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Indrani Sahu 4 years, 1 month ago

बहाव शब्द का प्रत्यय -आव
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Shree Kushwaha 4 years, 2 months ago

Mridulla garg

Gaurav Seth 4 years, 2 months ago

मेरे संग की औरतें : मृदुला गर्ग 

 'मेरे संग की औरतें', में लेखिका बताती हैं कि उनके घर में कुछ लोग अंग्रेजों का समर्थन करते थे तो कुछ लोग भारतीय नेताओं का पक्ष लेते थे। पर बहुमति होने के बाद भी घर में किसी तरह की संकीर्णता नहीं थी। सब लोग अपने निज विचारों को बनाये रख सकते थे।  

      लेखिका के नाना अंग्रेजों के पक्ष में थे। परन्तु उनकी नानी जिनको लेखिका ने कभी नहीं देखा था अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से मिली थीं।  उसके उपरांत उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह किसी क्रांतिकारी से करने की इच्छा प्रकट करी थी। इस प्रकार लेखिका की नानी जो जीवन भर परदे में रहीं थीं, हिम्मत करके एक अनजान व्यक्ति से मिलीं। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए पवित्र भावना प्रकट करी। उनके साहसी व्यक्तित्व और स्वतंत्रता की भावना से लेखिका प्रभावित हुईं।

      लेखिका की दादी के मन में लड़का और लडकी में भेद नहीं था। उनके परिवार में कई पीढ़ियों से किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ था। संभव है कि इसी कारण परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लडकी पैदा होने की मन्नत माँगी थी। 

      लेखिका की माँ नाज़ुक और सुंदर थीं। वे स्वतंत्र विचारों की महिला थीं। ईमानदारी, निष्पक्षता और सचाई उनके गुण थे। उन्होंने अन्य माताओं के समान अपनी बेटी को अच्छे बुरे की सीख नहीं दी और न खाना पकाकर खिलाया। वे अपना अधिकांश समय अध्यन और संगीत को समर्पित करती थीं। वे झूठ नहीं बोलती थीं और इधर की बात उधर नहीं करती थीं। लोग हर काम में उनकी राय लेते और उसका पालन करते थे।

      लेखिका और उनकी बहन एकांत प्रिय स्वभाव की थीं। वे जिद्दी थीं पर सही बात के लिए जिद करती थीं। उनकी जिद के फलस्वरूप लोगों को कर्नाटक में स्कूल खोलने की प्रेरणा मिली।

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Wait for long time OK ?

Shree Kushwaha 4 years, 2 months ago

Bahut bahut jaldi

Swati Saini 4 years, 2 months ago

Jaldi

Akshita Nagpal 4 years, 2 months ago

Ye question mat pucho bhai ??

Devashish Pandey 4 years, 2 months ago

Kabhi nhi??????????????lagta to esa hi hai????????
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Shani Baishwade 4 years, 2 months ago

No way
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Yash Gaikwad 4 years, 2 months ago

1.मुश्किल समय में दोस्तों का साथ नहीं छोड़ना। 2. एक साथ मिलकर परिश्रम करना। 3. अपने मालिक के प्रति जागरूक और वफादार होना। 4. सदैव दूसरो मदद करना।

Aman Maurya 4 years, 2 months ago

1.मुश्किल समय में दोस्तों का साथ नहीं छोड़ना। 2. एक साथ मिलकर परिश्रम करना। 3. अपने मालिक के प्रति जागरूक और वफादार होना। 4. सदैव दूसरो मदद करना।
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Shree Kushwaha 4 years, 2 months ago

धडियाल एक कसाई था , इसलिए हीरा और मोती उसे देखकर भयभीत हो जाते थे

Aman Maurya 4 years, 2 months ago

धडियाल एक कसाई था, इसलिए उसे देखकर भयभीत हो जाते थे।
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Indrani Sahu 4 years, 1 month ago

अगर कोई गाय /बैल(पशु) ऐसे ही आवारा घुमता रहता है तो उसे पकड़ कर जिस जगह में बंद करते है या रखते हैं उस स्थान को कांजीहाउस कहा जाता है। वहाँ पर उसे उतना ही खाने को दिया जाता है जितना में वो ज़िंदा रहे।

Devashish Pandey 4 years, 2 months ago

Haa

Shree Kushwaha 4 years, 2 months ago

Kanjihouse pashuon Ka ek kaidkhana hai jaha unhe rakha jata hai
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Palak Sahu 4 years, 2 months ago

कालिंदी कूल कदंब की डारन
नव गति नव लय ताल छंद नव.........

Gayatri Bhardwaj 4 years, 2 months ago

Raghu Pati Raghav Raja Ram
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Indrani Sahu 4 years, 1 month ago

गोपी कृष्ण की मुरली को अपने अधर से लगाने से इंकार करती हैं क्योंकि वे उसे अपनी सौतन समझते हैं।
Gopi Kanha ki vanshi ko apne adhar se lagane se mana karti h,qunki vah vanshi se sautiya daah karti hai,quki vanshi hamesha Krishna ke sameep rahti hai or vo Kanha ko sarv -priya hai.......

Pallavi Patel 4 years, 2 months ago

Please give me answer
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Gaurav Seth 4 years, 2 months ago

यह रचना लेखक जाबिर हुसैन द्वारा अपने मित्र स्लिम अली की याद में लिखा गया संस्मरण है। सलीम अली के मृत्यु से उत्पन्न दुःख और अवसाद को लेखक ने "साँवले सपनों की याद" के रूप में व्यक्त किया है। "साँवले सपने" मनमोहक इच्छाओं के प्रतीक हैं। सलीम अली जीवन-भर सुनहरे पक्षियों की दुनिया में खोए रहे। वे उनकी सुरक्षा और खोज के सपनों में खोए रहे। इसलिए आज जब सलीम अली नहीं रहे तो लेखक को उन साँवले सपनों की याद आती है जो सलीम अली की आँखों में बसते थे ।

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Indrani Sahu 4 years, 1 month ago

अन + आचार

Gaurav Seth 4 years, 2 months ago

Q u e s t i o n : अनाचार शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए​ I

A n s w e r :

1. अन् + आचार

. उपसर्ग = अन्

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