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Future Fast Racer 5 years, 9 months ago

Toh. Tum btaado..

Roshani Shukla 5 years, 9 months ago

Ye bhi nhi ata tmhe?
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Aman Kumar 5 years, 9 months ago

Wartalap karna
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Anushka Dangi 5 years, 9 months ago

Bro Aalok dhanwa ki poem Patang jo hindi elective k poems mein se h ussey dekho..... Bahut help milega..... Har poem jo bache se related h ussey problems se relate Karo aur phir solutions nikalo..... Ek bache jaisa socho..... Comparison karo ek bache bade budhe mein.... Project Sahi ban jayega in key points se...
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Pooja Sharma 5 years, 9 months ago

Jayshi jivan parichy
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Vaibhav Srivastava 5 years, 10 months ago

भक्तिन पाठ लेखिका महादेवी वर्मा की एक सेविका की स्मृति है। इस पाठ में लेखिका भक्तिन के जीवन का परिचय देतीं हैं। भक्तिन का असल में नाम लछिमिन था। बचपन में वह अपने पिता एवं सौतेली माँ के साथ रहती थी। बहुत छोटी उम्र में उसका विवाह हो जाता है। उसके परिवार में उसके पति के अलावा और कोई उसकी परवाह नहीं करता था तथा एक बेटी को जन्म देने के कारण उसकी सास तथा जिठानियाँ भी उस पर ताने कसती थी तथा उसे और उसकी बेटियों को घृणित दृष्टि से देखा जाता था। जब लछिमिन के पिता का देहांत हो जाता है तब उसे यह बात नही बताई जाती है जिसके कारण वह अपने मायके से संबंध तोड़ देती है। फिर उसके पति की भी मृत्यु हो जाती है। परंतु वह अकेले अपने दम पर अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण करती है। लोग उसे परेशान भी करते है परंतु वह इसकी परवाह नही करती। जब उसकी बड़ी बेटी की शादी होती है तब उसके दामाद की भी मृत्यु हो जाती है। तब दोनो माँ बेटी मिलकर अपना घर चलाती है परंतु लछिमिन के जेठ का लड़का लछिमिन की बेटी पर गलत इल्ज़ाम लगाकर उससे शादी कर लेता है। इसके बाद लछिमिन पैसे कमाने के लिए शहर चली आती है क्योंकि उसकी जितनी आमदनी थी उसमें अब उसके घर का खर्च नही चल पा रहा था। इस प्रकार वह लेखिका के घर पहुंच जाती है जहाँ उसका नाम भक्तिन पड़ जाता है। यह नाम लेखिका उसे देती है। वह उनकी सेविका बनकर उनके साथ रहने लगती है। वह लेखिका के खान पान को ही परिवर्तित कर देती है। लेखिका का हर तरह से ध्यान रखती है तथा जितना संभव हो लेखिका के कार्य में मदद करने का प्रयास करती है। इस प्रकार वह लेखिका के जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है।
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Gaurav Seth 5 years, 10 months ago

जब पंक्तियों में भावों को प्रकट किया जाता है उसे भाव सौन्दर्य कहते हैं। इन पंक्तियों में कवी या लेखक अपने भावों को व्यक्त करते हैं। इसलिए भाव सौन्दर्य में भावों की विशेषता होती है।

Gaurav Seth 5 years, 10 months ago

काव्य सौन्दर्य|
किसी भी पद्य की रचना सौन्दर्य के बिना अधूरी है| उसे अलंकृत करने के लिए कवि मुहावरे, अलंकार, छंद का प्रयोग करते है| किसी भी काव्य का सौन्दर्य निश्चित करने के लिए विद्यार्थी को सर्वप्रथम उसका ध्यानपूर्वक पठन करना चाहिए| फिर उसकी भाषा का परीक्षण करके उसमे प्रयुक्त तत्सम, देशज  या तद्भव शब्दों को इंगित करना चाहिए| छंद, अलंकारो को पहचानकर उनका वर्णन करना चाहिए| संक्षिप्त रूप देकर उसमें लक्षित भाव का वर्णन करना चाहिए|

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Rahul Diwakar 5 years, 10 months ago

Nahi
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Vikram Jeet 5 years, 10 months ago

संचार तकनीक के माध्यम से समाज के विशाल वर्ग के साथ संबंध स्थापित करने को जन संचार कहते है । उदाहरन - रेडियो , टीवी , समाचार पत्र आदि ।
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Shankar Adil 5 years, 10 months ago

Ghar ki yaad vyakhya ****
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Suman Shukla 5 years, 9 months ago

Class 12 hindi core project file pariyojna
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Garima Lather 5 years, 10 months ago

It is not a part of syllabus this time

Abhijeet Jadon 5 years, 10 months ago

It was not in syllaburs
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Akshay Khose 5 years, 10 months ago

Question 3: कवि ने हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को लाचार, कामचोर, धोखेबाज़ क्यों कहा है? ANSWER: प्रत्येक व्यक्ति में ऐसी शक्ति विद्यमान होती है कि वह समाज में क्रांति उत्पन्न कर सकता है। समाज के प्रति उसके कुछ कर्तव्य बनते हैं। समाज में जो अनैतिक घट रहा है, उसका विरोध करना उसका कर्तव्य बनता है। वह आवाज़ उठा सकता है परन्तु उठाता नहीं है क्योंकि वह डरता है। हाथ फैलाने वाला व्यक्ति ऐसा ही व्यक्ति है। वह कुछ गलत नहीं करता है मगर गलत का विरोध भी नहीं करता। उसकी अच्छाई उसकी कमज़ोरी बन जाती है। वह लाचार हो जाता है। उसे लोगों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। यह उसकी लाचारी ही है, जो लोग उसका फायदा उठाते हैं। इस तरह वह स्वयं के साथ और समाज के प्रति अपने कर्तव्य के साथ धोखा करता है। यही कारण है कि कवि ने उसे लाचार, कमचोर तथा धोखेबाज़ कहा है।

Akshay Khose 5 years, 10 months ago

Question 2: हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को कवि ने ईमानदार क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए। ANSWER: हाथ फैलाने वाला व्यक्ति स्वयं को भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं करता। इस कारण उसकी ऐसी दशा हो जाती है कि उसे दूसरों के आगे हाथ फैलाने पड़ते हैं। उसका परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हो जाता है। यदि वह अन्य लोगों की भांति भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता, तो उसकी चाँदी हो जाती। उसके पास दुनिया की हर सुख-सुविधा विद्यमान होती। परन्तु वह स्वयं को इन सबसे दूर रखता है। वह गरीबी का जीवन तथा दूसरे के आगे हाथ फैलाना उचित समझता है लेकिन बेईमानी की एक दिन की रोटी कमाना उचित नहीं समझता। इसलिए कवि ने उसे ईमानदार कहा है। उसकी दशा उसकी ईमानदारी का प्रमाण है।

Akshay Khose 5 years, 10 months ago

Question 1: कवि ने लोगों के आत्मनिर्भर, मालामाल और गतिशील होने के लिए किन तरीकों की ओर संकेत किया है? अपने शब्दों में लिखिए। ANSWER: कवि के अनुसार आत्मनिर्भर, मालामाल और गतिशील होने के लिए लोगों ने गलत रास्तों को अपनाया है। लोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी का भी गला काटने से परहेज़ नहीं करते हैं। देश को खोखला बनाने में ये बहुत सहयोग दे रहे हैं। देश का पैसा गबन कर विदेशी बैंकों में डाल रहे हैं। बेईमानी करने में इन्हें ज़रा संकोच नहीं होता। इस मारे ये मालामाल, आत्मनिर्भर तथा गतिशील बने हुए हैं। कवि ने इनके ऐसे ही भ्रष्ट तरीकों की ओर संकेत किया है।
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Akriti Bisht 5 years, 10 months ago

Syd chapter 6 hta h

Sakshi Dwivedi 5 years, 10 months ago

I don't think so total 24 chapters
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Shashi Mishra 5 years, 10 months ago

आलेख केवल सूचनात्मक होता है जबकि फीचर सूचनात्मक होने के साथ साथ मनोरंजक भी होता है. 

 

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