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Preeti Dabral 1 year, 10 months ago

सर्वत्र ख्याल का प्रचार होने से सदारंग-अदारंग का नाम सर्वविदित है, क्योंकि उन लोगों ने अनेक छोटे-बड़े ख्यालों की रचना की। ख्याल के साथ वे लोग भी अमर हो गये सदारंग-अदारंग उनका उपनाम था, उनका असली नाम क्रमशः नियामत खाँ और फिरोज खाँ था। अदारंग (फिरोज खॉ) सदारंग (नियामत खाँ) के पुत्र थे। गायक तानसेन की पुत्री की दसवीं पीढ़ी सदारंग की थी। उनका पूरा उपनाम सदारंगीले था। उनके गीतों में अधिकतर सदारंगीले मोहमदसा लिखा हुआ पाया जाता है। वे मोहम्मदशाह के दरबार में थे। उनको प्रसन्न करने के लिये अपने गीतों में उनका नाम डाल दिया करते थे। एक बार बादशाह के दिमाग में यह बात जम गई कि सारंगी के साथ नियामत खाँ की बीन भी बजे। उनकी यह इच्छा नियामत खाँ को सूचित कर दी गई। इसे सुनकर वे बड़े दुःखी हुये और उनके वजीर से साफ-साफ कह दिया कि सारंगी की संगति करना मेरी बेइज्जती है। मैं खानदानी बीनकर हूँ, कोई अताई नहीं हूं। बादशाह की बात किसी प्रकार टाली नहीं जा सकती थी। एक ओर नियामत खाँ अपनी हठ पर अड़े रहे और दूसरी ओर बादशाह, जो उसे दरबार में रक्खे हुए थे। वे अपनी आज्ञा की अवहेलना किसी भी प्रकार सहन नहीं कर सकते थे। अतः उसने सदारंग को अपने दरबार से निकाल दिया। कुछ समय तक सदारंग अज्ञात रहे। उनका मन सदा ख्याल के प्रचार में लगा रहता। अन्त में सदारंग ने ख्याल को प्रचार में लाने के लिये एक नई तरकीब खोज निकाली। उन्होंने सोचा कि अगर गाने के शब्दों में बादशाह का नाम भी डाल दिया जाय तो ऐसे गीतों को सभी लोग पसन्द करेंगे और गीत के साथ ख्याल शैली भी प्रचलित हो जायेगी। उसने ऐसा ही किया और उसे बड़ी सफलता मिली। उसने अपने सभी रचित गीतों में सदा रंगीले मोम दशा शब्द डाल दिया। बादशाह भी ऐसे गीतों को बड़ी चाव से सुनता था। उसके मन में बड़ी उत्कण्ठा हुई कि सदा रंगीले कौन हैं ? पता लगाने पर वह नियामत खाँ निकले। बादशाह ने उनके पुराने अपराध को क्षमा कर दिया और पुनः आदरपूर्वक दरबार में रख लिया। दरबार के अन्य ध्रुपद गायक ख्याल को जनाना संगीत कहने लगे और उससे जलने लगे। कहा जाता है कि सदा रंगीले स्वयं तो ध्रुपद गाया करते थे, किन्तु अपने शिष्यों को ख्याल ही सिखाते। उसके गीतों में श्रृंगारिकता और बादशाह की प्रशंसा पाई जाती है। उसके रचित गीत ख्याल होने के कारण पहले निम्न कोटि के समझे जाते थे, किन्तु जैसे-जैसे प्रचलित होते गये उनका महत्व बढ़ता गया।

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Neelam Devi 1 year, 9 months ago

In Eng or Hindi
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Geeta Kumari 1 year, 9 months ago

Khamaj

Khushi Namdeo 1 year, 11 months ago

Yeah

Khushi Namdeo 1 year, 11 months ago

Teahh
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Sai Akshara 1 year, 10 months ago

7½ octaves are there in piano Each octave with 12 keys 5 black and 7 white
Who knows who cares 🙄🤨🥱🥴
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Aba bavakufh insan sab hand sa hi bagata ha thik ha ab tu land sa bajha raha ha to its ur problem

Badal Santa 2 years, 1 month ago

By our help of hand sir
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Rahul Garg 2 years, 3 months ago

Tanpura
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Aditya Jaiswal 2 years, 2 months ago

C D E F G A B C# D# E F# G# A# B IF YOU WANT TO PLAY HAPPY BIRTHDAY SONG THEN C C D C F E C C D C G F C C A#A G E D A#A#A F G F

Shivansh Kumar 2 years, 4 months ago

Ok😘
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Harsh Keshari 1 year, 9 months ago

Hi I am jhalak and I am army too 💜
Hiii arpita are u an BTS army to i am an BTS army
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Madhu Singh 2 years, 6 months ago

Yes I really want
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Ritika Yadav 3 years ago

I know

Himani Sinha 3 years ago

One of the ancient traditional melodic patterns or modes in Indian music
I know it

Moni Sree 3 years ago

Rag

Priyanka K 3 years ago

High
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Sia ? 3 years, 3 months ago

A raga or raag (IAST: rāga; also raaga or ragam; literally "coloring, tingeing, dyeing") is a melodic framework for improvisation akin to a melodic mode in Indian classical music. Each rāga provides the musician with a musical framework within which to improvise.

S S 3 years, 1 month ago

A raga or raag (IAST: rāga; also raaga or ragam; literally "coloring, tingeing, dyeing") is a melodic framework for improvisation akin to a melodic mode in Indian classical music. Each rāga provides the musician with a musical framework within which to improvise.
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Kavita Srinivas 3 years, 2 months ago

హౌరా bikaner గువ్వవే నా ప్రేమకథ
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Preeti Dabral 3 years, 4 months ago

त्रिपुष्कर वाद्ययंत्र, जिसे पंडित शारंग देव ने अव्यवहारिक बताते हुए अपने शास्त्र संगीत रत्नाकर में उसका वर्णन करने से मना कर दिया था, तबला कलाकार व भातखंडे के शिक्षक सारंग पांडेय ने न सिर्फ उसका पुनर्निर्माण किया, बल्कि केंद्र सरकार से मान्यता भी दिला दी। भरत मुनि के नाट्य शास्त्र में वर्णित अनवद्ध वाद्य ‘त्रिपुष्कर’ को भारत सरकार ने सबसे पुराने वाद्य यंत्र के रूप में दर्ज किया है। श्री पांडेय ने बताया कि 28 मार्च को आवेदन किया था। शोध कराने के बाद केंद्र सरकार ने उसे सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र की मान्यता दी।

Omprakash Kushwaha 2 years, 10 months ago

ठठठ
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Sia ? 3 years, 6 months ago

तानपुरा एक वाद्य यंत्र है। उत्तर-भारतीय संगीत में इसने महत्त्वपूर्ण स्थान ग्रहण कर लिया है। कारण यह है कि इसका स्वर बहुत ही मधुर तथा अनुकूल वातावरण की सृष्टि में सहायक होता है।
तानपुरे की झन्कार सुनते ही गायक की हृदय-तन्त्री भी झंकृत हो उठती है, अत: इसका उपयोग गायन अथवा वादन के साथ स्वर देने में होता है।
अपरोक्ष रूप में तानपुरे से सातो स्वरों की उत्पत्ति होती है, जिन्हें हम सहायक नाद कहते हैं। तानपुरा अथवा तानपुरे में 4 तार होते हैं।

Prashant Kumar 3 years, 4 months ago

Hi
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Himani Sinha 3 years ago

तानसेन को भारत में सबसे महान संगीतकार के रूप में माना जाता है| तानसेन का असली नाम रामतनु था| उनका जन्म 1509ई० को ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में हुआ था| उनके चार बेटे और एक बेटी थी| उनकी पत्नी का नाम हुसैनी था| तानसेन के गुरु का नाम स्वामी हरिदास था| उनका मृत्यु 1589ई० को आगरा में हुआ था|

Vishal Prajapat 3 years, 2 months ago

Vo aaaaaaaaaaaa uuuuuu karke gata tha ye uska jivan parichay h ???????

Sia ? 3 years, 6 months ago

तानसेन का जन्म सन् 1506 में हुआ था. जिनका नाम तब तन्ना पड़ा था. संगीत का और ज्ञान अर्जित करने के लिए उन्हें स्वामी जी ने हजरत मुहम्मद गौस के पास ग्वालियर भेज दिया. संगीत का पर्याप्त ज्ञान अर्जित करने के बाद तानसेन पुनः स्वामी हरिदास के पास मथुरा लौट आये.
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Vishal Prajapat 3 years ago

Buddu Maje Lene ke liye yarrrrrr ??????

Mamta ... 3 years, 7 months ago

People are always says the fact that “no one understands them” or know how they “really feel”, so they turn to music. ... Music also has the capacity to our emotions.Music is one of the most important and powerful things in our life. ??
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Rashi Jamwal 2 years, 2 months ago

Music ki book sangitika Karid lo usshe padh kar jo questions paper mein puche wo attempt kar do music ka paper hindi mein likhna hota hai

Akshata Jadhav 3 years, 3 months ago

???????

Vishakha Saini 3 years, 7 months ago

Uu

Vishakha Saini 3 years, 7 months ago

Raghav
  • 2 answers

Sia ? 3 years, 7 months ago

Bhairavi is a Hindustani Classical heptatonic raga of Bhairavi thaat. In Western musical terms, raga Bhairavi employs the notes of the Phrygian mode, one of the traditional European church modes.

Vishal Prajapat 3 years, 2 months ago

Vo raag jisme bhairav tandav karte hue gata h

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