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Seema Choudhary 5 years, 2 months ago

अक्सर दूसरे व्यक्ति के व्यवहार व क्रियाकलापों के कारण ही क्रोध उत्पन्न होता है। व्यक्ति को अधिकांशत: क्रोध तब उत्पन्न होता है जब सामने वाला गलती करता है। क्रोध हमारे शरीर का सहज रूप से उत्पन्न होने वाला लक्षण नहीं है। व्यक्ति के सम्मुख जब दूसरा गलती करता है, अपशब्द बकता है, कहना नहीं मानता, अवज्ञा करता है तब यह विकार क्रोध उत्पन्न करता है। जैविक, शारीरिक दोष, दृष्टिकोण और परिवेशजन्य बदले हुए संस्कारों से भी क्रोध उत्पन्न हो सकता है।क्रोध की अभिव्यक्ति हमारे अंदर की कुंठा, हिंसा व द्वेष के कारण भी हो सकती है। वर्तमान काल में अपराधों के बढ़ने का एक प्रमुख कारण भीषण क्रोध ही है। क्रोध से उत्पन्न हुए अपराधों के औचित्य को सिद्ध करने के लिए क्रोधी व्यक्ति कुतर्क कर दूसरे को ही दोषी सिद्ध करता है। एक दोष को दूर करने के लिए अनेक कुतर्क पेश करता है। क्रोध में व्यक्ति आपा खो देता है। क्रोध में अंतत: बुद्धि निस्तेज हो जाती है और विवेक नष्ट हो जाता है। क्रोध का विकराल रूप जुनून है। आदमी पर जुनून सवार होने पर वह जघन्य से जघन्य अपराध कर बैठता है। जुनून की हालत में उसे मानवीय गुणों का न बोध रह पाता है और न ही ज्ञान। क्रोध मानव का सबसे बड़ा शत्रु है, बहुत बड़ा अभिशाप है। शारीरिक रूप से क्रोध से व्यक्ति व्यथित हो उठता है। स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, पाचन शक्ति क्षीण हो जाती है, रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति कमजोर होने से शरीर रोगी हो जाता है। क्रोध से मोह उत्पन्न होता है, मोह से स्मृति विभ्रमित होती है और स्मृति के विभ्रम से बुद्धि नष्ट हो जाती है। इसलिए व्यक्ति को क्रोध उत्पन्न नहीं होने देना चाहिए। यह सही है कि दूसरे के क्रियाकलापों से क्रोध उत्पन्न होता है, लेकिन क्रोध के आवेग को रोकने का तो हम प्रयत्‍‌न कर ही सकते हैं। कहते हैं कि क्रोध आने पर एक गिलास ठंडा पानी पीने से क्रोध की अग्नि शांत हो जाती है। दूसरे उपाय के अनुसार उल्टी गिनती गिनने से मस्तिष्क को अधिक व्यस्त रखने के कारण भी क्रोध शांत होता जाता है। इसके साथ ही एकांत में जाकर ध्यान के माध्यम से क्रोध के विकारों को नष्ट करने का प्रयास करें तो ऋणात्मक ऊर्जा को मोड़कर हम सकारात्मक ऊर्जा से विवेक सम्मत निर्णय लेने में सक्षम हो सकते हैं।
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Shivam Raj 5 years, 2 months ago

Hindi me type kro ya paste kar ke pucho kuch samajh me nahi aa raha hai
  • 3 answers

Akshita Bhardwaj 5 years, 2 months ago

गनधिसुन ❌ गाधिसु ✅ Vishwamitra ko kaha gaya hai

Sunaina Sahu 5 years, 2 months ago

Vishwamitra ji ko kaha gaya h

Yuvraj Rathore 5 years, 2 months ago

PTA nhii
  • 1 answers

Mukesh Rawat 5 years, 2 months ago

F7cjdjfya4esyckb
  • 5 answers

Seema Choudhary 5 years, 2 months ago

Alankar jaise 9th me alag se topic lekr samjhaya usi tarah nhi aayega lekin aise alag se hamari bk ki koi line likh di hi fir pucha ja sakta hai ki kon sa alankar hai batayi...

Jagrati Sharma?? 5 years, 2 months ago

Nhi

Jagrati Sharma?? 5 years, 2 months ago

Anyone.... participated the national level hindi olympiad ....

Sunaina Sahu 5 years, 2 months ago

Shayad

Tulsi Yadav 5 years, 2 months ago

No chance of it
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Chinmay Chirag 5 years, 2 months ago

Best answer

Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

उत्साह

बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुंघराले,
बाल कल्पना के से पाले,
विद्युत छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो
बादल गरजो!

इस कविता में कवि ने बादल के बारे में लिखा है। कवि बादलों से गरजने का आह्वान करता है। कवि का कहना है कि बादलों की रचना में एक नवीनता है। काले-काले घुंघराले बादलों का अनगढ़ रूप ऐसे लगता है जैसे उनमें किसी बालक की कल्पना समाई हुई हो। उन्हीं बादलों से कवि कहता है कि वे पूरे आसमान को घेर कर घोर ढ़ंग से गर्जना करें। बादल के हृदय में किसी कवि की तरह असीम ऊर्जा भरी हुई है। इसलिए कवि बादलों से कहता है कि वे किसी नई कविता की रचना कर दें और उस रचना से सबको भर दें।

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विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो –
बादल, गरजो!

इन पंक्तियों में कवि ने तपती गर्मी से बेहाल लोगों के बारे में लिखा है। सभी लोग तपती गर्मी से बेहाल हैं और उनका मन कहीं नहीं लग रहा है। ऐसे में कई दिशाओं से बादल घिर आए हैं। कवि उन बादलों से कहता है कि तपती धरती को अपने जल से शीतल कर दें।

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Vishal Shah 5 years, 2 months ago

Yog ko kadvi kakdi ke samaan gopiyo dwara btaya gya

Yogita Ingle 5 years, 2 months ago

 

गोपियों ने  योग की शिक्षा को  कड़वी ककड़ी के समान बताया है। गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि तुम्हारे द्वारा दिया जाने वाला योग का संदेश हमें कड़वी ककड़ी के समान अप्रिय है। कृष्ण के अतिरिक्त अब और कोई हमें सुहाता नहीं है। 

Ratan Singh 5 years, 2 months ago

कडवी ककडी
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Vishal Shah 5 years, 2 months ago

Cake hi cake me make Pao dosro ko khub jalao

Vishal Shah 5 years, 2 months ago

Bhai maje le par Tere liye slogan
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Dilraj Kâlêsh 5 years, 1 month ago

*रंगीन* sabd ka pad parichay Jo sabd upar hindi mai likha uska pas parichay

Saurabh ???? 5 years, 2 months ago

Give full sentence
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Ratan Singh 5 years, 2 months ago

Shiwalik
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Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

पान वाले के लिए मजेदार बात ये थी कि मास्टर जी आपने चस्मा लगाना भूल गए थे

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Gaurav Seth 5 years, 2 months ago

A n s w e r :
हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गुजरते थे। जहाँ बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी थी।

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Avatar ? 5 years, 2 months ago

क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का बोध होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है। दूसरे शब्दों में- क्रिया के जिस रूपान्तर से यह ज्ञात हो कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का प्रधान विषय कर्ता, कर्म अथवा भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।

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