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Vishakha Aggarwal 2 years, 5 months ago

Hamid ke dosto ne khrida 1.mohsin ne bhishti 2.mhmud ne siphai 3.nure ne vakil 4.summi ne dhobin

Umesh Raikwar 3 years, 1 month ago

खिलौने मिठाई खाने की चीजें
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Aashima Matta 3 years, 2 months ago

दादी ने हमीद को अकेले मेले इसलिए भेजा क्योंकि वो मेले में घूम सके
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Muskan Sharma 3 years, 3 months ago

Amarkant

Hanuman Bishnoi 3 years, 3 months ago

अमंरकात

Ritu Mahour 3 years, 4 months ago

Amarkant

Priya Mahawer 3 years, 4 months ago

Amarkant

Yogita Ingle 3 years, 4 months ago

दोपहर का भोजन के कहानी के लेखक   है  अमरकांत
 

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Gaurav Seth 3 years, 4 months ago

लेखक को अपने दादा से विशेष लगाव था जिसका प्रमाण इस घटना से मिलता है कि जब लेखक के दादाजी की मृत्यु हुई तो वह अपने दादाजी के कमरे में ही बंद रहने लगा। वह अपने दादाजी के बिस्तर पर उनकी भूरी अचकन ओढ़कर - इस प्रकार सोता था मानो वह अपने दादाजी से लिपटकर सोया हुआ है।

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Anaya Khan 3 years, 2 months ago

1826 mein jems August ke bangaal gajat se hui

Gaurav Seth 3 years, 4 months ago

भारत में पत्रकारिता की शुरुआत कब और  कैसे हुई ?
उत्तर :-    भारत में पत्रकारिता की शुरुआत सन १७८० में जेम्स आगस्ट हिकी के बंगाल गजट से हुई जो कलकत्ता से निकला था |

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Yogita Ingle 3 years, 4 months ago

 कबीर जी इस पंक्ति में हिन्दुओं और मुस्लमानों के लिए बोल रहे हैं। उनका अर्थ है कि ये दोनों धर्म आंडबरों में उलझे हुए हैं। इन्हें सच्ची भक्ति का अर्थ नहीं मालूम है। धार्मिक आंडबरों को धर्म मानकर चलते हैं। कबीर के अनुसार ये दोनों भटके हुए हैं।

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Rohit Mourya 3 years, 4 months ago

Thanks

Yogita Ingle 3 years, 4 months ago

कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है।

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Gaurav Seth 3 years, 5 months ago

कबीर ने अपने को दीवाना क्यों कहा है?

कबीर ने स्वयं को दीवाना इसलिए कहा है, क्योंकि वह निर्भय है। उसे किसी का कुछ भी कहना व्यापता नहीं है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप को पहचानता है। वह ईश्वर का सच्चा भक्त है, अत: दीवाना है।

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Abhijeet Singh 3 years, 5 months ago

Kabhir patt

Abhijeet Singh 3 years, 5 months ago

Kabhir
  • 1 answers

Yogita Ingle 3 years, 5 months ago

आज़ादी से पूर्व किसानों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था।

• पूंजीपति तथा जमींदार किसानों के भोलेपन तथा अनपढ़ होने का फायदा उठाकर उनसे ज्यादा क़र्ज़ वसूलते थे।

• अंगूठा लगवाकर उनकी जमीन हड़प लिए थे।

• उनके कर्ज अदा न कर सकने पर वे किसानों के बेटों को बंधुआ मजदूर या जिंदगी भर अपना गुलाम बनाकर रखते थे।

• किसानों की बेटियों तथा पत्नी को बुरी नजर से देखते थे।

• इन सभी समस्याओं के अलावा गरीबी उनकी मुख्य समस्या थी।

• पुलिस का अत्याचार , अंग्रेज़ पुलिस भारतीय किसानों पर बहुत अत्याचार किया करते थे। बिना किसी कारण उन्हें जेल में डाल दिया करते थे।

• लगान की समस्या भी एक बड़ी समस्या थी।

  • 3 answers

Rohit Mourya 3 years, 4 months ago

Thank s

Abhijeet Singh 3 years, 5 months ago

Kabhi

Sakshi Chouhan 3 years, 5 months ago

कबीर अपने आप को दीवाना कहता है क्योंकि उनके अनुसार ईश्वर निर्गुण, निराकार, अजय-अमर और अविनाशी है और उन्होंने ने इस परमात्मा का आत्म साक्षात्कार कर लिया है अब वे राग-द्वेष, अंहकार और मोह-माया से दूर होकर निर्भय हो चुके हैं अत: ईश्वर के सच्चे भक्त होने के कारण दीवाने हैं।
  • 1 answers

Gaurav Seth 3 years, 5 months ago

<div class="post-header" style="margin:0px 0px 16px; text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px"> <div class="post-header-line-1"> </div> </div>

प्रेस विज्ञप्ति का उदाहरण 

<div class="post-body-container" style="text-align:start; -webkit-text-stroke-width:0px"> <div class="post-body entry-content float-container" id="post-body-9045015280601467784"> <div dir="ltr" style="text-align:left" trbidi="on"> <div style="margin-bottom:7.5pt; text-align:justify">भारत सरकार के संचार मंत्रालय की ओर से कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों की शर्तों एवं आवश्यकताओं पर लिए गए फैसले की प्रेस-विज्ञप्ति जारी कीजिए।</div> <div class="separator" style="text-align:center"></div> </div> </div> </div>
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Umesh Raikwar 3 years, 1 month ago

Good

Gaurav Seth 3 years, 5 months ago

प्रतिवेदन लिखने के लिए निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए-
(1) प्रतिवेदन संक्षिप्त हो।
(2) घटना या किसी कार्रवाई की मुख्य बातें प्रतिवेदन में अवश्य लिखी जानी चाहिए।
(3) इसकी भाषा सरल और शैली सुस्पष्ट हो।
(4) विवरण क्रमिक रूप से हो।
(5) पुनरुक्ति दोष नहीं हो यानी एक ही बात को बार-बार भिन्न-भिन्न रूपों में नहीं लिखना चाहिए।
(6) इसके लिए एक सटीक शीर्षक जरूर हो।

प्रतिवेदन के तीन प्रकार हैं-
(1) व्यक्तिगत प्रतिवेदन
(2) संगठनात्मक प्रतिवेदन
(3) विवरणात्मक प्रतिवेदन

(1) व्यक्तिगत प्रतिवेदन- इस प्रकार के प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने जीवन के किसी संबंध में अथवा विद्यार्थी-जीवन पर प्रतिवेदन लिख सकता है। इसमें व्यक्तिगत बातों का उल्लेख अधिक रहता है। यह प्रतिवेदन कभी-कभी डायरी का भी रूप ले लेता है। यह प्रतिवेदन का आदर्श रूप नहीं है।

एक उदाहरण इस प्रकार है-
7-10-2000
सुबह पाँच बजे उठा। क्रिया-कर्म कर 6 बजे पढ़ने बैठा। अचानक सिर में दर्द हुआ। बिस्तर पर लेट गया। आँखें बंद कर लीं। नींद आ गयी। एक घंटे बाद जगा, पर दर्द बना रहा। डॉक्टर के पास गया। दवा लेकर घर लौटा। दवा खाकर फिर लेट गया। दर्द दूर हो गया। दस बजे भोजन किया और स्कूल के लिए चल पड़ा। 12 बजे दोपहर में सिरदर्द शुरू हुआ, छुट्टी लेकर घर लौट आया। सारा दिन इसी प्रकार कटा।

(2) संगठनात्मक प्रतिवेदन- इस प्रकार के प्रतिवेदन में किसी संस्था, सभा, बैठक इत्यादि का विवरण दिया जाता है। यहाँ प्रतिवेदक अपने बारे में कुछ न कहकर सारी बातें संगठन या संस्था के संबंध में लिखता है।

यह प्रतिवेदन मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक भी हो सकता है। एक स्कूल में वार्षिकोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर प्रधानाध्यापक ने निम्नलिखित प्रतिवेदन पढ़कर सुनाया-

स्कूल का वार्षिकोत्सव : प्रतिवेदन

हमारा स्कूल सन् 1930 में स्थापित हुआ था। इस नगर में यह पिछले 62 वर्षो से शिक्षा का प्रचार करता रहा है। आरंभ में जहाँ 5 शिक्षक और 50 छात्र थे, वहाँ आज शिक्षकों की संख्या 30 और छात्रों की संख्या 700 तक पहुँच गयी है। यहाँ कला, वाणिज्य और विज्ञान की शिक्षा दी जाती है। शिक्षकों को समय पर वेतन मिलता है। ये सभी बड़ी निष्ठा से काम करते हैं स्कूल में सह-शिक्षा की भी व्यवस्था है। लड़कियों की संख्या 250 है। इस वर्ष से सिलाई और कताई-बुनाई की शिक्षा की भी व्यवस्था की गयी है। छात्र इसके महत्त्व से घरेलू उद्योग-धंधों में रुचि ले रहे हैं। इस वर्ष प्रवेशिका परीक्षा में तीस छात्र प्रथम श्रेणी में, बारह द्वितीय श्रेणी में और तीन तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। इस विवरण से स्पष्ट है कि यह स्कूल हर दिशा में विकास कर रहा है। शिक्षा-विभाग के निरीक्षक ने भी इसकी सराहना की है।

दिनांक 20. 12. 2005
विजयपाल सिंह
प्रधानाध्यापक
हरिदास हाई स्कूल

(3) विवरणात्मक प्रतिवेदन- किसी कार्य, योजना, घटना अथवा स्थिति का प्रतिवेदन 'विवरणात्मक प्रतिवेदन' कहलाता है।
जैसे- किसी शिविर के आयोजन का, किसी संस्था की वार्षिक उपलब्धियों का, किसी परिषद के कार्य-कलापों आदि का प्रतिवेदन।

इस प्रकार के प्रतिवेदन में किसी मेले, यात्रा, पिकनिक, सभा, रैली इत्यादि का विवरण तैयार किया जाता है। प्रतिवेदक को यहाँ बड़ी ईमानदारी से विषय का यथार्थ विवरण देना पड़ता है। इस प्रकार के प्रतिवेदन का एक उदाहरण इस प्रकार है-

मेला : प्रतिवेदन

भारत का सबसे बड़ा मेला सोनपुर में हर साल लगता है ; इसे 'हरिहरक्षेत्र का मेला' कहते हैं। यह कार्तिक की पूर्णिमा के दो-तीन दिन पहले से पंद्रह-बीस दिनों तक गंडक और गंगा के संगम पर लगता है। पूर्णिमा के दिन यात्रियों की भारी भीड़ हरिहरनाथ के दर्शन के लिए होती है। इस वर्ष भी मंदिर के सामने दर्शनार्थियों की एक लंबी कतार थी। भीड़ इतनी अधिक थी कि एक लड़का कुचलकर मर गया। फिर भी, भीड़ अपनी जगह से हटी नहीं। हरिहरनाथ के दर्शन कर लोग सजी-सजायी दूकानों की ओर बढ़े। उनकी सजावट मनमोहक थी। देशभर के व्यापारी आये थे। आसपास के मकानों का किराया अधिक था। अलग-अलग स्थानों पर दूकानें लगायी गयी थीं। पशु-पक्षियों का जमाव एक स्थान पर था। हाथी, घोड़े, गाय, बैल इत्यादि की खरीदारी हुई। दूसरे स्थान पर साधु-संन्यासी अपनी-अपनी कुटी में धुनी रमाये थे। तीसरे स्थान पर सरकसवाले तरह-तरह के खेल-तमाशे दिखा रहे थे। रात में बिजली की रोशनी में सारा मेला जगमगा रहा था। सारा दृश्य मनमोहक था। पूर्णिमा के दूसरे दिन मैं घर लौट आया।

दिनांक 20-11-2000
सुरेश गौतम

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