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Ask QuestionPosted by Karunya Kumar 3 years, 5 months ago
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Posted by Govind Parmar 3 years, 10 months ago
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Posted by Govind Parmar 3 years, 5 months ago
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Sia ? 3 years, 5 months ago
Posted by Govind Parmar 3 years, 10 months ago
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Posted by Banarasiya Don???? 3 years, 10 months ago
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Posted by Koushik K 3 years, 10 months ago
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Posted by Ritvi Kanwar 3 years, 10 months ago
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Posted by Vinay Kumar 3 years, 10 months ago
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K. G. F Gamer 3 years, 10 months ago
Posted by Ankur Bansal 3 years, 10 months ago
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Soumi Biswas 3 years, 10 months ago
Posted by Garima G 3 years, 10 months ago
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Posted by Priyanshi Barva 3 years, 10 months ago
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Posted by William Adam 3 years, 10 months ago
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Posted by William Adam 3 years, 10 months ago
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Posted by William Adam 3 years, 10 months ago
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Posted by William Adam 3 years, 10 months ago
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Posted by William Adam 3 years, 10 months ago
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Posted by Sujal Gupta 3 years, 10 months ago
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Posted by Sakshi Chouhan 3 years, 10 months ago
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Sanjeevani Goyan 3 years, 10 months ago
Posted by Sakshi Chouhan 3 years, 10 months ago
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Posted by Sakshi Chouhan 3 years, 10 months ago
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Posted by Pavan Mukkala 3 years, 10 months ago
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Posted by Gayatri Jena 3 years, 11 months ago
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Posted by Minsa Manoj 3 years, 11 months ago
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Vidya Trivedi 3 years, 10 months ago
Posted by Parveen Kumar 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
उत्तर:- कवि ने अपने आने को उल्लास इसलिए कहता है क्योंकि जहाँ भी वह जाता है मस्ती का आलम लेकर जाता है। वहाँ लोगों के मन प्रसन्न हो जाते हैं।
पर जब वह उस स्थान को छोड़ कर आगे जाता है तब उसे तथा वहाँ के लोगों को दुःख होता है। विदाई के क्षणों में उसकी आखों से आँसू बह निकलते हैं।
Posted by Sakshi Chouhan 3 years, 11 months ago
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Posted by Sakshi Chouhan 3 years, 11 months ago
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Posted by Shubham Singh Syunary 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 11 months ago
यह एक आम कहावत है जिसका प्रयोग लगभग सभी ने कभी न कभी ज़रूर किया होगा । लेकिन इस कहावत को एक बहुत ही तंग अर्थ में प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग हम केवल तीन प्रकार के खाने – सात्विक, राजसिक व तामसिक – में फ़र्क करने के लिए करते हैं जबकि इस कहावत में एक बहुत बड़ा संदेश छुपा है। अन्न से मतलब खाने की कोई भी चीज़ जो घर के अन्दर आती है या हम खाते हैं।
सबसे पहले तो यह देखना होगा कि अन्न को आपने किस प्रकार प्राप्त किया। यह घर में आया किस प्रकार से। क्या मेहनत मज़दूरी से; ईमानदारी की कमाई से; हक हलाल की कमाई से। अगर हेरा फेरी से, किसी दूसरे का हक छीन कर, चोरी-चकारी से, किसी को धोखा दे कर यह अन्न घर में आया है तो इसका खाने वालों पर भी बुरा असर पड़ेगा। संत हमेशा ईमानदारी और मेहनत की कमाई पर ज़ोर देते आये हैं।
दूसरा बिन्दु यह है कि इस अन्न को पकाया किस ने। क्या पकाते समय उस के मन में कोई ग़लत विचार, या गुस्सा या किसी प्रकार की टेंशन तो नहीं थी, क्योंकि खाना पकाने वाले के मन में जिस प्रकार के विचार खाना बनाते समय चल रहे होंगे, खाने वालों पर खाने का वही असर होगा। इसीलिए हमारी दादियाँ और माएँ पुराने ज़माने में जब खाना बनाती थीं तो उस समय भजन या संतों की बानियाँ गुनगुनाते हुए बनाया करती थी, टी वी देखते हुए या फिल्मी गाने गाते हुए नहीं। इस बाबत एक सच्ची घटना है। एक बार एक व्यक्ति को कुछ दिनों के लिए होटल में खाना खाना पड़ा। दूसरे या तीसरे दिन उसको स्वपन आया कि वह घर से बेघर हो रहा है और मकान की तलाश में इधर उधर भाग रहा है, मकान की तलाश कर रहा है। वह बहुत हैरान हुआ, क्योंकि उसका अपना मकान था, वह किसी किराये के मकान में नहीं रह रहा था । किसी मनोवैज्ञानिक से उस ने सलाह ली। मनोवैज्ञानिक ने उसके साथ जाकर उस होटल के खाना बनाने वाले से पूछ्ताछ की तो पता चला कि वह अभी जिस किराये के मकान में रह रहा है उस के मालिक ने मकान खाली करने का नोटिस दे दिया है और वह दिन में होटल आने से पहले किसी मकान की तलाश में भटकता है। अर्थात जब वह खाना बनाता था तब भी उसके मन में मकान के विचार घूमते थे और वह किसी और मकान की तलाश के बारे में सोच रहा होता था जिसका असर उसके बनाए खाने को खाने वाले उस व्यक्ति पर हुआ।
तीसरा ; खाना खाते वक्त खाने वाले के मन की अवस्था का असर। जैसे विचारों के साथ व्यक्ति खाना खा रहा है, उस पर खाने का असर भी वैसा ही होगा। गुस्से के विचारों के साथ खा रहा है तो खाना भी गुस्से के विचार पैदा करने वाला हो जायेगा। अगर उस समय मन में कामुकता/लोभ/धोखेबाज़ी के विचार होंगे तो खाने का असर भी वैसा ही होगा।
इसलिए हमें चाहिए कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई से कमाया हुआ धन घर में लाएँ; खाना बनाते समय तथा खाते समय परमात्मा का धन्यवाद करते हुए, परमात्मा को याद करते हुए ही खाना खाएँ ताँकि हमारे विचार शु्द्ध हों और एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो।
Posted by Ammu Ammu 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 11 months ago
एक देश क धरती वारा भेजा गया सदं ेश दसू रेदेश क धरती तक कैसे पह ु ंचता है?
Ans फूलों द्वारा
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Sia ? 3 years, 5 months ago
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