Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Musharraf Khan 3 years, 10 months ago
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Posted by Mansi Thakur 3 years, 10 months ago
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Indian ... 3 years, 10 months ago
Indian ... 3 years, 10 months ago
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Anshu Kadyan 3 years, 11 months ago
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 10 months ago
जनहित याचिका एक ऐसा माध्यम है, जिसमें मुकदमेबाजी या कानूनी कार्यवाही के द्वारा अल्पसंख्यक या वंचित समूह या व्यक्तियों से जुड़े सार्वजनिक मुद्दों को उठाया जाता है. सरल शब्दों में, जनहित याचिका (PIL) न्यायिक सक्रियता का नतीजा है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति या एक गैर-सरकारी संगठन या नागरिक समूह, अदालत में ऐसे मुद्दों पर न्याय की मांग कर सकता है जिसमें एक बड़ा सार्वजनिक हित जुड़ा होता है.
वास्तव में जनहित याचिका, कानूनी तरीके से सामाजिक परिवर्तन को प्रभावी बनाने का एक तरीका है. इसका उद्देश्य सामान्य लोगों को अधिक से अधिक कानूनी सहायता प्राप्त करने के लिए न्यायपालिका तक पहुंच प्रदान करना है.
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
12
राज्य सभा में 250 से अधिक सदस्य नहीं होने चाहिए - राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 238 सदस्य और राष्ट्रपति द्वारा नामित 12 सदस्य।
The Rajya Sabha should consist of not more than 250 members - 238 members representing the States and Union Territories, and 12 members nominated by the President.
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
Unites States of America |
1. Impeachment of the president 2. Functions of president and vice-president 3. Removal of Supreme Court and High court judges 4. Fundamental Rights 5. Judicial review 6. Independence of judiciary 7. The preamble of the constitution |
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 10 months ago
सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया.
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 10 months ago
42वें संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा हमारे वर्तमान संविधान के भाग 4 में मौलिक कर्तव्य शामिल किये थे। वर्तमान में अनुच्छेद 51 A के तहत हमारे संविधान में 11 मौलिक कर्तव्य हैं जो कानून द्वारा वैधानिक कर्तव्य हैं और प्रवर्तनीय भी हैं। मौलिक अधिकारों को स्थापित करने के पीछे का उद्देश्य नागरिकों द्वारा अपने मौलिक अधिकारों का आदान-प्रदान कर अपने कर्तव्यों के दायित्वों पर जोर देकर उनका आनंद उठाना था।
A) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों एवं संस्थाओं, राष्ट्रध्वज तथा राष्ट्रगान का आदर करे
संविधान का पालन करने और इसके आदर्शों एवं संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्र गान के संदर्भ में- प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह आदर्शों का सम्मान करे जिसमें स्वतंत्रता, न्याय, समानता, भाईचारा और संस्थाएं अर्थात् संस्थान, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका शामिल है। इसलिए किसी भी अंसंवैधानिक गतिविधियों में लिप्त हुए बिना संविधान की गरिमा बनाए रखना हम सब का कर्तव्य है। संविधान में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि कोई भी नागरिक को राष्ट्रध्वज तथा राष्ट्रगान का अनादर करता है तो संविधान के प्रति वह दंड का भागीदार होगा। एक संप्रभु राष्ट्र के नागरिक के रूप संविधान का आदर करना सबका कर्तव्य है।
B) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों का सम्मान करे
भारत के नागरिक को उन महान आदर्शों का ध्यान रखते हुए पालन करना चाहिए जो स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन की प्रेरणा का स्त्रोत बने। एक समाज का निर्माण और स्वतंत्रता, समानता, अहिंसा, भाईचारा और विश्व शांति के लिए एक संयुक्त राष्ट्र का निर्माण करना हमारे आदर्श है। यदि भारत के नागरिक इन आर्दशों के प्रति सचेत और प्रतिबद्ध हैं, तो अलगाववादी प्रवृत्तियां कहीं भी कहीं भी जन्म नहीं ले सकती है।
C) भारत की समप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और अक्षुण्ण बनाए रखे:
यह भारत के सभी नागरिकों के सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय दायित्वों में से एक है। भारत में जाति, धर्म, लिंग, भाषा के आधार पर लोगों की विशाल विविधता है। यदि देश की आजादी और एकता पर कोई खतरा उत्पन्न होता है तो तब संयुक्त राष्ट्र की कल्पना करना संभंव नहीं है। इसलिए संप्रभुता लोगों के पास हमेशा रहती हैं। इसे फिर से स्मरित किया जाता है जैसा कि प्रस्ताव में इसका उल्लेख पहले भी किया गया है और मौलिक अधिकारों की धारा 19 (2) के तहत भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उचित प्रतिबंधों की अनुमति प्रदान की गयी है।
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 10 months ago
भारत के संविधान को 60 देशों के संविधान को पढ़कर बनाया गया है।भारत के संविधान के ज्यादातर वस्तुएं भारतीय अधिनियम 1935 से लिया हुआ है।उसके आलवा अधिकार अमरीका के संविधान से,मूल कर्तव्य रूस के संविधान छे,राज्य नीति ना मार्गदर्शक सिद्धांत आयरलैंड के संविधान छे,राज्यपाल के चुनाव प्रक्रिया कनाडा के संविधान छे,कटोकती में उपबंध जर्मनी के संविधान से ओर कायदा द्वारा स्थापित प्रक्रिया जापान से ऐसी लिए संविधान को उधार का संविधान कहा जाता है।
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Yogita Ingle 3 years, 10 months ago
1. |
इसके सदस्य आम जनता द्वारा वयस्क मतदान की प्रक्रिया के तहत चुने जाते हैं| |
इसके सदस्य राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं| |
2. |
लोक सभा का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है| |
यह एक स्थायी सदन है जिसके एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दो साल बाद रिटायर हो जाते हैं| |
3. |
इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 552 है| |
इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 250 है| |
4. |
धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। यह सदन देश में शासन चलाने हेतु धन आवंटित करता है| |
धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा को अधिक शक्तियां प्राप्त नहीं है| |
5. |
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है| |
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्यसभा के प्रति उत्तरदायी नहीं होती है| |
6. |
लोकसभा के बैठकों की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं| |
राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता उप-राष्ट्रपति करते हैं | |
7. |
इसे निचला सदन या आम जनता का सदन कहा जाता है| |
इसे ऊपरी सदन या ‘राज्यों की परिषद्’ कहा जाता है| |
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Anshu Kadyan 1 year, 3 months ago
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है और अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे दिया जाता है। चुनावों की इस व्यवस्था को ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ कहते हैं।
इस प्रणाली में किसी पार्टी को उतनी ही प्रतिशत सीटें मिलती हैं जितने प्रतिशत उसे वोट मिलते हैं।
समानुपातिक प्रतिनिधित्व के दो प्रकार होते हैं:-
(i) कुछ देशों जैसे इज़राइल या नीदरलैंड में पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है और प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में प्राप्त वोटों के अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं।
(ii) दूसरा तरीका अर्जेंटीना और पुर्तगाल में देखने को मिलता है जहाँ पूरे देश का बहु-सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक पार्टी प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए अपने प्रत्याशियों की एक सूची जारी करती है जिसमें उतने ही नाम होते हैं जितने प्रत्याशियों को उस निर्वाचन क्षेत्र से चुना जाना होता है। इन दोनों ही रूपों में मतदाता राजनीतिक दलों को वोट देते हैं न कि उनके प्रत्याशियों को। एक पार्टी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में जितने मत प्राप्त होते हैं उसी आधर पर उसे उस निर्वाचन क्षेत्र में सीटें दे दी जाती हैं|
Posted by Aakash Kumar 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
संप्रभु: इसका मतलब है कि भारत एक स्वतंत्र या स्वतंत्र देश है। यह किसी भी विदेशी शक्ति द्वारा नियंत्रित नहीं है और उन्हें देश के किसी भी आंतरिक या बाहरी मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है। इसका तात्पर्य यह है कि यह अपनी घरेलू और विदेशी नीतियों में से किसी को भी तैयार करने के लिए स्वतंत्र है।
लोकतांत्रिक: इसका मतलब है कि लोगों में राजनीतिक शक्ति निहित है। भारत के लोगों के पास हर स्तर पर अपनी पसंद की सरकार चुनने की शक्ति है - संघ, राज्य और स्थानीय। इस प्रकार, हमारी सरकार को लोकतांत्रिक सरकार कहा जाता है क्योंकि यह लोगों के लिए, लोगों द्वारा, लोगों के लिए 'सरकार है'।
गणतंत्र: इसका मतलब है कि हमारे देश में एक निर्वाचित प्रमुख, राष्ट्रपति होता है। वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पांच साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं। हालांकि, इस तरह के हेड का कोई वंशानुगत अधिकार नहीं है।
समाजवादी: इस शब्द को संविधान में 1976 के 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था। इसका तात्पर्य यह है कि राज्य अपने लोगों के बीच धन का समान वितरण सुनिश्चित करेगा। समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा और सुरक्षा के लिए उचित उपाय किए जाएंगे। साथ ही, इसका उद्देश्य अमीर और गरीब के बीच की खाई को पाटने के लिए समान अवसर प्रदान करना है।
Posted by X_Lucifer? X_Gods 3 years, 11 months ago
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Posted by Shivam Kumar 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
भारत निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ और कार्य हैं
- चुनाव की तारीख की घोषणा चुनाव आयोग करता है।
- इसका सबसे बड़ा कार्य और जिम्मेदारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है।
- मतदान के कुछ दिन पहले और बाद में यह आचार संहिता को लागू करता है। यह आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले किसी भी उम्मीदवार को दंडित कर सकता है।
- चुनाव अवधि के दौरान चुनाव आयोग सरकार को कुछ दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश दे सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि सत्ता पक्ष सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग न करे।
- चुनावों के दौरान, प्रत्येक सरकारी कर्मचारी चुनाव आयोग के नियंत्रण में काम करता है और सरकार नहीं।
Posted by Lucky Rai Rai 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
1989 तक
भारत का चुनाव आयोग या तो एकल सदस्य या बहु-सदस्यीय निकाय हो सकता है। 1989 तक, चुनाव आयोग एकल सदस्य था। 1989 के आम चुनावों से ठीक पहले, दो चुनाव आयुक्त नियुक्त किए गए थे, जो निकाय को बहु-सदस्य बनाते थे। चुनावों के तुरंत बाद, आयोग अपने एकल सदस्य के दर्जे पर वापस लौट आया। 1993 में, दो चुनाव आयुक्तों को एक बार फिर से नियुक्त किया गया और आयोग बहु-सदस्य बन गया और तब से बहु-सदस्य बना हुआ है।
The Election Commission of India can either be a single member or a multi-member body. Till 1989, the Election Commission was single member. Just before the 1989 general elections, two Election Commissioners were appointed, making the body multi-member. Soon after the elections, the Commission reverted to its single member status. In 1993, two Election Commissioners were once again appointed and the Commission became multi-member and has remained multi-member since then.
Posted by Mohit Kala 3 years, 11 months ago
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Posted by Abrar Khan 3 years, 11 months ago
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Posted by Simran ?????? 3 years, 11 months ago
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Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
अध्यक्षात्मक कार्यपालिका क्यूंकि राष्ट्रपति की शक्तियों पर बहुत बल देती है , इससे व्यक्ति पूजा का खतरा बना रहता है । संविधान निर्माता एक ऐसी सरकार चाहते थे जिसमें एक शक्तिशाली कार्यपालिका तो हो , लेकिन साथ - साथ उसमें व्यक्ति पूजा पर भी पर्याप्त अंकुश लगें हो । संसदीय व्यवस्था में कार्यपालिका विधायिका या जनता के प्रति उत्तरदायी होती है और नियंत्रित भी । इसलिए संविधान में राष्ट्रीय और प्रांतीय दोनों ही स्तरों पर संसदीय कार्यपालिका की व्यवस्था को स्वीकार किया गया ।
Posted by Raj Raj 3 years, 11 months ago
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Posted by Kavita Raikwar 3 years, 11 months ago
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Posted by Kavita Raikwar 3 years, 11 months ago
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Posted by Kavita Raikwar 3 years, 11 months ago
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Posted by Bhaskar Joshi 3 years, 11 months ago
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