How to write vyakhya in hindi
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Posted by Leena Suchdeo 8 years, 1 month ago
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🅿🅰🆆🅰🅽 . 7 years, 8 months ago
'व्याख्या' किसी भाव या विचार के विस्तार और विवेचन को कहते हैं।
व्याख्या न भावार्थ है, न आशय। यह इन दोनों से भित्र है। नियम भी भित्र है। 'व्याख्या' किसी भाव या विचार के विस्तार और विवेचन को कहते हैं। इसमें परीक्षार्थी को अपने अध्ययन, मनन और चिन्तन के पदर्शन की पूरी स्वतन्त्रा रहती है।
व्याख्या के प्रकार
प्रसंगनिर्देश व्याख्या का अनिवार्य अंग है। इसलिए, व्याख्या लिखने के पूर्व प्रसंग का उल्लेख कर देना चाहिए, पर प्रसंगनिर्देश संक्षिप्त होना चाहिए। परीक्षाभवन में व्याख्या लिखते समय परीक्षार्थी प्रायः दो-दो, तीन-तीन पृष्ठों में प्रसंगनिर्देशकरते है और कभी-कभी मूलभाव से दूर जाकर लम्बी-चौड़ी भूमिका बांधने लगते हैं। यह ठीक नहीं। उत्तम कोटि की व्याख्या में प्रसंगनिर्देश संक्षिप्त होता है। ऐसी कोई भी बात न लिखी जाय, जो अप्रासंगिक हो। अप्रासंगिक बातों को ठूँस देने से अव्यवस्था उत्पत्र हो जाती है। अतः परीक्षार्थी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि व्याख्या में कोई बात फिजूल और बेकार न हो। प्रसंगनिर्देशविषय के अनुकूल होना चाहिए।
व्याख्या के लिए आवश्यक निर्देश
मूल अवतरण से व्याख्या बड़ी होती है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई के सम्बन्ध में कोई निश्र्चित सलाह नहीं दी जा सकती। छात्रों को सिर्फ यह देखना है कि मूल भावों अथवा विचारों का समुचित और सन्तोषजनक विवेचन हुआ या नहीं। इन बातों को ध्यान में रखकर अच्छी और उत्तम व्याख्या लिखी जा सकती है। इसके बजाय इसमें निम्नलिखित बातें होनी चाहिए-
व्याख्या में प्रसंग-निर्देश अत्यावश्यक है।
प्रसंग-निर्देश संक्षिप्त, आकर्षक और संगत होना चाहिए।
व्याख्या में मूल विचार या भाव का संतोषपूर्ण विस्तार हो।
अंत में शब्दार्थ लिखे जायँ।
मूल के विचारों का खण्डन या मण्डन किया जा सकता है।
मूल के विचारों के गुण-दोषों पर समानरूप से प्रकाश डालना चाहिए।
यदि कोई महत्त्वपूर्ण बात हो, तो उसपर अन्त में टिप्पणी दे देनी चाहिए।
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