No products in the cart.

Ask questions which are clear, concise and easy to understand.

Ask Question
  • 1 answers

Sia ? 6 years, 3 months ago

तीर्थ-सेवी, राही, पथिक, प्रवासी

  • 0 answers
  • 0 answers
  • 1 answers

Diya Detwal 6 years, 3 months ago

Class 8 bharat ki khoj chapter2 extra question
  • 1 answers

Sarthak Khatri 6 years, 3 months ago

महा + ईश
  • 5 answers

Aryan Vats 6 years, 3 months ago

7.'फब ' ka matalab kya hota hai? 8.मुगँएरिया ka matalab kya hota hai? 9.kavi baslu ko mama na khaker chcha kyu bulata tha? 10.kavi ko badlu kya khaker pukar taa tha?

Aryan Vats 6 years, 3 months ago

6.badlu jab chudi banata tha to uske pass kya kya saman hota tha?

Aryan Vats 6 years, 3 months ago

3.kavi ko badlu kya banaker deta tha? 4.badlu kavi ke aane par use kya khilata tha? 5.badlu lakh ki chudi ke badle kya le taa tha?

Aryan Vats 6 years, 3 months ago

2.badlu ko saab kya khake bulate the?

Aryan Vats 6 years, 3 months ago

1. Lakh ki chudi kon bnata tha
  • 1 answers

Sia ? 6 years, 3 months ago

 सन्त कवि कबीरदास ने लिखा है-
काल सो करै आज कर आज करे सो अब।
पल में परलै होयगी बहुरि करैगो कब।।
अर्थात् जो कल करना है वह आज ही कर लो और जो आज करना है उसे अभी कर लो क्योंकि प्रलय पल भर में हो जाती है। यदि प्रलय आ गई तो तुम्हारे मंसूबे धरे के धरे रह जाएँगे और तब अपने करणीय कर्म भला कब कर पाओगे।कबीर ने इस सूक्ति के माध्यम से यह बताया है कि हमें काम को टालने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। काम की टाल-मटोली करने वालों के काम कभी पूरे नहीं हो पाते। इसलिए समयानुसार कार्य कर लेना चाहिए । 

 समयनियोजन को सफलता का मूल मन्त्र माना जाता है। दिन में 24 घण्टे सबके लिए होते हैं किन्तु जो समयबद्ध ढंग से काम निपटाते है, अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करने वाले निश्चय ही सफलता प्राप्त करते है। जिसे समय नियोजन का गुर आ गया वह कभी असफल हो ही नहीं सकता। चाहे परीक्षा में सफलता प्राप्त करनी हो या नौकरी में हमें चरण बद्ध एवं समय बद्ध ढंग से आगे बढ़ना चाहिए। जो लोग काम को टालने की प्रवृत्ति रखते हैं या निर्णय नहीं ले पाते उन्हें न तो कोई पसन्द करता है और न ही वे कोई उपलब्धि प्राप्त कर पाते है। जितने भी सफल व्यक्ति है उनमें ये दो विशेषताएँ अवश्य पाई जाती है-त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और काम को अविलम्ब करने का हुनर। वे न तो निर्णय टालते हैं और न काम को टालते है।किसी कार्य को टालना हमारे आलस्य को प्रकट करने के साथ हमारी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करता है और पछतावे के सिवा कुछ भी नहीं देता। 

काम को टालने की प्रवृत्ति व्यक्ति के विकास में बाधक है। एक बार जब किसी व्यक्ति पर से भरोसा उठ जाता है तो उसकी प्रगति रुक जाती है। किसी ने सच कहा है-कल कभी नहीं आता जो करना है अभी कर लो, आज के काम को कल पर टालने की प्रवृत्ति त्याग दो तभी जीवन में सफलता मिलती है गया ,समय कभी लौट कर नहीं आता इसलिए आवश्यक है कि समय की माँग के अनुसार उपलब्ध साधनों का सदुपयोग करते हुये कार्य करने वाला ही बुद्धिमान होता है। समझदार लोग तो पहले से ही स्थिति का विश्लेषण कर समय को अपने अनुकूल बना लेते है और अपने साथ-साथ औरों को भी सुरक्षित कर देते हैं। इसलिए समय का सदुपयोग करने में ही समझदारी है। 

  • 0 answers
  • 0 answers
  • 1 answers

Sia ? 6 years, 3 months ago

परीक्षा भवन
दिल्ली।
दिनांक : 17 जनवरी, 2019
प्रिय मित्र
सस्नेह नमस्कार 
कल ही तुम्हारा पत्र मिला जिसे पढ़ कर ऐसा  महसूस हुआ कि तुम सचमुच में अमेरिकी आबोहवा में रच बस गए हो । तुमने अमेरिका में मनाए जाने वाले त्योहारों का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है जिससे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ किन्तु हमारे त्योहारों कि बात ही कुछ और है। अब मैं इस पत्र में भारतीय त्योहारों के विषय में लिख रहा हूँ। तुम्हें तो पता ही है कि भारत त्योहारों का देश है जिनमें दीवाली, दशहरा, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, लोहड़ी, करवाचौथ, वसंत-पंचमी, बैसाखी,15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 नवंबर आदि प्रमुख हैं। पर इसके अतिरिक्त भी यहाँ मानो हर दिन ही त्योहार मनाए जाते हैं।प्रत्येक त्योहार अपने भीतर मानो एक संदेश छिपाये है जैसे  दीवाली अज्ञान (तम) पर ज्ञान (प्रकाश) की विजय, दशहरा असत्य पर सत्य की जीत, होली में सभी पुराने वैर भावों को भूलकर एक दूसरे से गले मिलते हैं। हर त्योहार भारतीय बड़ी ही धूमधाम और उत्साह  से मनाते हैं। दीवाली दीपों का त्योहार हैं | दशहरा मेलों का त्योहार तथा होली रंगों का त्योहार है। मित्र, इस पत्र में इतनी जानकारी पर्याप्त है। शेष अगले पत्र में लिखूंगा । अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना तथा छोटे भाई को प्यार देना। अब की होली पर  तुम अवश्य भारत आना तुम अमेरिका भूल जाओगे। 
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
गोविन्द कुमार

सेवा में,
सम्पादक,
नव भारत टाइम्स
नई दिल्ली।
विषय-प्लास्टिक की चीजों से हो रही हानि के संबंध में 
महोदय,
मैं आपके इस प्रतिष्ठित समाचार-पत्र का नियमित पाठक हूँ। मैंने पाया है कि पाठकों द्वारा भेजी गयी समस्याओं और सुझावों को प्रमुखता से न केवल अपने समाचारपत्र में छापते हैं बल्कि सर्वश्रेष्ठ पाठक का पुरस्कार भी प्रदान करते हैं । कृपया मेरी समस्या पर ध्यानाकर्षित करते हुए उसे  पत्र स्थान देते हुये छापने का कष्ट करें।
आजकल प्लास्टिक से निर्मित वस्तुएँ बाजार में अधिक संख्या में बिक रही हैं।जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ प्लास्टिक न हो । मानव ने प्लास्टिक का निर्माण करके अपने जीवन में एक ओर जहाँ क्रांतिकारी परिवर्तन कर उसे सरल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इससे पर्यावरण प्रदूषित हो गया है। प्लास्टिक के कारखाने बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण फैलाते हैं और  प्रयोग करने के बाद बचा हुआ प्लास्टिक किसी भी तरह से पुन: उपयोग में नहीं आता। आपसे अनुरोध है कि आप अपने सामाचार पत्र में इसे छापकर प्लास्टिक से बनी चीजों से हो रही हानि के बारे में लोगों को अवगत करायें। जिससे लोगों में जागृति पैदा हो और वे प्लास्टिक से निर्मित चीजों का उपयोग न तो स्वयं  करेंऔर न ही दूसरों को करने दें। अपने समाचार-पत्र के द्वारा अधिकारियों तथा प्रशासकों का ध्यान इस ओर आकर्षित करें ताकि वे युद्धस्तर लोगों को जागरूक करें और प्लास्टिक रहित जीवन के लिए प्रेरित कर सकें। 
भवदीय
धीरेन्द्र
दिनांक: 17 जनवरी, 2019

  • 1 answers

Gaurav Seth 6 years, 3 months ago

आपका टेलीफोन 2 सप्ताह से खराब है इसकी शिकायत करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए

  • 1 answers

Sia ? 6 years, 3 months ago

भारत खुद में एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग इस देश में शांति से रहते हैं। हालांकि ऐसे लोगों के कुछ समूह हैं जो अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिए लोगों को भड़काने की कोशिश करते हैं जिससे देश के शांति में बाधा आ जाती है। मेरे सपनों के भारत में इस तरह की विभाजनकारी प्रवृत्तियों की कोई जगह नहीं होगी। यह ऐसा स्थान होना चाहिए जहां विभिन्न जातीय समूह एक-दूसरे के साथ एकदम सही तालमेल में रहते हो।

मैं भारत को ऐसा देश होने का सपना देखता हूं जहां का हर नागरिक शिक्षित होगा। मैं चाहता हूं कि मेरे देश के लोग शिक्षा के महत्व को समझ सकें और यह सुनिश्चित करें कि उनके बच्चों को छोटी सी उम्र में नौकरी करने की बजाय शिक्षा हासिल करने का अधिकार मिले।

मैं चाहता हूं कि सरकार सभी के लिए समान रोजगार के अवसर प्रदान करे ताकि युवाओं को योग्य रोजगार मिल सके और राष्ट्र के विकास के लिए युवा अपना योगदान दे सकें। मैं चाहता हूं कि देश तकनीकी रूप से उन्नत हो और सभी क्षेत्रों में विकास हो सके। अन्त में, मैं चाहता हूं कि भारत एक ऐसा देश हो जहां महिलाओं को सम्मान दिया जाता हो, उनके साथ सभ्य व्यवहार किया जाता हो और पुरुषों के रोज़गार के समान अवसर दिए जाते हो।

  • 1 answers

Sia ? 6 years, 3 months ago

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अनुशासन ही मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करता है तथा उसे समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता है ।

विद्‌यार्थी जीवन में तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है क्योंकि यह वह समय होता है जब उसके व्यक्तित्व का निर्माण प्रांरभ होता है । दूसरे शब्दों में, विद्‌यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवनकाल की आधारशिला कह सकते हैं क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अथवा अवगुण आत्मसात् करता है उसी के अनुसार उसके चरित्र का निर्माण होता है ।

कोई भी विद्‌यार्थी अनुशासन के महत्व को समझे बिना सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है । अनुशासन प्रिय विद्‌यार्थी नियमित विद्‌यालय जाता है तथा कक्षा में अध्यापक द्‌वारा कही गई बातों का अनुसरण करता है । वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करता है । वह जब किसी कार्य को प्रारंभ करता है तो उसे समाप्त करने की चेष्टा करता है ।

अनुशासन में रहने वाले विद्‌यार्थी सदैव परिश्रमी होते हैं । उनमें टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं होती तथा वे आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते हैं । उनके यही गुण धीरे-धीरे उन्हें सामान्य विद्‌यार्थियों से एक अलग पहचान दिलाते हैं ।

अनुशासन केवल विद्‌यार्थियों के लिए ही आवश्यक नहीं है, जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है लेकिन इसका अभ्यास कम उम्र में अधिक सरलता से हो सकता है । अत: कहा जा सकता है कि यदि विद्‌यार्थी जीवन से ही नियमानुसार चलने की आदत पड़ जाए तो शेष जीवन की राहें सुगम हो जाती हैं ।

ये विद्‌यार्थी ही आगे चलकर देश की राहें सँभालेंगे, कल इनके कंधों पर ही देश के निर्माण की जिम्मेदारी आएगी अत: आवश्यक है कि ये कल के सुयोग्य नागरिक बनें और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन धैर्य और साहस के साथ करें ।

वर्तमान में अनुशासन का स्तर काफी गिर गया है । अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं । बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के दौर में आज लोग बहुत ही व्यस्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं जिससे माता-पिता अपनी संतान को वांछित समय नहीं दे पाते हैं । इसी कारण बच्चों में असंतोष बढ़ता है जिससे अनुशासनहीनता उनमें जल्दी घर कर जाती है ।

myCBSEguide App

myCBSEguide

Trusted by 1 Crore+ Students

Test Generator

Test Generator

Create papers online. It's FREE.

CUET Mock Tests

CUET Mock Tests

75,000+ questions to practice only on myCBSEguide app

Download myCBSEguide App