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Deepak Kumar Meena 3 years, 10 months ago

रूप सिंह भूप सिंह का छोटा भाई था। 11 वर्ष पहले गांव में एक विषण भूकंप आया है , जिसमे भूप सिंह के माता पिता की मलबे में दबकर मृथू है जाती है। वह अपने गांव मही को छोड़कर रोजगार कि तलाश में शरी चला जाता है , वहां वह पर्वतारोहण संस्थान में नौकरी करता है ।
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Sushila Kumari 4 years ago

Lekhak Aisa kyu lagta hai ki himank Nadi ke sath uska Ghar
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Gaurav Seth 4 years ago

(i) समय के साथ न ढलने वाले: यशोधर बाबू समय के साथ नहीं ढल पाए। उनकी चाल वही पुरानी बनी रही। वे न तो स्वयं नए ढंग के चाल-चलन अपना पाए, न बच्चों को अपनाने दिए। वे सेक्शन अफसर होते हुए भी साइकिल से दफ्तर जाते थे।

(ii)रूढ़िवादी: यशोधर बाबू रूढ़िवादी थे। उन्हें पुरानी बातें, पुरानी परंपराएँ, पुराने रीति-रिवाज अच्छे लगते थे। वे संयुक्त परिवार प्रथा में विश्वास रखते थे। उन्हें पत्नी का सजना-सँवरना कतई नहीं भाता था। वे प्रतिदिन लक्ष्मीनारायण मंदिर जाते थे।

(ii) भाैतिक सुख के विरोधी: यशोधर बाबू को भौतिक सुखों की कतई इच्छा नहीं रहती, बल्कि वे तो इनके विरोधी हैं। उन्हें अपने घर में पार्टी का होना अच्छा नहीं लगता। वे स्वयं या तो पैदल चलते है या साइकिल पर। उन्हें केक काटना बचकानी बात लगती है। उनकी वेशभूषा भी अत्यंत साधारण किस्म की होती है।?

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Yogita Ingle 4 years ago

पत्रकारिता अपने आसपास की चीज़ों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताज़ा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्व है। जिज्ञासा नहीं रहेगी तो समाचार की भी ज़रूरत नहीं रहेगी। पत्रकारिता का विकास इसी सहज जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश के रूप में हुआ। वह आज भी इसी मूल सिद्धांत के आधार पर काम करती है।

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Yogita Ingle 4 years ago

हम सूचनाएँ या समाचार जानना चाहते हैं। क्योंकि सूचनाएँ अगला कदम तय करने में हमारी सहायता करती हैं। इसी तरह हम अपने पास-पड़ोस, शहर, राज्य और देश-दुनिया के बारे में जानना चाहते हैं। ये सूचनाएँ हमारे दैनिक जीवन के साथ-साथ पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। आज देश-दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसकी अधिकांश जानकारी हमें समाचार माध्यमों से मिलती है। हमारे प्रत्यक्ष अनुभव से बाहर की दुनिया के बारे में हमें अधिकांश जानकारी समाचार माध्यमों द्वारा दिए जाने वाले समाचारों से ही मिलती है।

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Yogita Ingle 4 years ago

रचनाएँ–प्रसाद जी अनेक विषयों एवं भाषाओं के प्रकाण्ड पण्डित और प्रतिभासम्पन्न कवि थे। इन्होंने नाटक, उपन्यास, कहानी, निबन्ध आदि सभी साहित्यिक विधाओं पर अपनी लेखनी चलायी और अपने कृतित्व से इन्हें अलंकृत किया। इनका काव्य हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि है। इनके प्रमुख काव्यग्रन्थों का विवरण निम्नवत् है-
कामायनी—यह प्रसाद जी की कालजयी रचना है। इसमें मानव को श्रद्धा और मनु के माध्यम से हृदय और बुद्धि के समन्वय का सन्देश दिया गया है। इस रचना पर कवि को मंगलाप्रसाद पारितोषिक भी मिल चुका है।
आँसू-यह प्रसाद जी का वियोग का काव्य है। इसमें वियोगजनित पीड़ा और दु:ख मुखर हो उठा है।
लहर—यह प्रसाद जी का भावात्मक काव्य-संग्रह है।
झरना—इसमें प्रसाद जी की छायावादी कविताएँ संकलित हैं, जिसमें सौन्दर्य और प्रेम की अनुभूति साकार हो उठी है।
कहानी—आकाशदीप, इन्द्रजाल, प्रतिध्वनि, आँधी।
उपन्यास-कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)।
निबन्ध-काव्य और कला तथा अन्य निबन्ध।
चम्पू-प्रेम राज्य। इनके अन्य काव्य-ग्रन्थ चित्राधार, कानन-कुसुम, करुणालय, महाराणा को महत्त्व, प्रेम-पथिक आदि हैं।
साहित्य में स्थान–प्रसाद जी असाधारण प्रतिभाशाली कवि थे। उनके काव्य में एक ऐसा नैसर्गिक आकर्षण एवं चमत्कार है कि सहृदय पाठक उसमें रसमग्न होकर अपनी सुध-बुध खो बैठता है। निस्सन्देह वे आधुनिक हिन्दी-काव्य-गगन के अप्रतिम तेजोमय मार्तण्ड हैं।

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Yogita Ingle 4 years ago

जयशंकर प्रसाद (३० जनवरी १८८९ - १५ नवंबर १९३७)[1][2], हिन्दी कवि, नाटककार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में न केवल कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई और कामायनी तक पहुँचकर वह काव्य प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में भी प्रतिष्ठित हो गया। बाद के प्रगतिशील एवं नई कविता दोनों धाराओं के प्रमुख आलोचकों ने उसकी इस शक्तिमत्ता को स्वीकृति दी। इसका एक अतिरिक्त प्रभाव यह भी हुआ कि खड़ीबोली हिन्दी काव्य की निर्विवाद सिद्ध भाषा बन गयी।

जयशंकर प्रसादजन्म30 जनवरी 1889

वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारतमृत्युनवम्बर 15, 1937 (उम्र 47)

वाराणसी, भारतव्यवसायकवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार

आधुनिक हिन्दी साहित्य के इतिहास में इनके कृतित्व का गौरव अक्षुण्ण है। वे एक युगप्रवर्तक लेखक थे जिन्होंने एक ही साथ कविता, नाटक, कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में हिंदी को गौरवान्वित होने योग्य कृतियाँ दीं। कवि के रूप में वे निराला, पन्त, महादेवी के साथ छायावाद के प्रमुख स्तम्भ के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं; नाटक लेखन में भारतेन्दु के बाद वे एक अलग धारा बहाने वाले युगप्रवर्तक नाटककार रहे जिनके नाटक आज भी पाठक न केवल चाव से पढ़ते हैं, बल्कि उनकी अर्थगर्भिता तथा रंगमंचीय प्रासंगिकता भी दिनानुदिन बढ़ती ही गयी है। इस दृष्टि से उनकी महत्ता पहचानने एवं स्थापित करने में वीरेन्द्र नारायण, शांता गाँधी, सत्येन्द्र तनेजा एवं अब कई दृष्टियों से सबसे बढ़कर महेश आनन्द का प्रशंसनीय ऐतिहासिक योगदान रहा है। इसके अलावा कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में भी उन्होंने कई यादगार कृतियाँ दीं। विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करुणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन। ४८ वर्षो के छोटे से जीवन में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाएँ की।

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Sumit Kumar 4 years, 1 month ago

lekhak ne dharm ka rahasya janne ke liye ghadi ke purje ka dristaan kyu kiya?
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Chaman Kumar 4 years, 1 month ago

Phichar ki do bishesata batoo
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bhai aur aasan kam antar

Gaurav Seth 4 years, 1 month ago

तोड़ो कविता में 'पत्थर' और 'चट्टान' बंधनों तथा बाधाओं के प्रतीक हैं। बंधन और बाधाएँ मनुष्य को आगे बढ़ने से रोकती है इसलिए कवि मनुष्य को इनको हटाने के लिए प्रेरित करता है। उसके अनुसार यदि इनसे पार पाना है, तो इन्हें तोड़कर अपने रास्ते से हटाना पड़ेगा।

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Anu Dhama 4 years, 1 month ago

Ek kam Kavita mein Kavi ne hath failane wale vyakti ko imaandaar isiliye kahan hai kyunki ki kyunki agar vah jata to Nahin ho sakta tha lekin usne aisa nahin kiya use samay jyada jor aur logon ne manaya bhrashtachar AVN galat madhyam ka upyog Karke dhan kamaya tha aur usi se amir hue lekin yah baccha hath chala raha hai kyunki yah garib hai aur ismein imandari ka rasta apna ya usne bhrashtachar ya FIR koi galat madhyam se paisa ka naam kamane ki koshish Nahin ki
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Anu Dhama 4 years, 1 month ago

Ek kam Kavita ka mool nirashavadi hai . Kavi niraash hai kyuki jyadater bhartiy logon ne apni apni lalchave ki purti ke liye bhrashtachar ka bhi upyog kiya
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Anjula Singh 4 years, 1 month ago

Nirashawadi because mostly people want to defeat and come as a more reachest person so, they want in the line of competition less people involve and one by one I defeat that people and now come a one reachest person in the society or anywhere.so it is not good for other people. Any one is more reach but other more poor
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Yogita Ingle 4 years, 1 month ago

परिभाषा-कविता-कहानी को पढने, सुनने और नाटक को देखने से पाठक, श्रोता और दर्शक को जो आनंद प्राप्त होता है, उसे रस कहते हैं।

रस के अंग-रस के चार अंग माने गए हैं –

  1. स्थायीभाव
  2. विभाव
  3. अनुभाव
  4. संचारीभाव
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Anu Dhama 4 years, 1 month ago

lekhak de dvara "Upadhyay badrinath chaudhari" ko premghan kahan gaya hai
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Varsha Chauhan 4 years, 1 month ago

Ek kam Kavita mein Kavi ne samaj mein galat tarike se Amir banne wale satyawadi logon ke Jo garibo ka shoshan karte Hain. ISI badhate burai ki or Kavi ne sanket Kiya hai ki aajkal samaj mein kis tarah se log galat kam kar ke aage badhate hain tatha logon ka shoshan karte hain. amiri aur garibi ke bich Deewar khadi karte Hain

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