परीक्षा भवन
दिल्ली।
दिनांक : 17 जनवरी, 2019
प्रिय मित्र
सस्नेह नमस्कार
कल ही तुम्हारा पत्र मिला जिसे पढ़ कर ऐसा महसूस हुआ कि तुम सचमुच में अमेरिकी आबोहवा में रच बस गए हो । तुमने अमेरिका में मनाए जाने वाले त्योहारों का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है जिससे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ किन्तु हमारे त्योहारों कि बात ही कुछ और है। अब मैं इस पत्र में भारतीय त्योहारों के विषय में लिख रहा हूँ। तुम्हें तो पता ही है कि भारत त्योहारों का देश है जिनमें दीवाली, दशहरा, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, लोहड़ी, करवाचौथ, वसंत-पंचमी, बैसाखी,15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 नवंबर आदि प्रमुख हैं। पर इसके अतिरिक्त भी यहाँ मानो हर दिन ही त्योहार मनाए जाते हैं।प्रत्येक त्योहार अपने भीतर मानो एक संदेश छिपाये है जैसे दीवाली अज्ञान (तम) पर ज्ञान (प्रकाश) की विजय, दशहरा असत्य पर सत्य की जीत, होली में सभी पुराने वैर भावों को भूलकर एक दूसरे से गले मिलते हैं। हर त्योहार भारतीय बड़ी ही धूमधाम और उत्साह से मनाते हैं। दीवाली दीपों का त्योहार हैं | दशहरा मेलों का त्योहार तथा होली रंगों का त्योहार है। मित्र, इस पत्र में इतनी जानकारी पर्याप्त है। शेष अगले पत्र में लिखूंगा । अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना तथा छोटे भाई को प्यार देना। अब की होली पर तुम अवश्य भारत आना तुम अमेरिका भूल जाओगे।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
गोविन्द कुमार
सेवा में,
सम्पादक,
नव भारत टाइम्स
नई दिल्ली।
विषय-प्लास्टिक की चीजों से हो रही हानि के संबंध में
महोदय,
मैं आपके इस प्रतिष्ठित समाचार-पत्र का नियमित पाठक हूँ। मैंने पाया है कि पाठकों द्वारा भेजी गयी समस्याओं और सुझावों को प्रमुखता से न केवल अपने समाचारपत्र में छापते हैं बल्कि सर्वश्रेष्ठ पाठक का पुरस्कार भी प्रदान करते हैं । कृपया मेरी समस्या पर ध्यानाकर्षित करते हुए उसे पत्र स्थान देते हुये छापने का कष्ट करें।
आजकल प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएँ बाजार में अधिक संख्या में बिक रही हैं।जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ प्लास्टिक न हो । मानव ने प्लास्टिक का निर्माण करके अपने जीवन में एक ओर जहाँ क्रांतिकारी परिवर्तन कर उसे सरल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इससे पर्यावरण प्रदूषित हो गया है। प्लास्टिक के कारखाने बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण फैलाते हैं और प्रयोग करने के बाद बचा हुआ प्लास्टिक किसी भी तरह से पुन: उपयोग में नहीं आता। आपसे अनुरोध है कि आप अपने सामाचार पत्र में इसे छापकर प्लास्टिक से बनी चीजों से हो रही हानि के बारे में लोगों को अवगत करायें। जिससे लोगों में जागृति पैदा हो और वे प्लास्टिक से निर्मित चीजों का उपयोग न तो स्वयं करेंऔर न ही दूसरों को करने दें। अपने समाचार-पत्र के द्वारा अधिकारियों तथा प्रशासकों का ध्यान इस ओर आकर्षित करें ताकि वे युद्धस्तर लोगों को जागरूक करें और प्लास्टिक रहित जीवन के लिए प्रेरित कर सकें।
भवदीय
धीरेन्द्र
दिनांक: 17 जनवरी, 2019
Sia ? 6 years, 3 months ago
परीक्षा भवन
दिल्ली।
दिनांक : 17 जनवरी, 2019
प्रिय मित्र
सस्नेह नमस्कार
कल ही तुम्हारा पत्र मिला जिसे पढ़ कर ऐसा महसूस हुआ कि तुम सचमुच में अमेरिकी आबोहवा में रच बस गए हो । तुमने अमेरिका में मनाए जाने वाले त्योहारों का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है जिससे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ किन्तु हमारे त्योहारों कि बात ही कुछ और है। अब मैं इस पत्र में भारतीय त्योहारों के विषय में लिख रहा हूँ। तुम्हें तो पता ही है कि भारत त्योहारों का देश है जिनमें दीवाली, दशहरा, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, लोहड़ी, करवाचौथ, वसंत-पंचमी, बैसाखी,15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 नवंबर आदि प्रमुख हैं। पर इसके अतिरिक्त भी यहाँ मानो हर दिन ही त्योहार मनाए जाते हैं।प्रत्येक त्योहार अपने भीतर मानो एक संदेश छिपाये है जैसे दीवाली अज्ञान (तम) पर ज्ञान (प्रकाश) की विजय, दशहरा असत्य पर सत्य की जीत, होली में सभी पुराने वैर भावों को भूलकर एक दूसरे से गले मिलते हैं। हर त्योहार भारतीय बड़ी ही धूमधाम और उत्साह से मनाते हैं। दीवाली दीपों का त्योहार हैं | दशहरा मेलों का त्योहार तथा होली रंगों का त्योहार है। मित्र, इस पत्र में इतनी जानकारी पर्याप्त है। शेष अगले पत्र में लिखूंगा । अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना तथा छोटे भाई को प्यार देना। अब की होली पर तुम अवश्य भारत आना तुम अमेरिका भूल जाओगे।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
गोविन्द कुमार
सेवा में,
सम्पादक,
नव भारत टाइम्स
नई दिल्ली।
विषय-प्लास्टिक की चीजों से हो रही हानि के संबंध में
महोदय,
मैं आपके इस प्रतिष्ठित समाचार-पत्र का नियमित पाठक हूँ। मैंने पाया है कि पाठकों द्वारा भेजी गयी समस्याओं और सुझावों को प्रमुखता से न केवल अपने समाचारपत्र में छापते हैं बल्कि सर्वश्रेष्ठ पाठक का पुरस्कार भी प्रदान करते हैं । कृपया मेरी समस्या पर ध्यानाकर्षित करते हुए उसे पत्र स्थान देते हुये छापने का कष्ट करें।
आजकल प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएँ बाजार में अधिक संख्या में बिक रही हैं।जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ प्लास्टिक न हो । मानव ने प्लास्टिक का निर्माण करके अपने जीवन में एक ओर जहाँ क्रांतिकारी परिवर्तन कर उसे सरल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इससे पर्यावरण प्रदूषित हो गया है। प्लास्टिक के कारखाने बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण फैलाते हैं और प्रयोग करने के बाद बचा हुआ प्लास्टिक किसी भी तरह से पुन: उपयोग में नहीं आता। आपसे अनुरोध है कि आप अपने सामाचार पत्र में इसे छापकर प्लास्टिक से बनी चीजों से हो रही हानि के बारे में लोगों को अवगत करायें। जिससे लोगों में जागृति पैदा हो और वे प्लास्टिक से निर्मित चीजों का उपयोग न तो स्वयं करेंऔर न ही दूसरों को करने दें। अपने समाचार-पत्र के द्वारा अधिकारियों तथा प्रशासकों का ध्यान इस ओर आकर्षित करें ताकि वे युद्धस्तर लोगों को जागरूक करें और प्लास्टिक रहित जीवन के लिए प्रेरित कर सकें।
भवदीय
धीरेन्द्र
दिनांक: 17 जनवरी, 2019
1Thank You