Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Esakki Muthu 3 years, 10 months ago
- 2 answers
Posted by Hemraj Kavdeti 3 years, 10 months ago
- 1 answers
Indian ... 3 years, 10 months ago
Posted by Saloni Choudhary 3 years, 10 months ago
- 0 answers
Posted by P.Dharma Raju P.Dharma Raju 3 years, 10 months ago
- 1 answers
Saloni Choudhary 3 years, 10 months ago
Posted by Amrit Kumar 3 years, 11 months ago
- 1 answers
Saloni Choudhary 3 years, 10 months ago
Posted by Amrit Kumar 3 years, 11 months ago
- 3 answers
Dr. Asha Mishra 2 years, 1 month ago
Saloni Choudhary 3 years, 10 months ago
Posted by Jaishree Patidar 3 years, 11 months ago
- 3 answers
Gaurav Seth 3 years, 11 months ago
जैव विविधता के ह्रास के निम्नलिखित कारण हैं
(i) कृषि भूमि को बढ़ाने के लिए वनों का तेजी से ह्रास किया जा रहा है। वन-भूमि के हास के कारण वन्य-जीवों के निवास स्थल का भी ह्रास होता जा रटा है।
(ii) कई क्षेत्रों में मनुष्य ने जंगली जानवरों का काफी मात्रा में शिकार किया है, जिससे इन क्षेत्रों में इन जंगली जानवरों की संख्या काफी कम हो गई है।
(iii) वर्तमान औद्योगिक युग में उद्योगों से निकलने वाला रसायनयुक्त प्रदूषित जल जब जलाशयों में मिल जाता है तो उन जलाशयों के जीव-जंतु या तो खत्म हो जाते हैं या उनका जीवन खतरे में रहता है। इसे रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं
(क) विश्व की बंजर भूमि में वनों को लगाना चाहिए।
(ख) जहरीली गैसों से युक्त उद्योगों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए या जनसंख्या विहीन क्षेत्रों में उनकी स्थापना की जानी चाहिए।
(ग) जैविक विविधता के संरक्षण से संबंधित एक रूपरेखा तैयार करनी चाहिए, जिसको अमल में लाने के लिए सभी देशों को बाध्य करना चाहिए।
Posted by Jaishree Patidar 3 years, 11 months ago
- 1 answers
Yogita Ingle 3 years, 11 months ago
खाद्य श्रृंखला में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह ही खाद्य श्रृंखला (Food Chain) कहलाती है।
चराई खाद्य श्रृंखला (Grazing Food-chain) पौधों से आरम्भ होकर मांसाहारी तृतीयक उपभोक्ता तक जाती है। इसमें शाकाहारी मध्यम स्तर पर होता है। उदाहरण के लिए-पौधा/पादप → गाय/खरगोश → शेर या घास → टिड्डे → मेंढक → सर्प → बाज। चराई खाद्य श्रृंखला लघु आकारीय तथा वृहत् आकारीय दोनों होती है। जिस श्रृंखला में तीन स्तर होते हैं, उसे लघु चराई खाद्य शृंखला तथा जिसमें पाँच या इससे अधिक स्तर होते हैं उसे वृहत् चराई श्रृंखला कहा जाता है।
Posted by Bharat Rajpurohit 3 years, 11 months ago
- 1 answers
Saloni Choudhary 3 years, 10 months ago
Posted by Md Tohid 3 years, 11 months ago
- 0 answers
Posted by Sristy Sahrawat 3 years, 11 months ago
- 1 answers
Gaurav Seth 3 years, 10 months ago
A map scale provides the relationship between the map and the whole or a part of the earth's surface shown on it. We can also express this relationship as a ratio of distances between two points on the map and the corresponding distance between the same two points on the ground.
Posted by Amrit Kumar 3 years, 11 months ago
- 3 answers
Posted by Sristy Sahrawat 4 years ago
- 1 answers
Yogita Ingle 4 years ago
Forests that are found in the tidal areas and the delta regions are known as the tidal forests. Two types of trees found here are sundari trees and gorjantrees.
Posted by Ritu Dalal 4 years ago
- 0 answers
Posted by Ritu Dalal 4 years ago
- 1 answers
Gaurav Seth 4 years ago
भूकंपीय तरंगें दो प्रकार की होती हैं। इन्हें ‘P’ तरंगें व ‘S’ तरंगें कहा जाता है। ‘P’ तरंगें तीव्र गति से चलने वाली तरंगें हैं और धरातल पर सबसे पहले पहुँचती हैं। ‘P’ तरंगें गैस, तरल व ठोस तीनों प्रकार के पदार्थों से गुजर सकती हैं। ‘S’ तरंगों के विषय में एक महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि ये केवल ठोस पदार्थों के ही माध्यम से चलती हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार की भूकंपीय तरंगों के संचरित होने की प्रणाली भिन्न-भिन्न होती हैं। जैसे ही ये संचरित होती हैं। वैसे ही शैलों में कंपन पैदा होता है। ‘P’ तरंगों से कंपन की दिशा तरंगों की दिशा के समानांतर ही होती हैं। यह संचरण गति की दिशा में ही पदार्थ पर दबाव डालती हैं। इसके दबाव के फलस्वरूप पदार्थ के घनत्व में भिन्नता आती है और शैलों में संकुचन व फैलाव की प्रक्रिया पैदा होती है। अन्य तीन तरह की तरंगें संचरण गति के समकोण दिशा में कंपन पैदा करती हैं। ‘S’ तरंगें ऊर्ध्वाधर तल में तरंगों की दिशा के समकोण पर कंपन पैदा करती हैं। अतः ये जिस पदार्थ से गुजरती हैं, उसमें उभार व गर्त बनाती हैं। धरातलीय तरंगें सबसे अधिक विनाशकारी समझी जाती हैं।
Posted by Tanya Tomar 4 years ago
- 1 answers
Posted by Sonali Pradhan 4 years ago
- 0 answers
Posted by Priya Sood 4 years ago
- 0 answers
Posted by Ronit Raj 4 years ago
- 0 answers
Posted by Anjali Aryan 4 years ago
- 2 answers
Saloni Choudhary 3 years, 10 months ago
Gaurav Seth 4 years ago
पृथ्वी की आंतरिक संरचना की विशेषताओं के संबंध में मानव ज्ञान अधिकांशतः अनुमानों और प्रेक्षणों पर आधारित है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में जानकारी के स्रोतों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है: a) प्रत्यक्ष स्रोत और b) अप्रत्यक्ष स्रोत।
प्रत्यक्ष स्रोत:
- खनन एवं ड्रिलिंग की प्रक्रिया के माध्यम से चट्टानों और खनिजों का निष्कर्षण किया जाता है जिससे यह जानकारी प्राप्त होती है कि क्रस्ट का निर्माण परतों के रूप में हुआ है।
- ज्वालामुखी विस्फोट से ज्ञात होता है कि पृथ्वी के आंतरिक भाग में एक क्षेत्र अत्यधिक तप्त एवं अर्द्ध-तरल अवस्था में है। हालांकि खनन और ड्रिलिंग से पृथ्वी की ऊपरी परतों के संबंध में केवल सीमित ज्ञान ही प्राप्त होता है। प्रत्यक्ष स्रोत अधिक विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि ये प्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी की सतह की एक निश्चित गहराई के संबंध में ही जानकारी प्रदान करने में सक्षम होते हैं।
अप्रत्यक्ष स्रोत: भूकंपीय तरंगें, गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र, चुंबकीय क्षेत्र, गिरते उल्का पिंड आदि अप्रत्यक्ष स्रोतों के उदाहरण हैं।
- पृथ्वी के आंतरिक भागों में गहराई बढ़ने के साथ तापमान और दबाव में भी वृद्धि होती है एवं साथ ही गहराई बढ़ने पर पदार्थ के घनत्व में भी वृद्धि होती है।
- पृथ्वी की सतह पर विभिन्न स्थानों पर पाई जाने वाली गुरुत्व विसंगतियां (Gravity anomalies) पृथ्वी के क्रस्ट (भूपर्पटी) में पदार्थ के द्रव्यमान के असमान वितरण के संबंध में जानकारी प्रदान करती है।
- भूकंपीय तरंगों की गति और संचरण में हुए परिवर्तनों से जानकारी प्राप्त होती है कि पृथ्वी का आंतरिक भाग तीन परतों से मिलकर बना है और प्रत्येक परत का घनत्व भिन्न है, जिसमें पृथ्वी के केंद्र की ओर जाने पर वृद्धि होती है।
- चुंबकीय सर्वेक्षण से पृथ्वी के क्रस्ट में चुंबकीय पदार्थों के वितरण के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- उल्का पिंड भले ही पृथ्वी के आंतरिक भाग से नहीं निकलते हों, किन्तु इन्हें जानकारी का अन्य स्रोत माना जा सकता है।
उपर्युक्त वर्णित स्रोतों के अतिरिक्त, वैज्ञानिकों ने “डीप ओशन ड्रिलिंग प्रोजेक्ट” और “इंटीग्रेटेड ओशन ड्रिलिंग प्रोजेक्ट” पर भी कार्य किया है, ताकि विभिन्न गहराइयों में प्राप्त होने वाले पदार्थों के विश्लेषण के माध्यम से पृथ्वी की आंतरिक संरचना के विषय में जानकारी एकत्रित की जा सके।
Posted by Anjali Aryan 4 years ago
- 3 answers
Posted by Anjali Aryan 4 years ago
- 1 answers
Saloni Choudhary 3 years, 10 months ago
Posted by Tamanna Wadhwani 4 years, 1 month ago
- 2 answers
Posted by Avantika Avantika 4 years, 1 month ago
- 1 answers
Karan Kanojia 4 years, 1 month ago
Posted by Avantika Avantika 4 years, 1 month ago
- 2 answers
Karan Kanojia 4 years, 1 month ago
Niku ? Kumar ❤️ 4 years, 1 month ago
Posted by R. D. 4 years, 1 month ago
- 1 answers
Posted by Anjali Trivedi 4 years, 1 month ago
- 1 answers
Yogita Ingle 4 years, 1 month ago
उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु और समुद्री पश्चिमी तटीय जलवायु की जलवायुओं में तापांतर बहुत कम होता है।
Posted by R. D. 4 years, 1 month ago
- 0 answers
Posted by R. D. 4 years, 1 month ago
- 1 answers
Posted by Satyam Thakur 4 years, 1 month ago
- 1 answers
R. D. 4 years, 1 month ago
myCBSEguide
Trusted by 1 Crore+ Students
Test Generator
Create papers online. It's FREE.
CUET Mock Tests
75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app
Umesh Raikwar 3 years, 8 months ago
0Thank You