Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Nikhil Saxena 5 years, 7 months ago
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Posted by Deepshika Das 5 years, 7 months ago
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Posted by Harish Joshi 5 years, 7 months ago
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Posted by Shreyansh Kori 5 years, 7 months ago
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Sia ? 5 years, 7 months ago
जीवन के सभी कार्यों में अनुशासन अत्यधिक मूल्यवान है। हमें हर समय इसका पालन करना है चाहे वो स्कूल, घर, कार्यालय, संस्थान, फैक्टरी, खेल का मैदान, युद्ध का मैदान या दूसरी जगह हों। ये खुशहाल और शांतिपूर्णं जीवन जीने की सबसे बड़ी जरुरत है। ये हमें ढेर सारे बड़े मौके देती है, अनुशासन आगे बढ़ने के लिये सही रास्ता देती है, जीवन में सही बातें सीखाती है, कम समय में ज्यादा अनुभव मिलता है आदि। जबकि अनुशासन की कमी की वजह से ढेर सारी दुविधा और गड़बड़ी होती है, अनुशासनहीनता की वजह से जीवन में शांति और प्रगति के बजाय ढेर सारी परेशानी उत्पन्न हो जाती है।
अनुशासन अपने बड़ों, ऑफिस के सीनीयर, शिक्षक, और माता-पिता के हुक्म का पालन करना है जिससे हम सफलता की ओर आगे बढ़ते हैं। हमें नियमों पर चलने की, आज्ञा का पालन करने की और सही तरीके से व्यवहार करने की जरुरत है। हमें अपने जीवन में अनुशासन के महत्व को समझना चाहिये। जो लोग अनुशासनहीन होते हैं वो अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओं को झेलते हैं साथ ही निराश भी होते हैं।
Posted by Pardeep Sidhu 5 years, 7 months ago
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Posted by Bharti Yadav 5 years, 7 months ago
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Posted by Ajay Rawat 5 years, 7 months ago
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Posted by Aparna Kumari 5 years, 7 months ago
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Sia ? 5 years, 7 months ago
माउंट एवरेस्ट का नाम वेल्स के सर्वेयर और जियोग्राफर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया था. सर एवरेस्ट ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी. इसलिए उनके नाम पर ही साल 1865 में माउंट एवरेस्ट को नाम दिया गया. इसके पहले इस पर्वत को पीक-15 के नाम से जाना जाता था. माउंट एवरेस्ट को तिब्बती लोग चोमोलंगमा और नेपाली लोग सागरमाथा कहते थे.
Posted by Saksham 9 Sharma 5 years, 7 months ago
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Posted by Prince Kumar 5 years, 7 months ago
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Sia ? 5 years, 7 months ago
सेवा में,
माननीय जल अधिकारी
महोदय,
वसन्त विहार, नई दिल्ली
दिनांक--०२-०३-२०१९
विषय-- जल की समस्या के समाधान हेतु।
महोदय,
मैं पालम कॉलोनी में रहने वाला हूं और मेरा नाम विकास बिष्ट है। महोदय मैं एक कामकाजी आदमी हूं और अकेले ही यहां एक भारे के घर में रहता हूं । मगर मुझे हर सुबह पानी लेने जाना होता है। मगर पानी का फोर्स ऐसा होता है। २ घंटे तक लाइन पर खड़े होने के बाद मैं पानी भर पाता हूं और कभी -कभी बहुत देर से आफिस जाता हूं।
मेरे अलावा भी पानी लेने कुछ घरेलू महिला आती है जिनके बच्चे स्कूल जाते हैं और पानी के बिना न नहाना संभव है और न ही खाना बनाना।
यदि पानी की गति थोड़ी तेज होती तो अच्छा हो जाता। हम सबको पानी जल्दी मिलता और कुछ हद तक शांति भी।
पानी की समस्या को सुलझाने के लिए आप एक नया पंप लगवा सकते हैं। जिससे जल की गति अवश्य बढ़ेगी।
आशा करता हूं कि आप अपना ध्यान हमारे इलाके की ओर अवश्य केंद्रित करेंगे। हमें इस समस्या से अवश्य मुक्त करेंगे।
धन्यवाद।
विकास बिष्ट
स्थानीय वासी।
Posted by Aakriti Dwivedi 5 years, 7 months ago
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Posted by Palak Munjal 5 years, 7 months ago
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Posted by Super Gamer 5 years, 7 months ago
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Posted by Awashesh Tiwari 5 years, 7 months ago
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Posted by Hanshika Waliya 5 years, 7 months ago
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Posted by Mansi Mansi 5 years, 7 months ago
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Posted by Muskan Waraich 5 years, 7 months ago
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Posted by Deboshree Devi 5 years, 7 months ago
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Sia ? 5 years, 7 months ago
लेखिका ने एक गिलहरी के बच्चे को घायल अवस्था से उठाकर उसका उपचार तथा पालन किया था जिसको उन्होंने ‘गिल्लू’ की संज्ञा दी थी | प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने गिल्लू के क्रियाकलापों का वर्णन रेखाचित्र के माध्यम से किया है |
Posted by Hemant Wararkar 5 years, 7 months ago
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Posted by Gargi Gupta 5 years, 7 months ago
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Posted by Jagjit Singh 5 years, 7 months ago
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Posted by Angel Anjali 5 years, 7 months ago
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Hariom Dalal 5 years, 7 months ago
Posted by Muskaan Mendiratta 5 years, 8 months ago
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Hariom Dalal 5 years, 7 months ago
Divyansh Arora 5 years, 7 months ago
Posted by Gurvinder Khaira 5 years, 8 months ago
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Posted by Krishna Upadhyay Ji 5 years, 8 months ago
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Posted by Siya Mittal 5 years, 8 months ago
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Posted by Deboshree Devi 5 years, 8 months ago
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Gaurav Seth 5 years, 8 months ago
मनुष्य के जीवन में पोशाक मात्र एक शरीर ढकने का साधन नही है बल्कि समाज में उसका दर्जा निश्चित करती है। पोशाक से मनुष्य की हैसियत, पद तथा समाज में उसके स्थान का पता चलता है। पोशाक मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है। जब हम किसी से मिलते हैं, तो पहले उसकी पोशाक से प्रभावित होते हैं तथा उसके व्यक्तित्व का अंदाज़ा लगाते हैं। पोशाक जितनी प्रभावशाली होगी, उतने अधिक लोग प्रभावित होगें।Read more on Sarthaks.com - https://www.sarthaks.com/84371/
Posted by Suhel Khan 5 years, 8 months ago
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Posted by Monicaa Yadava 5 years, 8 months ago
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