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Darshan Khandelwal 3 years, 4 months ago

Gfsh
Pl
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Aditya Chaudhary 3 years, 4 months ago

Tgdf
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Angel Sarkar 3 years, 3 months ago

Thik se answer dena hai to do wrna mt hi do

Prabhat Pramanik 3 years, 4 months ago

Hindi me dost ka 100 words

Preeti Kelwadkar 3 years, 4 months ago

Koi nahi paraya k prashna uttar
  • 1 answers

Sia ? 3 years, 4 months ago

कवि रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना है।

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Sia ? 3 years, 4 months ago

कवि रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खानखाना है।

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Angel Sarkar 3 years, 4 months ago

Shivprasad Singh
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Farhan Moghees 3 years, 4 months ago

और हाँ, मूल शब्द से पहले जो शब्द इस्तेमाल किए जाए उसका कोई अर्थ भी होना चाहिए l उदाहरण:- अनपढ़ = अन + पढ़ अर्थ:- अन - के बिना

Farhan Moghees 3 years, 4 months ago

मूल शब्द से पहले पहले जो शब्द इस्तेमाल किया जाता है, उसे उपसर्ग कहते हैं l
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L L 3 years, 3 months ago

कल
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Mandeep Kumar 3 years, 4 months ago

सर्दी का

Yash Kumar 3 years, 4 months ago

Hindi mein application

Dhruvil Joshi 3 years, 4 months ago

सर्दी

Nishant Kumar 3 years, 4 months ago

Hi

Devansh Kumar 3 years, 4 months ago

सरदी
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Prachi Kashyap 3 years, 4 months ago

प्रश्न एक कठपुतली को गुस्सा क्यों आया उत्तर कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि वह धागे में बंधी हुई पराधीन है और वह स्वतंत्रता की इच्छा रखती है प्रशन दो कठपुतली को अपने पांव पर खड़े होने की इच्छा है लेकिन वे क्यों नहीं हो पाती। कठपुतली को अपने पांव पर खड़े होने की इच्छा है लेकिन वह खड़ी नहीं होती क्योंकि वह धागे से बंधी हुई है और उसके अंदर स्वतंत्रता के लिए लड़ने की क्षमता नहीं है और अपने पैरों पर खड़े होने की शक्ति भी नहीं है। पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी। पहले कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को अच्छी लगी क्योंकि पहले कठपुतली स्वतंत्र होने की बात कर रही थी और दूसरी कठपुतलियां भी बंधन से मुक्त होकर आजाद होना चाहती थी। पहले कठपुतली ने सॉन्ग कहां की यह धागे क्यों है मेरे पीछे आगे इन्हें तोड़ दो मुझे मेरे पांव पर छोड़ दो तो वह चिंतित क्यों हो गई कि यह कैसी इच्छा मेरे मन में जो यह नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी वह डर गई क्योंकि उसकी उम्र कम थी उत्तर पहली कठपुतली ने अपनी इच्छा तो व्यक्त कर दी कि मुझे स्वतंत्र होना है लेकिन बाद में उसे अपनी जिम्मेदारी महसूस होने लगी की स्वतंत्र होने की क्षमता उसमें नहीं है अकेले स्वतंत्र होना एक अलग बात है तथा दूसरों को भी स्वतंत्र करवाना एक अलग बात है उसे लगा उसकी उम्र अभी इतनी नहीं है कि वह सब की जिम्मेदारी उठा सके
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Divyansh Baldawat 3 years, 5 months ago

किसी ने कहा कि उस पापी ने मंदिर में घुसकर बड़ा भारी अनर्थ कर दिया और मंदिर को अशुद्ध कर दिया। सुखिया के पिता ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता था कि माता की महिमा के आगे उसकी कलुषता अधिक भारी हो।
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Harsh Pandey 3 years, 5 months ago

Matlb
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He
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Divyansh Baldawat 3 years, 5 months ago

बोली-किसी छोटे क्षेत्र में स्थानीय व्यवहार में प्रयुक्त होने वाली भाषा का वह अल्पविकसित रूप बोली कहलाता है, जिसका कोई लिखित रूप अथवा साहित्य नहीं ता। ... उपभाषा-'उपभाषा' अपेक्षाकृत विस्तृत क्षेत्र अथवा प्रदेश में बोल-चाल में प्रयुक्त आता है तथा उसमें साहित्य रचना भी की जाती है।
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Saketha . S 3 years, 3 months ago

1. उन्नीस 2. कन्नद

Sia ? 3 years, 5 months ago

1.अन्न
2.अन्नपूर्णा
3.टन्न
4.कन्न
5.अन्नकूट

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Sia ? 3 years, 5 months ago

  • खाना
  • काट
  • राजा

Mandeep Kumar 3 years, 4 months ago

• जान • प्राण • मान

Aliya Vishnoi Vishnoi 3 years, 4 months ago

आजकल आशा आवशयक आकाश
Hii
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Mantisha Kumari 3 years, 5 months ago

.

Sharad Jangra 3 years, 5 months ago

Kathputl
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Bharati Barik 3 years, 5 months ago

रामी की चाची दादी माँ को 'पूतो फलो दूधो नहाओ' का आशीर्वाद दे रही थीं, क्योंकि उन्होंने उनका सारा ऋण माफ़ कर दिया था। ब्याज के रुपये भी उसे छोड़ दिए। इसके अलावे उन्होंने उसकी बेटी की शादी के लिए दस रुपए की सहायता भी दी, भी कहा कि वह उनकी बेटी जैसी है। इसलिए उसके शादी में दस-पाँच रुपये की कमी नहीं रहनी चाहिए।

Akash Samantara 3 years, 5 months ago

Hkrgjuffggjh
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Suvindra Negi 3 years, 5 months ago

Lesson

Abhilasha Kaushal 3 years, 5 months ago

नदियों को माँ मानने की परंपरा भारतीय संस्कृति में अत्यंत पुरानी है। नदियों को माँ का स्वरुप तो माना ही गया है लेकिन लेखक नागार्जुन ने उन्हें बेटियों, प्रेयसी व बहन के रूपों में भी देखते है।

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