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Ask QuestionPosted by Shubham Chauhan 4 years, 1 month ago
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Posted by Lavanya Chauhan 4 years, 1 month ago
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Gaurav Kumar 4 years, 1 month ago
Posted by Sumit Anjana 4 years, 1 month ago
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Posted by Thoudaboina Yashastej 4 years, 1 month ago
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Suhani Saini 3 years, 2 months ago
Posted by Bdhdh Bzhjz 4 years, 1 month ago
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Posted by Harsh Panchal ? 4 years, 1 month ago
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Sia ? 4 years, 1 month ago
Posted by Sheikh Tamkeen 4 years, 1 month ago
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Posted by Deepti Raj 4 years, 1 month ago
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Posted by Kartikay Katiyar 4 years, 1 month ago
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Posted by Revati Shah 4 years, 2 months ago
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Shivi Agrawal 3 years, 11 months ago
Posted by Jaswinder Kaur 5016 4 years, 2 months ago
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Posted by Rajput Gaming 4 years, 2 months ago
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Posted by Simran Chauhan 4 years, 2 months ago
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Shivi Agrawal 3 years, 11 months ago
Posted by Palak Vedi Vedi 4 years, 2 months ago
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Posted by The Ghost 4 years, 2 months ago
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Posted by Sakshi Salunke 4 years, 2 months ago
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Posted by Avneet Kaur 4 years, 2 months ago
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Sia ? 4 years, 2 months ago
1. सरल वाक्य- नाम से ज्ञात होता है जो वाक्य छोटा हो जिसमें एक उद्देश्य और एक विधेय हो वह सरल वाक्य होता है।
जैसे- राम ने तीर मारा।
इस वाक्य में राम ने 'उद्देश्य' है और तीर मारा 'विधेय' है। एक अन्य उदाहरण देखिए
श्रेया कक्षा में प्रथम आई है।
इस वाक्य में श्रेया 'उद्देश्य' है और 'कक्षा में प्रथम आई है'विधेय है।
2. संयुक्त वाक्य- इस वाक्य में दो वाक्य समानता के आधार पर समानाधिकरण समुच्चयबोधकों (और, परंतु, एवं तथा, किंतु, वरना, या, अत: लेकिन बल्कि) से आपस में जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए-
हमने कल दाल, भात और रोटी बनाई थी।
इस वाक्य में और अव्यय शब्द से दो वाक्य आपस में जुड़े हुए हैं। अत: यह संयुक्त वाक्य है।
Anshika Sharma 4 years, 2 months ago
Anshika Sharma 4 years, 2 months ago
Posted by Ahmed Kazi 4 years, 2 months ago
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Posted by Rohan Kumar 4 years, 2 months ago
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Posted by Kriti Sunku 4 years, 2 months ago
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Posted by Swaraj Morankar 4 years, 2 months ago
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Kafi Pannu 4 years, 2 months ago
Posted by Honey Ishwar Hariyani 4 years, 2 months ago
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Posted by Ayush Rajput 4 years, 2 months ago
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Preeti Dabral 4 years, 2 months ago
अतीत है तथा गौरवमयी संस्कृति व सभ्यता है । हमारा देश विश्व के समस्त देशों से अद्भुत व निराला देश है । मुझे अपने देश की संस्कृति व सभ्यता पर गर्व है ।
मैं जब भी किसी से कहता हूँ कि मैं भारतवासी हूँ या मुझे कोई भारतीय कहकर पुकारता है तो मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ । हमारे देश के विश्व में अन्य देशों से अद्भुत व न्यारे होने के कई कारण हैं जिसका विस्तृत अवलोकन इस बात की पुष्टि करता है ।
हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है । यह देश ऋषियों-मुनियों का देश रहा है । भारत को इसीलिए अनेक महापुरुषों ने देवों की धरती कहा है क्योंकि यहाँ पर संस्कृति व सभ्यता पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और हजारों वर्ष बाद भी भारतीय संस्कृति उतने ही सशक्त व जीवंत रूप में विद्यमान है । हमारे देश की संस्कृति त्याग, बलिदान, प्रेम, सद्भावना, भाईचारा, श्रद्धा आदि महान नैतिक, शुद्ध व दैवी गुणों पर आधारित है ।
विशाल हृदय वाली इस संस्कृति ने हमें अपने दुश्मनों से भी प्रेम करना सिखाया है । इसी धरती पर भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, त्याग की प्रतिमूर्ति महात्मा दधीचि, दानवीर कर्ण, महाप्रतापी व सत्यवादी राजा हरिश्चंद आदि महापुरुषों ने जन्म लिया । गाँधी जी जैसे युगपुरुष यहीं पर अवतरित हुए जिन्होंने बिना शस्त्र के ‘सत्य और अहिंसा’ के मार्ग पर चलते हुए भारत को स्वतंत्र कराया । संपूर्ण विश्व युगपुरुष गाँधी जी को आज भी नमन करता है ।
हमारे देश में कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक विभिन्न भाषा, जाति, वेश-भूषा व विभिन्न मतों के लोग एक साथ निवास करते हैं । इतने विभिन्न रंगों को एकीकृत रूप में पिरोना भारत जैसे महान देश में ही संभव है । भारतीय संस्कृति की उदारता व महानता का यह साक्षात् प्रमाण है ।
यहाँ विश्व के लगभग समस्त धर्मों के लोग परस्पर मेल-जोल से रहते हैं । सभी को बिना भेदभाव अपने धर्म को मानने व प्रचार-प्रसार की खुली अनुमति है । उत्तर से दक्षिण हो या फिर पूर्व से पश्चिम हम भारत के किसी भी छोर पर जाएँ हमें जो भिन्नता यहाँ देखने को मिलेगी वैसी भिन्नता विश्व के शायद ही किसी कोने में उपलब्ध हो ।
कला की दृष्टि से भी हमारा देश उत्कृष्ट है । मुगलकालीन इतिहास में मुगल शासकों द्वारा प्रदत्त कला, विश्व कला जगत के लिए एक महान उपलब्धि है । हम आगरा के ताजमहल को लें, या फिर दिल्ली की कुतुबमीनार को सभी कला जगत की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं जिसे देखने के लिए हर वर्ष लाखों विदेशी पर्यटक भारत आते हैं ।
Posted by Robin Mangleta 4 years, 2 months ago
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Preeti Dabral 4 years, 2 months ago
कवयित्री परमात्मा को साहब मानती है, जो भवसागर से पार करने में समर्थ हैं। वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए।
Posted by Mishal Kotwani 4 years, 2 months ago
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Sia ? 4 years, 1 month ago
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