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Lakshmi Gupta 3 years, 6 months ago

Hum Panchhi Unmukt Gagan Ke ka kya answer hai Arth hai
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Sia ? 3 years, 6 months ago

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थीं। मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे। महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है।

गांधी जी का परिवार- गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। मोहनदास का लालन-पालन वैष्णव मत में रमे परिवार में हुआ और उन पर कठिन नीतियों वाले जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। जिसके मुख्य सिद्धांत, अहिंसा एवं विश्व की सभी वस्तुओं को शाश्वत मानना है। इस प्रकार, उन्होंने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए उपवास और विभिन्न पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया।

विद्यार्थी के रूप में गांधी जी - मोहनदास एक औसत विद्यार्थी थे, हालांकि उन्होंने यदा-कदा पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीतीं। वह पढ़ाई व खेल, दोनों में ही तेज नहीं थे। बीमार पिता की सेवा करना, घरेलू कामों में मां का हाथ बंटाना और समय मिलने पर दूर तक अकेले सैर पर निकलना, उन्हें पसंद था। उन्हीं के शब्दों में - 'बड़ों की आज्ञा का पालन करना सीखा, उनमें मीनमेख निकालना नहीं।'

उनकी किशोरावस्था उनकी आयु-वर्ग के अधिकांश बच्चों से अधिक हलचल भरी नहीं थी। हर ऐसी नादानी के बाद वह स्वयं वादा करते 'फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा' और अपने वादे पर अटल रहते। उन्होंने सच्चाई और बलिदान के प्रतीक प्रह्लाद और हरिश्चंद्र जैसे पौराणिक हिन्दू नायकों को सजीव आदर्श के रूप में अपनाया। गांधी जी जब केवल तेरह वर्ष के थे और स्कूल में पढ़ते थे उसी वक्त पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा से उनका विवाह कर दिया गया।

युवा गांधी जी - 1887 में मोहनदास ने जैसे-तैसे 'मुंबई यूनिवर्सिटी' की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित 'सामलदास कॉलेज' में दाखिल लिया। अचानक गुजराती से अंग्रेजी भाषा में जाने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में कुछ दिक्कत होने लगी। इस बीच उनके परिवार में उनके भविष्य को लेकर चर्चा चल रही थी। अगर निर्णय उन पर छोड़ा जाता, तो वह डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की इजाजत नहीं थी। साथ ही यह भी स्पष्ट था कि यदि उन्हें गुजरात के किसी राजघराने में उच्च पद प्राप्त करने की पारिवारिक परंपरा निभानी है तो उन्हें बैरिस्टर बनना पड़ेगा और ऐसे में गांधीजी को इंग्लैंड जाना पड़ा।

यूं भी गांधी जी का मन उनके 'सामलदास कॉलेज' में कुछ खास नहीं लग रहा था, इसलिए उन्होंने इस प्रस्ताव को सहज ही स्वीकार कर लिया। उनके युवा मन में इंग्लैंड की छवि 'दार्शनिकों और कवियों की भूमि, संपूर्ण सभ्यता के केन्द्र' के रूप में थी। सितंबर 1888 में वह लंदन पहुंच गए। वहां पहुंचने के 10 दिन बाद वह लंदन के चार कानून महाविद्यालय में से एक 'इनर टेंपल' में दाखिल हो गए।

1906 में टांसवाल सरकार ने दक्षिण अफीका की भारतीय जनता के पंजीकरण के लिए विशेष रूप से अपमानजनक अध्यादेश जारी किया। भारतीयों ने सितंबर 1906 में जोहेन्सबर्ग में गांधी के नेतृत्व में एक विरोध जनसभा का आयोजन किया और इस अध्यादेश के उल्लंघन तथा इसके परिणामस्वरूप दंड भुगतने की शपथ ली। इस प्रकार सत्याग्रह का जन्म हुआ, जो वेदना पहुंचाने के बजाए उन्हें झेलने, विद्वेषहीन प्रतिरोध करने और बिना हिंसा किए उससे लड़ने की नई तकनीक थी।

इसके बाद दक्षिण अफीका में सात वर्ष से अधिक समय तक संघर्ष चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी के नेतृत्व में भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने अपने शक्तिशाली प्रतिपक्षियों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा। सैकड़ों भारतीयों ने अपने स्वाभिमान को चोट पहुंचाने वाले इस कानून के सामने झुकने के बजाय अपनी आजीविका तथा स्वतंत्रता की बलि चढ़ाना ज्यादा पसंद किया।

गांधी जब भारत लौट आए- सन् 1914 में गांधी जी भारत लौट आए। देशवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें महात्मा पुकारना शुरू कर दिया। उन्होंने अगले चार वर्ष भारतीय स्थिति का अध्ययन करने तथा उन लोगों को तैयार करने में बिताए जो सत्याग्रह के द्वारा भारत में प्रचलित सामाजिक व राजनीतिक बुराइयों को हटाने में उनका साथ दे सकें।

फरवरी 1919 में अंग्रेजों के बनाए रॉलेट एक्ट कानून पर, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने का प्रावधान था, उन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया। फिर गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन की घोषणा कर दी। इसके परिणामस्वरूप एक ऐसा राजनीतिक भूचाल आया, जिसने 1919 के बसंत में समूचे उपमहाद्वीप को झकझोर दिया।

इस सफलता से प्रेरणा लेकर महात्‍मा गांधी ने भारतीय स्‍वतंत्रता के लिए किए जाने वाले अन्‍य अभियानों में सत्‍याग्रह और अहिंसा के विरोध जारी रखे, जैसे कि 'असहयोग आंदोलन', 'नागरिक अवज्ञा आंदोलन', 'दांडी यात्रा' तथा 'भारत छोड़ो आंदोलन'। गांधी जी के इन सारे प्रयासों से भारत को 15 अगस्‍त 1947 को स्‍वतंत्रता मिल गई।

उपसंहार - मोहनदास करमचंद गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई।

महात्मा गांधी के पूर्व भी शांति और अहिंसा की के बारे में लोग जानते थे, परंतु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। तभी तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है।

गांधी जी के बारे में प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि- 'हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था।
विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शांति और अहिंसा का प्रतीक हैं। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।

Aditi Kumari 3 years, 5 months ago

?

Abhinav Garad 3 years, 6 months ago

I don't know

Ravneet Kaur 3 years, 6 months ago

Thank You
  • 1 answers

Adwitiya Kumar 3 years, 6 months ago

पर्यावरण की सुरक्षा करना हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवों का जीवन पूरी तरह से इस पर निर्भर है। हम सभी जानते है कि मनुष्य पानी, हवा और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके ही अपना जीवन जी रहे है। वैसे तो हम भोजन में दूध, अंडे, और सब्जियों के साथ अन्य चीजों का सेवन करते हैं लेकिन वे सभी भी जानवरों और पौधों से ही प्राप्त होते हैं। जो हमारे वातावरण के द्वारा ही हमें प्राप्त होता है। इसके अलावा सभी जीव जंतु वनस्पतिओं के द्वारा छोड़े गए ऑक्सीजन के कारण ही जीवित है। इसीलिए हमे अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखना चाहिए जिससे हमारा अस्तित्व बना रहे। पर्यावरण संरक्षण, इस पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राणियों के जीवन तथा प्राकृतिक संसाधनों के लिए बहुत ही आवश्यक है। आज की इस आधुनिकता में प्रदूषण के कारण पृथ्वी दूषित हो रही है। इसके परिणाम स्वरूप एक समय ऐसा आयेगा जब पृथ्वी पर मानव का जीवन असंभव हो जायेगा। इस सभी कारणों को देखते हुए विश्व के 174 देशों ने मिलकर 1992 में ब्राजील में “पृथ्वी सम्मेलन” का आयोजन किया। जिसमे पर्यावरण को कैसे सुरक्षित करना है इसके बारे में चर्चा किया गया था। इसके बाद सन 2002 में जोहान्सबर्ग में एक बार फिर ‘पृथ्वी सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। जिसमे विश्व के सभी देशों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने अपने सुझाव दिए।
  • 2 answers

Adwitiya Kumar 3 years, 6 months ago

Kyunki unhein bhagwaan ne pankh diye aur usse ve udna chahte hain, aur bahar ke kadvee niboriyan khaana chahti hain. Aur pinjare ke andar ve man bhar gaa bhi nahin sakti.

Hemant Prajapat Hffjvchch Vgjnc 3 years, 6 months ago

Gxh
  • 1 answers

Sia ? 3 years, 6 months ago

बचपन !!! इस शब्द मात्र से मेरे बचपन की वो सारी यादें ताजी हो जाती है ।आज से १५ वर्ष पहले मेरा जन्म कानपूर के एक छोटे से कस्बे में हूआ । माँ कहा करती है , कि पिताजी मेरे जन्म होने से काफी खुश थे। उत्सव मनायी गयी थी । वैैसे उस समय घर में क्या हो रहा था , ये तो खायी।
वल माँ ने जो कहा वही कह सकती हूँ । धीरे -घीरे समय बीता और मै ३-५ वर्ष का हो गया । इस समय की कुछ बीतें याद है मूझे , मेरे पापा अपने कंधे पर बैठा कर बाजार ले जाया करते थे , और मै इस तरह बैठा रहता मानो दूनिया का सबसे खूशी व्यक्ति मै ही हूँ । माँ के हाथो से भोजन करना , दूलार करना , सीने से लगाकर सूलाना , मनमोहक कहानियाँ सुनाना । आज भी याद आने पर खुशी के आँसू टपक परते हैं । धीरे -धीरे मे ६-८ वर्ष का हो गया । उफ, स्कुल जाना । ये काफी उबाउ काम था। क्योकि माँ हर रोज ५:०० बजे उठा देती थी। गूस्सा इतना आता था कि पूछो मत। खैर वो जो भी किया करती थी । मेरे भलाइ के लिये था ।लेकिन उस समय इतनी बुद्धी कहां , केवल खेल-खेल ,हा -हा -हा। मुझे याद है एक बार मैने खेलते वक्त एक दोस्त की हाथ तोङ दी थी। पापा ने बहूत पीटा था। लेकिन माँ के दूलार सारे दर्द छू मन्तर हो गया था । लेकिन रात को जब मे सोया था , पापा मेरे सिर पर अपने हाथ फेर रहे थे । शायद उन्हे अफसोस हो रहा था । क्योंकि मै उनके आँखो का तारा जो था। लेकिन उस दिन के बाद से मुझे याद नही है ,कि मैने पापा से दोबारा पिटायी खायी।
मेरे चाचा महाविद्यालय के शिझक है । इसिलिए मुझे चाचा के साथ भेज दिया । क्योंकि वो शिझक है , तो जाहिर सी बात है , पढने वाले ही उन्हे पसंद आएँगे ना , और मूझे न चाहते हुए भी पढना पङता था । वो हमेशा बूद्ध या गधा कहकर पूकारते थे ।
मूझे बिल्कूल अच्छा नही लगता था । इसिलिए मै घँटो पढा करता । मै अपने कझा मे हमेशा अव्वल आता था , तबपर भी चाचा कोइ-न -कोइ दोष निकाल हि देते थे । आज भी वो वैसे ही हैं । खैर मै अब समझने लगा हूं कि वो मूूझे केवल बेहतर नही उत्कृष्ट श्रेणी में देखना चाहते है।
मेरी माँ कहती है कि मै ज्यादा दोस्त बनाना पसँद नही करता था । मुझे भी ये सही लगता है , क्योंकि मुझे बचपन के देस्तो के बारें मे याद नही है ।

लेकिन फिर भी मै बहुत खुश रहता हूँ क्योंकि मैने अपने बचपन को माँ -पापा के साथ जीया है ।

  • 1 answers

Kanwar Preet 3 years, 6 months ago

G
  • 2 answers

Rajkumar Kuhrami 3 years, 6 months ago

Gdutr

Harsh Pandey 3 years, 6 months ago

So search in google like ch1 mahabharat class7
  • 1 answers

Harsh Pandey 3 years, 6 months ago

Goggle search in google like ch1 mahabharat class7
  • 0 answers
  • 1 answers

Preeti Dabral 3 years, 6 months ago

संज्ञा की परिभाषा, प्रकार एवं उदहारण संज्ञा की परिभाषा: किसी भी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण, जाति या भाव, दशा आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।

  • 2 answers

Preeti Dabral 3 years, 6 months ago

दादी माँ का स्वभाव दयालु है। उनके स्वभाव का यही पक्ष सबसे अच्छा लगता है। दादी माँ अपने घर के सदस्य से लेकर गरीबों तक की मदद करने से पीछे नहीं हटती हैं। जैसे - (i) रामी चाची के उधार न चुकाने पर भी दादी माँ उनकी बेटी की शादी में आर्थिक सहायता करती हैं।

Rachit Garg 3 years, 6 months ago

दादी माँ के स्वभाव में अनेक पक्ष थे, जो हमें अच्छे लगते थे, मसलन दादी माँ का सेवा, संरक्षणी, परोपकारी व सरस स्वभाव आदि का पक्ष हमें सबसे अच्छा लगता है, क्योंकि इन्हीं के कारण ही वे दूसरों का मन जीतने में सदैव सफल रही।
  • 1 answers

Preeti Dabral 3 years, 6 months ago

भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है। सार्थक शब्दों के समूह या संकेत को भाषा कहते है।

  • 4 answers

Samar Sinha 3 years, 6 months ago

गंगा ने महाराज शांतनु से मांगा था की वो कुछ भी करेंगे तो महाराज उन्हे परशन ना करे

Amrita Singh 3 years, 6 months ago

sorry somiya and the unique , Anveeksha is tell the right answer Maharaja shantnu ye nhi jaante the ki ganga unke baccho ko ganga ki dhara mai baha degi , ganga ne to ye vachan manga tha ki ganga jo bhi laren maharaja usme dakhalandaazi n de

Anveeksha Yadav 3 years, 6 months ago

Ganga ne Maharaj Shantnu se ye vachan mange the ki vo unse kabhi koi prashn na karen .Ganga jo bhi karen unhe karne den kabhi koi prashn na karen.

The Unique 3 years, 6 months ago

Ganga ne ye shart mangi ki unke jo bhi bacche honge ve unhe ganga ki dhara me baha dengi
  • 2 answers

Adwitiya Kumar 3 years, 6 months ago

Seemaheen kshitij ka arth ye Aakash hai jo kabhi bhi khatm nahin ho sakta

Ayushi Parashar 3 years, 6 months ago

भारतीय
  • 1 answers

Somiya Sagar 3 years, 6 months ago

Kya mtlb he
  • 1 answers

Adwitiya Kumar 3 years, 6 months ago

तप से प्राप्त होने वाली शक्ति
  • 3 answers

Ajay Yadav 3 years, 6 months ago

Fig tree and advance of the year again when we all pledge to change

Ankit Raghav Raghav Ankit 3 years, 6 months ago

8

Ankit Raghav Raghav Ankit 3 years, 6 months ago

Hello
  • 1 answers

Vaibhav V 3 years, 6 months ago

Panchiyon ko Pinjre Mein Band Karke Unki Azadi ka hang Hona Ki Nahin Hota append Python ke prabhavit Hota Hai
  • 1 answers

Somiya Sagar 3 years, 6 months ago

दो लोगों कि बात को संवाद कहते हैं।
  • 0 answers
  • 1 answers

Preeti Dabral 3 years, 6 months ago

संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। ये शब्द किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा प्रयुक्त न होकर सबके द्वारा प्रयुक्त होते है तथा किसी एक का नाम न होकर सबका नाम होते हैं।

  • 4 answers

Amrita Singh 3 years, 6 months ago

debvrat maharaja shantnu ka beta or ganga ka putr

Aryan Patidar 3 years, 6 months ago

पितामह भीष्म देवद्रत के नाम से जाने जाते थे

Rajiv Siyag 3 years, 7 months ago

अनुसवार तथा अनुनासिक

Subhanita Sen 3 years, 7 months ago

देवव्रत गंगा का ?आठवां पुत्र था जो आगे चलकर भीष्म पितामह के नाम से प्रकाशित हुए |
  • 1 answers

Amrita Singh 3 years, 6 months ago

parshuram karna ke jangh pe apna sir rakh ke so rhe the tabhi karna ke jangh ke niche ek bada bhavra ghus gaya usne karna ko katna shuru kr dia karna chillaya nahi ki parshiram ji ka neend khul jaayega , kuch der baad jb parshuram ji ka body blood se bhigne laga to parshuram ji ne pucha ki tum apna sahi parichay do tb karna ne bataya ki vah shatriya hai
  • 2 answers

Sia ? 3 years, 7 months ago

व्याख्या - हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में कवि शिवमंगल सिंह सुमन जी पंछी के माध्यम से मनुष्य जीवन में स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाया है। कविता में पंछी अपनी व्यथा का वर्णन करता हुआ कहता है कि हम पंछी स्वतंत्र आकाश में उड़ने वाले हैं। हम भूखें प्यासे मर जाना पसंद करेंगे न कि पिंजड़े का गुलामी जीवन जीना।

Ravneet Kaur 3 years, 7 months ago

व्याख्या - हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में कवि शिवमंगल सिंह सुमन जी पंछी के माध्यम से मनुष्य जीवन में स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाया है। कविता में पंछी अपनी व्यथा का वर्णन करता हुआ कहता है कि हम पंछी स्वतंत्र आकाश में उड़ने वाले हैं। हम भूखें प्यासे मर जाना पसंद करेंगे न कि पिंजड़े का गुलामी जीवन जीना।
  • 2 answers

Subhanita Sen 3 years, 7 months ago

Samudra.

Arya Vrat 3 years, 7 months ago

पहाड़ों में नदी विशाल रूप ले लेती
  • 3 answers

Aditi Kumari 3 years, 5 months ago

दादी ने अपने बेटे की मदद उसे एक चमकते हुए सोने के कंगन देकर की

Secret Gaming 3 years, 7 months ago

दादी ने अपने बेटे की मदद उसे एक चमकते हुए सोने के कंगन देकर की

Tanveer Kaur 7A 3 years, 7 months ago

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