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Ask QuestionPosted by Akshit Tyagi 5 years, 1 month ago
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Posted by Mohammad Gufran Patel 5 years, 1 month ago
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Posted by Payal Dey 5 years, 1 month ago
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Nancy Singh 5 years, 1 month ago
Posted by Prince Mehta 5 years, 1 month ago
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Posted by The Knowledge Hacks 5 years, 2 months ago
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Nancy Singh 5 years, 1 month ago
Sneha Gupta 5 years, 1 month ago
Rajneesh Payal 5 years, 1 month ago
Posted by Tina Sahu 5 years, 2 months ago
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Posted by Uttam Srivastav 5 years, 2 months ago
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Posted by Uttam Srivastav 5 years, 2 months ago
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Posted by Bossssssss S 5 years, 2 months ago
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Rajneesh Payal 5 years, 1 month ago
Posted by Anubhav Kansal 5 years, 2 months ago
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Posted by Arjun Singh 5 years, 2 months ago
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Posted by Yadav Sanjay 5 years, 2 months ago
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Posted by Shriya Samaga 5 years, 2 months ago
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A K47 5 years, 1 month ago
Posted by Tanvi Kashyap 5 years, 2 months ago
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Posted by Devyanshi Ahlawat 5 years, 2 months ago
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Posted by Gulshan Kumar 5 years, 2 months ago
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Posted by Murari Sah 5 years, 2 months ago
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Posted by Soumya Agrawal 5 years, 2 months ago
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Posted by Saksham Goel 5 years, 2 months ago
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Posted by Lulupop Sharma 5 years, 2 months ago
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Sia ? 5 years, 2 months ago
‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ व्यंग्यात्मक कहानी के माध्यम से लेखक ‘शरद जोशी’ ये शिक्षा देना चाहते हैं, अतिथि को किसी के घर अधिक समय नही रुकना चाहिये। हमारी संस्कृति में ‘अतिथि देवो भवः’ के संस्कार हमें दिये गये हैं, लेकिन आज महानगरीय जीवन में जहाँ एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति को अपनी दैनिक जरूरतों के लिये कड़ा संघर्ष करना पड़ता है, धन व समय का अभाव हर समय रहता है और ऐसे में कोई मेहमान घर पर आकर लंबे समय तक टिक जाए तो वो अतिथि भगवान नही राक्षस के समान लगने लगता है। लेखक ये कहना चाहते हैं कि हम भी यदि किसी के घर जायें तो ज्यादा समय तक रहकर किसी को तकलीफ न दें। आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में किसी के पास इतना समय और धन नही है, कि वो लंबे समय तक आप की आवभगत कर सके।
Posted by Ansh Pandey 5 years, 2 months ago
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Posted by Ha Nani 5 years, 2 months ago
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Posted by Mahek Kesarwani Ankita Kesarwani 5 years, 2 months ago
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Posted by Mahek Kesarwani Ankita Kesarwani 5 years, 2 months ago
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Mahek Kesarwani Ankita Kesarwani 5 years, 2 months ago
Posted by Mahek Kesarwani Ankita Kesarwani 5 years, 2 months ago
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Posted by Vedang Ghode 5 years, 2 months ago
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Posted by Śâmêêř Ssß 5 years, 2 months ago
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Posted by Ayisha Anees 5 years, 2 months ago
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Sia ? 5 years, 2 months ago
भारत की बछेंद्री पाल संसार की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं। बछेंद्री पाल संसार के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर ‘माउंट एवरेस्ट’ की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं। इन्होंने यह कारनामा 23 मई, 1984 के दिन 1 बजकर 7 मिनट पर किया था। भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद इन्होंने इस शिखर पर चढ़ाई करने वाली महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया। इसी प्रकार वर्ष 1994 में बछेंद्री ने महिलाओं के साथ गंगा नदी में हरिद्वार से कोलकाता तक लगभग 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया। हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए कराकोरम पर्वत-श्रृंखला पर समाप्त होने वाला लगभग 4,000 किमी लंबा अभियान भी इनके द्वारा इस दुर्गम क्षेत्र में ‘प्रथम महिला अभियान’ था।
Posted by Harsh Sahu 5 years, 3 months ago
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Yogita Ingle 5 years, 1 month ago
अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है – अलम + कार। यहाँ पर अलम का अर्थ है ‘आभूषण’ और कर का अर्थ है 'सुसज्जित करने वाला’। जिस तरह से एक नारी अपनी सुन्दरता को बढ़ाने के लिए आभूषणों को प्रयोग में लाती हैं उसी प्रकार भाषा को सुन्दर बनाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है, अर्थात जो शब्द काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं उसे अलंकार कहते हैं।
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