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Ask QuestionPosted by Roshini Praveen 4 years, 5 months ago
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Posted by Asha Oli 4 years, 5 months ago
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Akanksha Verma 4 years, 5 months ago
Posted by Moksha Dutt 4 years, 5 months ago
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Sri Bhava Pragalyaa 4 years, 5 months ago
Posted by Somesh Tailor 4 years, 5 months ago
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Shilpa Mahapatra 4 years, 5 months ago
Posted by Prashant Kumar 4 years, 5 months ago
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Akanksha Verma 4 years, 5 months ago
Posted by Prashant Rana 4 years, 5 months ago
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Sri Bhava Pragalyaa 4 years, 5 months ago
Posted by Aditya Jangid 4 years, 5 months ago
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Riya Choudhary 4 years, 5 months ago
Posted by Gagan Deep 4 years, 5 months ago
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Posted by Tanishq Singh 4 years, 5 months ago
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Posted by Sonu Kumar 4 years, 5 months ago
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Posted by Unnati Gupta 4 years, 5 months ago
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Posted by Anandita Singh 4 years, 5 months ago
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Manu ?? 4 years, 5 months ago
Roshini R Nair 4 years, 5 months ago
Posted by Palak Rana 4 years, 5 months ago
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Manu ?? 4 years, 5 months ago
Sri Bhava Pragalyaa 4 years, 5 months ago
Rajnandni Gupta 123@Gmail.Com 4 years, 5 months ago
Aditya Jangid 4 years, 5 months ago
Posted by Akriti Chaurasia 4 years, 5 months ago
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Posted by Pradyuman Verma 4 years, 5 months ago
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Sneha Ramparia 4 years, 5 months ago
Posted by Pradyuman Verma 4 years, 5 months ago
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Roshini R Nair 4 years, 5 months ago
Posted by Purva Chouhan 4 years, 5 months ago
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Posted by Purva Chouhan 4 years, 5 months ago
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Posted by Rsg Garg 4 years, 5 months ago
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Rajnandni Gupta 123@Gmail.Com 4 years, 5 months ago
Posted by Ayush Aggarwal 4 years, 5 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 5 months ago
लेखक ‘पत्र’ की महत्ता बताते हैं की आज का युग वैज्ञानिक युग है। मनुष्य के पास अनेक संचार के साधन हैं फिर भी मनुष्य पत्रों का सहारा जरूर लेता है। वे कहते हैं इनके नाम भी भाषा के अनुसार अलग-अलग हैं। तेलगू में उत्तरम, कन्नड़ में कागद, संस्कृत में पत्र, उर्दू में खत, तमिल में कडिद कहा जाता है। आज भी कई लोग अपने पुरखों के पत्र सहेजकर रखें हैं। हमारे सैनिक अपने घर वालों के पत्रों का इंतजार बड़ी बेसब्री से करते हैं।
उन्होंने यह बताते हुए कहा है कि आज भी सिर्फ भारत में प्रतिदिन साढ़े चार करोड़ पत्र डाक में डाले जाते हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी पत्र के महत्त्व को माना है। लेखक कहते हैं कि २०वीं शताब्दी में पत्र केवल संचार का साधन ही नहीं अपितु एक कला मानी गई है। इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया तथा कई पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित की गई। लेखक का मानना है इस संसार में कोई ऐसा मनुष्य नहीं होगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा हो।
पत्र सिर्फ एक संचार माध्यम ही नहीं हैं, ये मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं। मोबाइल से प्राप्त एसमएस तो लोग मिटा देते हैं परन्तु पत्र हमेशा सहेज कर रखते हैं। आज भी संग्रहालय में महान हस्तियों के पत्र शोभा बने हुए हैं। महात्मा गांधी के पास पूरे विश्व से पत्र आते थे और वे उनका जवाब तुरंत लिख देते थे। ‘रवीन्द्रनाथ टैगोर’ और ‘महात्मा गांधी’ के पत्र व्यवहार को “महात्मा और कवि” के शीर्षक से प्रकाशित किया गया है।
भारत में पत्र व्यवहार की परम्परा बहुत पुरानी है। सरकारी की अपेक्षा घरेलु पत्र मुख्य भूमिका निभाते हैं क्योकि ये आम लोगो को जोड़ने का काम करते हैं। चाहे गरीब हो या अमीर सभी को अपने प्रियजनों से प्राप्त पत्र का इन्तजार रहता है। गरीब बस्ती में तो मनीऑर्डर लेकर आने वाले डाकिए को लोग देवता समझते हैं। अंत में वे कहते हैं कि अत्यधिक संचार साधनों के होने के बावजूद भी पत्रों की अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
Posted by Deep Kanani 4 years, 5 months ago
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Posted by Bheuri Rafiganj 4 years, 5 months ago
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Sri Bhava Pragalyaa 4 years, 5 months ago
Bheuri Rafiganj 4 years, 5 months ago
Posted by Rashmeet Insan 4 years, 5 months ago
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Posted by Shona Lokhande 4 years, 5 months ago
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Posted by Sonu Kashyap 4 years, 5 months ago
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Posted by Kotribai G 4 years, 5 months ago
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Jivitesh Sharma 4 years, 5 months ago
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