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Ask QuestionPosted by Gjk Ducukc 3 years, 11 months ago
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Posted by Keerthana Keer 3 years, 11 months ago
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Posted by Soniya Barman 3 years, 11 months ago
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Posted by Monika Pande 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
1. भारत तकनीकी दौड़ में निरंतर पिछड़ता जा रहा था।
2. भारतीयों में मानसिक सजगता और तकनीकी कौशल की कमी हो रही थी।
3. लोगों में आगे बढ़ने की लालसा व परिश्रम की चाह कम हो रही थी।
4. अनुकरण पद्धति बढ़ती जा रही थी।
5. कार्य करने की बजाए साहित्य को बढ़ावा मिलने लगा।
6. संकीर्ण रूढ़िवादी मानसिक धारणाएँ बढ़ती जा रही थीं।
7. भारत गतिहीनता व जड़ता की ओर बढ़ने लगा।
Posted by Subhadeep Mandal 3 years, 11 months ago
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Posted by Rahul Singla 3 years, 11 months ago
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Posted by Ankit Yadav 3 years, 11 months ago
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Posted by Lakshya Gupta 3 years, 11 months ago
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Namandeep Singh 3 years, 11 months ago
Yogita Ingle 3 years, 11 months ago
संज्ञा के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा – जो संज्ञा शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु स्थान या प्राणी का बोध कराते हैं, वे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
जैसे- रजनीश, लखनऊ, गंगा, हिमालय, कामायनी पूर्व, दिशा, दीपावली आदि।
2. जातिवाचक संज्ञा – जो संज्ञा शब्द अपनी संपूर्ण जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे – किसान, मजदूर, लेखक, मोर, गाय, हाथी, नदी, पर्व, पुस्तक, शहर, सैनिक, विद्यालय, देश, सड़क, बगीचा। ये सभी शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु, प्राणी या स्थान की ओर संकेत नहीं करते अपितु वे अपनी संपूर्ण जाति के लिए प्रयोग किए जाते हैं। ये सब जातिवाचक संज्ञा है।
3. भाववाचक संज्ञा – जो संज्ञा शब्द किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण, दोष, भाव, दशा व्यापार या मन के भाव का बोध कराए, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे – मानवता, मित्रता, प्यास, दया, अहिंसा, बुढ़ापा, मिठास, गरमी, सरदी, सुख-दुख, यौवन, बचपन आदि भाव है। इनका कोई मूर्त रूप या आकार नहीं होता, इन्हें केवल अनुभव किया जा सकता है। ये सभी भाववाचक संज्ञाएँ हैं।
Posted by Rinku Srivastav 3 years, 11 months ago
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Everything Here 3 years, 11 months ago
Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
हाज़िर: उपस्थित
सफ़र: यात्रा
डाकिन: डराने वाली
श्रद्धा: किसी के प्रति आदरए सम्मान और प्यार का भावद्ध
उमड़: जमा होना
वयोवृद्ध: बूढ़ी या पुरानी
निशान: चिन्ह
वृद्धावस्था: बुढ़ापा
कष्ट: परेशानी
सवार: चढ़ा
हिस्सेदार: साझेदार
गज़ब: आश्चर्य
विदा: आखिरी सलाम
रकं: गरीब
कूच करने: जाना
निमित्त: कारण
सविनय अवज्ञा आंदोलनों: गाँधी जी द्वारा चलाया गया 1921 का आंदोलन
ट्रेनिग: सीख
दौर: ज़माने
गुजर: चल
क्षीण: कमज़ोर
वृक्षों: पेड़
दयनीय: बेचारी
वृद्धा: बूढी
ग्लानि: खेद
प्राणांत: मरना
बियाबान: सुनसान
अंत्येष्टि: अंतिम क्रिया
Posted by Radha Rani 3 years, 11 months ago
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Posted by Srinidhi Ganesh 3 years, 11 months ago
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Posted by Srinidhi Ganesh 3 years, 11 months ago
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Posted by Lakshmi Maurya 3 years, 11 months ago
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Diksha Laniya🐥 3 years, 11 months ago
Posted by Saurya Raj 3 years, 11 months ago
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Diksha Laniya🐥 3 years, 11 months ago
Posted by Shivansh Prasad 3 years, 11 months ago
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Posted by Peter Parker 3 years, 11 months ago
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Sakshi Chouhan 3 years, 11 months ago
Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
संज्ञा वह शब्द है जो किसी व्यक्ति ,प्राणी ,वस्तु ,स्थान, भाव आदि के नाम के स्वरूप में प्रयुक्त होते हैं। अत: सभी नामपदों को संज्ञा कहते हैं।
Posted by Pankaj Sharma 3 years, 11 months ago
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Posted by Sparsh Mishra 3 years, 11 months ago
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Posted by Nafisha Khatoon 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
उत्तर - भारतीयों को इंग्लैंड में ब्रिटिश सेना के एक हिस्से कह्य प्रशिक्षण का खर्च वहन करना पड़ता था। इस राशि को 'कैपिटेशन चार्ज' कहा जाता है। इस चार्ज को भारतीयों दवारा वहन किया जाता था।
Posted by Free Fire Kaa Baap 4 years ago
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Posted by Pawan Singh Rathore 4 years ago
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Posted by Im Vishal 4 years ago
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Posted by Nutan Singh 4 years ago
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Posted by Shivangi Modanwal 3 years, 11 months ago
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Nutan Singh 4 years ago
Posted by Raghav Uppal 4 years ago
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Posted by Nishu Malik 4 years ago
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Tanishka Meena 3 years, 11 months ago
Sanchita Kudmethe 4 years ago
Yogita Ingle 4 years ago
लेखक के मामा के गाँव में लाख की चूड़ियाँ बनाने वाला कारीगर बदलू रहा करता था। वो लाख की बहुत सुन्दर चुड़ियाँ बनता था। परन्तु लेखक के लिए वह लाख की रंग बिंरगी सुन्दर गोलियाँ बनाकर दिया करता। जिसके कारण लेखक सदैव बदलू के पास जाता और यही कारण है कि लेखक को उसके मामा का गाँव भाता था।
बदलू को समस्त गाँव ही बदलू काका कहकर बुलाया करता था। इसलिए लेखक ने भी उनको काका कहना ही उचित समझा। बदलू उन्हें आम खाने को देता, मलाई खाने को देता।
Posted by Aryan Negi 4 years ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
Answer : पुल्लिंग
हिन्दी में केवल दो लिंग होते हैं-
पुल्लिंग - जो संज्ञापद पुरुष वर्ग के वाचक होते हैं, उन्हें पुल्लिंग कहते हैं। जैसे, लड़का, आदमी, घोड़ा, शेर, बकरा, राजा आदि।
स्त्रीलिंग - जो संज्ञापद स्त्री वर्ग के वाचक होते हैं, उन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे, लड़की, औरत, घोड़ी, शेरनी, बकरी, रानी आदि।
जाति, उपजाति, देश, देशवासी, सागर, वार और ग्रह के सूचक शब्द पुल्लिंग होते हैं।
<dl> <dd>वार - सोमवार, मंगलवार, बुधवार आदि।</dd> </dl> <dl> </dl>1Thank You