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Ask QuestionPosted by Amisha Khushi 6 years, 3 months ago
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Posted by Sarika Sahu 6 years, 3 months ago
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Posted by Diksha Malhotra 6 years, 3 months ago
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Posted by Vivek Kumar 6 years, 3 months ago
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Posted by Anita Kaur 6 years, 3 months ago
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Posted by Archna Dubey 6 years, 3 months ago
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Posted by Abhishek Gautam 6 years, 3 months ago
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Posted by Sheetal Kumar 6 years, 3 months ago
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Sumit Roy 6 years, 2 months ago
Posted by Vansh Baberwal 6 years, 3 months ago
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Posted by Hari Mandal 6 years, 3 months ago
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Posted by Anjali Kumari 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
जैन धर्म भारत के प्राचीन धर्म में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है।
Posted by Anjali Kumari 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में बेतवा नदी के तट स्थित एक छोटा सा गांव है। यह भोपाल से ४६ कि॰मी॰ पूर्वोत्तर में, तथा बेसनगर और विदिशा से १० कि॰मी॰ की दूरी पर मध्य प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यहां कई बौद्ध स्मारक हैं, जो तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच के काल के हैं। सांची रायसेन जिले की एक नगर पंचायत है। रायसेन जिले में एक अन्य विश्व दाय स्थल, भीमबेटका भी है। विदिशा से नजदीक होने के कारण लोगों में यह भ्रम होता है की यह विदिशा जिला में है। यहाँ छोटे-बड़े अनेकों स्तूप हैं, जिनमें स्तूप संख्या २ सबसे बड़ा है। चारों ओर की हरियाली अद्भुत है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी बने हैं। स्तूप संख्या १ के पास कई लघु स्तूप भी हैं, उन्ही के समीप एक गुप्त कालीन पाषाण स्तंभ भी है। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस के प्रतीक हैं। सांची का महान मुख्य स्तूप, मूलतः सम्राट अशोक महान ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था। इसके केन्द्र में एक अर्धगोलाकार ईंट निर्मित ढांचा था, जिसमें भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे। इसके शिखर पर स्मारक को दिये गये ऊंचे सम्मान का प्रतीक रूपी एक छत्र था।
Posted by Deepa Deepa 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
गोत्र संबंधित नियम-
- लड़कियों को शादी के पश्चात् अपने पिता के गोत्र को छोड़ना होता था तथा अपने पति के गोत्र को अपनाना पड़ता।
- एक ही गोत्र के लोग आपस में विवाह नहीं कर सकते थे।सहोदर भाई व बहिन के मध्य विवाह को ऋग्वेद में अनुचित व मर्यादाहीन माना है।
Posted by Lachman Kumar 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
सिंधु घाटी सभ्यता
इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसम्बर २०१४ में भिरड़ाणा को सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना गया है। ब्रिटिश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों का अनुमान है कि यह अत्यंत विकसित सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े हैं। 7वी शताब्दी में पहली बार जब लोगो ने पंजाब प्रांत में ईटो के लिए मिट्टी की खुदाई की तब उन्हें वहां से बनी बनाई इटे मिली जिसे लोगो ने भगवान का चमत्कार माना और उनका उपयोग घर बनाने में किया उसके बाद 1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बंधुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी। इसी क्रम में 1861 में एलेक्जेंडर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की। 1902 में लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग (ASI) (Archaeological Survey of India) का महानिदे।.शक बनाया गया।
Posted by Lachman Kumar 6 years, 3 months ago
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Posted by Sumit Roy 6 years, 3 months ago
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Posted by Mr Faiz 6 years, 3 months ago
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Posted by Sumit Roy 6 years, 3 months ago
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Posted by Ranjeet Kumarjet 6 years, 3 months ago
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Posted by Ram Narsh Sharma 6 years, 3 months ago
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Posted by Sourav Kumar 6 years, 3 months ago
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Posted by Ankita Pandey 6 years, 3 months ago
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Posted by Anurag Yadav 6 years, 3 months ago
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Posted by Bharti Kholiwal 6 years, 3 months ago
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Sumit Roy 6 years, 3 months ago
Posted by Sunil Tiwari 6 years, 3 months ago
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Sia ? 6 years, 3 months ago
Duarte Barbosa was a Portuguese writer and officer from Portuguese India (between 1500 and 1516). He was a scrivener in a factory in Cannanore, and an interpreter of the local language, Malayalam. Barbosa wrote the Book of Duarte Barbosa, making it one of the earliest examples of Portuguese travel literature.
Posted by Madhu Jaiswal 6 years, 3 months ago
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Posted by Sumit Roy 6 years, 3 months ago
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Pawan Nager 6 years, 3 months ago
Posted by Anshul Samor 6 years, 3 months ago
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Posted by Sheetal Kumar 6 years, 3 months ago
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Pawan Nager 6 years, 3 months ago
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Sumit Roy 6 years, 2 months ago
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