Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Kirti Chauhan 4 years, 5 months ago
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Posted by Kirti Chauhan 4 years, 5 months ago
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Kirti Chauhan 4 years, 5 months ago
Posted by Ruby 2002 4 years, 5 months ago
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Shivam Kashyap 4 years, 5 months ago
Posted by Meenu Meenu 4 years, 5 months ago
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Priya Kumari 4 years, 5 months ago
Posted by Jatin Jatin 4 years, 5 months ago
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Babita Bisht 4 years, 5 months ago
Yogita Ingle 4 years, 5 months ago
Six basic fundamental rights
We have six basic fundamental rights in our constitution. The sic basic rights are listed below
- Right to Equality (Article 14-18)
- Right to Freedom (Article 19-22)
- Right against Exploitation (Article 23-24)
- Right to Freedom of Religion (Article 25-28)
- Cultural and Educational Rights (Article 29-30)
- Right to Constitutional Remedies (Article 32)
Posted by Rajender K 4 years, 5 months ago
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Posted by Rajender K 4 years, 5 months ago
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Posted by Naina Bhoj 4 years, 5 months ago
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Rajender K 4 years, 5 months ago
Posted by Pushkar Jha 4 years, 5 months ago
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Posted by Pushkar Jha 4 years, 5 months ago
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Posted by Priyanka Bedi 4 years, 5 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 5 months ago
1. कार्यपालिका का नियंत्रण
संसद का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है मंत्रिपरिषद् की चूक और वचनबद्धता की जवाबदेही तय करते हुए उस पर अपने नियंत्रण के अधिकार का प्रयोग करना। धारा 75(3) में स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रिपरिषद तभी तक कार्यरत रह सकती है, जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त है। संसद का यह महत्त्वपूर्ण कार्य एक जवाबदेह शासन को सुनिश्चित करता है।
2. कानून बनाना
कानून बनाना किसी भी विधानमंडल का प्रधान कार्य है। भारत की संसद उन तमाम विषयों पर कानून बनाती है, जो संघ सूची और समवर्ती सूची (राज्य और केंद्र, दोनों की सूची में शामिल विषय) में शामिल हैं।
3. वित्त का नियंत्रण
संसद, खासकर लोकसभा वित्त के कार्यक्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अधिकारों का प्रयोग करती है। विधायिका को यह सुनिश्चित करना होता है कि सार्वजनिक निधि की उगाही और व्यय उसकी अनुमति से हो।
4. विमर्श शुरू करना
सभी महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक नीतियों की चर्चा सदन के पटल पर होती है। लिहाजा न केवल मंत्रिमंडल संसद का परामर्श हासिल करता है और अपनी खामियों के बारे में जानता है, बल्कि पूरे देश को भी सार्वजनिक महत्त्व के विषयों के बारे में जानकारी मिलती है।
5. संवैधानिक कार्य
संविधान के अंतर्गत संसद एकमात्र निकाय है, जो संविधान में संशोधन के लिए कोई प्रस्ताव पेश कर सकता है। संशोधन का प्रस्ताव किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में पेश किया जा सकता है।
6. निर्वाचन संबंधी कार्य
संसद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी भाग लेती है। यह अपनी समितियों के विभिन्न सदस्यों, पीठासीन पदाधिकारियों और उप पीठासीन पदाधिकारियों को भी चुनती है।
7. न्यायिक कार्य
संसद के पास राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम व हाई कोर्ट के जजों के साथ-साथ संघ व राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों तथा सदस्यों और सीएजी पर महाभियोग चलाने का अधिकार है।
Posted by Priyanka Bedi 4 years, 5 months ago
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Posted by Priyanka Bedi 4 years, 5 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 5 months ago
राज्य सभा का महत्व
राज्य सूची में सूचीबद्ध किसी भी विषय पर कानून बनाने के लिए संसद को अधिकृत कर सकता है (अनुच्छेद 249)
संसद को केंद्र और राज्य दोनों ही के लिए नई अखिल भारतीय सेवाएं / नौकरियां बनाने को अधिकृ कर सकता है।
भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है।
लोकसभा का महत्त्व
लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। भारतीय संविधान के अनुसार सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या ५५२ तक हो सकती है, जिसमें से ५३० सदस्य विभिन्न राज्यों का और २० सदस्य तक केन्द्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। सदन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होने की स्थिति में राष्ट्रपति यदि चाहे तो आंग्ल-भारतीय समुदाय के २ प्रतिनिधियों को लोकसभा के मनोनीत कर सकता है।लोकसभा, भारतीय संसद का निचला सदन है।
Posted by Kartik Rana 4 years, 6 months ago
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Posted by Rinku Devi 4 years, 6 months ago
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Posted by Deepika Dabas 4 years, 6 months ago
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Pujan Mishra Ji 4 years, 5 months ago
Posted by Priyanshu Baliyan 4 years, 6 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 6 months ago
भारत के संविधान की विशेषता यह है कि वह संघात्मक भी है और एकात्मक भी। भारत के संविधान में संघात्मक संविधान की सभी उपर्युक्त विशेषताएं विद्यमान हैं। दूसरी विशेषता यह है कि आपातकाल में भारतीय संविधान में एकात्मक संविधानों के अनुरूप केंद्र को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए प्रावधान निहित हैं।
तीसरी विशेषता यह है कि केवल एक नागरिकता का ही समावेश किया गया है तथा एक ही संविधान केंद्र तथा राज्य दोनों ही सरकारों के कार्य संचालन के लिए व्यवस्थाएं प्रदान करता है। इसके अलावा संविधान में कुछ अच्छी चीजें विश्व के दूसरे संविधानों से भी संकलित की गई हैं।
Posted by Priyanshu Baliyan 4 years, 6 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 6 months ago
A n s w e r : ब्रिटेन ब्रिटेन से
E x p l a n a t i o n :
ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली
ब्रिटेन से संसदीय सरकार, कानून, संसदीय प्रणाली, एकल नागरिकता, कैबिनेट व्यवस्था सहित कई बातों को शामिल किया गया।
Posted by Payal Soni 4 years, 6 months ago
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Posted by Aadil Khan 4 years, 6 months ago
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Posted by Nikhil Pal 4 years, 6 months ago
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Posted by Mohammad Fahed 4 years, 6 months ago
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Kumkum Vats 4 years, 6 months ago
Posted by Saniya Bano 4 years, 6 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 6 months ago
भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है:
भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है इसका तात्पर्य यह है कि हमारे संविधान में समय की जरूरतों को देखते हुए इसके अनुकूल संविधान में संशोधन किये जा सकते है | यही कारण है कि भारतीय संविधान को एक जीवंत दस्तावेज कहा जाता है |
यह निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट हो जाता है |
(i) यह भविष्य में होने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ चलने वाला संविधान है | यदि कभी भविष्य में किसी विषय को लेकर यदि कोई परिवर्तन करना हो तो हमें अन्य संविधान की आवश्यकता नहीं है वरन हम इसी संविधान में संशोधन कर इसे जीवंत बना सकते है |
(ii) हमारा संविधान कुछ मामलों में लचीला है तो कुछ में कठोर है |
(iii) अदालती फैसले और राजनीतिक व्यवहार-बरताव दोनों ने संविधान के अमल में अपनी परिपक्वता और लचीलेपन का परिचय दिया है। इन्हीं वजहों से हमारा संविधान कानूनों की एक बंद और जड़ किताब न बनकर एक जीवंत दस्तावेश के रूप में विकसित हो सका है।
(iv) समय के एक खास मोड़ पर अपने समाज के लिए संविधान तैयार कर रहे लोगों को एक आम चुनौती का सामना करना पड़ता है। इसलिए, किसी भी संविधान को भविष्य में पैदा होने वाली चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने में भी सक्षम होना चाहिए। हमारा संविधान ऐसे मामलों में बिलकुल सक्षम है |
(v) हमारे संविधान निर्माता ये जानते थे कि भविष्य में इस दस्तावेज में संशोधन की आवश्यकता पड़ सकती है इसलिए संविधान बनाते समय दोनों बातों का ध्यान रखा गया अर्थात इसे पवित्र दस्तावेज मानने के साथ-साथ इतना लचीला भी बनाया गया कि समय की आवश्यकता के अनुरूप इसमें बदलाव किया जा सके |
Posted by Manshu Dhoundiyal 4 years, 6 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 6 months ago
संविधान का कार्य निम्नलिखित है :
(i) संविधान का पहला काम यह है कि वह बुनियादी नियमों का एक ऐसा समूह
उपलब्ध् कराये जिससे समाज के सदस्यों में एक न्यूनतम समन्वय और विश्वास
बना रहे।
(ii) संविधान का दूसरा काम यह स्पष्ट करना है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी। संविधन यह भी तय करता है कि सरकार कैसे निर्मित होगी।
(iii) संविधान का तीसरा काम यह है कि वह सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किये जाने वाले कानूनों पर कुछ सीमाएँ लगाए। ये सीमाएँ इस रूप में मौलिक होती हैं कि सरकार कभी उसका उल्लंघन नहीं कर सकती।
(iv) संविधान का चौथा काम यह है कि वह सरकार को ऐसी क्षमता प्रदान करे जिससे वह जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सके और एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए उचित परिस्थितियों का निर्माण कर सके।
Posted by Mohit Thakur 4 years, 6 months ago
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Posted by Pushpraj.Garg Student 4 years, 6 months ago
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Posted by Pushpraj.Garg Student 4 years, 6 months ago
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Posted by Amrit Kumar 4 years, 7 months ago
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