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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

कृषि एक प्राथमिक गतिविधि है। इसमें बढ़ती फसलें, फल, सब्जियां, फूल और पशुधन का पालन शामिल हैं। दुनिया में, 50 प्रतिशत व्यक्ति कृषि गतिविधि में लगे हुए हैं। भारत की दो-तिहाई आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर है।


यह रोजगार की कमी के कारण है क्योंकि देश में सक्सेसर गवर्नमेंट ऐसा करने में विफल रही है।

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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

True

(i) The scrapping of Corn Laws lead to free trade of food grains.
(ii) After the abolition of Corn Laws, food could be imported into Britain more cheaply than it could be produced within the country.
(iii) British farmers were unable to compete with imports. Vast areas of land were now left uncultivated, and thousands of men and women were thrown out of work. They flocked to the cities or migrated overseas
(iv) Increase in demand due to fall in prices and increase in income leads to mismatch between demand and supply of food grains.
(v) Many countries of the world like Russia. America and Australia and some eastern European countries started exporting food grains to Britain which gave further set back to the local producers.

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Violet Fairdale 5 years ago

राष्ट्र राज्य राज्य को कहते है जो राज्य की राजनैतिक सत्ता को उसकी सांस्कृतिक सत्ता से मिला देती है और उसमे उदाहरण के लिए दिल्ली हैl
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Vishalgadhe Gadhe 5 years, 1 month ago

Nii

Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन कहा जाता है. बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के मुताबिक राज्यसभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है. इनमें से 12 वो सदस्य होते हैं जिन्हें स्वयं भारत के राष्ट्रपति मनोनीत या नामित करते हैं. इसके अलावा बाकी बचे 238 सदस्य संघ और राज्य के प्रतिनिधि चुनते हैं.

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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

संयुक्त राष्ट्र के लिए काम कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने पशुओं में प्लेग जैसी बीमारी के लिए ज़िम्मेदार ‘रिंडरपेस्ट’ के जीवाणु को दुनिया से ख़त्म कर दिया है.

‘रिंडरपेस्ट’ नामक बीमारी ने एक समय में मध्यपूर्व, अफ्रीका और एशिया में महामारी का रुप ले लिया था. इसके कारण हज़ारों की संख्या में दुधारू पशुओं की मौत हो गई थी.

उम्मीद जताई जा रही है कि 'स्मॉलपॉक्स' के बाद ‘रिंडरपेस्ट’ दूसरी ऐसी बीमारी है जिसके जीवाणु को खत्म करने में इंसान ने कामयाबी पाई है.

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Ashpreet Kaur 5 years, 1 month ago

1.PASCHIM BANGAL 2.TRIPURA 3.ANDHRAPRADESH 4.TAMIL NAIDU
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Prajnasree Behera 5 years, 1 month ago

समस्याएँ हमारी ग्राम पंचायत पीड़वा में अगर समस्याओं की बात करे तो हमारी 5 समस्या मुख्य समस्या है जिससे गांव वालों को काफी परेशानिया उठानी पडती है। 2. गंदे पानी के नाले की समस्या - ग्राम पंचायत के गाँव बगतपुरा में बरसात के दिनों में बरसात का पानी एक जगह इक्कठा हो जाता है. जिसके कारण कई दिनों तक कीचड़ का माहौल रहता है.
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Prajnasree Behera 5 years, 1 month ago

बांगर खादर 1. ये पुरानी जलोढ़ मिटटी वाला भू-मिटटी है | इस मिटटी में कंकड मिषित रहते है | 2. यह मैदानी पटटी बाढ़ मैदानो से ऊँचाई पर बनी होती है | यह उतर के मैदानो का एक हिस्सा था | 1.बाद –मैदान की प्रतिवर्ष जामा होने वाली जलोढ़ मिटटी वाली भूमि खादर कहलाती है | 2.यह मैदानी पटटी बाढ मैदानी अथवा स्तर पर बनती है | यह भी उतर के मैदानों का एक हिस्सा था |
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

पंजाब और केरल के कुछ तुलनात्मक आँकड़े:

राज्य  शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 व्यक्ति (2003) साक्षरता दर % 2001  कक्षा 1 से 5 का निवल उपस्थिति अनुपात (1995-96)  प्रति व्यक्ति आय 2002-03
पंजाब  49 70 81 26000
केरल  11 91 91 22800

में उपर्युक्त कथन से किसी सीमा तक सीमित हूँ- 
(i) निसंदेह पंजाब की तुलना में केरल की प्रति व्यक्ति आय इस तालिका में दिए गए आँकड़ों के अनुसार कम है, लेकिन आय आँकड़ें जैसे की वर्ष 2002 में प्रति एक हज़ार शिशु मृत्यु दर केरल में मात्र 11 है तो उसी समय में पंजाब में यह दर काफी ऊँची अर्थात् 49 है जो केरल में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्धि का प्रतीक हैं।
(ii) इसी तरह साक्षरता दर प्रतिशत 2001 में केरल में 91 हैं तो पंजाब में उससे काफी निम्न हैं जो कि मात्र 70 हैं। यह केरल में उच्च साक्षरता या अच्छी शिक्षा सुविधाओं कि उपलब्धि का प्रतीक हैं।  
(iii) प्राथमिक शिक्षा में छात्रों की उपस्थिति की दृष्टि से केरल की स्थिति पंजाब की अपेक्षा बेहतर है। पंजाब में 1995-96 में केवल अनुपात 81 छात्रों का है तो केरल में यह अनुपात 91 है। 

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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

श्रीलंका में तमिलों के बीच अलगाव की भावना पैदा करने वाले कारक निम्नानुसार थे:
(i) सिंहल सरकार के प्रमुख उपायों जैसे सिंहली को आधिकारिक भाषा बनाना और विश्वविद्यालय पदों और सरकारी नौकरियों के लिए सिंहल आवेदकों का पक्ष लेना धीरे-धीरे श्रीलंकाई तमिलों के बीच अलगाव की भावना को बढ़ाता है।
(ii) उन्होंने महसूस किया कि संविधान और सरकार की नीतियों ने उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर दिया और उन्हें नौकरी और अन्य अवसर प्राप्त करने में भेदभाव किया।
(iii) उन्होंने महसूस किया कि बौद्ध सिंहल नेताओं के नेतृत्व वाले प्रमुख राजनीतिक दल अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति संवेदनशील नहीं थे।

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Ashpreet Kaur 5 years, 1 month ago

Federalism

Prajnasree Behera 5 years, 1 month ago

भारत के संविधान के अनुसार भारत में संघीय व्यवस्था है जिस में नयी दिल्ली में केन्द्र सरकार तथा विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित राज्यों के लिए राज्य सरकार है। इसीलिए, भारत में राष्ट्रीय व राज्य (क्षेत्रीय), राजनीतिक दलों का वर्गीकरण उनके क्षेत्र में उनके प्रभाव के अनुसार किया जाता है। भारत में मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों की भारत सरकार सूची निम्न है: भारत में बहुदलीय प्रणाली बहु-दलीय पार्टी व्यवस्था है जिसमें छोटे क्षेत्रीय दल अधिक प्रबल हैं। राष्ट्रीय पार्टियां वे हैं जो चार या अधिक राज्यों में मान्यता प्राप्त हैं। उन्हें यह अधिकार भारत के चुनाव आयोग द्वारा दिया जाता है, जो विभिन्न राज्यों में समय समय पर चुनाव परिणामों की समीक्षा करता है। इस मान्यता की सहायता से राजनीतिक दल कुछ पहचानों पर अपनी स्थिति की अगली समीक्षा तक विशिष्ट स्वामित्व का दावा कर सकते हैं जैसे की पार्टी चिन्ह.
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Ashpreet Kaur 5 years, 1 month ago

Jb vikas ke kram me paryavaran ko Bina nukshan panhuchaye aur bhvishya ki jarurton ko andekha n Kiya Jaye to aise vikas ko statposniye vikas kahte hain

Ashpreet Kaur 5 years, 1 month ago

Jb vikas hone keep kram Mein paryavaran ko nukshan nahi panhuche aur bhvishya ki jarurton ko andekha nahi ho to aise vikas ko statposhnoye vikas kahte h
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Prajnasree Behera 5 years, 1 month ago

Political and spiritual
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Alok Kumar Kumar 5 years, 1 month ago

Anter deshiya autpadan wah hai jo des ke ander autpadan ho ta hai use anter deshiya autpadan kahte hai
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Ashpreet Kaur 5 years, 1 month ago

Civil Disobedience Movement The observance of the Independence Day in 1930 was followed by the launching of the Civil Disobedience Movement under the leadership of Gandhi. It began with the famous Dandi March of Gandhi. ... Gandhi defied the government by picking up a handful of salt which had been formed by the evaporation of sea.

Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

Gandhi had made certain demands on behalf of the whole of the Indian National Congress to the British Government. When these demands were not fulfilled, the Civil Disobedience Movement was launched in 1930. The following are four important features of the movement:

1. The movement began with Gandhi’s march from Sabarmati to the coastal town of Dandi in Gujarat. On 6th April, Gandhi reached Dandi where he broke the Salt Law in defiance of the British, by making salt from sea water.  

2. All classes and categories of people were now asked to not only be uncooperative of the British regime but also break unjust colonial laws.  

3. As soon as the movement started, all important leaders including Gandhi and Nehru were arrested. In all, 90,000 people were arrested and 67 newspapers were banned. 

4. During the movement, salt was manufactured in many areas, foreign cloth was boycotted, liquor shops were picketed and peasants refused to pay revenue and chaukidari taxes. A large number of village officials also resigned and forest laws were violated on a large scale. 

The government started negotiations with Gandhi (who was in jail) to bring an end to the Civil Disobedience Movement. This resulted in the signing of a pact between Lord Irwin, the Viceroy of India and Gandhi which came to be known as the “Gandhi Irwin Pact”.

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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

जर्मनी में ऐसे कई राजनैतिक गठबंधन थे जिनके सदस्य मध्यम वर्गीय पेशेवर, व्यापारी और धनी कलाकार हुआ करते थे। वे फ्रैंकफर्ट शहर में एकत्रित हुए और एक सकल जर्मन एसेंबली के लिए वोट करने का फैसला किया। 18 मई 1848 को 831 चुने हुए प्रतिनिधियों ने जश्न मनाते हुए एक जुलूस निकाला और फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट को चल पड़े जिसका आयोजन सेंट पॉल के चर्च में किया गया था। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र का संविधान तैयार किया। उस राष्ट्र की कमान कोई राजपरिवार का आदमी करता जो पार्लियामेंट को जवाबदेह होता। इन शर्तों पर प्रसिया के राजा फ्रेडरिक विलहेम (चतुर्थ) को वहाँ का शासन सौंपने की पेशकश की गई। लेकिन उसने इस अनुरोध को ठुकरा दिया और उस चुनी हुई संसद का विरोध करने के लिए अन्य राजाओं से हाथ मिला लिया।

अभिजात वर्ग और सेना द्वारा पार्लियामेंट का विरोध बढ़ता ही गया। इस बीच पार्लियामेंट का सामाजिक आधार कमजोर पड़ने लगा क्योंकि उसमें मध्यम वर्ग का दबदबा था। मध्यम वर्ग मजदूरों और कारीगरों की माँग का विरोध करता था और इसलिए उसे उनके समर्थन से हाथ धोना पड़ा। आखिरकार सेना बुलाई गई और इस तरह से एसेंबली को समाप्त कर दिया गया।

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उदारवादी आंदोलन में महिलाओं ने भी भारी संख्या में हिस्सा लिया। इसके बावजूद, एसेंबली के चुनाव में उन्हें मताधिकार से मरहूम किया गया। जब सेंट पॉल के चर्च में फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट बुलाई गई तो महिलाओं को केवल दर्शक दीर्घा में बैठने की अनुमति मिली।

हालाँकि रुढ़िवादी ताकतों द्वारा उदारवादी आंदोलन को कुचल दिया गया लेकिन पुरानी व्यवस्था को दोबारा बहाल नहीं किया जा सका। 1848 के कई वर्षों के बाद राजा को यह अहसास होने लगा कि आंदोलन और दमन के उस कुचक्र को समाप्त करने का अगर कोई तरीका था तो वह था राष्ट्रवादी आंदोलनकारियों की मांगों को मान लेना। इसलिए मध्य और पूर्वी यूरोप के राजाओं ने उन बदलावों को अपनाना शुरु कर दिया जो पश्चिमी यूरोप में 1815 से पहले ही हो चुके थे।

हैब्सबर्ग के उपनिवेशों और रूस में दास प्रथा और बंधुआ मजदूरी को समाप्त किया गया। 1867 में हैब्सबर्ग के शासकों ने हंगरी को अधिक स्वायत्तता प्रदान की।

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