों पर नियंत्रण।
- उपचार के बाद औद्योगिक अपशिष्टों और कचरे का उचित निर्वहन और निपटान।
- अपशिष्ट-भूमि का उचित प्रबंधन।
- अति-सिंचाई से बचें, विशेष रूप से शुष्क क्षेत्रों में।
- उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से बचें।
Posted by Prachi Agrawal 4 years, 7 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
गांधी जी ने प्रस्ताव रखा कि आंदोलन को चरणों में प्रकट करना चाहिए:
- पहला चरण: सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले खिताबों का आत्मसमर्पण।
- दूसरा चरण: सिविल सेवाओं, सेना, पुलिस, अदालतों और विधान परिषदों, स्कूलों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
- तीसरा चरण: तब, जब सरकार दमन का इस्तेमाल करती है, तो एक पूर्ण सविनय अवज्ञा अभियान शुरू किया जाएगा।
Posted by Shafia Khanam 4 years, 10 months ago
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Rohan N.T Rao 4 years, 10 months ago
Posted by Shubham Kumar 4 years, 10 months ago
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Sumit Rathor 4 years, 10 months ago
Posted by Kunal Yadav 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
कुछ गरीब भूमिहीन ग्रामीणों ने अपनी आर्थिक भलाई के लिए कुछ जमीन की मांग की। विनोबा भावे आश्वासन नहीं दे सके, लेकिन सरकार से इस संबंध में बात करने का आश्वासन दिया। अचानक श्री राम चंद्र रेड्डी ने खड़े होकर 80 भूमिहीन ग्रामीणों के बीच 80 एकड़ भूमि वितरित करने की पेशकश की। इस अधिनियम को 'भूदान' के नाम से जाना जाता था। इसी तरह, कुछ ज़मींदार, कई गाँवों के मालिक, कुछ गाँवों को भूमिहीनों के बीच बाँटने की पेशकश करते हैं। इसे 'ग्रामदान' के नाम से जाना जाता था।
इस ग्रामदान और भूदान आंदोलन की शुरुआत विनोबा भावे ने की थी। इसे 'रक्तहीन क्रांति' के रूप में भी जाना जाता है।
Posted by Ankit Kumar 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
संसाधन
• हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में उपयोग की जाती है और जिसको बनाने के लिए तकनीक उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप से संभाव्य तथा सांस्कृतिक रूप से मान्य है, एक संसाधन कहलाता है।
संसाधनों का वर्गीकरण
• संसाधनों का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है-
→ उत्पत्ति के आधार पर- जैव संसाधन, अजैव संसाधन
→ समाप्यता के आधार पर - नवीकरणीय संसाधन, अनवीकरणीय संसाधन
→ स्वामित्व के आधार पर - व्यक्तिगत संसाधन, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन, राष्ट्रीय संसाधन
→ विकास के स्तर के आधार पर- संभावी संसाधन, विकसित संसाधन, भंडार, संचित कोष
अधिक के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
भूगोल - संसाधन एवं विकास | <a href="https://mycbseguide.com/downloads/getcontentfile/9222/">Download</a> |
Posted by Rohit . 4 years, 10 months ago
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Alok Jha😊😁 4 years, 9 months ago
Simran Kumari 4 years, 9 months ago
Posted by Jagpal Sahani 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
Rajiv Gandhi in 1984 became the youngest Prime Minister of India after the assassination of his mother. He was born on 20 August, 1944, and was the eldest son of Feroz Gandhi and Indira Gandhi. For pursuing an Engineering degree he studied at Trinity College, Cambridge but was not able to complete his degree. Then he went to Imperial College London. He entered politics in 1980 after the death of his brother Sanjay Gandhi.
Posted by Shahazd K 4 years, 10 months ago
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Prajnasree Behera 4 years, 10 months ago
Posted by Taruna Shakir 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
लोकतंत्र में विपक्षी दल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
(i) यह दबाव समूह के रूप में कार्य करता है।
(ii) यह सरकार को जुटाता है।
(iii) यह सत्तारूढ़ दल के कामकाज पर नज़र रखता है।
(iv) यह संसद में अलग-अलग विचार रखता है और अपनी विफलताओं या गलत नीतियों के लिए सरकार की आलोचना करता है।
Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
संसदीय लोकतंत्र की सफलता की एक आवश्यक शर्त यह है की एक संगठित विपक्षों दल अवश्य रहे | भारत का यह दुर्भाग्य रहा है की ब्रिटेन और अमेरिका की तरह यहाँ ऐसा कोई विरोधी दल नहीं हैं जो अकेले अपनी सरकार बनाने में समर्थ हो सके | भारत में राजनीतिक दलों के ध्रुवीकरण की दिशा में कभी ठोस कदम नहीं उठाया जा सका | जयप्रकाश नारायण के प्रयास के फलस्वरूप 1977 के चुनाव के अवसर पर पहली बार विपक्ष ने जनता पार्टी के रूप में उभरकर सत्ता प्राप्त की | परंतु, कालांतर में इस दल ने भी अपने को एक गठबंधन सिद्ध कर दिया और बिखरकर पुनः कई दलों में विभक्त हो गया | प्रतिपक्षी एकता के प्रयास के फलस्वरूप 1983 में भारतीय जनता पार्टी और लोकदल द्वारा राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक मोर्चा तथा जनता पार्टी का कांग्रेस (स), लोकतान्त्रिक सामाजिक दल और राष्ट्रवादी कांग्रेस द्वारा गठित संयुक्त मोर्चा बना, परंतु यह कांग्रेस (इ) का विकल्प नहीं बन सका | कुछ हद तक चुनावी तालमेल में भले ही इन्हे सफलता मिली, परंतु, भारतीय राजनीति में इनकी कोई स्पष्ट भूमिका देखने को नहीं मिल सकी |
1966 तक कांग्रेस (इ) पार्टी शसक्त बनी रही, परंतु 1966 के बाद लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी एक सशक्त दल के रूप में उभरकर आई और कांग्रेस (इ) को विपक्ष की ही भूमिका निभाने के लिए बाध्य होना पड़ा | 2004 में परिस्थिति में हल्का परिवर्तन हुआ और 2004 के लोकसभा चुनाव में सदन में सर्वाधिक स्थान पानेवाली पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ही रही | कई दलों को मिलाकर एक संयुक्त
प्रगतिशील गठबंधन बना और केंद्र में इसी गठबंधन की सरकार बनी | इस प्रकार आठ वर्षों के अंतराल के बाद कांग्रेस पुनः सत्तारूढ़ दल की श्रेणी में आ गई | भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए बाध्य होना पड़ा | 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्त्ववाले गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने के बाद कोई भी दल विरोधी दल का दर्जा पाने में असमर्थ रहा |
Posted by Yash Rajpoot 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 8 months ago
भारत एक संघीय देश है। इसमें केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारें हैं।
आजादी के बाद, केवल कुछ ही दल थे जिन्होंने केंद्र और राज्य स्तरों पर सरकारें बनाईं। जब प्रतिद्वंद्वी दलों ने राज्य स्तर पर सरकार बनाई, तो केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को बर्खास्त करके अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने की कोशिश की। इससे हमारे संविधान की संघीय भावना कमजोर हुई।
हालाँकि, 1990 के बाद हालत में सुधार हुआ जब कई क्षेत्रीय दल विभिन्न राज्यों में उभरे।
इसने गठबंधन सरकार की शुरुआत को भी चिह्नित किया। दो या दो से अधिक दलों ने स्पष्ट बहुमत की अनुपस्थिति में केंद्र में सरकार बनाई। इससे राज्य सरकारों के स्वतंत्र कामकाज को साझा करने और सम्मान करने का एक नया युग शुरू हुआ।
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Pawan Kanase 4 years, 9 months ago
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