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Sia ? 5 years, 1 month ago

जिन शब्दों से किसी कार्य का करना या होना व्यक्त हो उन्हें क्रिया कहते हैं। जैसे- रोया, खा रहा, जायेगा आदि। उदाहरणस्वरूप अगर एक वाक्य 'मैंने खाना खाया' देखा जाये तो इसमें क्रिया 'खाया' शब्द है।

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K. K. 5 years, 1 month ago

Dialogue writing
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Anusha Pattnaik 5 years, 1 month ago

Rekha ke sawar Savita kya hai ki logon ne unhen Dhoka de diya hai vah theek bhi Gaye fir bhi vah niraash nahin hai kyunki unke jivan mein aise avsar bhi aaye Hain jab logon ne unki sahayata abhi ki hai niraash man ko hasil bhi diya hai ticket Babu dwara bache hue paise lautana conductor dwara dusri bus aur bacchon ke liye dudh Lana yah sabit karta hai Datsun thank you
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Prince Kabra 5 years, 1 month ago

Yigv ueyf aysg gw7d vshq nababababbababbaabababbbababababababababbababa. Babswbb bxbeb bqjbB bebh h qhu uwurafa princr jdbj kanra nahdkarand. Kanarmnd. Kabra is the intellidjbbhh. Prince kabta is the intelligente boy in the world
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Bhumika Singh 5 years ago

Doshon ka

Navkar Goyal 5 years, 1 month ago

Doshon ka

Ansh Tiwari 5 years, 1 month ago

दोषों का

???Mansu ??? ?Raj? 5 years, 1 month ago

Criminal ka court par
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Shantanu Kawar 5 years, 1 month ago

Don't know ?
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Sia ? 5 years, 1 month ago

You can check our website and app.

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Navkar Goyal 5 years, 1 month ago

Hi

Sia ? 5 years, 1 month ago

महात्मा गांधी के नाम से मशहूर मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गान्धी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर सम्बोधित किया था।
महात्मा गाँधी समुच्च मानव जाति के लिए मिशाल हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों से भी इनका पालन करने के लिये कहा। उन्होंने अपना जीवन सदाचार में गुजारा। वह सदैव परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनते थे। सदैव शाकाहारी भोजन खाने वाले इस महापुरुष ने आत्मशुद्धि के लिये कई बार लम्बे उपवास भी रक्खे। सन 1915 में भारत वापस आने से पहले गान्धी ने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष किया। भारत आकर उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया और किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भारी भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये एकजुट किया। सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने सन 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कई मौकों पर गाँधी जी कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहे।

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Radhika Sharma✌️✌️ 5 years, 1 month ago

Saical sikhne se mahilayo ka kaam aasan ho gaya tha .Ve door-door tak ke kaam bhi asani se kar leti thi jaise pani lana etc.logo ko khana pahuchane ke liye bhi ve saical ka estemal karti thi.( Agar english me likha hua sanajh na aaye toh sorry)

Siddhi Kerle 5 years, 1 month ago

Please give the answer
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Ashish Jangid 5 years, 1 month ago

When will be the next Quiz
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Ansh Tiwari 5 years, 1 month ago

Kabir das

Molla Mahammad Pasha 5 years, 1 month ago

Kabir das

Sanjana Kanojiya 5 years, 1 month ago

Ram dhari singh

Sania Tabassum 5 years, 1 month ago

Kabir
Ti
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Vishesh Kumar 5 years, 1 month ago

संज्ञा किसे कहते हैं उसके भेदों के नाम
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Faris Sansare 5 years, 1 month ago

Ywywhwysystsyag#-^-^-~>-=+*:"n bbej - =(+
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Sia ? 5 years, 1 month ago

इस अध्याय में सुदमा, कृष्ण का एक बहुत ही पुराना दोस्त गरीब है और उसकी मदद की ज़रूरत है इसलिए उनकी पत्नी उसे कृष्ण से मदद मांगने के लिए कहती हैं जो द्वारका का राजा है। द्वारपाल उसे रोकता है और कृष्ण को महाहल के बाहर ब्राह्मण के बारे में सूचित करता है। फिर उन्होंने सुदमा को बहुत गरीब और कमजोर ब्राह्मण के रूप में सिर पर कोई पगड़ी नहीं, शरीर पर कोई कपड़े नहीं, जूते नहीं, उसकी धोती गंदा और फाड़ है, वह महल को देखने के लिए बहुत आश्चर्यचकित है और सूदमा के कपड़े धोने के लिए पानी के साथ एक पैराट लाता है। कपड़ा, लेकिन थोरसन सुदामा के पैर देखकर वह रोने लगती है और सुदामा के पैर पराठे के पानी को बिना छूने के बिना कृष्ण के आँसू से धोते हैं। कुछ समय बाद सुदामा वापस चला जाता है लेकिन वह खुश नहीं है क्योंकि कृष्ण ने उसे मदद नहीं की है, लेकिन कृष्ण को यह पता है कि वह एक भगवान है, सुदुमा जब द्वारका की तरह अपने घर के रास्ते में सुंदर इमारतों को मिलता है तो उन्हें लगता है कि वह गलत है और सोचता है, वह गलत रास्ता नहीं है।

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