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Ask QuestionPosted by Purab Negi 4 years, 3 months ago
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Posted by Satvik Yadav 4 years, 3 months ago
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Purab Negi 4 years, 3 months ago
Posted by Sourabh Kulkarni 4 years, 3 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 3 months ago
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Posted by Niraj Prasad Gond 4 years, 3 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 3 months ago
मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर:- मीराबाई कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि उन्होंने सिर पर मोर मुकुट धारण किया हैं और तन पर पीले वस्त्र सुशोभित हैं। गले में बैजयंती माला उनके सौंदर्य में चार चाँद लगा रही है। कृष्ण बाँसुरी बजाते हुए गाये चराते हैं तो उनका रूप बहुत ही मनोरम लगता है।
Posted by Vaishnavi Koppineedi 4 years, 3 months ago
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Vaishnavi Koppineedi 4 years, 3 months ago
Gaurav Seth 4 years, 3 months ago
कहलाने एकत बसत अहि मयूर ,मृग बाघ।
जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ -दाघ निदाघ।।
Explanation: In this couplet, the poet says that animals suffering from scorching heat are sitting in one place. Peacocks and snakes are sitting together, deer and lions are sitting together. The poet says that due to the heat, the forest has become like Tapovan. Just as all the people in Tapovan live together by forgetting mutual malice, in the same way, these animals, suffering from heat, are also sitting together forgetting mutual malice.
बतरस -लालच लाल की मुरली धरी लुकाइ।
सौंह करैं भौंहनु हँसै ,दैन कहैं नटि जाइ।।
Explanation: - In this, the poet describes the stealing of Shri Krishna's flute by the gopis. The poet says that the gopis have stolen his flute in the greed to talk to Shri Krishna. The gopis also swear that they have not stolen the flute, but later turn around and laugh and are refusing to give the flute.
Posted by Vikas Ghoderao 4 years, 3 months ago
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Sneha Patil 4 years, 3 months ago
Khush Kaur 4 years, 3 months ago
Posted by Sitanshu Kumar 4 years, 3 months ago
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₷Āńïk₳ Dĥãpãtè ₯ 4 years, 3 months ago
Posted by Tamil Selvan P 4 years, 3 months ago
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Posted by Vikas Ghoderao 4 years, 3 months ago
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Posted by Nikki Jaisawal 1 year ago
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Vrund Moradiya 1 year ago
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Sneha Patil 4 years, 3 months ago
Posted by Hainary Brahma 4 years, 3 months ago
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Posted by Vaishnavi Ankole 4 years, 3 months ago
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Posted by Hardik Berwal 6129 4 years, 3 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 3 months ago
पीटी मास्टर प्रीतम चंद बहुत सख्त स्वभाव और अनुशासन में रहने वाले इंसान थे। वह छोटी से छोटी गलती पर भी बच्चों को बुरी तरह मारते थे। बच्चों ने उन्हें कभी भी हंसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। बच्चे उनसे बहुत डरते थे कि पता नहीं कब खाल खींचने वाला मुहावरा दिखाई दे। बच्चों को स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते समय यदि कोई गलती नहीं होती थी तो वह बच्चों को शाबाश कहते थे। बच्चों को वह शाबाश फौज के तमगों जैसी लगती थी। बच्चों को लगता था कि उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण कार्य अच्छे तरीके से पूरा किया है इस कारण पीटी साहब से शाबाश रूपी तमगा मिला है।
Posted by Anurag Raut 4 years, 3 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 3 months ago
इसका अर्थ है कि सब धर्मों में पूजा करने की रीति अलग-अलग होती है परन्तु होती एक समान है ।क्योंकि पूजा तो ईश्वर को ही जाता है। जैसे मौलवी मस्जिद में जाकर लोगों को भगवान की इबादत सुनाकर प्रसन्न और पवित्र करते हैं वैसे ही कोयल बाग कूक कर लोगों को प्रसन्न और पवित्र करती है।
Posted by Pranjali Wasnik 4 years, 3 months ago
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Posted by Sayori Mukherjee 4 years, 3 months ago
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Posted by Raj Singh Jadon 4 years, 3 months ago
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Posted by Tahira Alam 4 years, 4 months ago
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Posted by Yatin Sawhney 4 years, 4 months ago
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Posted by Vansh Jaiman 4 years, 4 months ago
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Posted by Sanchita Chavan 4 years, 4 months ago
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Sainisaab Ji 4 years, 3 months ago
Posted by Gavrav Devda 4 years, 4 months ago
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Posted by Perfect_ Girl? 4 years, 4 months ago
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Posted by Malaika Sharma 4 years, 4 months ago
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Posted by Perfect_ Girl? 4 years, 4 months ago
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Posted by Rohan Sawase 4 years, 4 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 3 months ago
प्राण सूखना – डर लगना
रात में बाग़ से घर लौटते समय भेड़िये को देख कर रामलाल के प्राण सूख गए।
हंसी खेल होना- छोटी मोटी बात होना
तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे बिटिया का विवाह कोई हंसीं-खेल हो ।
आंखें फोड़ना बड़े ध्यान से पढ़ना
भाई, रमेश को तो परीक्षा में प्रथम आना ही था, आखिर साल भर आँखें फोड़ कर पढाई की है।
गाढ़ी कमाई – मेहनत की कमाई
सुरेश की दूकान में चोरी क्या हुई, उसका तो दिल ही टूट गया। आखिर उसकी गाढ़ी कमाई थी, कोई हराम की कमाई नहीं थी।
जिगर के टुकड़े टुकड़े होना- हृदय पर भारी आघात लगना
बेटे की शहादत की खबर सुनते ही वीरपाल के जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो गए।
हिम्मत टूटना- साहस समाप्त होना
भाई, जब से दूकान में आग लगी और मेरा सारा सामान जल गया तब से तो मेरी हिम्मत टूट गयी है।
जान तोड़ मेहनत करना- अत्यधिक परिश्रम करना
लाला जी, अपने पिता की सौगंध खा कर कहता हूँ, जान-तोड़ मेहनत करूंगा लेकिन आपकी एक-एक पाई-पाई चुका कर रहूंगा।
दबे पांव आना -चोरी चोरी प्रवेश करना
सतीश जब बाहर शराब पीकर लौटा तो घर में दबे पांव घुसते समय पिता ने पकड़ लिया और बहुत खरी-खोटी सुनाई।
घुड़किया खाना- डांट सहना
नौकरी में तो साहब की हजार घुड़कियाँ खा कर भी चुप रहना पड़ता है, रोजी-रोटी का मामला जो ठहरा।
आड़े हाथों लेना- कठोर व्यवहार करना
रमेश मेधावी छात्र है लेकिन गलत संगती में उसका परीक्षा परिणाम खराब आया तो अध्यापक जी ने उसे आड़े हाथों लिया।
घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुख देना
एक तो लाला शामिल व्यापार में नुक्सान की वाकः से पहले ही दुखी थे ऊपर से सेठ दुनीचंद ने नगर व्यापार संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव में उन्हें हरा कर उनके घाव पर नमक छिड़क दिया।
तलवार खींचना- लड़ाई के लिए उद्धत रहना
वैसे तो अजय-विजय दोनों सगे भाई हैं लेकिन खेतों के बंटवारे को लेकर दोनों में जब देखो तलवारें खिंची रहती हैं।
अंधे के हाथ बटेर लगना- योग्यता ना होने पर भी मूल्यवान वस्तु मिल जाना
वैसे तो शर्मा जी को कार्यालय का कोई काम नहीं आता है लेकिन चौधरी जी के अस्वस्थ होने के कारण विभागाध्यक्ष का चार्ज और मिल गया, इसे कहते हैं अंधे के हाथ बटेर लगना।
चुल्लू भर पानी देने वाला- मुश्किल वक्त में मदद करने वाला
पड़ोसियों से बना कर रखो वीरसिंघ, अभिमान अच्छा नहीं होता, कल कोई दिक्कत आई तो कोई चुल्लू भर पानी देने वाला न होगा।
दांतों पसीना आना – बहुत परेशानी में पड़ना
बेटी की शादी करने में रामपाल जी को दांतों पसीने आ गए।
लोहे के चने चबाना – बहुत मुश्किलों का सामना करना
रानी लक्समी बाई को परास्त करने में अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने पड़ गए।
चक्कर खाना- भुलावे में पड़ जाना
ठग ने गहने दुगने करने का लालच देकर ऐसा चक्कर चलाया कि मोहल्ले की कई औरतें अपने जेवरों से हाथ धो बैठी।
आटे दाल का भाव मालूम होना – कठिनाइयों का सामना करना
बाप की कमाई पर बहुत ऐश कर ली तुमने, अब खुद गृहस्थी का बोझ उठाओगे तो आते-दाल का भाव मालूम होगा।
जमीन पर पांव ना रखना- बहुत खुश हो जाना
बेटे की सरकारी नौकरी की खबर सुन कर गुप्ता जी से तो मानो पांव जमीन पर न रखे जा रहे थे।
हाथ पांव फूल जाना- मुश्किल समय में घबरा जाना
फेरों के ठीक पहले दामाद ने कार की मांग कर डाली तो वर्मा जी के तो हाथ पांव फूल गए।
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