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Ask QuestionPosted by Nibir Mahanta 4 years, 3 months ago
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Tejo Bhaskar G Gandham 4 years, 3 months ago
Yogita Ingle 4 years, 3 months ago
इस पाठ के द्वारा लेखक ने बदलू के स्वभाव, उसके सिधेपन और विनम्रता को दर्शाया है। मशीनी युग से आए परिवर्तन से लघु उद्योग की हानी पर प्रकाश डाला है। अंत में लेखक यह भी मानता है कि काच की चूड़ियां के आने से वयवसाय में बहुत हानी हुई हो किन्तु बदलू का व्यक्तित्व कआच की चूड़ियों कि तरह नाजुक नहीं था जो सरलता से टूट जाय।
Posted by Nibir Mahanta 4 years, 3 months ago
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Rhythm Nagpal 4 years, 3 months ago
Yogita Ingle 4 years, 3 months ago
लाख की चूड़ियाँ लाख नामक पदार्थ से बनती हैं। पहले लाख को गर्म करके पिघलाया जाता है। फिर लकड़ी की चौखट पर उसे सलाख के समान पतला करके चूड़ी का आकार दिया जाता है। तत्पश्चात् गोल बेलन जैसे गुटके मैं डालकर उन्हें सही आकार देकर रंगा जाता है ।
Posted by Nibir Mahanta 4 years, 3 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 3 months ago
बदलू से मिलकर लौटते समय लेखक की प्रसन्नता का यह कारण था कि इतनी मुसीबत के बाद भी बदलू के मन की व्यथा उसके चेहरे पर नहीं झलक रही थी। बदलू का व्यक्तित्व काँच की चूड़ियों-सा कमजोर नहीं है।
Posted by Nibir Mahanta 4 years, 3 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 3 months ago
बदलू का स्वभाव बहुत सीधा था क्योंकि लेखक ने कभी भी उसे झगड़ते नहीं देखा था।
Posted by Nibir Mahanta 4 years, 3 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 3 months ago
शादी विवाह के अवसरों पर बदलू ज़िद पकड़ लेता था। जीवन भर चाहे कोई उससे मुफ़्त चूड़ियाँ ले जाए परंतु विवाह के अवसर पर वह सारी कसर निकाल लेता था।
Posted by Bhumika Rathore 4 years, 4 months ago
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Posted by Sandeep Aggarwal 4 years, 4 months ago
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Sneha Dwivedi 4 years, 3 months ago
Posted by Syed Atif 4 years, 4 months ago
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Posted by Monika Attri 4 years, 4 months ago
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Posted by Gauri Jaali 4 years, 4 months ago
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Posted by Nitish Kumar 4 years, 4 months ago
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Posted by Divyanshi D 4 years, 4 months ago
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Posted by Harita Sakharkar 4 years, 4 months ago
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Posted by Varsha Bankar 4 years, 4 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 4 months ago
पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं l
इस वाक्य बिलकुल सत्य है | पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं l जिस प्रकार हम अपने दस्तावेज को संभाल कर रखते है | दस्तावेज की हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है |
पत्र भी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है | पत्रों को हम संभाल कर रखते है, क्योंकि उस में हमारी यादें जुड़ी होती है | हम कभी पर को पढ़ कर अपनी यादें ताज़ा कर सकते है | पहले के समय एक दूसरे तक संदेश पहुँचाने का जरिया एक पत्र ही होता था |
पत्र और दस्तावेज का महत्व अपनी-अपनी जगह है |
Posted by Priyanshi Kawatra 4 years, 4 months ago
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Posted by Disha Deshmukh 4 years, 4 months ago
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Sunidhi Tomar 4 years, 4 months ago
Posted by Raunak Ratan 4 years, 4 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 4 months ago
कवि ने अपने जीवन की तुलना वसंत ऋतु से की है। वसंत ऋतु की तरह उनके जीवन में भी उत्साह, प्रेरणा और नव-जीवन का संचार हो रहा है। कवि अपने हाथ से छू कर मुरझाई हुई कलियों में प्राण भर सकते हैं। कवि ने अपने जीवन की तुलना वसंत ऋतु से इसलिए की है क्योंकि कवि अपनी बातों से युवा वर्ग के भीतर एक उत्साह का संचार करना चाहता है और उनको भविष्य के निर्माण में लगाना चाहता है।
Posted by Nibir Mahanta 4 years, 4 months ago
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Yogita Ingle 4 years, 4 months ago
कवि ने अपने जीवन की तुलना वसंत ऋतु से की है। वसंत ऋतु की तरह उनके जीवन में भी उत्साह, प्रेरणा और नव-जीवन का संचार हो रहा है। कवि अपने हाथ से छू कर मुरझाई हुई कलियों में प्राण भर सकते हैं। कवि ने अपने जीवन की तुलना वसंत ऋतु से इसलिए की है क्योंकि कवि अपनी बातों से युवा वर्ग के भीतर एक उत्साह का संचार करना चाहता है और उनको भविष्य के निर्माण में लगाना चाहता है।
Posted by Nikhil Ahluwalia 4 years, 4 months ago
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Ayushi Singh 4 years, 4 months ago
Shreyas Patil 4 years, 4 months ago
Posted by Arth Gupta 4 years, 4 months ago
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Gaurav Seth 4 years, 4 months ago
उत्तर:- बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से इसलिए जाता था क्योंकि लेखक के मामा के गाँव में लाख की चूड़ियाँ बनाने वाला कारीगर बदलू रहता था। लेखक को बदलू काका से अत्यधिक लगाव था। वह लेखक को ढेर सारी लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ देता था इसलिए लेखक अपने मामा के गाँव चाव से जाता था।
गाँव के सभी लोग बदलू को ‘बदलू काका’ कहकर बुलाते थे इस कारण लेखक भी ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ कहता था।
Posted by Satya Ganesh 4 years, 4 months ago
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Posted by Satya Ganesh 4 years, 4 months ago
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Posted by Satya Ganesh 4 years, 4 months ago
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Posted by Sanuar Parvej 4 years, 4 months ago
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Aamir Saif 4 years, 4 months ago
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Sneha Dwivedi 4 years, 3 months ago
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