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Yuv Raj 6 years, 8 months ago

Don't ask such types of Questions...
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Shreya Gunsola 6 years, 8 months ago

Apke pas nhi hai kya??
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Ch
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Ashish Kumar Yadav 6 years, 8 months ago

Bhuk meethe hoti hai na ki bhojan kyoki jab insaan ko bhuke lagati hai to usay acha khana nahi chahiye usay agar sukhi roti bhi mile toh oh khana use ke liye ache pakwan se kam nahi hoga jab insaan ko bhuke lagati hai toh oh bhojan kaisa bhi ho pait me jane ke baad oh swadist ban jata hai esliye bhojan nahi bhukh meethi hoti hai.
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Arpit Singh 6 years, 8 months ago

Iske liye notice banayge na ki poster.
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Ashish Kumar Yadav 6 years, 8 months ago

Hum usee bade post pe rahne wale officer se sikayat karege.
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Seth Rollins 6 years, 8 months ago

Ki har dost kamina hota
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Ayushi Sharma 6 years, 8 months ago

8 Jan 18 maths 9 Jan 18 hindi 10 Jan 18 sanskrit 12 Jan 18 s.s.t 15 Jan 18 science 17 Jan 18 English Ok
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Moomal Kirad 6 years, 8 months ago

शरीर की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए जिस प्रकार मनुष्य ने भिन्न -भिन्न प्रकार के आभूषण का प्रयोग किया ,उसी प्रकार उसने भाषा को सुंदर बनाने के लिए अलंकारों का सृजन किया। काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है। जिस प्रकार नारी के सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए आभूषण होते है,उसी प्रकार भाषा के सौन्दर्य के उपकरणों को अलंकार कहते है। इसीलिए कहा गया है - 'भूषण बिना न सोहई -कविता ,बनिता मित्त।' अलंकार के भेद - इसके तीन भेद होते है - १.शब्दालंकार २.अर्थालंकार ३.उभयालंकार १.शब्दालंकार :- जिस अलंकार में शब्दों के प्रयोग के कारण कोई चमत्कार उपस्थित हो जाता है और उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी दूसरे शब्दों के रख देने से वह चमत्कार समाप्त हो जाता है,वह पर शब्दालंकार माना जाता है। शब्दालंकार के प्रमुख भेद है - १.अनुप्रास २.यमक ३.शेष १.अनुप्रास :- अनुप्रास शब्द 'अनु' तथा 'प्रास' शब्दों के योग से बना है । 'अनु' का अर्थ है :- बार- बार तथा 'प्रास' का अर्थ है - वर्ण । जहाँ स्वर की समानता के बिना भी वर्णों की बार -बार आवृत्ति होती है ,वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है । इस अलंकार में एक ही वर्ण का बार -बार प्रयोग किया जाता है । जैसे - जन रंजन मंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप । विश्व बदर इव धृत उदर जोवत सोवत सूप । । अनुप्रास अलंकार के तीन भेद होते हैं - १ . छेकानुप्रास - जहाँ एक या अनेक वर्णों की आवृति केवल दो बार होती हैं जैसे छेकानुप्रास कहते हैं . जैसे - "राधा के बर बैर सुनि ,चीनी चकित सुभाय . दास दुखी मिशरी मुरी ,सुधा रही सकुचाय . " २. वृत्यानुप्रास - जहाँ एक या अनेक वर्णों की समता बार - बार हो वह वृत्यानुप्रास होता है . जैसे - "तरनि - तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये ." यहाँ "त" शब्द

Zaheen Mirza 6 years, 8 months ago

Alankar kisi ki shabd ki visheshta btate h ye aath prakar ke hote h
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Moomal Kirad 6 years, 8 months ago

शरीर की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए जिस प्रकार मनुष्य ने भिन्न -भिन्न प्रकार के आभूषण का प्रयोग किया ,उसी प्रकार उसने भाषा को सुंदर बनाने के लिए अलंकारों का सृजन किया। काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है। जिस प्रकार नारी के सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए आभूषण होते है,उसी प्रकार भाषा के सौन्दर्य के उपकरणों को अलंकार कहते है। इसीलिए कहा गया है - 'भूषण बिना न सोहई -कविता ,बनिता मित्त।'

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