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Abhishek Mishra 5 years, 1 month ago

Sakhiya avam shabad , Kabir
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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago

लेखक बालकृष्ण के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है कि जिस प्रकार फूल के ऊपर धूल के महीन कण शोभा पाते हैं, उसी प्रकार से बालकृष्ण के मुंह पर छाई हुई गोधूलि उनके मुख की शोभा को और अधिक खूबसूरत बना देती है। उनके मुख की ऐसी कांति आज के युग में प्रचलित प्रसाधन सामग्री के उपयोग से नहीं आ सकती। गोधूलि की सहजता ने बाल कृष्ण के मधुर रुप को और भी अधिक सुंदर बना दिया है ।

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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago

इन दिनों ऑनलाइन अध्ययन एकप्रचलन सा बन गया है, कोविड-19 के चलते इस लॉकडाउन में कई स्कूलों ने पिछले कुछ महिनों से ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया को अपनाकर इसे अधिक उपयोग में लाया है। ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया को देखते हुए, मैं इससे होने वाले लाभ और नुकसान के तीन अलग-अलग शब्द सीमा के निबंध का विस्तार कर रहा हुँ। आप सभी इस विस्तार के माध्यम से ऑनलाइन अध्ययन से होने वालें लाभ और नुकसान के बारें में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकतें है।

परिचय

ऑनलाइन स्टडी अपनी सुविधा और आसान संचालन की प्रक्रिया से अधिक लोकप्रिय हो रहा है। इस निबंध में मैंनें ऑनलाइन अध्ययन से होने वाले लाभ और नुकसान के बारें में यहाँ विस्तार से बताया है।

लाभ

ऑनलाइन अध्ययन के तरीके से अध्ययन के कई फायदे है। यह बहुत सुविधाजनक है, इस सुविधा के उपयोग से आप अपने घर पर ही रहकर बातचीत कर सकते है। आप क्लासरूम की तरह यहाँ पर भी एक दुसरे से सवाल जबाब कर सकते है।

प्राकृतिक आपदा या आपातकाल की स्थिति में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया का सही उदाहरण हाल ही में फैली कोविड-19 महामारी है, जिसका प्रभाव सारी दुनियाँ में है और इसके प्रभाव से बचने के लिए सभी प्रयत्नशील है। इन दिनों कई स्कूल छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया को अपना रहें है। वास्तव में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया स्कूली शिक्षा के लिए एक सुरक्षित विकल्प है।

नुकसान

ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया में कई लाभों के अलावा कुछ नुकसान भी हमारें सामनें प्रस्तुत होते है। जिस तरह वास्तविक कक्षा में जो उत्साह का वातावरण होता है यहाँ उस वातावरण का अभाव होता है। एक जीवंत कक्षा या लाइव क्लास में जो आनंद का माहौल होता है, ऑनलाइन अध्ययन में उस माहौल की कमी होती है। यहाँ पर एक शिक्षक और छात्र एक दुसरे से केवल एक ही विषय को लेकर बातचीत और चर्चा कर सकते है।

इसके अलावा इसके कारण गैजेट का ओवर एक्सपोजर से स्वास्थ के कई खतरे जैसे कि सिरदर्द, आंखों का कमजोर होना और एकाग्रता में कमी आना इत्यादि का खतरा भी बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

स्वास्थ सम्बन्धित इतने नुकसान के बाद भी इस अध्ययन प्रक्रिया का उपयोग विशिष्ट परिस्थितियों में बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ है। जब कि आपका घर छोड़ना आपकी सुविधा और स्वास्थ के लिए हानिकारक है तो उस स्थिति में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया आपके लिए एक वरदान साबित हो जाता है।

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Priya Dogra 5 years, 1 month ago

Kisko bol raha ho app
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Renu Singh 5 years ago

8 भेद होते हैं। 1 विधानवाचक 2 प्रस्नवाचक 3 आज्ञावाचक 4 संकेतवाचक 5 संदेहवाचक 6 नाकारात्मक 7 विस्मयावाचक 8 इच्छावाचक

Gaming Boss 5 years, 1 month ago

Lesson do belo ki katha
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Sahil Singh Naruka 5 years, 1 month ago

Ok

Akshay Soni 5 years, 1 month ago

Brij bhoomi ke prati kavi ka prem kin kin Roop mein abhivyakt hua hai kaun se paath ka uttar hai

Akshay Soni 5 years, 1 month ago

Brij bhoomi ke prati kavi ka prem kin kin roopame abhivyakt hua hai

Yogita Ingle 5 years, 1 month ago

प्रस्तावना : सामान्यतः मानव अपने जीवन में जो कुछ भी कार्य करता है, उसका एक मात्र उद्देश्य होता है कि वह अपने को सुखी कर सके। अपना विकास कर सके और जितना भी जीवन उसने जीना है उतना स्वाभाविक रूप में जी सके। लेकिन मानव का आदि काल से अब तक का इतिहास यह बताता है कि उसकी इच्छा के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं। यद्यपि वह सभी बाधाओं को दूर करने की कोशिश करता है फिर भी परिस्थितियाँ उसे ऐसा जीवन जीने पर विवश कर देती हैं जो उसको अच्छा नहीं लगता। जब हम पराधीनता के विषय में बात करते हैं, तो एक तथ्य यह सामने रखना होता है कि पराधीनता की विवेचना कई दृष्टियों से हो सकती है।

पराधीनता का एक रूप है स्वतन्त्रता का न होना अर्थात् जो व्यक्ति किसी की इच्छा के अधीन होता है, उसे पराधीन कहा जाता है। यह स्वाभाविक है कि अपने अनुसार काम न करने पर व्यक्ति सुख प्राप्त नहीं कर सकता। इसीलिए कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति सुख प्राप्त नहीं कर सकता।

 पराधीनता का अभिशाप : पराधीनता का अभिशाप सबसे बड़ा अभिशाप है। यदि यह पूछा जाए कि इस विश्व में कौन ज्यादा सुखी है, तो एक उत्तर यही होगा कि जो स्वतन्त्र है या पराधीन नहीं है वह सुखी है। सुख यद्यपि बाहरी वस्तुओं पर निर्भर करता है। फिर भी उसकी वास्तविक सत्ता अन्तर में विद्यमान रहती है। हम जब पराधीन होते हैं, तो कुछ भी अपनी इच्छा से नहीं कर सकते और हमें प्रत्येक काम के लिए दूसरे की इच्छा पर निर्भर रहना पड़ता है। यह जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप है।

पराधीनता का दूसरा रूप है गुलामी : प्राचीन काल में दास प्रथा थी। अमीर व्यक्ति गरीब दासों को खरीद लिया करते थे। उनके अधिकार समाप्त हो जाते थे। उनका खाना-पीना या अन्य काम मालिक पर निर्भर करता था। धीरे-धीरे यह दास प्रथा समाप्त हुई। इसकी समाप्ति का कारण था कि मानवों में स्वाधीनता की चेतना जाग गई थी और वे पराधीनता के दुर्गुण समझने लगे थे। उन्होंने इस विषय में आन्दोलन किए और अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिये खुन की क्रान्तियाँ भी हुईं। इस विषय में प्राचीन राजसत्ता की चर्चा भी की जा सकती है। राजतंत्र में सामान्यत: शासक के विपरीत कुछ भी कहने की स्वतन्त्रता नहीं होती है। उसे भी एक प्रकार की पराधीनता ही समझना चाहिए।

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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

१२५, विकासनगर , 

लखनऊ - ७५ 

दिनांकः ११/०७/२०१८ 

 

प्रिय राजेश 

सदा प्रसन्न रहो ! आशा है कि तुम स्वस्थ व आनंद के साथ होगे . साथ ही तुम मन लगाकर अपनी पढाई कर रहे होगे . मुझे पिता जी के पत्र द्वारा ज्ञात हुआ कि तुम पढ़ाई में अपना ध्यान न लगाकर अपना अधिक समय मोबाइल स्मार्टफ़ोन में बिता रहे हो .यह अच्छी बात नहीं है राजेश ! तुम्हेँ बड़ी तकलीफों के साथ इलाहाबाद भेजा गया है .तुम्हारी मेडिकल की पढ़ाई व कोचिंग फीस पिता जी कैसे वहन कर रहे हैं ,यह दशा वही जानते हैं .स्वयं अपनी इच्छा को मारकर हमारी इच्छाएँ पूर्ति में लगे रहते हैं .उन्होंने तुम्हे इलाहाबाद मेडिकल की पढ़ाई के लिए भेजा था ताकि तुम पढ़ लिख कर डॉक्टर बन सको .लेकिन अब ज्ञात हुआ कि तुम अपना अधिक समय फेसबुक ,व्हाटएप्प में बिताते हो .इससे तुम्हारी आँखें भी ख़राब होती है ,साथ ही एकाग्रता भी नष्ट होती है .तुम्हे मोबाइल इसीलिए दिया गया था ताकि तुम घरवालो व प्रिय जनों से बात कर सको .नयी अध्ययन सामग्री व भर्तियों के बारे में सूचना प्राप्त कर सको .लेकिन तुम स्मार्टफ़ोन, अपने समय व पिताजी के धन का दुरुपयोग कर रहे हो . 

 

मुझे विश्वास है कि तुम स्मार्टफ़ोन की लत छोड़कर अपना ध्यान, अध्ययन में लगाओगे .जिस कार्य के लिए तुम इलाहाबाद गए हो वह पूरा करके पिताजी का नाम रोशन करोगे .शेष कुशल है .माताजी व पिताजी का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है . तुम्हारे पत्र की आशा में . 

 

तुम्हारा अग्रज 

रजनीश कुमार 

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Moin Choudhary 5 years, 1 month ago

;-^-^

Pooja Jain 5 years, 1 month ago

pls help me
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Hardavi Patel 5 years, 1 month ago

Photo ka saath

Rajendra Chothave 5 years, 1 month ago

सफाई से साफ होगा apna भारत Aao मिलकर banaye साफ भारत सुंदर भारत
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Gaurav Seth 5 years, 1 month ago

मनीष भाटिया
नयी कॉलोनी
जबलपुर
दिनांक: 12.4.15
प्रिय मनोज,
सस्नेह नमस्ते, आशा है तुम वहां कुशल होगे। मैं तुम्हें परीक्षा में प्रथम आने की बधाई देना चाहता हूँ। यह सुनकर हम सबको बहुत प्रसन्नता हुई कि तुम्हें अपनी कक्षा में सबसे अधिक अंक मिले हैं और पुरस्कार भी मिला।

हमें इस बात की खुशी है कि तुम्हारी मेहनत सफल हुई। तुमने मन लगाकर साल भर पढ़ाई करी इसीलिए तुम्हें यह इनाम मिला। आशा है आगे भी तुम इसी प्रकार सफलता प्राप्त करो और अपना जीवन उज्जवल बनाओ।
तुम्हारे माता-पिता को भी इस बात से बहुत खुशी मिली होगी। उनको मेरा प्रणाम कहना।
प्यार सहित
तुम्हारा मित्र
मनीष

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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago

किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसका दर्जा और अधिकार का पता चलता है तथा उसकी अमीरी-गरीबी श्रेणी का पता चलता है।

Abhinandan? Dubey?? 5 years, 1 month ago

Kisi vyakti ki posak dekh kar hme ye pata chalta hai ki wo kitna Sharif hai
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Vansh Mandloi 5 years, 1 month ago

Kahan hai ?

Hardavi Patel 5 years, 1 month ago

Ha nai hai kritika textbook

Abhinandan? Dubey?? 5 years, 1 month ago

Hai
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Ayushi ... 5 years, 1 month ago

Which Anshu you are?....in which school study.... You are disturbing a lot when i ask any question you always say ‘hii Ayushi’ instead of telling the answer of any question which students ask...

Anshu Singh 5 years, 1 month ago

Hii ayushi

Ayushi ... 5 years, 1 month ago

लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा जानती थी कि लॉरेंस को गौरेया से बहुत प्रेम था। वे अपना काफी समय गौरेया के साथ बिताते थे। गौरेया भी उनके साथ अन्तरंग साथी जैसा व्यवहार करती थी।दोनो एक दूसरे के साथ खुश रहते थे।उनके इसी पक्षी-प्रेम को उद्घाटित करने के लिए उन्होंने यह कहा था।
  • 3 answers

Yes Yadav Babu 5 years, 1 month ago

???? (???? ?????)?

Ronwang Sangwal 5 years, 1 month ago

alu

Ritik Kewat 5 years, 1 month ago

Puja (mool shabd)
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Yes Yadav Babu 5 years, 1 month ago

??????

Arohi Raj 5 years, 1 month ago

Meri family ❤️ ❤️

Mamta ... 5 years, 1 month ago

parents n love
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Anshu Singh 5 years, 1 month ago

Apart number do

Muskan Singh 5 years, 1 month ago

9th CBSE.??

Mamta ... 5 years, 1 month ago

गधे के स्वभाव की दो विशेषताएँ प्रसिद्द हैं - - मुर्खता - सरलता और सहनशीलता इस कहानी में लेखक ने गधे की सरलता और सहनशीलता की ओर हमारा ध्यान खींचा है। प्रेमचंद ने स्वयं कहा है - "सदगुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है।" कहानी में भी उन्हों ने सीधेपन की दुर्दशा दिखलाई है, मुर्खता की नहीं। अतः लेखक ने सरलता और सीधेपन पर प्रकाश डाला है।
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Abhinandan? Dubey?? 5 years, 1 month ago

Mumbai Indians ka Hardik pandya

Arohi Raj 5 years, 1 month ago

Sorry pranav but mai insta and fb nhi chalati hu

Ritika Jangra 5 years, 1 month ago

M bhi

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