Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Poonam Poonam 6 years, 1 month ago
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Posted by Aafrin Tarannum 6 years, 1 month ago
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Posted by Joy Andrews 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years, 1 month ago
शीत युद्ध (cold war) दो देशों के मध्य प्रतिद्वंद्विता और तनाव की स्थिति को कहते हैं। शीत युद्ध के दौरान मैदान में संघर्ष नहीं होता है।शीत युद्ध में वैचारिक घृणा, राजनीतिक अविश्वास, कूटनीतिक जोड़-तोड़, सैनिक प्रतिस्पर्धा, जासूसी (detective), मनोवैज्ञानिक युद्ध और कटुतापूर्ण संबंधों की अभिव्यक्ति होती है।
Posted by Satender Pal 6 years, 1 month ago
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Posted by Sanjay Sharma 6 years, 1 month ago
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Himanshu Kharb 6 years, 1 month ago
Posted by Deepak Bisht 6 years, 1 month ago
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Posted by Sanjay Kumar Dantani 6 years, 1 month ago
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Posted by Md Danish 6 years, 1 month ago
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Posted by Akhiil Singh 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years, 1 month ago
क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं:
- क्षेत्रीय संगठन क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देते हैं और क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने की भूमिका निभाते हैं। इससे क्षेत्रीय संगठन के सदस्य देशों को आर्थिक उन्नति की अधिक आशा होती है।
- क्षेत्र संगठन आकार में छोटे होते हैं और उनके सदस्य देशों में एकता की भावना जल्दी मजबूत हो जाती है।
- क्षेत्रीय संगठन विश्व में शक्ति संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिससे कोई भी देश या संगठन वर्चस्व प्राप्त नहीं कर पाता और संसार के देश किसी भी देश की दादागिरी से बचे रहते हैं।
- क्षेत्रीय संगठन सदस्यों के आपसी व्यापार को बढ़ाने में अधिक सुविधा प्रदान करते हैं क्योंकि व्यापारिक गतिविधियों पर नजदीक से और अच्छी नजर रखी जा सकती है।
- क्षेत्रीय संगठन के सदस्यों की संख्या अधिक नहीं होती इसलिए उन्हें अपने विवाद आपसी बातचीत से निपटने में सुविधा रहती है। साथ ही क्षेत्र संगठन के सदस्यों का एक- दूसरे से आमने-सामने के संबंध होने के कारण एक-दूसरे की बात या पड़ोसी राज्य के सुझाव जल्दी मान लेते हैं।
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Posted by Bhanu (You) 6 years, 1 month ago
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Posted by Bhola Meena 6 years, 1 month ago
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Posted by Vikas Yadav 6 years, 1 month ago
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Posted by Anjna Gupta 6 years, 1 month ago
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Aafrin Tarannum 6 years, 1 month ago
Posted by Pinki Ray 6 years, 1 month ago
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Posted by Rahul Joy 6 years, 1 month ago
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Posted by Heena Kaushar 6 years, 1 month ago
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Aahan Khan 6 years, 1 month ago
Posted by Ñïtïñ Kümãr 6 years, 1 month ago
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Posted by Iqra Saifi 6 years, 1 month ago
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Posted by Viresh Singh 6 years, 1 month ago
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Posted by Mohit Tyagi 6 years, 1 month ago
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Abhinav Baghel 6 years ago
Posted by Ishu Sorout 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years, 1 month ago
पाकिस्तान के लोगों के लिए मोहम्मद अली जिन्ना का वही महत्व है जो भारतीयों के लिए महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू का या अमरीकियों के लिए जार्ज वाशिंगटन का है। पाकिस्तान में जिन्ना को 'कायदे आजम' कहा जाता है यानि 'महान नेता'। पाकिस्तान के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले जिन्ना पेशे से वकील थे और उनकी पढ़ाई लंदन में हुई थी। पाकिस्तान के कायदा-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्ना एक बार फिर प्रासंगिक हो गए हैं। भले ही उनके अपने देश पाकिस्तान में उनको भूलाया जा रहा हो लेकिन भारत में उनकी वजह से विवाद खड़े होना जारी है।
Posted by Ishu Sorout 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years, 1 month ago
बर्लिन संकट (1961) के समय संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत रूस के टैंक आमने सामने शीतयुद्ध के लक्षण द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ही प्रकट होने लगे थे। दोनों महाशक्तियां अपने-अपने संकीर्ण स्वार्थों को ही ध्यान में रखकर युद्ध लड़ रही थी और परस्पर सहयोग की भावना का दिखावा कर रही थी। जो सहयोग की भावना युद्ध के दौरान दिखाई दे रही थी, वह युद्ध के बाद समाप्त होने लगी थी और शीतयुद्ध के लक्षण स्पष्ट तौर पर उभरने लग गए थे, दोनों गुटों में ही एक दूसरे की शिकायत करने की भावना बलवती हो गई थी। इन शिकायतों के कुछ सुदृढ़ आधार थे। ये पारस्परिक मतभेद ही शीत युद्ध के प्रमुख कारण थे,
शीतयुद्ध की उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:-
- पूंजीवादी और साम्यवादी विचारधारा का प्रसार।
- सोवियत संघ द्वारा याल्टा समझौते का पालन न किया जाना।
- सोवियत संघ और अमेरिका के वैचारिक मतभेद।
- सोवियत संघ का एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरना।
- ईरान में सोवियत हस्तक्षेप।
Posted by Roy Praveen 6 years, 1 month ago
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Posted by Sapana Goswami 6 years, 1 month ago
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Posted by Mansi Pawar 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years, 1 month ago
- प्रातों का विभाजन - आजादी के समय भारत और पाकिस्तान दोनों प्रांतों का विभाजन संप्रदाय के आधार पर किया गया।इससे सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हुआ।
- रियासतों का विलय -आजादी के समय 565 रजवाड़े थे। उनका विलय करना महत्वपूर्ण विषय था। सभी रियासतों को अपने स्वेच्छा से भारत अथवा पाकिस्तान में विलय करना था या स्वतंत्र रह सकते थे।
- विस्थापितों की समस्या - पाकिस्तान में बसे हिन्दूओं को भारत में आना था वहीं मुस्लिमों को पाकिस्तान में जाना था। इसने विस्थापितों की समस्या को जन्म दिया।
- खाद्यान्न संकट -आजादी के समय प्रांत के बंटवारे के साथ-साथ सभी संसाधनों का भी बंटवारा हुआ ।इसस खाद्यान्न संकट का सामना लोगों को करना पड़ा।
Ñïtïñ Kümãr 6 years, 1 month ago
Posted by Geet Ji 6 years, 1 month ago
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Kunal Yadav 6 years, 1 month ago
Peetu Chahal 6 years, 1 month ago
Posted by Iqra Saifi 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years, 1 month ago
- IAEA:- International Atomic and Energy Agency
- SARA:- State Adoption Resource Agency
- FDI:- Foreign direct investment
Posted by Ramcharan Gujrati 6 years, 1 month ago
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Preeti Kashyap 6 years, 1 month ago
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