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Gaurav Seth 5 years, 4 months ago

पत्रकारिता किसे कहते हैं ?
उत्तरः
प्रिंट, रेडियो, टेलीविज़न या इंटरनेट के जरिए खबरों के आदान-प्रदान को ही पत्रकारिता कहा जाता है। इसके तीन पहलू हैं – समाचार संकलन, संपादन व प्र का श न।

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Unnati Dwivedi 5 years, 4 months ago

महादेवी के जीवन पर भक्तिन का गहरा प्रभाव पड़ा है- जैसे कि महादेवी वर्मा भी भक्ति की तरह कुछ देहाती शब्दों का प्रयोग करने लगी थी ,महादेवी वर्मा को भक्तिन के हाथ का खाना भी भाने लगा था, महादेवी के लिए भक्तिन उसके परिवार का एक सदस्य बन चुकी थी एवं भक्तिन के भीतर महादेवी वर्मा अपने प्रति सच्ची श्रद्धा को देखकर वह बहुत प्रभावित हुई थी और भक्तिन की हर संभव सहायता करने के लिए प्रयास करते थी|
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Unnati Dwivedi 5 years, 4 months ago

कैमरा में बंद अपाहिज कविता सहानुभूति के मुखौटे में छिपी अमानवीयता की कथा है क्योंकि -प्रस्तुत कविता में एक अपाहिज की मजबूरियों का फायदा मुनाफा कमाने में किया जा रहा है |असल में टीवी एंकर को अपाहिज से कोई सहानुभूति नहीं है बल्कि वह टीवी के सामने मुनाफा कमाने के लिए दिखावा कर रहा है |वे कार्यक्रम को अति दर्दनाक बनाना चाहता है, जिससे लोग प्रभावित हो सके और कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़े| अपाहिज को प्रोत्साहित करने की बजाय उसे रुलाने का प्रयास किया जा रहा है जो कि मानवीयता पर कलंक है |इस प्रकार हम ये कह सकते हैं कि उपयुक्त कविता सहानुभूति के मुखौटे में छिपी अमानवीयता की कथा को प्रस्तुत कर रही है|
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Anurag Singh 5 years, 4 months ago

Bhaktin aur mahadevi ke beech Malik Naukar ka स्वभाव ना होते हुए बहुत अच्छा रिश्ता था। कभी-कभी तो महादेवी भक्ति इनकी कुछ आदतों से तंग आकर उसे घर से जाने को कह देती लेकिन भक्ति उस बात को हंस कर टाल देती थी। भक्ति महादेवी के साथ जेल जाने को भी तैयार थी।
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Anurag Singh 5 years, 4 months ago

हट गई भाई ??

Devil ? 5 years, 4 months ago

Not in syllabus
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Gaurav Seth 5 years, 4 months ago

दीवाली

उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हे कुमार-सुधार सभा का वह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था। दीवाली है तो गोबर और कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाने में लगा हूँ, जन्माष्टमी है तो रोज आठ दिन की झाँकी तक की सजाने और पंजीरी बाँटने में लगा हूँ, हर-छठ है तो छोटी रंगीन कुल्हियों में भूजा भर रहा हूँ। किसी में भुना चना, किसी में भुनी मटर, किसी में भुने अरवा चावल, किसी में भुना गेहूँ। जीजी यह सब मेरे हाथों से करातीं, ताकि उनका पुण्य मुझे मिले। केवल मुझे।

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Preeti Verma 5 years, 4 months ago

Lekhak kis tyohar per gobar or kaudiyo se Goverdhan or satiya bnata tha
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V . 5 years, 4 months ago

Deleted from the syllabus of CBSE
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Gaurav Seth 5 years, 4 months ago

भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?

<hr />

भक्तिन तो देहाती थी ही पर उसके आ जाने पर महादेवी भी अधिक देहाती हो गई, पर उसे शहर की हवा नहीं लग पाई है। उसने महादेवी को भी देहाती खाने की विशेषताएँ बता-बताकर उनके खाने की आदत डाल दी। वह बताती कि मकई का रात को बना दलिया सवेरे मट्टे से सौंधा लगता है। बाजरे के तिल लगाकर बनाये पुए बहुत अच्छे लगते हैं। ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे दानों की खिचड़ी स्वादिष्ट लगती है। उसके अनुसार सफेद महुए की लापसी संसार भर के हलवे को लजा सकती है। भक्तिन ने लेखिका को अपनी देहाती भाषा भी सिखा दी। इस प्रकार महादेवी भी देहाती बन गई।

  • 4 answers

Aadika ?? 5 years, 4 months ago

Yes ....

? Yang ? 5 years, 4 months ago

Yup☺

Aiswarya C V 5 years, 4 months ago

Yes

Devil ? 5 years, 4 months ago

Hnji
  • 3 answers

V . 5 years, 4 months ago

Delete nhi hai

Devil ? 5 years, 4 months ago

Hn but 2nd part nhi h

Shraddha ✨ 5 years, 4 months ago

No, kavita k bahane syllabus se delated hai
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Anand Raj 5 years, 4 months ago

Janani ka tatpraya hai wife

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