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Magan Garval 5 years, 1 month ago

इस समय धन बहुत सकती साली है,
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Y@Ogesh Ninama 5 years, 1 month ago

Hame hamesa sachae k Raste par chalna chaeye or or hame Apna Kam pouri honestly karna chaeye

Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

मुंशी प्रेमचंद की ये कहानी उस युग की है जब भारत में नमक बनाने और बेचने पर कई तरह के कर लगा दिए गए थे . इस कारण भ्रष्ट अधिकारीयों की चांदी  हो गयी थी और नमक विभाग में काम करने वाले कर्मचारी दूसरे बड़े से बड़े विभागों की तुलना में अधिक ऊपरी कमाई  कर रहे थे . कहानी के  नायक है मुंशी बंसीधर जो एक निर्धन और कर्ज में डूबे परिवार के इक्लूते कमाने वाले हैं.किस्मत से उन्हें नमक विभाग मैं दरोगा की नौकरी मिल जाती है . अतिरिक्त आमदनी के अनेक मौके मिलने और वृद्ध पिता की अनेकों नसीहतों के बाद भी उनका मन धरम से डिगने को नहीं चाहता एक दिन अचानक उन्हें नमक की बहुत बड़ी तस्करी के बारे मैं पता चलता है और वे वहां पहुँच  जाते हैं . इस तस्करी के पीछे वहां के सबसे बड़े ज़मींदार अलोपी दीन का हाथ है . जब पंडित अलोपी दीन को वहां बुलाया जाता है तो वे बड़ी निश्चिन्तता से आते हैं क्योंकि उन्हें पता है की पैसे से हर दरोगा को खरीदा जा सकता है. वे मुंशी जी को हज़ार रुपये की रिश्वत देने की पेशकश करते हैं लेकिन वाशी धर इसके लिए तैयार नहीं होते और उन्हें गिरफ्तार होने का हुक्म दे देते हैं. रकम बड़ते बड़ते चालीस हज़ार तक पहुँच  जाने के बाद भी वंशी धर का इमान नहीं डिगता . पूरे शहर मैं पंडित जी की खूब बदनामी और थुक्काफजीहत होने के बाद भी जब वे पैसे के दम पर आदालत से बाइज्जत बरी हो जाते हैं और अपने रसूख से मुंशी जी  को नौकरी  से भी हटवा देते है तो वंशी धर की मुसीबतों का कोई ठिकाना नहीं रहता . पैसे की तंगी के साथ साथ उन्हें घर वालों के गुस्से का भी सामना करना पड़ता है .तभी अचानक एक अनहोनी  होती है पंडित अलोपी दीन मुंशी जी के घर आकर उन्हें अपने बढ़िया वेतन और अनेक सुख सुविधाओं के साथ पूरे व्यवसाय और संपत्ति का प्रबंधक  नियुक्त कर देते हैं.  क्योंकि वे उनकी इमानदारी से बहुत प्रभावित होते हैं . 

  • 2 answers

Luvkush Saini 5 years, 1 month ago

Lahul spiti jile m ata h

Himank Negi 5 years, 1 month ago

Apni fb id btao.. M btata hu??
  • 2 answers

Y@Ogesh Ninama 5 years, 1 month ago

कृष्णा की भक्ति में मीरा इतनी लिन हो गई थी कि वे संतो के पास बैठकर अपना लोकलाज खो चुकी थी। और जब उसे राणा ने जहर का प्याला दिया तो मीरा ने उसे हस्कर पी लिया था । और कहेने लगी थी कि मुझे अपने प्रभु पर पूरा विश्वास है ।

Himank Negi 5 years, 1 month ago

Dance??
  • 3 answers

Suniti Dwivedi 4 years, 5 months ago

ans for these que

Y@Ogesh Ninama 5 years, 1 month ago

हर मनुष्य की अपनी कुछ कल्पनाएँ होती हैं। कल्पना करने और सपने देखने में फर्क है। कल्पना में उत्सुकता जुड़ने के साथ यदि मनुष्य अपनी इन्द्रियों पर संयम न रखे तो यहीं से प्रलोभन आरम्भ होता है। जीवन में प्रलोभन आया और नैतिक दृष्टि से आप ज़रा भी कमज़ोर हुए तो पतन की पूरी सम्भावना बन जाती है। देखते ही देखते आदमी विलासी, नशा करने वाला, आलसी, भोगी हो जाता है। प्रलोभन इन्द्रियों को खींचते हैं। इनका कोई स्थायी आकार नहीं होता, न ही कोई स्पष्ट स्वरूप होता है। इनके इशारे चलते हैं और इन्द्रियाँ स्वतंत्र होकर दौड़ भाग करने लगती हैं। गुलामी इन्द्रियों को भी पसंद नहीं। वे भी स्वतंत्र होना चाहती हैं। दुनिया में हरेक को स्वतंत्रता पसंद है और उसका अधिकार है, लेकिन जिस दिन इन्द्रियों का स्वतंत्रता दिवस शुरू होता है, उसी दिन से मनुष्य की गुलामी के दिन शुरू हो जाते हैं। इन्द्रियाँ सक्रिय हुई और मनुष्य की चिंतनशील सहप्रवृत्तियाँ विकलांग होने लगती हैं। देखा जाए तो बाहरी संसार की वस्तुओं में आकर्षण नहीं होता, लेकिन जब हमारी कल्पना और उत्सुकता उस वस्तु से जुड़ती हैं, तब उसमें आकर्षण पैदा हो जाता है। विवेक का नियंत्रण ढीला पड़ने लगता है, इन्द्रियों के प्रति हमारी सतर्कता गायब होने लगती है और वे दौड़ पड़ती हैं। इन्द्रियों को रोकने के लिए दबाव न बनाएँ। रुचि से उनका सदुपयोग करें। इसमें सत्संग बहुत काम आता है। सत्संग में मनुष्य की इन्द्रियाँ डायबर्ट होनी शुरू होती हैं। उनके आकर्षण के केन्द्र बदलने लगते हैं। उसमें एक ऐसी सुगंध होती है कि इन्द्रियाँ फिर उसी के आसपास मँडराने लगती हैं और यह हमारी कमज़ोरी की जगह ताकत बन जाती है।  उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। (2) इन्द्रियों के स्वतंत्र होने पर उसका परिणाम क्या होता है? (2) इन्द्रियों के उपयोग की बात किस रूप में की गई है? (2) सहप्रवृत्ति से क्या तात्पर्य है? (2) 'आकर्षण' और 'स्वतंत्र' का विलोम शब्द लिखिए। (2)

Priyanshu Raj Kumar 5 years, 1 month ago

पत्र
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Y@Ogesh Ninama 5 years, 1 month ago

Vansidhar Aapne putra ke leye Esi nokri chahte the jisme Onke putra ko Ache pase mele
  • 1 answers

Ashutosh Gupta 5 years, 1 month ago

Unhone bataya hai ki jaise kumhar ek hi mitti se alag alag bartan banata hai usi prakar ishwar bhi ek hi vastu se sabko alag alag banate hain
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Ashutosh Gupta 5 years, 1 month ago

Shastriya sangit bahut lamba hota hai jabki chitrapat sangit chotta aur Mohaniya hota hai
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Xavier Collins 5 years, 1 month ago

Lata mangeshkar ko iss patha mein sabko sangit ke prati akarshit karte hue daeshaya gaya hau
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Sujata Tripathi 5 years, 1 month ago

Bharat kokila,swar samaryagi, rashtra ki aawaz,sahrabdi ki aawaz. en sbhi naamo se sambodhit kiya jata hai...
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C_Nitin Pandit 5 years, 1 month ago

मीरा श्री कृष्ण के प्रति समर्पित है मीरा बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपना पति मानती थी
  • 3 answers

Anja8 Rawat 5 years, 1 month ago

Ok tq ?

Baijnath Shaw 5 years, 1 month ago

Lohar ka

Baijnath Shaw 5 years, 1 month ago

Lohatka

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