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Ask QuestionPosted by Azaan Quadri 6 years ago
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Posted by Mayank Pal 6 years ago
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Posted by Åākāsh Prãmånïk 6 years ago
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Shreyansh Shukla 6 years ago
Posted by Muskan Saklani 6 years ago
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Posted by Jash Pokhariyal 6 years, 1 month ago
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Posted by Brihaspati Gorh 6 years, 1 month ago
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Posted by Jeshmaria B Mâřäķ 6 years, 1 month ago
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Posted by Radha Rajpurohit 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years, 1 month ago
सालिम अली ने अपना सारा जीवन पक्षियों की सुरक्षा और उनके बारे में नवीन जानकारियाँ एकत्रित करने में बिता दिया था। वे पक्षियों की खोज में न तो किसी स्थान विशेष तक सीमित रहे और न ही उन्होंने स्वयं को किसी सीमा में कैद किया। वे टापू की तरह सूक्ष्म विचारों वाले नहीं बल्कि सागर की तरह खुले आचार-विचार और सोच वाले थे। वे पक्षी, प्रकृति और पर्यावरण के लिए कुछ भी करने को तैयार थे।
Posted by Prabhat Kumar 6 years, 1 month ago
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Yug Bhardwaj 6 years ago
Posted by Md Meraj 6 years, 1 month ago
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Posted by Rajeev Kumar 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years, 1 month ago
छोटी बच्ची का बैलों के प्रति प्रेम उमड़ने के निम्नलिखित कारण हैं -
- छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। वह माँ के बिछुड़ने का दर्द जानती थी। उसे लगा कि वे भी उसी की तरह अभागे हैं और अपने मालिक से दूर हैं।
- छोटी बच्ची को उसकी सौतेली माँ सताती थी। बैल दिन भर जोते जाते थे और उन्हें डंडे भी मारे जाते थे। उन्हें खाने को सुखा घुसा दिया जाता था। उसे लगा कि बैलों के साथ भी उसके समान सौतेला व्यवहार हो रहा है।
Posted by Khushi Jaiswal 6 years, 1 month ago
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Posted by Indalsingh Kushwaha 6 years, 1 month ago
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Posted by Rashi Kumawat 6 years, 1 month ago
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Posted by Ishrut Rawat 6 years, 1 month ago
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Posted by Rishab Ji 6 years, 1 month ago
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Posted by R.K Mukati 6 years, 1 month ago
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Posted by Kaif Ansari 6 years, 1 month ago
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Posted by Sakshi Bharti 6 years, 1 month ago
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Posted by Mohmmed Arslan 6 years, 1 month ago
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Sumit Singh 6 years, 1 month ago
Princess Girl 6 years, 1 month ago
Posted by Aman Kamdar 6 years, 1 month ago
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Posted by Mangal Singh 6 years, 1 month ago
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Posted by Shivank Tyagi 6 years, 1 month ago
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Posted by Jayesh Joshi 6 years, 1 month ago
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Posted by Pawan Jha 6 years, 1 month ago
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Posted by Ajay Kumar 6 years, 1 month ago
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Sia ? 6 years ago
पाल और इनकी टीम के सदस्यों ने नेपाल पहुंचने के कुछ दिनों बाद ही अपने एवरेस्ट अभियान को शुरू कर दिया था। इस अभियान को कई चरणों में पूरा किया गया था। इस अभियान का पहला चरण बेस कैंप था। बेस कैंप से अपना सफर शुरू करने के बाद पाल और उनके साथी शिविर तक पहुंचे थे और इस शिविर की उंचाई 9, 900 फीट यानी 6065 मीटर थी। इस शिविर पर रात बिताने के बाद, अगले दिन इन सभी ने शिविर 2 की और अपना रुख किया और शिविर 2, 21,300 फीट यानी 6492 मीटर की ऊंचाई पर स्थित था। इस शिविर के बाद अगला चरण शिविर 3 था और इस शिविर की ऊंचाई 24,500 फीट यानी 7470 मीटर की थी।
वहीं जैसे- जैसे पाल की टीम ऊंचाई पर पहुंचती जा रही थी, वैसे-वैसे ही पाल की परेशानियां भी बढ़ती जा रही थी। ऊंचाई पर पहुंचने के साथ ही ठंड बढ़ती जा रही थी और इस अभियान से जुड़े सदस्यों को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी थी। इस अभियान के लिए गए कई सदस्य तो घायल भी हो गए थे। जिसके चलते कई सदस्यों को इस अभियान को बीच में ही छोड़ना पड़ा। वहीं लाख दिक्कतों के बाद भी पाल ने हार नहीं मानी और इन्होंने अपने आगे का सफर जारी रखा और शिविर 4 की ओर अपने बचे हुए साथियों के साथ रुख किया। ये शिविर 26,000 फीट यानी 7925 मीटर स्थित था और इस शिविर तक पहुंचते पहुंचते पाल की टीम में मौजूद सभी महिलाओं ने हार मान ली और वो यहां से ही वापस बेस कैंप चले गईं और इस तरह इस अभियान को पूरा करने के लिए भारत की और से भेजी गई टीम में केवल पाल ही एक महिला सदस्य बचीं थी।
1Thank You