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Ask QuestionPosted by Yogendra Kanwar 4 years, 5 months ago
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Posted by Riddhi Soni 4 years, 5 months ago
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Posted by Ritik Manglani 4 years, 5 months ago
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Posted by Ankit Kumar 4 years, 5 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 5 months ago
मेरे संग की औरतें : मृदुला गर्ग
'मेरे संग की औरतें', में लेखिका बताती हैं कि उनके घर में कुछ लोग अंग्रेजों का समर्थन करते थे तो कुछ लोग भारतीय नेताओं का पक्ष लेते थे। पर बहुमति होने के बाद भी घर में किसी तरह की संकीर्णता नहीं थी। सब लोग अपने निज विचारों को बनाये रख सकते थे।
लेखिका के नाना अंग्रेजों के पक्ष में थे। परन्तु उनकी नानी जिनको लेखिका ने कभी नहीं देखा था अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से मिली थीं। उसके उपरांत उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह किसी क्रांतिकारी से करने की इच्छा प्रकट करी थी। इस प्रकार लेखिका की नानी जो जीवन भर परदे में रहीं थीं, हिम्मत करके एक अनजान व्यक्ति से मिलीं। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए पवित्र भावना प्रकट करी। उनके साहसी व्यक्तित्व और स्वतंत्रता की भावना से लेखिका प्रभावित हुईं।
लेखिका की दादी के मन में लड़का और लडकी में भेद नहीं था। उनके परिवार में कई पीढ़ियों से किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ था। संभव है कि इसी कारण परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लडकी पैदा होने की मन्नत माँगी थी।
लेखिका की माँ नाज़ुक और सुंदर थीं। वे स्वतंत्र विचारों की महिला थीं। ईमानदारी, निष्पक्षता और सचाई उनके गुण थे। उन्होंने अन्य माताओं के समान अपनी बेटी को अच्छे बुरे की सीख नहीं दी और न खाना पकाकर खिलाया। वे अपना अधिकांश समय अध्यन और संगीत को समर्पित करती थीं। वे झूठ नहीं बोलती थीं और इधर की बात उधर नहीं करती थीं। लोग हर काम में उनकी राय लेते और उसका पालन करते थे।
लेखिका और उनकी बहन एकांत प्रिय स्वभाव की थीं। वे जिद्दी थीं पर सही बात के लिए जिद करती थीं। उनकी जिद के फलस्वरूप लोगों को कर्नाटक में स्कूल खोलने की प्रेरणा मिली।
Posted by Ankit Kumar 4 years, 5 months ago
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Posted by Khushi Sharma 4 years, 5 months ago
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Posted by S Toffeeq 4 years, 6 months ago
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Posted by Shani Baishwade 4 years, 6 months ago
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Devashish Pandey 4 years, 6 months ago
Posted by Mittal Bhadouriya 4 years, 6 months ago
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Posted by Vijay Kumar 4 years, 6 months ago
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Posted by Yash Gaikwad 4 years, 6 months ago
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Posted by Riddhi Soni 4 years, 6 months ago
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Yash Gaikwad 4 years, 6 months ago
Aman Maurya 4 years, 6 months ago
Posted by Riddhi Soni 4 years, 6 months ago
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Shree Kushwaha 4 years, 6 months ago
Posted by Riddhi Soni 4 years, 6 months ago
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Indrani Sahu 4 years, 5 months ago
Shree Kushwaha 4 years, 6 months ago
Posted by Sarthak Potdar 4 years, 6 months ago
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Posted by Resham Dame 4 years, 6 months ago
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Posted by Musahib Pathan Sahab 4 years, 6 months ago
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Posted by Pallavi Patel 4 years, 6 months ago
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Posted by Pallavi Patel 4 years, 6 months ago
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Posted by Pallavi Patel 4 years, 6 months ago
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Posted by Pallavi Patel 4 years, 6 months ago
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Indrani Sahu 4 years, 5 months ago
𝑺𝒖𝒓𝒂𝒃𝒉𝒊 𝑺𝒂𝒖𝒎𝒚𝒂 4 years, 5 months ago
Posted by Dhruv Kaushik 4 years, 6 months ago
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Posted by Princy Pawar 4 years, 6 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 6 months ago
यह रचना लेखक जाबिर हुसैन द्वारा अपने मित्र स्लिम अली की याद में लिखा गया संस्मरण है। सलीम अली के मृत्यु से उत्पन्न दुःख और अवसाद को लेखक ने "साँवले सपनों की याद" के रूप में व्यक्त किया है। "साँवले सपने" मनमोहक इच्छाओं के प्रतीक हैं। सलीम अली जीवन-भर सुनहरे पक्षियों की दुनिया में खोए रहे। वे उनकी सुरक्षा और खोज के सपनों में खोए रहे। इसलिए आज जब सलीम अली नहीं रहे तो लेखक को उन साँवले सपनों की याद आती है जो सलीम अली की आँखों में बसते थे ।
Posted by Ishika Gupta 4 years, 6 months ago
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Posted by Harman Buttar 4 years, 6 months ago
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Posted by Shradha Rastogi 4 years, 6 months ago
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Posted by Shradha Rastogi 4 years, 6 months ago
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Posted by Huzaifa Anis 4 years, 6 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 6 months ago
Q u e s t i o n : अनाचार शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए I
A n s w e r :
1. अन् + आचार
. उपसर्ग = अन्
Posted by Robert Frost 4 years, 6 months ago
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Yogendra Kanwar 4 years, 5 months ago
2Thank You