Ask questions which are clear, concise and easy to understand.
Ask QuestionPosted by Arshan Ahmad 4 years, 10 months ago
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Posted by Muskan Mishra 4 years, 10 months ago
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Harshita Rathore 4 years, 10 months ago
Posted by Khushi Kaushik Khushi Kaushik 4 years, 4 months ago
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Sia ? 4 years, 4 months ago
Posted by Ch Santosh 4 years, 10 months ago
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Abhi Jain 4 years, 10 months ago
Muskan Mishra 4 years, 10 months ago
Posted by Aman Singh 4 years, 10 months ago
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Posted by Palak Kanwar 4 years, 10 months ago
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Shreya Rastogi 4 years, 10 months ago
Posted by Aarti Baid 4 years, 10 months ago
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Posted by ...... ..... 4 years, 10 months ago
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Posted by Suhani Patel 4 years, 10 months ago
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Posted by Payal Jangir 4 years, 10 months ago
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Posted by Shaik Mobin 4 years, 10 months ago
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Posted by Abhishek Kumar 4 years, 10 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 10 months ago
कुशल या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए आवश्यक है कि हम जातीय जड़ता को त्यागकर प्रत्येक व्यक्ति को इस सीमा तक विकसित एवं स्वतंत्र करें, जिससे वह अपनी कुशलता के अनुसार कार्य का चुनाव स्वयं करे। यदि श्रमिकों को मनचाहा कार्य मिले तो कुशल श्रमिक-समाज का निर्माण स्वाभाविक है।
Posted by Moksha Sahu 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
मनुष्य पक्षियों की भाषा नहीं समझ सकता| वह उन्हें अपने मनोरंजन के साधन के रूप में देखता है| यही कारण है कि पक्षी कलरव अथवा अपनी मधुर आवाज के माध्यम से जिन भावनाओं को व्यक्त करते हैं, उन्हें सुनकर मनुष्य रोमांच का अनुभव नहीं करता|
Posted by Prachi . 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
लेखक को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा-
1. जगह-जगह रास्ता कठिन तो था ही साथ में परिवेश भी बिल्कुल नया था।
2. चोरी के डर से भिखमंगों को वहाँ के लोग घर में घुसने नहीं देते थे। इसी कारण लेखक को भी ठहरने के स्थान को लेकर कठिनाई का सामना करना पड़ा।
3. उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी। इसलिए उन्हें भिखमंगे के रुप में यात्रा करना पड़ी।
4. समय से न पहुँच पाने पर सुमति के गुस्से के सामना करना पड़ा।
5. तेज़ धूप में चलना पड़ा था।
6. डाँड़ा, थोङ्ला जैसी खतरनाक जगह को पार करना पड़ा।
Posted by Subhas Jain 4 years, 10 months ago
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Posted by Ritika Jangra 4 years, 10 months ago
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Posted by Ammu Kutty 4 years, 10 months ago
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Posted by Ammu Kutty 4 years, 10 months ago
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Posted by Surjeet Mohanty 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
'मोती' के संदर्भ में अर्थ है चमक या आब इसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं है। 'मानुष' के संदर्भ में पानी का अर्थ मान सम्मान है मनुष्य का पानी अर्थात सम्मान समाप्त हो जाए तो उसका जीवन व्यर्थ है। 'चून' के संदर्भ में पानी का अर्थ अस्तित्व से है। पानी के बिना आटा नहीं गूँथा जा सकता। आटे और चूना दोनों में पानी की आवश्यकता होती है।
Or
Other explanation
जिस प्रकार मोती का पानी उतर जाता है। अर्थात् उसकी चमक समाप्त हो जाती है तो उसका कोई महत्त्व नहीं रह जाता। मनुष्य का पानी उतरने से आशय मनुष्य का मान-सम्मान समाप्त हो जाता है। ‘चून’ पानी से ही गूँधा जाता है। सूखा आटा पानी के बिना किसी का पेट भरने में सहायक नहीं। इस प्रकार मोती, मनुष्य और चून के लिए पानी का अपना विशेष महत्त्व है।
Posted by Siya Khairwar 4 years, 10 months ago
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Posted by Surjeet Mohanty 4 years, 10 months ago
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Posted by Surjeet Mohanty 4 years, 10 months ago
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M U 4 years, 10 months ago
Posted by Surjeet Mohanty 4 years, 10 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 10 months ago
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥
प्रेम का बंधन किसी धागे के समान होता है जिसे कभी भी झटके से तोड़ नहीं देना चाहिए बल्कि उसकी हिफाजत करनी चाहिए। क्योंकि जब कोई धागा एक बार टूट जाता है तो फिर उसे जोड़ा नहीं जा सकता। जोड़ने की कोशिश में उस धागे में गाँठ पड़ जाती है। किसी से रिश्ता जब एक बार टूट जाता है तो फिर उस रिश्ते को दोबारा जोड़ा नहीं जा सकता।
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहै कोय॥
अपने दर्द को दूसरों से छुपा कर ही रखना चाहिए। जब आपका दर्द किसी अन्य को पता चलता है तो लोग उसका मजाक ही उड़ाते हैं। कोई भी आपके दर्द को बाँट नहीं सकता।
<hr />एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय॥
एक बार में कोई एक कार्य ही करना चाहिए। एक काम के पूरा होने से कई काम अपने आप हो जाते हैं। यदि एक ही साथ आप कई लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करेंगे तो कुछ भी हाथ नहीं आता। यह वैसे ही है जैसे जड़ में पानी डालने से ही किसी पौधे में फूल और फल आते हैं।
चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस।
जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस॥
जब राम को बनवास मिला था तो वे चित्रकूट में रहने गये थे। चित्रकूट घनघोर वन में होने के कारण रहने लायक जगह नहीं थी। ऐसी जगह पर वही रहने जाता है जिस पर कोई भारी विपत्ति आती है।
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं॥
किसी भी दोहे में कम शब्दों में ही बहुत बड़ा अर्थ छिपा होता है। यह वैसे ही होता है जैसे नट की कुंडली होती है। नट अपनी कुंडली में सिमट कर तरह तरह के विस्मयकारी करतब दिखा देता है।
<hr />धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पियत अघाय।
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय॥
कीचड़ में पाया जाने वाला थोडा सा पानी ही धन्य है क्योंकि उस पानी से कितने छोटे-छोटे जीवों की प्यास बुझती है। सागर का जल विशाल मात्रा में होते हुए भी व्यर्थ होता है क्योंकि उस जल से किसी की प्यास नहीं बुझती।
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन देत समेत।
ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत॥
हिरण किसी के संगीत से खुश होकर अपना शरीर न्योछावर कर देता है। इसी तरह से कुछ लोग दूसरे के प्रेम से खुश होकर अपना सब कुछ दे देते हैं। लेकिन कुछ लोग पशु से भी बदतर होते हैं जो दूसरों से तो बहुत कुछ ले लेते हैं लेकिन बदले में कुछ भी नहीं देते हैं।
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥
कोई बात जब एक बार बिग़ड़ जाती है तो लाख कोशिश के बावजूद उसे ठीक नहीं किया जा सकता। यह वैसे ही है जैसे जब दूध एक बार फट जाये तो फिर उसको मथने से मक्खन नहीं निकलता।
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि॥
किसी बड़ी चीज को देखकर किसी छोटी चीज की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि जहाँ छोटी चीज की जरूरत होती है वहाँ पर बड़ी चीज बेकार हो जाती है। जैसे जहाँ सुई की जरूरत होती है वहाँ तलवार का कोई काम नहीं होता।
रहिमन निज संपति बिन, कौ न बिपति सहाय।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय॥
जब आपके पास धन नहीं होता है तो कोई भी विपत्ति में आपकी सहायता नहीं करता। यह वैसे ही है जैसे यदि तालाब सूख जाता है तो कमल को सूर्य जैसा प्रतापी भी नहीं बचा पाता है।
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥
पानी हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि पानी के बगैर जीवन असंभव है। बिना पानी के न तो मोती बनता है, न चूना और पानी के बिना मनुष्य जीवन भी असंभव है।
Posted by Santosh Meena 4 years, 10 months ago
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Posted by Avi Flame 4 years, 10 months ago
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Payal Jangir 4 years, 10 months ago
Posted by M. M. Subhashree 4 years, 10 months ago
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Posted by Ajjsjsjjdjka Jsjsjsjsja 4 years, 10 months ago
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Posted by 𝑺𝒖𝒓𝒂𝒃𝒉𝒊 𝑺𝒂𝒖𝒎𝒚𝒂 4 years, 11 months ago
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ᵗʰⁱˢ ᵍⁱʳˡ ⁱˢ ༒︎Dᴇᴀᴅ Iɴsɪᴅᴇ༒︎✔︎ 4 years, 11 months ago
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Deepa Singh 4 years, 10 months ago
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