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अच्छा हो हफ्ते में एक दिन डिजिटल का उपवास रहे, घर भर मारा उस दिन दिल से एक दूजे के पास रहे, मोबाइल से नज़र हटाकर नजर मिलाकर बात करें, सैर-सपाटा, मिलना-जुलना लंच डिनर सब साथ करें एफ वी, इंस्टा, वल्टस्एप से उस दिन थोड़ा दूरी हो
कम से कम हफ़्ते में एक दिन घर की दुनिया पूरी हो उस दिन इक छत के नीचे ही रहने जैसा लगे हमें आभासी दुनिया की हलचल थोड़ा भी ना ठगे हमें उस दिन सचमुच घर मुस्काए दीवारों में चहक लगे सारे घर में मन में तन में वसी हुई इक महक लगे रिश्ते नाते खेलें- कूदे संग में बैठे मुसकाएँ
पूरा दिन दिल को बहलाएँ खट्टी- मिट्ठी चर्चाएँ बाकी छह दिन भी केवल डिजिटल के होकर नहीं रहें कुछ पल तो हों घर के जिनमें कहीं न खोएं वहीं रहें बच्चों से कुछ उनकी जानें, सलाह सीख अच्छी दें दें और पीठ पर प्यार भरी इक हल्की- सी थपकी दे दें माँग रहा युग आज शपथ लेकर मन से यह बात कहें डिजिटल से पहले अपने घर की दुनिया से जुड़े रहें ।।
प्रा- पद्यांश में कवि किसका उपवास रखने की बात कह रहा है ?
प्र2-- युग आज के आदमी से क्या माँग रहा है?
प्र३- पद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए ।
प्र4- यह कविता किस समस्या पर आधारित है? इस समस्या से निपटने के लिए कवि ने सा मार्ग सुझाया है?
45-- घर की दुनिया कव अधूरी लगती है तथा यह कब पूरी होती है ?
प्र6-- " बच्चों से कुछ उनकी जानें, सलाह सीख अच्छी दें दें।" इस पंक्ति के द्वारा कवि क्या करने की सलाह दी है?
CLASS-VII 24| 51
Posted by Gagandeep Kour 8 months ago
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ANSWER
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