Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Tejasri Tejasri 3 years, 7 months ago
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Posted by Sumitra Sharma 3 years, 7 months ago
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Posted by Maya Yadav 3 years, 7 months ago
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Balwant Kumar 2 years, 10 months ago
सुनीता को सबलोग गौर से इसलिए देख रहे थे क्योंकि वह पहिया-कुर्सी पर बैठकर अकेले सड़क पर जा रही थी।
Posted by Sumitra Sharma 3 years, 8 months ago
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Posted by Khyati Pareek 3 years, 3 months ago
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Posted by Khyati Pareek 3 years, 9 months ago
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Posted by Purnima Pathak 3 years, 9 months ago
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Prachi Attri 3 years, 5 months ago
Posted by Pawani Sharma 3 years, 10 months ago
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Posted by Kedar Majhi 4 years ago
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Garima Chauhan 3 years, 11 months ago
Gaurav Seth 4 years ago
मानसरोवर सुभग जल हंसा केलि कराहि
मुकताफल मुकता चुगै अब उड़ी अनत न जाही।
जिस तरह से मानसरोवर में हंस खेलते हैं और मोती चुगते हैं और वहाँ के सुख को छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं, उसी तरह मनुष्य जीवन के मोह जाल में फंस जाता है और हमेशा इसी दुनिया में रहना चाहता है।
प्रेमी ढ़ूँढ़त मैं फिरौ प्रेमी मिले न कोई
प्रेमी कौं प्रेमी मिले सब विष अमृत होई।
प्रेमी को ढ़ूँढ़ने से भी पाना मुश्किल होता है। यहाँ पर प्रेमी का मतलब ईश्वर से है जिसे प्रेमी रूपी भक्त सच्चे मन से ढ़ूँढ़ने की कोशिश करता है। एक बार जब एक प्रेमी दूसरे प्रेमी से मिल जाता है तो संसार की सारी कड़वाहट अमृत में बदल जाती है।
<hr />हस्ती चढ़िये ज्ञान कौं सहज दुलीचा डारी
स्वान रूप संसार है भूंकन दे झख मारि।
ज्ञान या ज्ञानी अगर हाथी चढ़कर भी आपके पास आता है तो उसके लिए गलीचा बिछाना चाहिए। हाथी चढ़कर आने का मतलब है आपकी पहुँच से दूर होना। हालाँकि ऐसे समय दुनिया के ज्यादातर लोग ऐसे ही बर्ताव करते हैं जैसे हाथी के बाजार में चलने से कुत्ते भूंकने लगते हैं। कुत्ते उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकते हैं और सिर्फ अपना समय बरबाद करते हैं। आप अपना समय बरबाद मत कीजिए बल्कि उससे जितना हो सके ज्ञान लेने की कोशिश कीजिए।
पखापखी के कारने सब जग रहा भुलान
निरपख होई के हरी भजै, सोई संत सुजान।
एक विचार या दूसरे विचार या धर्म का पक्ष लेने के चक्कर में दुनिया भूल भुलैया में पड़ी रहती है। जो निष्पक्ष होकर ईश्वर की पूजा करता है वही सही ज्ञान पाता है।
Posted by Bharat Choudhary 4 years, 1 month ago
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Posted by Rigan Singh 4 years, 2 months ago
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Posted by Nangku Lama 4 years, 2 months ago
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Posted by Mandeep Khero 4 years, 2 months ago
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Posted by Mandeep Khero 4 years, 2 months ago
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Posted by Comedian Pandey 4 years, 2 months ago
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Posted by Deva Mithren 4 years, 3 months ago
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Posted by Jagmeet Brar 4 years, 3 months ago
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Posted by Santhi Bala 4 years, 2 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 3 months ago
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया क्योंकि उसे वह आवाज़ जानी-पहचानी लगी। उसे स्मरण हो आया कि खिलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था और इस मुरलीवाले का स्वर भी उसी तरह का था। ये भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ में गा-गाकर मुरलियाँ बेच रहा था।
Posted by Shruti Pandey 4 years, 4 months ago
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Posted by Nakulprasad Panagar 4 years, 4 months ago
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Posted by Qutubuddin Khan 4 years, 2 months ago
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Posted by Ragini Kumari 4 years, 4 months ago
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Posted by Sapna Singh 3 years, 6 months ago
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Posted by Shivanshu Ladgotra 4 years, 4 months ago
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Posted by Ragini Kumari 4 years, 4 months ago
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Posted by Mission Thapa Ujjwal Thapa 4 years, 5 months ago
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Posted by Ansh Raj 000944 4 years, 5 months ago
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Sia ? 3 years, 6 months ago
Posted by Neha Chopra 4 years, 5 months ago
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Nirmal Singh 2 years, 10 months ago
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