Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Ruchita Parmar Dulabhai Parmar 4 years, 4 months ago
- 2 answers
Gaurav Seth 4 years, 4 months ago
प्रतिवेदन लिखने के लिए निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए-
(1) प्रतिवेदन संक्षिप्त हो।
(2) घटना या किसी कार्रवाई की मुख्य बातें प्रतिवेदन में अवश्य लिखी जानी चाहिए।
(3) इसकी भाषा सरल और शैली सुस्पष्ट हो।
(4) विवरण क्रमिक रूप से हो।
(5) पुनरुक्ति दोष नहीं हो यानी एक ही बात को बार-बार भिन्न-भिन्न रूपों में नहीं लिखना चाहिए।
(6) इसके लिए एक सटीक शीर्षक जरूर हो।
प्रतिवेदन के तीन प्रकार हैं-
(1) व्यक्तिगत प्रतिवेदन
(2) संगठनात्मक प्रतिवेदन
(3) विवरणात्मक प्रतिवेदन
(1) व्यक्तिगत प्रतिवेदन- इस प्रकार के प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने जीवन के किसी संबंध में अथवा विद्यार्थी-जीवन पर प्रतिवेदन लिख सकता है। इसमें व्यक्तिगत बातों का उल्लेख अधिक रहता है। यह प्रतिवेदन कभी-कभी डायरी का भी रूप ले लेता है। यह प्रतिवेदन का आदर्श रूप नहीं है।
एक उदाहरण इस प्रकार है-
7-10-2000
सुबह पाँच बजे उठा। क्रिया-कर्म कर 6 बजे पढ़ने बैठा। अचानक सिर में दर्द हुआ। बिस्तर पर लेट गया। आँखें बंद कर लीं। नींद आ गयी। एक घंटे बाद जगा, पर दर्द बना रहा। डॉक्टर के पास गया। दवा लेकर घर लौटा। दवा खाकर फिर लेट गया। दर्द दूर हो गया। दस बजे भोजन किया और स्कूल के लिए चल पड़ा। 12 बजे दोपहर में सिरदर्द शुरू हुआ, छुट्टी लेकर घर लौट आया। सारा दिन इसी प्रकार कटा।
(2) संगठनात्मक प्रतिवेदन- इस प्रकार के प्रतिवेदन में किसी संस्था, सभा, बैठक इत्यादि का विवरण दिया जाता है। यहाँ प्रतिवेदक अपने बारे में कुछ न कहकर सारी बातें संगठन या संस्था के संबंध में लिखता है।
यह प्रतिवेदन मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक भी हो सकता है। एक स्कूल में वार्षिकोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर प्रधानाध्यापक ने निम्नलिखित प्रतिवेदन पढ़कर सुनाया-
स्कूल का वार्षिकोत्सव : प्रतिवेदन
हमारा स्कूल सन् 1930 में स्थापित हुआ था। इस नगर में यह पिछले 62 वर्षो से शिक्षा का प्रचार करता रहा है। आरंभ में जहाँ 5 शिक्षक और 50 छात्र थे, वहाँ आज शिक्षकों की संख्या 30 और छात्रों की संख्या 700 तक पहुँच गयी है। यहाँ कला, वाणिज्य और विज्ञान की शिक्षा दी जाती है। शिक्षकों को समय पर वेतन मिलता है। ये सभी बड़ी निष्ठा से काम करते हैं स्कूल में सह-शिक्षा की भी व्यवस्था है। लड़कियों की संख्या 250 है। इस वर्ष से सिलाई और कताई-बुनाई की शिक्षा की भी व्यवस्था की गयी है। छात्र इसके महत्त्व से घरेलू उद्योग-धंधों में रुचि ले रहे हैं। इस वर्ष प्रवेशिका परीक्षा में तीस छात्र प्रथम श्रेणी में, बारह द्वितीय श्रेणी में और तीन तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। इस विवरण से स्पष्ट है कि यह स्कूल हर दिशा में विकास कर रहा है। शिक्षा-विभाग के निरीक्षक ने भी इसकी सराहना की है।
दिनांक 20. 12. 2005
विजयपाल सिंह
प्रधानाध्यापक
हरिदास हाई स्कूल
(3) विवरणात्मक प्रतिवेदन- किसी कार्य, योजना, घटना अथवा स्थिति का प्रतिवेदन 'विवरणात्मक प्रतिवेदन' कहलाता है।
जैसे- किसी शिविर के आयोजन का, किसी संस्था की वार्षिक उपलब्धियों का, किसी परिषद के कार्य-कलापों आदि का प्रतिवेदन।
इस प्रकार के प्रतिवेदन में किसी मेले, यात्रा, पिकनिक, सभा, रैली इत्यादि का विवरण तैयार किया जाता है। प्रतिवेदक को यहाँ बड़ी ईमानदारी से विषय का यथार्थ विवरण देना पड़ता है। इस प्रकार के प्रतिवेदन का एक उदाहरण इस प्रकार है-
मेला : प्रतिवेदन
भारत का सबसे बड़ा मेला सोनपुर में हर साल लगता है ; इसे 'हरिहरक्षेत्र का मेला' कहते हैं। यह कार्तिक की पूर्णिमा के दो-तीन दिन पहले से पंद्रह-बीस दिनों तक गंडक और गंगा के संगम पर लगता है। पूर्णिमा के दिन यात्रियों की भारी भीड़ हरिहरनाथ के दर्शन के लिए होती है। इस वर्ष भी मंदिर के सामने दर्शनार्थियों की एक लंबी कतार थी। भीड़ इतनी अधिक थी कि एक लड़का कुचलकर मर गया। फिर भी, भीड़ अपनी जगह से हटी नहीं। हरिहरनाथ के दर्शन कर लोग सजी-सजायी दूकानों की ओर बढ़े। उनकी सजावट मनमोहक थी। देशभर के व्यापारी आये थे। आसपास के मकानों का किराया अधिक था। अलग-अलग स्थानों पर दूकानें लगायी गयी थीं। पशु-पक्षियों का जमाव एक स्थान पर था। हाथी, घोड़े, गाय, बैल इत्यादि की खरीदारी हुई। दूसरे स्थान पर साधु-संन्यासी अपनी-अपनी कुटी में धुनी रमाये थे। तीसरे स्थान पर सरकसवाले तरह-तरह के खेल-तमाशे दिखा रहे थे। रात में बिजली की रोशनी में सारा मेला जगमगा रहा था। सारा दृश्य मनमोहक था। पूर्णिमा के दूसरे दिन मैं घर लौट आया।
दिनांक 20-11-2000
सुरेश गौतम
Posted by Shek Abhi 4 years, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Satwant Kaur 4 years, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Himanshu Kuwal 4 years, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Raja Krishn Pratap Singh Thakur 4 years, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Mohammad Md. Rizwan 4 years, 4 months ago
- 2 answers
Sakshi Chouhan 4 years, 3 months ago
Posted by Upasana Parihar 4 years, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Guruvansh Gulati 4 years, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Komal Dhiman 4 years, 4 months ago
- 1 answers
Yogita Ingle 4 years, 4 months ago
भारत मेलों का देश है यहां पर हर रोज कहीं ना कहीं मेला लगा ही रहता है. मुझे मेले में जाना बहुत अधिक पसंद है हमारे गांव में हर साल दशहरा के दिन मेला भरता है. मेला दशहरा के दिन सुबह लगता है और रात 10:00 बजे तक मेले में चहल पहल रहती है.
दशहरा के दिन हमारे विद्यालय की छुट्टी होने के कारण हम पूरे दिन मेले में ही रहते है. मेले वाले दिन हम सुबह-सुबह नए कपड़े पहन कर तैयार हो जाते हैं फिर मैं अपने दोस्तों के पास जाता हूं फिर हम सब मिलकर मेले में जाते है. मेले में जाने के बाद हम खूब मस्ती करते हैं झूला झूलते हैं समोसे, कचोरी, गोलगप्पे खाते है.
मेले में कई प्रकार के कार्यक्रम होते है. उन सभी कार्यक्रमों को हम बड़े चाव से देखते है. मेले में कई जादूगर आते हैं जो कि जादू दिखाते है. पूरा मेला देखने के बाद हम शाम को घर लौट आते है.
Posted by Komal Dhiman 4 years, 4 months ago
- 1 answers
Yogita Ingle 4 years, 4 months ago
लेखक बताता है कि स्पीति में वर्षा बहुत कम होती है। इस कारण वर्षा ऋतु मन की साध पूरी नहीं करती। वर्षा के बिना यहाँ की धरती सूखी, ठंडी व बंजर होती है। जब कभी यहाँ वर्षा हो जाती है तो लोग इसे अपना सुखद सौभाग्य मानते हैं। वर्षा के दिन को वे सुख का संकेत मानते हैं। लेखक के आने के बाद यहाँ वर्षा हुई। लोगों ने उसे बताया कि वर्षा होने के कारण आपकी यात्रा सुखद होगी।
Posted by Vikas K...... 4 years, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Maheshwar Singh 4 years, 4 months ago
- 1 answers
Gaurav Seth 4 years, 4 months ago
उत्तर : प्रस्तुत पूरी कहानी ‘ईद’ तथा ‘ईदगाह’ के सम्मुख घूमती है। हामिद के गाँव में ईदगाह जाने का उल्लास बच्चे से लेकर बूढ़े तक के हृदय में है। सभी वहाँ जाने की तैयारी करते हैं। हामिद के गुणों पर प्रकाश ईदगाह में ही चलता है। अतः इस कहानी का नाम ईदगाह सही दिया गया है। वैसे इसका नाम ‘हामिद और उसकी दादी’ भी हो सकता था।
Posted by Ratna Bhadauria 4 years, 5 months ago
- 0 answers
Posted by Atul Saxena 4 years, 5 months ago
- 0 answers
Posted by Atul Saxena 4 years, 5 months ago
- 0 answers
Posted by Deepak Kumar 4 years, 4 months ago
- 0 answers
Posted by Sachin Lodhi 4 years, 5 months ago
- 0 answers
Posted by Bhagabati Bhatra 4 years, 5 months ago
- 1 answers
Yogita Ingle 4 years, 5 months ago
पानी के रात भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर संबंध कवि की बीती स्मृति और उससे होने वाली पीड़ा से है। पानी के लगातार बरसने के कारण कवि को अपने घर-परिवार के सदस्यों की याद आ गई। कवि को परिवार के सदस्यों के साथ बिताए गए खुशी के उन पलों की याद आ गई जो उसने कभी उनके साथ रहकर बिताएँ थे। इस कारण उसके प्राण व मन घर की याद में व्याकुल हो जाते हैं। इस तरह पानी के रात भर गिरने और प्राण-मन के घिरने की बात कवि की समृति के संदर्भ में की गई है।
Posted by Ias Gurvi 4 years, 5 months ago
- 1 answers
Posted by Saurabh Baghel 4 years, 5 months ago
- 1 answers
Posted by Manish Singh Mahamna 4 years, 5 months ago
- 0 answers
Posted by Shourya Singh 4 years, 5 months ago
- 1 answers
Gaurav Seth 4 years, 5 months ago
संज्ञा-
किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।
जैसे - पशु (जाति), सुंदरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)।
यह पाँच प्रकार की होती है --
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
2. जातिवाचक संज्ञा
3. समूहवाचक संज्ञा
4. द्रव्यवाचक संज्ञा
5. भाववाचक संज्ञा
Posted by Meenu Meenu 4 years, 5 months ago
- 0 answers
Posted by Anshika Anshika 4 years, 5 months ago
- 2 answers
Posted by Karuna Suryavanshi Karuna Suryavanshi 4 years, 5 months ago
- 0 answers
Posted by Lal Babu Chaudhary 4 years, 5 months ago
- 1 answers
Posted by Komal Arya 4 years, 5 months ago
- 3 answers
Posted by Priyanshi Trikoti 4 years, 6 months ago
- 0 answers
myCBSEguide
Trusted by 1 Crore+ Students
Test Generator
Create papers online. It's FREE.
CUET Mock Tests
75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app
Umesh Raikwar 4 years ago
0Thank You